18 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa
Table of Contents
1. इस्लामी तारीख
मक्का में बुत परस्ती की इब्तेदा
कुरैश का क़बीला हज़रत इब्राहीम (अ.स) के दीन पर बराबर क़ायम रहा और एक खुदा की इबादत ही करता रहा, यहाँ तक के हुज़ूर (ﷺ) से तीन सौ साल पहले अम्र बिन लुई खुजाई का दौर आया।
अम्र मक्का का बड़ा दौलतमन्द शख्स था, उस के पास बीस हज़ार उँट थे, जो उस ज़माने में बड़े शर्फ की बात थी, एक दफा वह मक्का से मुल्के शाम गया, उसने वहां के लोगों को देखा, के बुतों को पूजते हैं, तो उनसे पूछा इन को क्यों पूजते हो? उन्होंने जवाब दिया "यह हमारे हाजत रवा है, हमारी ज़रूरतों को पूरी करते हैं, लड़ाइयों में फतह दिलाते हैं और पानी बरसाते हैं।
"अम्र बिन लुई को उनकी बुतपरस्ती अच्छी लगी और उस ने वहाँ से कुछ बुत ला कर खान-ए-काबा के आस पास रख दिये।
चूँकि काबा अरब का मरकज़ था, इस लिये तमाम कबाइल में धीरे धीरे बुत परस्ती का रिवाज हो गया, इस तरह मक्का में बुतपरस्ती की शुरूआत अम्र बिन लुहै खुजाई के हाथों हुई, जिसके बारे में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : मैंने अम्र बिन लुई को देखा के वह जहन्नम में अपनी ओतें घसीटता हुआ चल रहा है।
2. एक फर्ज के बारे में
शौहर का हक अदा करना
۞ हदीस: हज़रत आयशा रज़ि० ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा के
औरत पर तमाम लोगों में से किसका हक़ ज़्यादा है?
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
"औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है।"
फिर हज़रत आयशा रज़ि० ने पूछा: मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ किसका है?
तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
"मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ उस की माँ का है।"
📕 सुनन कुबरा लिन्नसई : ११४८. अन आयशा रज़ि०
3. एक सुन्नत के बारे में
डर और घबराहट की दुआ
डर और घबराहट की दुआ
एक शख्स ने हुज़ूर (ﷺ) से डर और वहेशत की शिकायत की तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: यह पढ़ो -
فَتَعَالَى اللَّهُ الْمَلِكُ الْحَقُّ ۖ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ
(फ़ताआला अल्लाहु अलमालिकु अलहक़्क़ु ला इलाहा इल्ला हुवा रब्बू अलअर्शी अलक़रीमी)
तर्जमा: उस मुकद्द्स बादशाह की पाकी बयान करता हूँ जो फरिश्तों और रूह का रब है उसकी इज़्ज़त व ज़बरूत से ज़मीन व आसमान रौशन हैं।
📕 क़ुरआन 23:116, मुअजमे कबीर, लित्तबरानी: ११५६
4. एक अहेम अमल की फजीलत
दोस्तों और पड़ोसियों से अच्छा सुलूक करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
"अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन साथी (दोस्त) वह है, जो अपने साथी के लिये बेहतर हो और अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के हक़ में अच्छा हो।"
5. एक गुनाह के बारे में
हज़रत ईसा (अ.स) को खुदा मानने का गुनाह
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है -
"बिलाशुबा वह लोग भी काफिर हो गए जिन्होंने यूँ कहा के अल्लाह तआला तीन (खुदाओ) में से एक है, हालांके एक खुदा के अलावा कोई माबूद नहीं और अगर यह लोग इन बातों से बाज़ नहीं आएंगे, तो जो लोग उनमें से कुफ्र पर कायम रहेंगे उन को ज़रूर दर्दनाक अज़ाब पहुंचेगा।"
6. दुनिया के बारे में
दुनिया में खाना पीना चंद रोज़ा है
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है -
"तुम (दुनिया में) थोड़े दिन खा लो और (उससे) फायदा उठालो, बेशक तुम मुजरिम हो (यानी यह दुनियवी ज़िंदगी चंद रोज़ की है, अगर उसके पीछे पड़ कर अपनी आखिरत की ज़िंदगी को भुला दोगे, तो क़यामत के दिन तुम मुजरिम बन कर उठोगे)।"
7. आख़िरत के बारे में
कम दर्जे वाले जन्नती का इनाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया -
"अदना दर्जे का जन्नती वह होगा, जिस के एक हज़ार महल होंगे, हर दो महलों के दर्मियान एक साल के बराबर चलने का फासला होगा, यह जन्नती दूर के महलों को इसी तरह देखेगा जिस तरह करीब के महलों को देखेगा, हर एक महल में खूबसूरत गहरी सियाह आँखों वाली हूर होंगी और उमदा बागात और (खिदमत के लिये) लड़के होंगे, जिस चीज़ की भी वह तलब करेगा, उसको पेश कर दी जाएगी।"
📕 तरगीब : ५२८०, अन इब्ने उमर (र.अ)
8. तिब्बे नबवी से इलाज
दस्त (बकरी की अगली रान) के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) को दस्त (अगली रान) का गोश्त बहुत पसन्द था।
📕 बुखारी : ३३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
फायदा : अल्लामा इब्ने क़य्यिम ने लिखा है के बकरी के गोश्त में सब से हल्की गिज़ा का हिस्सा गरदन और दस्त है, उसके खाने से मेदे में भारीपन नहीं होता।
9. नबी (ﷺ) की नसीहत
दुनिया से बे-रग़बती और आखिरत की रगबत के लिये
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
"दुनिया से बे-रग़बती और आखिरत की रगबत पैदा करने के लिये मौत को याद करना काफी है।"
📕 बैहेकी फी शोअबील ईमान: १०१५९
[icon name=”info” prefix=”fas”] इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।