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1. मुहर्रमुल हराम
- अल्लाह तआला ने कलम को पैदा किया
- जमीन व आसमान की पैदाइश
- फरिश्ते अल्लाह की मख्लूक हैं
- जिन्नात की पैदाइश
- हज़रत आदम (अ.स)
- हज़रत आदम का दुनिया में आना
- काबील और हाबील
- हज़रत शीस (अ.स)
- हजरत इदरीस (अ.स)
- हज़रत इदरीस (अ.स) की दावत
- हज़रत नूह (अ.स)
- हज़रत नूह (अ.स) की दावत
- कौमे नूह (अ.स) पर अल्लाह का अजाब
- कौमे आद
- हज़रत हूद (अ.स) की दावत
- कौमे समूद
- हज़रत सालेह (अ.स) की दावत और कौम का हाल
- हज़रत इब्राहीम (अ.स)
- हज़रत इब्राहीम (अ.स) की कौम की हालत
- हज़रत इब्राहीम की दावत
- हज़रत इब्राहीम को सजा देने की तजवीज
- हज़रत इब्राहीम की आज़माइश
- हज़रत इब्राहीम के अहले खाना
- हजरत इस्माईल (अ.स)
- हज़रत इस्हाक़ की पैदाइश
- हज़रत इस्हाक व अज़मत
- जुलकरनैन
- हज़रत लूत (अ.स)
- कौमे लूत पर अज़ाब
- हज़रत याकूब (अ.स)
2. सफरुल मुजफ्फर
- हजरत याकूब (अ.स) पर आज़माइश
- हज़रत यूसुफ (अ.स)
- हज़रत यूसुफ (अ.स) की आज़माइश
- हज़रत यूसुफ (अ.स) की नुबुव्वत व हुक़ूमत
- हजरत शुऐब (अ.स) और उन की कौम
- हजरत शुऐब (अ.स) की दावत और कौम की हलाकत
- हज़रत अय्यूब (अ.स)
- हजरत लुकमान हकीम
- कौमे बनी इसराइल (अ.स)
- हज़रत मूसा की पैदाइश
- फिरऔन को ईमान की दावत
- कामे बनी इस्राईल पर अल्लाह के इनामात
- हज़रत मूसा (अ.स) को तौरात का मिलना
- हज़रत हारून (अ.स)
- कारून और उसकी हलाकत
- हजरत यूशा बिन नून
- हज़रत हिजकिल (अ.स)
- हज़रत इलियास (अ.स)
- हजरत यस (अ.स)
- हज़रत शमवील (अ.स)
- हजरत तालूत (अ.स) और जालूत
- हजरत दाऊद (अ.स)
- हजरत दाऊद (अ.स) की नुबुब्बत व हुकूमत
- हज़रत सुलेमान (अ.स)
- हजरत सुलेमान (अ.स) की नबूवत व हुकूमत
- मलिक-ए-सबा को इस्लाम की दावत
- मलिक-ए-सबा का इस्लाम लाना
- हजरत यूनुस (अ.स).
- हज़रत यूनुस (अ.स) मछली के पेट में
- हजरत उजैर (अ.स)
3. रबीउल अव्वल
- हजरत जकरिया (अ.स)
- हज़रत यहया (अ.स)
- हज़रत मरयम की आज़माइश
- हज़रत ईसा (अ.स) की पैदाइश
- हज़रत ईसा (अ.स) के हालात
- हज़रत ईसा (अ.स) की दावत
- हज़रत ईसा (अ.स) के मुअजि त और खुसूसियात
- हज़रत ईसा (अ.स) का जिन्दा आसमान पर उठाया जाना
- हज़रत ईसा (अ.स) का आसमान से उतरना
- असहाबुल करिया (बस्ती वाले)
- कौमे सबा
- असहाबुल जन्नह (बाग़ वाले)
- याजूज व माजूज
- हारूत व मारूत
- असहावे कहफ
- दो दोस्तों का तजकेरा
- असहाबुल उखदूद (खन्दक वाले)
- मक्का में बूत परस्ती की इस्तेदा
- असहाबे फील (हाथी वाले)
- अरबों की अखलाकी हालत
- छटी सदी में दुनिया की मज़हबी हालत
- हुजूर (ﷺ) की आमद की बशारत
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की मुबारक पैदाइश
- हुजूर की पैदाइश के वक़्त दुनिया पर असर
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की परवरिश और खानदान
- हज़रत हलीमा सादिया के घर में बरकतें
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की यतीमी
- हुजूर (ﷺ) का शाम का पहला सफर
- हुजूर (ﷺ) की मुबारक जिन्दगी
- हुजूर (ﷺ) का हज़रत ख़दीजा से निकाह
4. रबीउस सामी
- हिलफुल फुजूल
- हुजूर (ﷺ) का एक तारीखी फैसला
- हुजूर (ﷺ) गारे हिरा में
- हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिलना
- पहली वही के बाद हुजूर (ﷺ) की हालत
- दावत व तबलीग़ का हुक्म
- सफा पहाड़ पर इस्लाम की दावत
- रसूलल्लाह (ﷺ) के चचा अबू तालिब से गुफ्तगू
- कुफ्फार का हुजूर (ﷺ) को तकलीफ पहुँचाना
- मूसलमानों पर कुफ्फार का जुल्म सितम
- मुसलमानों की हिजरते हब्शा
- नजाशी के दरबार में कुफ्फार की अपील
- नजाशी के दरबार में कुफ्फारे मक्का की आख़िरी कोशिश
- बनी हाशिम का बायकाट और तीन साल की कैद
- आमुल हुज्न (ग़म का साल)
- ताइफ के सरदारों को इस्लाम की दावत
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की ताइफ से वापसी
- मेराज की दावत
- हज के मौसम में इस्लाम की दावत देना
- मदीना मुनव्वरा में इस्लाम का फैलना
- पहली बैते अक़बा
- दूसरी बैते अक़बा
- मुसलमानों का मदीना हिजरत करना
- नबी के कत्ल की नाकाम साजिश
- हुजूर (ﷺ) की हिजरत
- हुजूर (ﷺ) गारे सौर में
- गारे सौर से हुजूर (ﷺ) की रवानगी
- मदीना में हुजूर (ﷺ) का इन्तेजार
- मस्जिदे कुबा की तामीर और पहला जुमा
- मदीना में हुजूर (ﷺ) का इस्तेकबाल
5. जुमादल ऊला
- वह मुबारक घर जहाँ आप ने कयाम फरमाया
- मदीना मुनव्वरा
- मस्जिदे नबवी की तामीर
- अजान की इब्तेदा
- मुहाजिर व अन्सार में भाई चारा
- असहाबे सुफ्फा
- मदीना में मुनाफिक्रीन का जुहूर
- मदीना के क़बीलों से हुजूर का मुआहदा
- औस और खजूरज में मुहब्बत और यहूद की दुश्मनी
- मदीना की चरागाह पर हमला
- गज्व-ए-बद्र
- कैदियों के साथ हुस्ने सुलूक
- रमज़ान की फरजियत और ईद की खुशी
- ग़ज्व-ए-उहुद
- ग़ज़्व-ए-उहुद में मुसलमानों की आज़माइश
- ग़ज़्व-ए-उहुद में सहाबा किराम की बेमिसाल क़ुर्बानी
- हमराउल असद पर तीन रोज क्रयाम
- शराब की हुरमत
- रजी और बीरे मऊना का अलमनाक हादसा
- बनू नजीर की जिला वतनी
- ग़ज्व-ए-जातुर रिकाअ
- गज्व-ए-बद्रे सानी
- गज्व-ए-दौमतुल जन्दल
- गज्व-ए-खन्दन
- मदीना की हिफाज़त की तदबीर
- खन्दक खोदने में सहाबा की कुर्बानी
- गज्व-ए-खन्दक़ में मुहासरे की शिद्दत
- गज्व-ए-खन्दक में सहाबा की कुर्बानी
- ग़ज्व-ए-बनी कुरैज़ा
- ग़ज़्व-ए-मुरैसिअ या बनी मुस्तलिक
6. जुमा दस्सानियह
- हुजूर (ﷺ) का उमरे के लिये जाना
- सुलह हुदैबिया
- मुसलमानों को अजीम फतह की खुशखबरी
- बादशाहों के नाम दावती ख़ुतूत
- रूम के बादशाह हिरक्ल के नाम दावती खत
- ईरान के बादशाह के नाम दावती खत
- हब्श के बादशाह नजाशी के नाम दावती खत
- ग़ज्व-ए-खैबर
- गज्व-ए-मौता
- मुश्रिकीने मक्का की अहद शिकनी
- फतहे मक्का और आम माफी का एलान
- गज्व-ए-हुनैन
- ग़ज्व-ए-तबूक
- ग़ज़्वात व सराया पर एक नज़र
- इस्लाम में पहला हज
- वफ्दे नजरान की मदीने में आमद
- हज्जतुल विदाअ
- हज्जतुलवदा में आख़िरी ख़ुतबा
- दीन के मुकम्मल होने का एलान
- आखिरत के सफर की तैयारी
- हुजूर (ﷺ) की बीमारी का जमाना
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की वफात
- हुजूर (ﷺ) की वफात से सहाबा की हालत
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की तजहीज़ व तकफीन
- रसूलुल्लाह (ﷺ) का हुलिया मुबारक
- हुजूर (ﷺ) के अहले खाना
- हुजूर (ﷺ) के बुलन्द अख्लाक
- मोहसिने इन्सानियत
- अखलाक का आला नमूना
- हुजूर (ﷺ) के बाद खिलाफत का सिलसिला
7. रजबुल मुज्जब
- हजरत अबू बक्र (र.अ.) सिद्दीक
- हज़रत अबू बक्र (र.अ.) की खिलाफत और कारनामे
- हजरत उमर (र.अ.) का इस्लाम लाना
- हजरत उमर (र.अ.) की बहादुरी
- हजरत उमर (र.अ.) की खिलाफत
- दौरे फारुकी के अहेम कारनामे
- हजरत उस्मान गनी (र.अ.)
- हज़रत उस्मान गनी (र.अ.) के कारनामे और शहादत
- हजरत अली (र.अ.)
- हजरत अली (र.अ.) की खिलाफत
- हजरत तल्हा बिन उबैदुल्ला (र.अ.)
- हजरत जुबैर बिन अव्वाम (र.अ.)
- हजरत अब्दुर्रहमान इब्ने औफ (र.अ.)
- हज़रत सअद बिन अबी वक्कास (र.अ.)
- हज़रत सअद बिन अबी वक्कास (र.अ.) की क़यामत
- हज़रत सईद बिन जैद (र.अ.)
- हज़रत अबू उबैदा बिन ज़र्राह (र.अ.)
- हज़रत हम्जा (र.अ.)
- हजरत हम्जा (र.अ.) की बीवी और बेटी अम्मारा
- हजरत अब्बास बिन अब्दुल मुतल्लिब (र.अ.)
- हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.अ.)
- हज़रत इब्न अब्बास के इल्म हासिल करने का शौक
- हजरत जाफर बिन अबी तालिब (र.अ.)
- हजरत जाफर (र.अ.) की मदीना में आमद
- हजरत जैद बिन हारसा (र.अ.)
- हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ.)
- हजरत अबू हुरैरह (र.अ.)
- हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ.)
- सय्यदना बिलाल (र.अ.)
- हजरत मुसअब बिन उमेर (र.अ.)
8. शाबानुल मुअज्जम
- हजरत खालिद बिन वलीद (र.अ.)
- हजरत खालिद बिन वलीद (र.अ.) का इख्लास
- हजरत मिक़दाद बिन अम्र (र.अ.)
- हज़रते अमीर मुआविया (र.अ.) की पैदाइश और इस्लाम
- हज़रत अमीरे मुआविया (र.अ.) की सीरत व शखसियत
- हजरत अमीरे मुआविया (र.अ.) की खिलाफत व हुकूमत
- हजरत अमीरे मुआविया (र.अ.) के आदात व अख्लाक
- हज़रत अबू अय्यूब अन्सारी (र.अ.)
- हजरत सलमान फारसी (र.अ.)
- हज़रत अबू जर गिफारी (र.अ.)
- हजरत अब्दुल्लाह बिन उम्मे मकतूमें (र.अ.)
- हजरत सुहैब रूमी (र.अ.)
- हजरत अबू सुफियान बिन हर्ष (र.अ.)
- हजरत सुराका बिन मालिक (र.अ.)
- हज़रत मुआज बिन जबल (र.अ.)
- हजरत अम्मार (र.अ.)
- हजरत सुमैया (र.अ.)
- हज़रत तुफैल दोसी (र.अ.)
- हजरत सुमामा बिन उसाल हन्फी (र.अ.)
- हज़रत वहशी बिन हर्ब (र.अ.)
- हजरत हुजैफा बिन यमान (र.अ.)
- हज़रत अबू दर्दा (र.अ.)
- हज़रत अदी बिन हातिम ताई (र.अ.)
- हज़रत अब्दुल्लाह बिन सलाम (र.अ.)
- हज़रत उस्मान बिन मजऊन (र.अ.)
- हजरत उबादा बिन सामित (र.अ.)
- हजरत हलीमा सादिया (र.अ.)
- हज़रत उम्मे हानी बिन्ते अबी तालिब (र.अ.)
- हजरत सफिय्याबिन्त अब्दुल मुतल्लिब (र.अ.)
- हजरत उम्मे हकीम बिन्ते हारिस (र.अ.)
9. रमजानुल मुबारक
- हजरत आदम (अ.स)
- हजरत आदम (अ.स) का दुनिया में आना
- हजरत नूह (अ.स)
- हजरत इब्राहीम (अ.स)
- हजरत मूसा (अ.स)
- हजरत यूसुफ (अ.स)
- हजरत दाऊद (अ.स)
- हजरत सुलैमान (अ.स)
- हजरत ईसा (अ.स)
- हजरत ईसा (अ.स) के मुअजिजात
- हुजूर (ﷺ) की विलादत, खानदान और पर्वरिश
- हुजूर (ﷺ) का एक तारीखी फैसला
- हुजूर (ﷺ) को नुबूव्वत मिलना
- सब से पहले ईमान लाने वाले
- सफा पहाड़ी पर पहला ऐलाने हक
- हुजूर (ﷺ) के चचा अबू तालिब की हिमायत
- ताइफ में इस्लाम की दावत
- हजूर (ﷺ) के खिलाफ कुफ्फार की साजिश
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की हिजरत
- मस्जिदे कुबा की तामीर
- मदीने में हुजूर का इस्तिक्बाल
- इस्लाम में पहला जुमा
- मस्जिदे नबवी की तामीर
- गजव-ए-बद्र
- गजव-ए-बद्र में मुसलमानों की फतह
- गज़व-ए-उहद
- फतहे मक्का
- इस्लाम में पहला हज
- हज्जतुल वदा में हुजूर का तारीखी खुत्बा
- रसूलुल्लाह (ﷺ) की वफात
10. शव्वालुल मुकर्रम
- उम्मुल मोमिनीन हजरत खदीजा (र.अ)
- हज़रत खदीजा (र.अ) की फजीलत व खिदमात
- उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा (र.अ)
- हजरत आयशा (र.अ) का इल्मी मर्तबा
- हजरत खौला बिन्ते सअल्बा (र.अ)
- हजरत जमीला बिन्ते सअद बिन्ते रबी (र.अ)
- हज़रत हस्सान बिन साबित (र.अ)
- हज़रत खब्बाब बिन अरत (र.अ)
- हजरत उम्मे फजल बिन्ते हारिस (र.अ)
- हुजूर से सहाबा की मुहब्बत
- हज़रत उम्मे ऐमन (र.अ)
- हज़रत दूर्रह बिन्ते अबी लहब है
- हज़रत उम्मे अय्यूब (र.अ)
- हज़रत उम्मे रूमान (र.अ)
- उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे सल्मा (र.अ)
- उम्मुल मोमिनीन हज़रत हफ्सा (र.अ)
- उम्मुल मोमिनीन हजरत जैनब बिन्ते जहश (र.अ)
- उम्मुल मोमिनीन हज़रत जवैरिया बिनते हारिस (र.अ)
- उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे हबीबा (र.अ)
- उम्मुल मोमिनीन हजरत मैमूना बिनते हारिस (र.अ)
- हजरत मारिया किब्तिया (र.अ)
- उम्मुल मोमिनीन हजरत जैनब (र.अ)
- उम्मुल मोमिनीन हज़रत सौदा (र.अ)
- हज़रत जैनब बिन्ते रसूलुल्लाह (ﷺ)
- हजरत रुकैया बिन्ते रसूलुल्लाह (ﷺ)
- हज़रत उम्मे कुल्सुम बिन्त रसूलुल्लाह (ﷺ)
- हजरत फातिमा बिन्ते रसूलुल्लाह (ﷺ)
- रसूलुल्लाह (ﷺ) के बेटे
- हजरत अनस बिन मालिक (र.अ)
- हजरत सुहैल बिन अम्र (र.अ)
11. जिल कादा
- बैतुल्लाह की तामीर
- ज़म जम का चश्मा
- सफा व मरवा
- मिना
- अरफ़ात
- हजरत उवैस कर्नी
- हज़रत अली बिन हुसैन (र.अ)
- हजरत अनस बिन नजर (र.अ) की शहादत
- सहाबा की शहादत और हुजूर से सच्ची मुहब्बत
- हजरत उमर बिन अब्दुल अजीज (र)
- हजरत उमर बिन अब्दुल अजीज (र) की खिलाफत
- हजरत उमर बिन अब्दुल अजीज (र) की जिंदगी
- हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज (र) की खिलाफत के असरात
- इत्तिबा-ए-सुन्नत का एक नमूना
- हज़रत उमर बिन अब्दुल अजीज (र) की सादगी
- हज़रत हसन बसरी (र)
- काजी शुरैह का (र) तारीखी फैसला
- हज़रत उरवा बिन जुबैर (र)
- फातिहे सिंध मुहम्मद बिन कासिम (र)
- फातिहे उंदलुस हज़रत तारिक बिन ज़ियाद (र)
- हज़रत कअब अहबार (र)
- हज़रत इमाम अबू हनीफा (र)
- फने हदीस में इमाम अबू हनीफा (र) का मकाम
- हज़रत इमाम अबू हनीफा (र) की फिकही खिदमात
- हजरत इमाम अबू हनीफा (र) की वफात
- हज़रत इमाम मालिक (र)
- हजरत इमाम मालिक (र) का दर्स
- हजरत इमाम शाफई (र)
- हज़रत इमाम अहमद बिन हम्बल (र)
- हज़रत इमाम अहमद बिन हम्बल (र) का कारनामा
12. जिलहिज्जा
- हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक (र)
- हज़रत इमाम अबू यूसुफ (र)
- इमाम बुखारी (र)
- इमाम मुस्लिम (र)
- इमाम अबू दाऊद (र)
- इमाम तिर्मिज़ी (र)
- इमाम नसई (र)
- इमाम इब्ने माजा (र)
- हजरत जुनंद बग़दादी (र)
- सुलतान महमूद ग़ज़नवी (र)
- इमाम ग़जाली (र)
- शेख अब्दुल कादिर जीलानी (र)
- इमाम अबुल हसन अशअरी (र)
- अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन जौजी (र)
- हज़रत मुईनुद्दीन चिश्ती (र)
- सुलतान नूरूद्दीन जंगी (र)
- सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी (र)
- सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी (र) के औसाफ
- हजरत मौलाना जलालुद्दीन रूमी (र)
- हजरत मौलाना जलालुद्दीन रूमी (र) की इल्मी खिदमात
- हजरत निजामुद्दीन औलिया (र)
- हजरत मुजद्विद अल्फे सानी शेख अहमद सरहिंदी (र)
- औरंगजेब आलमगीर (र)
- आलमगीर (र) का दौरे हुकूमत
- आलमगीर (र) की दीनी व इल्मी खिदमात
- हजरत शाह वलीउल्लाह देहल्वी (र)
- फतह अली टीपू सुलतान (र)
- टीपू सुल्तान (र) की सीरत
- टीपू सुल्तान (र) की शहादत
- तातारी फितना और आलमे इस्लाम
मक्का में बुत परस्ती की इब्तेदा
कुरैश का क़बीला हज़रत इब्राहीम (अ.स) के दीन पर बराबर क़ायम रहा और एक खुदा की इबादत ही करता रहा, यहाँ तक के हुज़ूर (ﷺ) से तीन सौ साल पहले…
अरबों की अखलाक़ी हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) से पहले अरबों की अखलाकी हालत बहुत ज़्यादा बिगड़ चुकी थी। जुल्म व सितम, चोरी व डाका जनी, ज़िनाकारी और बदकारी बिल्कुल आम थी। जुआ खेलने और शराब…
हूज़ूर (ﷺ) का शाम का पहेला सफर
दादा अब्दुल मुत्तलिब के इन्तेकाल के बाद हुज़ूर (ﷺ) अपने चचा अबू तालिब के साथ रहने लगे। वह अपनी औलाद से ज़्यादा आपसे मुहब्बत करते थे, जब वह तिजारत की…
सफा पहाड़ पर इस्लाम की दावत
नुबुव्वत मिलने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) तीन साल तक पोशीदा तौर पर दीन की दावत देते रहे, फिर अल्लाह तआला की तरफ से हुजूर (ﷺ) को खुल्लमखुल्ला इस्लाम की दावत…
गज्व-ए-ख़न्दक में सहाबा की कुरबानी
ग़ज़्व-ए-खन्दक में मारिकीन ने दस हजार का लश्कर ले कर मदीने का मुहासरा कर दोनों तरफ से तीर अन्दाज़ी और संगबारी का तबादला होते हुए दो हफ्ते गुजर गए, तो…
गज्व-ए-तबूक
फतहे मक्का के बाद पूरे अरब में इस्लामी दावत व तब्लीग़ की असल हकीक़त वाजेह हो गई और लोग इस्लाम में जौक़ दर जौक दाखिल होने लगे, ऐसे मौके पर…
वफ्दे नजरान की मदीने में आमद
नजरान यमन के एक शहर का नाम है। यहाँ के लोग ईसाई थे। सन ९ हिजरी में रसूलुल्लाह (र.अ) ने अहले नजरान को इस्लाम की दावत दी। तो साठ अफराद…
हज्जतुल विदाअ
फतहे मक्का के बाद जब पूरे अरब में मजहबे इस्लाम की खूबियाँ अच्छी तरह वाजेह हो गई और लोग फौज दर फ़ौज शिर्क व बुतपरस्ती को छोड़ कर इस्लाम कबूल…
हज्जतुल विदाअ में आखरी खुतबा
९ जिल हज्जा १० हिजरी में हुजूर (ﷺ) ने मैदाने अरफ़ात में एक लाख से ज़ियादा सहाब-ए-किराम के सामने आखरी खुतबा दिया, जो इल्म व हिकमत से भरा हुआ था…
दीन के मुकम्मल होने का एलान
रसूलुल्लाह (ﷺ) पर मैदाने अरफात में जुमा के दिन अस्र के बाद आख़री हज के मौके पर एक लाख से जाइद सहाब-ए-किराम के दर्मियान कुरआन की आयत नाज़िल हुई, वही…
हज़रत जुबैर बिन अव्वाम (र.अ)
हज़रत जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) भी उन खुशनसीब लोगों में हैं जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया में ही है। जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों…
हज़रत इस्हाक़ (अ.) की पैदाइश
हजरत इस्हाक़ (अ.) की विलादत बा सआदत अल्लाह तआला की एक बड़ी निशानी है, क्योंकि उन की पैदाइश ऐसे वक्त में हुई जब के उन के वालिद हजरत इब्राहीम (अ.) की…
हज़रत ज़करिया (अ.स)
हज़रत ज़करिया (अ.स) अल्लाह तआला के मुन्तखब करदा नबी और बनी इस्राईल के रहनुमा थे। उन्होंने हज़रत ईसा (अ.स) का ज़माना पाया था। तमाम अम्बियाए किराम का दस्तूर था वह…
हज़रत याह्या (अलैहि सलाम)
हज़रत याहया (अलैहि सलाम) हज़रत ज़करिया (अ.स) के फ़रज़न्द और अल्लाह तआला के नबी थे। वह नेक लोगों के सरदार और जुहद व तक़वा में बेमिसाल थे। अल्लाह तआलाने बचपन…
हज़रत मरयम (अ.स) की आज़माइश
हज़रत मरयम बिन्ते इमरान (अ.स) बनी इस्राईल के एक शरीफ़ घराने में पैदा हुई, क़ुरान में 12 जगह उन का नाम आया है और उन के नाम से एक मुकम्मल…
हिलफुल फुजूल
अरब में जुल्म व सितम और चोरी व डाका जनी आम थी, लोगों के हुक़ूक़ पामाल किये जाते कमजोरों का हक़ दबाया जाता था। इस जुर्म में अवाम व खवास सभी मुब्तला थे। इसी तरह का एक मामला मक्का मुकर्रमा में भी पेश आया के एक सरदार ने बाहर के एक ताजिर से सामान खरीदा और पूरी कीमत नहीं दी। इसके बाद मक्का के चंद नेक लोगों ने
पहली वही के बाद हुजूर (ﷺ) की हालत
गारे हिरा में हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिलने और वही उतरने का जो वाकिआ पेश आया था, वह जिंदगी का पहला वाकिआ था, इस लिये फितरी तौर पर आप को…
रसूलुल्लाह (ﷺ) की चचा अबू तालिब से गुफ्तगू
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) लोगों की नाराजगी की परवा किये बगैर बराबर बुत परस्ती से रोकते रहे लोगों को सच्चे दीन की दावत देते रहे, तो कुरैश के सरदारों ने आप (ﷺ) के चचा अबू तालिब से शिकायत की, के तुम्हारा भतीजा हमारे माबूदों को बुरा भला कहता है, हमारे बाप दादाओं को गुमराह कहता है, जिसे हम बरदाश्त नहीं कर सकते।
कौमे नूह पर अल्लाह का अजाब
हज़रत नूह (अ.) साढ़े नौ सौ साल तक अपनी कौम को दावत देते रहे और कौम के अफराद बार बार अजाब का मुतालबा करते रहे, साथ ही अल्लाह तआला ने हजरत नूह (अ.) को खबर दी के मौजूदा ईमान वालों के अलावा कोई और ईमान नहीं लाएगा।
तो उन्होंने दुआ की: ऐ अल्लाह! अब इन बदबख्तों पर ऐसा अज़ाब नाजिल फर्मा के एक भी काफिर व मुशरिक जमीन पर जिन्दा न बचे
कुफ्फार का हुजूर (ﷺ) को तकलीफें पहुंचाना
जैसा के हर दौर के लोगों ने अपने जमाने के नबी का इनकार किया और उनके साथ बुरा सुलूक किया, ऐसे ही बल्के इससे मी ज़ियादा बुरा सुलूक नबीए करीम (ﷺ) के साथ कुफ्फारे मक्का ने किया,
चुनान्चे हुजूर (ﷺ) का इर्शाद है : “तमाम नबियों में, मैं सब से ज़ियादा सताया गया हूँ।”
कुफ्फारे मक्का ने आप को और आपके सहाबा को सताने में कोई कसर न छोड़ी,
मुसलमानों पर कुफ्फार का जुल्म व सितम
कुफ्फार व मुशरिकीन मुसलमानों पर बहुत ज्यादा जुल्म व सितम ढाते थे और दीने हक कबूल करने की वजह से उन के साथ इन्तेहाई बे रहमाना सुलूक करते थे। चुनान्चे उमय्या बिन खल्फ अपने गुलाम हज़रत बिलाल हबशी (र.अ) को तपती हुई रेत पर कभी पीठ के बल लिटा कर तो कभी पेट के बल लिटा कर भारी पत्थर रख देता और उन्हें मारते हुए इस्लाम छोड़ने को कहता, मगर इस हालत में भी हज़रत बिलाल (र.अ) “अहद अहद” कहते रहते यानी एक ही ख़ुदा(अल्लाह) को पुकारते।
इसी तरह हज़रत अम्मार बिन यासिर (र.अ) और उनके वालिदैन जब मुसलमान हए तो कूफ्फार उन्हें बेपनाह तकलीफें पहुंचाते थे। जब हुजूर (ﷺ) , उन के पास से गुजरते, तो उनकी हालते ज़ार को देख कर फरमाते :
हज़रत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ)
हजरत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) का शुमार भी उन दस लोगों में होता है जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया ही में जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों में अव्वलीन साबिकीन में से की हैं, ग़ज़व-ए-बद्र के अलावह तमाम ग़जवात में रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ रहे और आप को बैअते रिजवान का भी शर्फ हासिल है।
जंगे उहुद के दिन जब दुश्मनों ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को अपने तीरों का निशाना बना रखा था,
मुसलमानों की हिजरते हबशा
जब कुफ्फार व मुशरिकीन ने मुसलमानों को बेहद सताना शुरू किया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को इजाजत दे दी के जो चाहे अपनी जान और ईमान की हिफाजत के लिये मुल्के हबशा चला जाए। वहाँ का बादशाह किसी पर जुल्म नहीं करता, वह एक अच्छा मुल्क है। उस के बाद सहाबा की एक छोटी सी जमात माहे रज्जब सन ५ नबवी में
ताइफ के सरदारों को इस्लाम
सन १० नबवी में अबू तालिब के इंतकाल के बाद कुफ्फारे मक्का ने हुजूर (ﷺ) को बहुत जियादा सताना शुरू कर दिया, तो अहले मक्का से मायूस हो कर आप…
रसूलुल्लाह (ﷺ) की ताइफ से वापसी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ताइफ जा कर वहाँ के सरदारों और आम लोगों को दीने हक़ की दावत दी, मगर वहाँ के लोगों ने इस्लाम कबूल करने के बजाए, रसूलुल्लाह (ﷺ) की सख्त मुखालफत की, गालियाँ दी, पत्थरों से मारा और शहर से बाहर निकाल दिया, पत्थरों की चोट से आप के बदन मुबारक से खून जारी हो गया, शहर से बाहर आकर एक बाग़ में रूके, वहाँ हुजूर (ﷺ) ने अल्लाह तआला से दुआ की और अपनी कमज़ोरी, बेबसी और लोगों की निगाहों में बेवक़अती की फरयाद की और अल्लाह तआला से नुसरत व मदद की दरख्वास्त की और फर्माया : “इलाही ! अगर तू मुझ से नाराज नहीं है, तो मुझे किसी की परवाह नहीं, तू मेरे लिये काफी है।”
मेअराज का सफर
हिजरत से एक साल पहले हजूर (ﷺ) को सातों आसमानों की सैर कराई गई, जिस को “मेअराज” कहते हैं। क़ुरआने करीम में भी सराहत के साथ इस का तज़केरा आया है। जब आपकी उम्र मुबारक ५१ साल ९ माह हुई, तो रात के वक़्त आपको मस्जिदे हराम लाया गया और जमजम और मकामे इब्राहिम के दर्मियान से बुराक नामी सवारी पर हजरत जिबईल (अ.स.) के साथ बैतूल मकदीस तशरीफ लाए। यहाँ आपने तमाम अम्बियाए किराम की इमामत फर्माई।
मदीना मुनव्वरा में इस्लाम का फैलना
मदीना में जियादा तर आबादियाँ क़बील-ए-औस व खज़रज की थीं, यह लोग मुशरिक और बुत परस्त थे। उनके साथ यहूद भी रहते थे। जब कभी क़बील-ए-औस व खजरज से यहूद का मुकाबला होता, तो यहूद कहा करते थे के अन क़रीब आखरी नबी मबऊस होने वाले हैं, हम उन की पैरवी करेंगे। और उनके साथ हो कर तुम को “क़ौमे आद” और “कौमे इरम” की तरह हलाक व बरबाद करेंगे।
जब हज का मौसम आया, तो कबील-ए-खजरज के तक़रीबन छे लोग मक्का आए। यह नुबुव्वत का गयारहवा साल था। हुजूर (ﷺ) उन के पास तशरीफ ले गए, इस्लाम की दावत दी और कुरआन की आयते पढ कर सुनाई। उन लोगों ने आप (ﷺ) को देखते ही पहचान लिए और एक दूसरे को देख कर कहने लगे। खुदा की क़सम! यह वही नबी हैं जिनका तज़केरा यहूद किया करते थे। कहीं ऐसा न हो के इस सआदत को हासिल करने में यहूद हम से आगे बढ़ जाएँ।
पहली बैते अक़बा
अकबा, मिना के करीब एक घाटी का नाम है, जहाँ सन ११ नबवी में मदीना से 6 अफराद ने आकर दीने इस्लाम कबूल किया था, इस के दूसरे साल सन…
दूसरी बैते अक़बा
मदीना मुनव्वरा में हजरत मुसअब बिन उमैर (र.अ) की दावत और मुसलमानों की कोशिश से हर घर में इस्लाम और पैगम्बरे इस्लाम का तजकेरा होने लगा था, लोग इस्लाम की…
मुसलमानों का मदीना हिजरत करना
मक्का मुकरमा में मुसलमानों पर बेपनाह जुल्म व सितम हो रहा था, इस लिये रसूलल्लाह (ﷺ) ने दूसरी बैते अकबा के बाद मुसलमानों को मदीना जाने की इजाज़त दे दी।…
नबी (ﷺ) को शहीद करने की नाकाम साजिश
कुरैश को जब मालूम हुआ के मोहम्मद (ﷺ) भी हिजरत करने वाले हैं, तो उन को बड़ी फिक्र हुई के अगर मोहम्मद (ﷺ) भी मदीना चले गए, तो इस्लाम जड़…
हुजूर (ﷺ) की हिजरत
रसूलअल्लाह (ﷺ) को जब अल्लाह ताला के हुक्म से हिजरत की इजाजत मिली, तो उसकी इत्तेला हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) को दे दी, और जब हिजरत का वक्त आया,…
हुजूर (ﷺ) ग़ारे सौर में
रसूलअल्लाह (ﷺ) और हज़रत अबू बक्र (र.अ) दोनों मक्का छोड़ कर गारे सौर में पहुँच चुके थे। उधर मुश्रिकीनने पीछा करना शुरू किया और तलाश करते हुए गारे सौर के…
ग़ारे सौर से हुजूर (ﷺ) की रवानगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) हिजरत के दौरान गारे सौर में जुमा, सनीचर और इतवार तीन दिन रहे, फिर जब मक्का में शोर व हंगामे में कमी हुई तो मदीना के लिये निकलने…
मदीना में हुजूर (ﷺ) का इन्तेज़ार
जब मदीना तय्यिबा के लोगों को यह मालूम हुआ के रसूलुल्लाह (ﷺ) मक्का से हिजरत कर के मदीना तशरीफ ला रहे हैं, तो उन की खुशी की इन्तेहा न रही,…
मस्जिदे कुबा की तामीर और पहला जुमा
मदीना मुनव्वरा से तक़रीबन तीन मील के फासले पर एक छोटी सी बस्ती कुबा है, यहाँ अन्सार के बुहत से खानदान आबाद थे और कुलसूम बिन हदम उन के सरदार…
मदीना में हुजूर (ﷺ) का इस्तिकबाल
कुबा में चौदा दिन कयाम फ़र्मा कर रसूलुल्लाह (ﷺ) मदीना तय्यिबा के लिये रवाना हो गए, जब लोगों को आप के तशरीफ लाने का इल्म हुआ, तो खुशी में सब…
वह मुबारक घर जहाँ आप (ﷺ) ने कयाम फर्माया
वह मुबारक घर जहाँ आप (ﷺ) ने कयाम फर्माया रसूलुल्लाह (ﷺ) जब मक्का से हिजरत कर के मदीना आए, तो यहाँ के लोगों ने आप (ﷺ) का पुर जोश इस्तिकबाल…
मदीना मुनव्वरा
तुफाने नूह के बाद हज़रत नूह (अ.) के परपोते इमलाक़ बिन अरफख्शज बिन साम बिन नूह यमन में बस गए थे। अल्लाह तआला ने उन को अरबी जबान इलहाम की,…
मस्जिदे नबवी की तामीर
हिजरत के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सब से पहले एक मस्जिद की तामीर फ़रमाई, जिस को आज “मस्जिदे नब्वी” के नाम से जाना जाता है। उस के लिये वही जगह…
अज़ान की इब्तेदा
हजरत इब्ने उमर (र.अ) फ़र्माते हैं के हुजूर (ﷺ) ने जमात की नमाज के लिये जमा करने का मशवरा किया, तो सहाब-ए-किराम (र.अ) ने मुख़्तलिफ राएँ पेश की, किसी ने…
मदीना के कबाइल से हुजूर (ﷺ) का मुआहदा
मदीना तय्यिबा में मुख्तलिफ नस्ल व मज़हब के लोग रहते थे, कुफ्फार व मुश्रिकीन के साथ यहुद भी एक लम्बे जमाने से आबाद थे। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मदीना पहुँचने के…
गजवा-ऐ-बद्र
मुसलमानों को सफह-ए-हस्ती से मिटाने के लिये मुश्रिकीने मक्का एक हज़ार का फौजी लश्कर लेकर मक्का से निकले, सब के सब हथियारों से लैस थे, जब हुजूर (ﷺ) को इत्तेला…
कैदियों के साथ हुस्ने सुलूक
ग़ज़व-ए-बद्र में ७० मुश्रिकीन कैद हुए, जिन को मदीना मुनव्वरा लाया गया, हुजूर (ﷺ) ने कैदियों को सहाबा में तकसीम कर दिया, उन के साथ हुस्ने सुलूक और भलाई करने…
मदीना में मुनाफिक़ीन का जुहूर
मुनाफिक उस शख्स को कहते हैं जो जबान से अपने आप को मुसलमान जाहिर करे, मगर दिल में कुफ्र छुपाए रखे, जब मुसलमान हिजरत कर के मदीना आ गए तो…
औस और खजरज में मुहब्बत और यहूद की दुश्मनी
मदीना तय्यिबा में मुख्तलिफ कबीले आबाद थे, उन में मुशरिकों के दो कबीले औस और खजरज थे, उन के अकसर अफराद इस्लाम में दाखिल हो गए थे, इस्लाम से पहले…
मदीना की चरागाह पर हमला
जब मुसलमान अपने दीन व ईमान की हिफाज़त के लिये हिजरत कर के मदीना चले गए और खुश्शवार माहौल में लोगों को इस्लाम की दावत देनी शुरू की, लोग इस्लाम…
रमज़ान की फरज़ियत और ईद की खुशी
सन २ हिजरी में रमजान के रोजे फर्ज हुए। इसी साल सदक-ए-फित्र और जकात का भी हुक्म नाजिल हुआ। रमजान के रोजे से पहले आशूरा का रोज़ा रखा जाता था,…
जंगे ओहद
जंगे ओहद जंगे बद्र की शिकस्त से कुरैशे मक्का के हौसले तो पस्त हो गए थे, मगर उन में ग़म व गुस्से की आग भड़क रही थी, उस आग ने…
ग़ज़वा-ए-उहुद में मुसलमानों की आज़माइश
जंग-ए-उहुद में मुसलमानों की आज़माइश ग़ज़वा-ए-उहुद में मुसलमानों ने बड़ी बहादुरी से मुशरिकीने मक्का का मुकाबला किया, जिस में पहले फतह हुई, मगर बाद में एक चूक की वजह से…
हमराउल असद पर तीन रोज कयाम
हमराउल असद पर तीन रोज कयाम ग़ज़व-ए-उहुद के बाद अबू सुफियान अपना लश्कर ले कर मक्का वापस जाते हुए मकामे रोहा में पहुँच कर कहने लगा,हमें मुकम्मल तौर पर फतह…
हारूत व मारूत
हारूत व मारूत क़दीम ज़माने में शहरे बाबुल (Babylon) में रहने वाले यहुदियों के दर्मियान जादू बहुत ज़्यादा आम हो गया था वह लोग जादू के ज़रिये अजीब व ग़रीब…
सिरत : उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा (र.अ)
हजरत खदीजा बिन्ते खुवैलिद (र.अ) बड़ी बा कमाल और नेक सीरत खातून थीं, उनका तअल्लुक कुरैश के मुअज्जज खानदान से था, वह खुद भी बाअसर और कामयाब तिजारत की मालिक थीं। उनकी…
आमुल हुज़्न (ग़म का साल)
रसूलुल्लाह (ﷺ) की जौज-ए-मोहतरमा हज़रत ख़दीजा (र.अ) और चचा अबू तालिब हर वक्त आप (ﷺ) का साथ दिया करते थे। एक मर्तबा अबू तालिब बीमार हो गए और इंतकाल का…
नजाशी के दरबार में कुफ्फारे मक्का की आखरी कोशिश
जब कूफ्फारे कूरैश बादशाह नजाशी के दरबार से अपनी कोशिश में नाकाम हो कर निकले, तो अम्र बिन आस ने कहा के मैं कल बादशाह के सामने ऐसी बात कहूँगा,…
ग़ज़व-ए-उहुद में सहाबा-ए-किराम की बेमिसाल क़ुरबानी
गजवा-ए-उहुद में हुजूर (ﷺ) के सहाबा ने जिस वालिहाना मुहब्बत व फिदाकारी का मुजाहरा किया उस का तसव्वुर भी रहती दुनिया तक आलमे इस्लाम को रूहानी जज़्बे से माला माल…
शराब की हुरमत का हुक्म
शराब की हुरमत का हुक्म अल्लाह तआला ने मुसलमानों को इस्लामी माहौल में जिन्दगी गुजारने और अहकामे इलाही पर अमल करने के लिये मदीने का साजगार माहौल अता किया, ताके…
रजी और बीरे मऊना का अलमनाक हादसा
रजी और बीरे मऊना का अलमनाक हादसा जंगे उहुद के बाद मुशरिकिन ने धोके से मुसलमानों को कत्ल करने की साजिश शुरू कर दी, माहे सफर सन ४ हिजरी में…
ग़ज़व-ए-दौमतुल जन्दल
२५. रबीउल अव्वल सन ५ हिजरी में रसूलुल्लाह (ﷺ) को इत्तेला मिली के शाम की सरहद से करीब दौमतुल जन्दल के मुरिक क़बाइल ने काफलों पर डाके डाल रखे हैं और…
ग़ज़व-ए-खन्दक | खंदक की लड़ाई
ग़ज़व-ए-खन्दक की वजह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यहूद की बद अहदी और साजिशों की वजह से मदीना से निकल जाने का हुक्म दिया, तो वह खैबर और वादियुलकुरा में जा बसे,…
रूम के बादशाह हिरकल (Hercules) के नाम दावती खत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत दिह्या कलबी (र.अ) के हाथ रूम के बादशाह हिरकल (Hercules) के नाम दावती खत भेजा, जिस का मजमून यह था – “यह खत अल्लाह के रसूल…
बनी हाशिम का बायकाट और तीन साल की कैद
कुफ्फारे मक्का के जुल्म व सितम और रोकथाम के बावजूद इस्लाम तेजी से बढ़ता रहा, यह देख कर कुफ्फारे मक्का ने तदबीर सोची के मुहम्मद (ﷺ) और उन के खानदान…
हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिलना
जब दुनिया में बसने वाले इंसान जहालत व गुमराही में भटकते हुए आखरी हद तक पहुँच गए। अल्लाह तआला ने उनकी हिदायत व रहनुमाई का फैसला फ़रमाया और शिर्क व…
हज़रत खदीजा (र.अ) की फजीलत व खिदमात
उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा (र.अ) को जो फज़ल व कमाल अल्लाह तआला ने अता फ़रमाया था, उस में कयामत तक कोई खातून शरीक नहीं हो सकती, उन्होंने सब से पहले…
हज के मौसम में इस्लाम की दावत देना
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने देखा के कुफ्फारे कुरैश इस्लाम कबूल करने के बजाए बराबर दुश्मनी पर तुले हुए हैं। तो हुजूर (ﷺ) हज के मौसम के इंतज़ार में रहने लगे…
अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.)
छटी सदी हिजरी में अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.) एक बहुत बड़े मुहद्दिस, मोअरिंख, मुसन्निफ और खतीब गुजरे हैं। सन ५०८ हिजरी में बगदाद में पैदा हुए, बचपन में बाप का…
हजरत रुकय्या बिन्ते रसूलुल्लाह (र.अ)
हज़रत रुकय्या (र.अ) हुजूर (ﷺ) की दूसरी साहबज़ादी (बेटी) थीं, वह पहले अबू लहब के बेटे उत्बा के निकाह में थीं, जब हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिली और लोगों को…
नजाशी के दरबार में कुफ्फार की अपील
कुरैश ने जब यह देखा के सहाबा-ए-किराम हबशा जा कर सुकून व इत्मीनान के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं, तो उन्होंने मशविरा कर के अम्र बिन आस और अब्दुल्लाह बिन…
दावत व तबलीग़ का हुक्म
नुबुव्वत मिलने के बाद भी हुजूर (ﷺ) बादस्तूर गारे हिरा जाया करते थे। शुरू में सूरह अलक़ की इब्तेदाई पाँच आयतें नाज़िल हुईं, फिर कई दिनों तक कोई वहीं नाज़िल…
हुजूर (ﷺ) गारे हिरा में
नुबुव्वत मिलने का वक़्त जितना करीब होता गया, उतना ही रसूलुल्लाह (ﷺ) तन्हाई को जियादा ही पसन्द करने लगे। सबसे अलग हो कर अकेले रहने से आप को बड़ा सुकून…
हुजूर (ﷺ) का एक तारीख़ी फैसला
रसूलुल्लाह (ﷺ) की नुबुव्वत से चंद साल क़ब्ल खान-ए-काबा को दोबारा तामीर करने की जरुरत पेश आई। तमाम कबीले के लोगों ने मिल कर खान-ए-काबा की तामीर की, लेकिन जब…
हजरत सालेह (अलैहि सलाम) की दावत और कौम का हाल
हज़रत सालेह अलैहि सलाम हजरत हूद अलैहि सलाम के तकरीबन सौ साल बाद पैदा हुए। कुरआन में उन का तजकिरा ८ जगहों पर आया है। अल्लाह तआला ने उन्हें कौमे…
मुहाजिर और अंसार में भाईचारा
मक्का के मुसलमान जब कुफ्फार व मुशरिकीन की तकलीफों से परेशान हो कर सिर्फ अल्लाह, उसके रसूल और दीने इस्लाम की हिफाजत के लिये अपना माल व दौलत, साज व…
असहाबे सुफ्फा
जब मस्जिदे नबवी की तामीर हुई, तो उस के एक तरफ चबूतरा बनाया गया था, जिस को सुफ़्फ़ा कहा जाता है। यह जगह इस्लामी तालीम व तरबियत और तब्लीग व…
सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी (रह.) | Salahuddin Ayyubi (R.h)
Salahuddin Ayyubi (R.h) सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी (रह.) जिन्हें “फ़ातिहे बैतुल मुकद्दस” कहा जाता है, छटी सदी हिजरी के बड़े ही नामवर और कामयाब बादशाह गुज़रे हैं। वालिद की तरफ़ निसबत करते हुए…
इमाम अबू दाऊद (रह.)
आप का नाम सुलेमान और वालिद का नाम अशअस था, अबू दाऊद आप का शुरू ही से लकब था, आप की विलादत बा सआदत सन २०२ हिजरी में शहर “सजिस्तान” में हुई। आपने इल्म…