27 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.)
छटी सदी हिजरी में अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.) एक बहुत बड़े मुहद्दिस, मोअरिंख, मुसन्निफ और खतीब गुजरे हैं।
सन ५०८ हिजरी में बगदाद में पैदा हुए, बचपन में बाप का साया सर से उठ गया और जब पढ़ने के काबिल हुए. तो माँ ने मशहूर मुहदिस इब्ने नासिर (रह.) के हवाले कर दिया और आप ने बड़ी मेहनत और शौक के साथ अपना तालीमी सफ़र शुरु किया।
वह खुद फ़र्माते हैं के मैं छे साल की उम्र में मकतब में दाखिल हुआ, बड़ी उम्र के तलबा मेरे हम सबक थे।
मुझे याद नहीं के मैं कभी रास्ते में बच्चों के साथ खेला हूँ या ज़ोर से हंसा हूँ। आपको मुताले का बड़ा गहरा शौक था, वह खुद बयान करते हैं के जब कोई नई किताब पर मेरी नज़र पड़ जाती तो ऐसा मालूम होता के कोई खज़ाना हाथ आ गया।
आपकी वफात सन ५९७ हिजरी में बगदाद में हुई।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
बचाव की सलाहियत
अल्लाह तआला ने हर एक जानवर को अपनी हिफ़ाजत व बचाव की सलाहियत से नवाज़ा है चुनांचे बैल, भैंस, बकरियों को सींग अता कर दिए।
और जंगली जानवरों में से हिरन, बारा सिंघा और गेंडे को ऐसे सींग लगाए के अगर कोई खूंखार दरिदा उन पर हमला करे तो आसानी से यह अपनी हिफ़ाजत कर लेते हैं।
इस तरह तमाम जानवरों को बचाव का सामान और हिफ़ाज़त का तरीका सिखा देना यह अल्लाह की कुदरत की बड़ी निशानी है।
3. एक फर्ज के बारे में
नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कसम है उस जात की जिस के कब्जे में मेरी जान है तुम जरूर बिज जरूर भलाइयों का हुक्म करो और बुराइयों से रोको;
वरना करीब है के अल्लाह तआला गुनहगारों के साथ तुम सब पर अपना अजाब भेज दे,
और उस वक्त तुम अल्लाह तआला से दूआ मांगोगे तो वो भी कबूल ना होगी।”
वजाहत: नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना उम्मत के हर फर्द पर अपनी हैसियत और ताकत के मुताबिक़ लाज़िम और जरूरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
बीवियों को सलाम करना
हज़रत उम्मे सलमा (र.अ) बयान करती हैं के:
“आप (ﷺ) रोजाना सुबह के वक्त बीवियों के पास तशरीफ ले जाया करते थे और उन को खुद सलाम किया करते थे।“
5. एक अहेम अमल की फजीलत
नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“पाँच नमाजें अल्लाह तआला ने फर्ज की हैं, जिस ने उन के लिऐ अच्छी तरह वुजू किया और ठीक वक्त पर उन को पढ़ा और रुकू व सज्दह जैसे करना चाहिये वैस हो किया, तो ऐसे शख्स के लिये अल्लाह तआला का पक्का वादा है, के वह उसको बख्श देगा। और जिस ने ऐसा नहीं किया तो लिए अल्लाह तआला का कोई वादा नहीं, चाहेगा तो उसको बख्श देगा और चाहेगा तो सजा देगा।”
6. एक गुनाह के बारे में
मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की रगबत का खौफ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मैं तुम से पहले जाने वाला हूँ और मैं तुम पर गवाह हूँ, तुमसे मिलने की जगह हौज़ होगी और अब मैं यहाँ खड़े हो कर उसे देख रहा हूँ, मुझे इस बात का अन्देशा नहीं के तुम मेरे बाद शिर्क करोगे, मगर इस बात का डर है के तुम कहीं दुनिया में रगबत न करने लगो।”
8. आख़िरत के बारे में
कयामत का मंजर
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
खरबूजे के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“खाने से पहले खरबूजे का इस्तेमाल पेट को बिल्कुल साफ कर देता है और बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है।”
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
दाढ़ के दर्द का इलाज
एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई :
اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ
“Allahumma adhhib ‘anhu su’a ma yajidu, wa shfihi bidawaa’i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki ‘indak.” चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया।
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