5. सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

5 सफर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
5 Safar | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हज़रत शुऐब (अ.स) और उन की कौम

हजरत शुऐब (अ.स) अल्लाह के मशहूर नबी हैं, वह कसरत से नमाज व जिक्र में मश्गूल रहते और अल्लाह तआला के खौफ से खूब रोया करते थे, क़ुरआने मजीद में उनका तजकेरा ११ मर्तबा आया है, उनका नसब हज़रत इब्राहीम (अ.स) के बेटे मदयन से मिलता है, जो अपने अहले खाना के साथ हिजाज़ (अरब) चले गए थे।

बढ़ते बढ़ते यह खान्दान क़बीले की शक्ल में हिजाज़ की आखरी सरहदों से मुल्के शाम के क़रीब तक फैल गया था, अहदे नबवी में शाम, फलस्तीन और मिस्र जाते हुए रास्ते में मदयन के खंडरात नजर आते थे, हजरत शुऐब (अ.स) इसी कबीले में पैदा हुए और बाद में यह क़बीला कौमे शुऐब (अ.स) कहलाया। 

यह क़ौम बुत परस्ती, मुशरिकाना अकाइद, नाप तौल में कमी, लूट मार और डाका जनी जैसे जराइम में मुब्तला थी। नुबुब्वत मिलने के बाद हजरत शुऐब (अ.स) ने उन लोगों को ईमान व तौहीद की दावत देनी शुरू कर दी। उन के वाज़ व नसीहत और तक़रीर व खिताबत से लोगों के दिलों पर बड़ा असर होता था, इसी लिये हुजूर (ﷺ) ने उन को “खतीबुल अम्बिया” के लकब से नवाजा।

तफ्सील में पढ़े: हजरत शुएब अलैहि सलाम | कसक उल अम्बिया

📕 इस्लामी तारीख


2. अल्लाह की कुदरत

कुतुब तारा (ध्रुव तारा / Polestar)

अल्लाह तआला ने आसमान में लाखों रौशन सितारे बनाए, जो आसमान में अपने अपने मदार पर घूमते रहते हैं।

इस गर्दिश की वजह से वह मशरिक से मग़रिब में अपनी जगह बदलते रहते हैं, मगर उन लाखों सितारों में एक कुतुब तारा ऐसा भी है जो हमेशा शिमाली सिम्त में ठहरा रहता है, जिस को देख कर, खुश्की, रेगिस्तानी और दरियाई सफर करने वाले अपनी सिम्त आसानी से मालूम कर लेते हैं। 

बिलाशुबा इस कुतुब तारे के ज़रिये लोगों को मंजिले मक्सूद तक पहुँचाना कुदरते इलाही की बड़ी निशानी है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

इस्लाम में नमाज़ की अहेमियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:

“दीन बगैर नमाज़ के नही है। नमाज़ दीन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लिए सर होता है।”

📕 तबरानी कबीर :१९, अन इब्ने उमर (र.अ)


4. एक सुन्नत के बारे में

बच्चों के सरों पर हाथ फेरना

हज़रत अनस बिन मालिक (र.अ) बयान करते हैं के –

“रसूलुल्लाह (ﷺ) हजराते अन्सार के पास मुलाकात की गर्ज से तशरीफ ले जाते। उनके बच्चों को सलाम करते और उनके सरों पर हाथ फेरते।”

📕 सुनने कुबरा नसई : ८३४९


5. एक अहेम अमल की फजीलत

बिस्तर पर अल्लाह का जिक्र करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“बहुत से लोग दुनिया में नर्म नर्म बिस्तरों पर अल्लाह का जिक्र करते होंगे, अल्लाह तआला उनको ऊँचे ऊँचे दर्जे अता फरमाएगा।”

📕 सही इब्ने हिम्बान : ३९९, अन अबी सईद (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

शराबी की सजा – क़यामत में प्यासा उठेगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस शख्स ने शराब पीया (फिर बगैर तौबा किये हुए उसी हालत में मर गया) तो कयामत के दिन प्यासा उठेगा।”

📕 मुस्नदे अहमद: १५०५६, अन कैस बिन सअद (र.अ)


7. दुनिया के बारे में

दो चीज़ों को बुरा समझना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“दो चीज़ों को आदम की औलाद बुरा समझती है। एक तो मौत को (बुरा समझती है), हालांके मौत मोमिन के लिये फ़ित्ना (में मुब्तेला होने) से बेहतर है, दूसरे माल की कमी को, हालां के माल की कमी हिसाब में कमी का सबब है।”

📕 मुस्नदे अहमद : २३११३, अन महमूद बिन लबीद (र.अ)


8. आख़िरत के बारे में

मरने के बाद जिन्दा होना

अल्लाह तआला क़यामत के दिन बन्दों को खिताब करते हुए फर्माएगा:

“तुम को जिस तरह हमने पहली मर्तबा दुनिया में पैदा किया था, उसी तरह (हमारे हुक्म से दोबारा जिन्दा हो कर) आज तुम हमारे पास आ गए, मगर तुमने तो यह समझ लिया था के हम तुम्हारे लिये दोबारा लौटाए जाने का कोई वक्त ही मुकर्रर नहीं करेंगे।”

📕 सूरह कहफ; ४८


9. तिब्बे नबवी से इलाज

दिल के दौरे का इलाज

हजरत सअद बिन अबी वक़्कास (र.अ) फर्माते हैं के –

एक मर्तबा मैं बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) मुझे देखने के लिए तशरीफ़ लाए और अपना मुबारक हाथ मेरे सीने पर रखा, तो आप के हाथ की ठंडक मेरे सीने में फैल गई।

फ़िर फ़र्माया : “इसे दिल का दौरा पड़ा है, इस को हारिस बिन कल्दा के पास ले जाओ, क्योंकि वह एक माहिर हकीम है और उस हकीम को चाहिए के वह मदीना की सात अजवा खजूरें गुठलियों के साथ कूट कर इसे खिलाए।”

📕 अबू दाऊद; ३८७५, अन सअद (र.अ)


10. कुरआन की नसीहत

हर शख्स को गौर करना चाहिये के उसने आगे क्या भेजा है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“ऐ ईमानवालों ! अल्लाह से डरते रहो और हर शख्स को गौर करना चाहिये के (दुनिया में रह कर) उस ने कल के लिये क्या आगे भेजा है और अल्लाह से डरते रहो, यकीनन जो कुछ भी(दुनिया) में करते हो, सब अल्लाह को मालूम है।”

📕 सूरह हश्र :१८

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