28 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

28 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हूज़ूर (ﷺ) का शाम का पहेला सफर

दादा अब्दुल मुत्तलिब के इन्तेकाल के बाद हुज़ूर (ﷺ) अपने चचा अबू तालिब के साथ रहने लगे। वह अपनी औलाद से ज़्यादा आपसे मुहब्बत करते थे, जब वह तिजारत की गर्ज से शाम जाने लगे तो आप अपने चचा से लिपट गए। अबू तालिब पर इस का बड़ा असर पड़ा और आप को सफर में साथ ले लिया।

इस क़ाफले ने शाम पहुँच कर मकामे बसरा में क़याम किया। यहाँ बुहैरा नामी राहिब रहता था। जो ईसाइयत का बड़ा आलिम था। उसने देखा के बादल आप (ﷺ) पर साया किये हुये हैं और दरख्त की टहनियाँ आप पर झुकी हुई है। फिर उसने अपनी आदत के बर खिलाफ इस काफले की दावत की।

जब लोग दावत में गए, तो आप (ﷺ) को कम उम्र होने की वजह से एक दरख्त के पास बैठा दिया। मगर बुहैरा ने आप (ﷺ) को भी बुलवाया और अपनी गोद में बिठा कर मुहरे नुबुव्वत देखने लगा उन्होंने तौरात व इन्जील में आखरी नबी से मतअल्लिक सारी निशानियों को आपके अन्दर मौजूद पाया।

फिर अबू तालिब से कहा के तुम्हारा भतीजा आखरी नबी बनने वाला है। इन को मुल्के शाम न ले जाना, वरना यहूदी कत्ल की कोशिश करेंगे। इन्हें वापस ले जाओ और यहूद से इन की हिफाज़त करो, चुनान्चे अबू तालिब इस मुख्तसर सी गुफतगू के बाद आप (ﷺ) को ले कर बहिफाजत मक्का मुकर्रमा वापस आ गए।


2. एक फर्ज के बारे में

गुस्ल के लिये तययम्मुम करना

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है -

"अगर तुम बीमार हो जाओ या सफर में हो या तुम में से कोई शख्स अपनी तबई ज़रूरत (यानी पेशाब पाखाना कर के) आया हो या अपनी बीवी से मिला हो और तुम पानी (के इस्तेमाल की) ताकत न रखते हो, तो ऐसी हालत में तुम पाक मिट्टी का इरादा करो। (यानी तयम्मुम कर लो)।"

📕 सूरह मायदा 5:6

फायदा : अगर किसी पर गुस्ल करना फ़र्ज़ हो जाए और पानी इस्तेमाल करने की ताकत न रखे, तो ऐसी सुरत में गुस्ल के लिए तयम्मुम कर के नमाज पढ़ना फ़र्ज़ है और तयम्मुम का तरीका यह है के दोनो हाथों को जमीन पर मार कर चेहरे पर मसह कर लें फिर जमीन पर मारें और दोनों हाथों पर कोहनियों समेत मसह कर लें।


3. एक सुन्नत के बारे में

बुढ़ापे में रिज़्क में बरकत की दुआ

बुढ़ापे में रिज्क में बरकत के लिये यह दुआ पढ़ें :

( اللهم اجعل أوسع رزقك على عند كبر سنئ وانقطاع غمري )

तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मेरी बड़ी उम्र में अपना रिज्क मुझपर ज़्यादा कर दे।

📕 मुस्तदरक : १९८७. अन आयशा रज़ि०


4. एक अहेम अमल की फजीलत

मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

"दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।"

📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०


5. एक गुनाह के बारे में

पाक दामन औरतों पर तोहमत लगाने का गुनाह

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है -

"जो लोग पाक दामन औरतों पर (ज़िना की) तोहमत लगाते हैं, फिर अपने दावे पर चार गवाह न ला सकें, तो ऐसे लोगों को अस्सी कोड़े लगाओ और आइन्दा कभी उन की गवाही कबूल न करो और यह लोग (सख्त) गुनहगार हैं, मगर जो लोग इस तोहमत के बाद तौबा कर लें और अपनी इस्लाह कर लें, तो बेशक अल्लाह तआला बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।"

📕 सूरह नूर : ४ ता ५


6. दुनिया के बारे में ohmat

दुनिया वालों का हाल

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

"इन्सान को जब उस का परवरदिगार आजमाता है और उस को इज्जत व नेअमत देता है, तो कहता है के मेरे रब ने मुझ को इज़्ज़त दी और जब रोजी तंग कर के उस को आजमाता है तो कहता है: मेरे रब ने मुझे ज़लील कर दिया।”

📕 सूरह फज़्र : १५ ता १६

खुलासा : इन्सान दुनिया की ज़ाहिरी आराम व आराइश को देख कर उसे इज्जत समझता है, इसी तरह दुनिया की जाहरी मुसीबत व परेशानी को देख कर जिल्लत व रुस्वाई समझता है। जब की असल कामियाबी आख़िरत के ऐतबार से है।


7. आख़िरत के बारे में

क़यामत के दिन लोगों की हालत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

"क़यामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उसकी गर्मी में भी इज़ाफा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग़ इस तरह उबल रहा होगा जिस तरह हाँड़ियाँ जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बक़द्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज कमर तक और बाज़ के मुंह में लगाम की तरह होगा।"

📕 मुस्नदे अहमद : २१६८२


8. तिब्बे नबवी से इलाज

दिल की कमज़ोरी का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

"तुम लोग सन्तरे का इस्तेमाल किया करो, क्योंकि यह दिल को मज़बूत बनाता है।"

📕 कंजुल उम्माल : २८२५३

फायदा : मुहद्दिसीन तहरीर फ़रमाते हैं के सन्तरे का जूस पेट की गन्दगी को दूर करता है, क़े और मतली को खत्म करता है और भूक बढ़ाता है।


9. नबी (ﷺ) की नसीहत

दावत देने वाले की दावत कबूल कर लो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

"दावत देने वाले की दावत कबूल कर लो और हदिया वापस मत करो और मुसलमानों को मत मारो।"

📕 सही इसने हिब्बान: ५६९४

[icon name=”info” prefix=”fas”] इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।

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