सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
5 Minute Ka Madarsa in Hindi
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Table of Contents
इस्लामी तारीख
औरंगजेब आलमगीर (रह.) की दीनी व इल्मी खिदमात
आलमगीर को इस्लामी व शरई उलूम से खास लगाव था, यूं तो उन के दौर में बहुत से दीनी और इल्मी काम अंजाम दिये गए और बहुत सारी किताबें शाए की गई, उन्हीं में से अल्लामा हसन की किताब “रद्देशीआ” और दूसरी किताब मौलाना मुहम्मद मुस्तफ़ा की “नजमुल फुर्कान” है, जो कुरआन मजीद के अल्फाज़ की फहरिस्त (Index) है, इस के अलावा उन का गिरा कद्र इल्मी कारनामा यह है के उन्होने हिंदुस्तान के उलमा की एक जमात को हुक्म दिया के फ़िकह की तमाम किताबों से मसाइल मुन्तखब कर के एक ऐसी जामे किताब तय्यार की जाए, जो फ़िकह के तमाम पहलूओं पर हावी हो, शेख निजामुद्दीन को इस जमात का सद्र बनाया गया, चुनान्चे उलमा की आठ साला मेहनत के बाद “फतावा आलमगीरी शाही” तय्यार हुई, जिस पर उस ज़माने में दो लाख रुपये खर्च हुए, बादशाह का मामूल था के रोज़ाना इस किताब का एक सफ्हा शेख निज़ाम से पढ़वा कर उस पर गौर व फ़िक्र करते और फिर उलमा की मुत्तफ़का राय से उस को लिखा जाता। हकीकत में यह ऐसा इल्मी कारनामा है जिस ने उलमा व तलबा को फ़िकह की तमाम किताबों से बेनियाज़ कर दिया है। जब इस किताब को अरब उलमा ने पढ़ा, तो इसे बड़ी कद्र की निगाह से देखा और फिर अरब में फ़तावा हिंदिया के नाम से इसको शाए किया।
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अल्लाह की कुदरत
मच्छर
अल्लाह तआला ने छोटी बड़ी बेशुमार मखलूक पैदा फ़रमाई है कोई भी चीज़ कुदरत के कारखाने में निकम्मी और बेकार नहीं है। मच्छर ही पर गौर कीजिए तो उस की बनावट अल्लाह की कुदरत का करिश्मा मालूम होती है। वह जब इन्सान के जिस्म पर बैठता है तो अपनी सुंड जिल्द के मसामात में दाखिल कर देता है और पेट भर कर खून चुस लेता है और हैरत की बात के उस की सूंड इतनी बारीक होने के बावजूद नल्की (Pipe) की तरह होती है आखिर उस की इतनी बारीक सूंड में सूराख किसने पैदा किया?
बेशक यह अल्लाह ही की कुदरत की दलील है।
3
एक फर्ज के बारे में:
खड़े हो कर नमाज़ पढ़ना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“नमाज़ में अल्लाह के सामने आजिज़ बने हुए खड़े हुआ करो।”
फायदा: अगर कोई शख्स खड़े होकर नमाज़ पढ़ने की ताकत रखता हो तो उस पर फ़र्ज और वाजिब नमाज़ को खड़े हो कर पढ़ना फ़र्ज़ है।
4
एक सुन्नत के बारे में:
कसरत से अल्लाह का जिक्र करना
अब्दल्लाह बिन अबी औफ़ (र.अ) बयान करते हैं के :
“रसुलल्लाह (ﷺ) कसरत से (अल्लाह का) जिक्र फरमाते, बेजा बात ना फरमाते, नमाज़ लम्बी पढ़ते, खुत्बाब मुख्तसर देते और बेवाओं और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने के लिए चलने में आर और शर्म महसूस न फरमाते।”
[ नसई : १४१५ ]
5
एक अहेम अमल की फजीलत:
जन्नत का खज़ाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
” (ला हौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह) बकसरत से पढ़ा करो, इस लिए के वह जन्नत के खज़ानों में से एक खज़ाना है।”
तर्जुमा: कोई क़ुव्वत नहीं बचाने वाली सिवा अल्लाह के जो अज़ीम-तर है।
[ तिर्मिज़ी : ३६०१ ]
6
एक गुनाह के बारे में:
ज़िना की कसरत और नाप तौल में कमी करने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस कौम में ज़िना आम होता है, उस में ताऊन और ऐसी बीमारियां फ़ैल जाती हैं जो पहले नहीं थीं और जो लोग नाप तौल में कमी करते हैं, तो वह लोग कहत साली, परेशानियों और बादशाह (हुकुमरानों) के जुल्म के शिकार हो जाते हैं।”
[ इब्ने माजा: ४०१९ ]
7
दुनिया के बारे में:
अल्लाह तआला अपने बंदे से क्या कहता है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अल्लाह तआला फ़र्माता है : ऐ इब्ने आदम ! तू मेरी इबादत के लिए फ़ारिंग हो जा, मैं तेरे सीने को मालदारी से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को खत्म कर दूंगा और अगर ऐसा नहीं करेगा, तो मैं तेरे सीने को मशगूली से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को बंद नहीं करूंगा।”
[ तिर्मिज़ी : २४६६ ]
8
आख़िरत के बारे में:
अहले जन्नत का लिबास
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“(अहले जन्नत) को सोने के कंगन पहनाए जाएंगे और सब्ज रंग के बारीक और मोटे रेशमी लिबास पहनेंगे।”
9
तिब्बे नबवी से इलाज
खाने के बाद उंगलियां चाटने का फ़ायदा
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब खाना खा लेते तो अपनी तीनों उंगलियों को चाटते।
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम कहते हैं के खाना खाने के बाद उंगलियां चाटना हाज़मे के लिए इन्तेहाई मुफीद है।
तफ्सील में जानकारी के लिए यह भी देखे
» उंगलियों के पोरों पर कीटनाशक प्रोटीन
[ मुस्लिम : ५२९६ ]
10
कुरआन की नसीहत:
कुरआन एक नसीहत
“बिला शुबा यह कुरआन एक नसीहत है तो जो शख्स चाहे अपने रब तक पहुँचने का रास्ता इख्तियार कर ले और तुम अल्लाह की मर्जी के बगैर कुछ नहीं चाह सकते, अल्लाह तआला बड़े इल्म व हिकमत का मालिक है।”