29 Rabi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa
Table of Contents
1. इस्लामी तारीख
मस्जिदे कुबा की तामीर और पहला जुमा
मदीना मुनव्वरा से तक़रीबन तीन मील के फासले पर एक छोटी सी बस्ती कुबा है, यहाँ अन्सार के बुहत से खानदान आबाद थे और कुलसूम बिन हदम उन के सरदार थे, हिजरत (migration) के दौरान आपने पहले कुबा में कयाम फर्माया और कुलसूम बिन हदम के घर मेहमान हुए, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यहाँ अपने मुबारक हाथों से एक मस्जिद की बुनियाद डाली, जिस का नाम मस्जिदे कुबा है, मस्जिद की तामीर में सहाबा के साथ साथ आप (ﷺ) खुद भी काम करते थे और भारी भारी पत्थरों को उठाते थे।
यही वह मस्जिद है, जिस की शान में कुरआन मजीद में है, यानी इस मस्जिद की बुनियाद पहले ही दिन से परहेज़गारी पर रखी गई है, वह इस बात की ज़्यादा मुस्तहिक है के आप उस में नमाज़ के लिये खड़े हों, उस में ऐसे लोग हैं, जिन को सफाई बहुत पसंद है और आल्लाह पाक व साफ रहने वालों को दोस्त रखता है।
हुजूर (ﷺ) ने यहाँ चौदा दिन कयाम फ़र्मा कर १२ रबीउल अव्वल सन १ हिजरी को जुमा के दिन रवाना हुए। बनी सालिम के घरों तक पहुँचे थे के जुमा का वक़्त हो गया। आप (ﷺ) ने जुमा की नमाज अदा फ़रमाई और खुतबा दिया। यह इस्लाम में जुमा की पहली नमाज़ थी। आप के साथ तक़रीबन सौ आदमी नमाज में शरीक थे।
2. अल्लाह की कुदरत
ज़बान दिल की तर्जमान है
अल्लाह तआला ने हम को ज़बान जैसी नेअमत अता फरमायी। उस के जरिये जहाँ मुख्तलिफ चीजों का जायका मालूम होता है वहीं यह दिल की तर्जमानी का फरीज़ा भी अन्जाम देती है।
जब दिल में कोई बात आती है, तो दिमाग उस पर गौर व फिक्र कर के अलफाज व कलिमात जमा करता है। फिर वह अलफाज़ व कलिमात खुदकार मशीन की तरह जबान से निकलने लगते हैं, गोया के सूनने वाले को इस का एहसास भी नहीं होता, अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से इन्सान के दिल व दिमाग़ और ज़बान में कैसी सलाहिय्यत पैदा की, बेशक यह अल्लाह ही की कारीगरी है।
3. एक फर्ज के बारे में
रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले,
सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ?
फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”
4. एक सुन्नत के बारे में
सोने के आदाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सोने का इरादा करते
तो अपने दाहने हाथ को दाहने गाल के नीचे रख कर सोते फिर तीन बार यह दुआ पढ़ते :
(Allahumma qinee ‘adhabaka yawma tab’athu ‘ibadaka)
तर्जुमा: (ऐ अल्लाह! मुझे (उस दिन) अपने अ़ज़ाब से बचा, जिस दिन तू अपने बन्दों को उठायेगा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
तीन आदमी अल्लाह की जमानत में है
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“तीन आदमी की अल्लाह ने जमानत ले रखी है, अगर वह जिन्दा रहें तो बक्रद्रे जरूरत रोजी मिलती है और अगर वफात पा जाएं तो अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल फ़र्माता है (एक वह) जो घर में दाखिल होते वक़्त सलाम करे तो अल्लाह तआला उस का जामिन है, (दूसरा वह) जो मस्जिद गया, तो अल्लाह तआला उसका जामिन है, (तीसरा) राहे ख़ुदा में निकलने वाले का अल्लाह तआला जामिन है।”
6. एक गुनाह के बारे में
मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है।
खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की मुहब्बत बीमारी है
हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के
क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ?
तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और
तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है।
8. आख़िरत के बारे में
दोज़ख़ में बिच्छू के डसने का असर
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दोजख में खच्चरों की तरह बिच्छू हैं, एक बार जब उनमें से एक बिच्छू डसेगा, तो दोजखी चालीस साल तक उस की जलन महसूस करेगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”
📕 इब्ने माजा: ३४५०, अबी हुरैरह (र.अ)
10. क़ुरान की नसीहत
अल्लाह से सच्ची पक्की तौबा कर लो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से सच्ची पक्की तौबा कर लो, उम्मीद है के तुम्हारा रब तुम्हारी खताओं को माफ कर देगा और जन्नत में दाखिल कर देगा।”