3 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa
Table of Contents
1. इस्लामी तारीख
हज़रत मरयम (अ.स) की आज़माइश
हज़रत मरयम बिन्ते इमरान (अ.स) बनी इस्राईल के एक शरीफ़ घराने में पैदा हुई, क़ुरान में 12 जगह उन का नाम आया है और उन के नाम से एक मुकम्मल सूरह अल्लाह तआला ने नाज़िल फ़रमाई है।
उनके वालिद हज़रत इमरान बैतुलमुक़द्दस के इमाम थे। हज़रत मरयम (अ.स) बचपन ही से बड़ी नेक सीरत थीं। अल्लाह तआला ने उस वक्त की तमाम औरतों पर उन्हें फ़ज़ीलत अता फ़रमाई थी, पैदाइश के बाद उन की वालिदा ने अपनी मन्नत के मुताबिक़ उन के ख़ास हज़रत ज़करिया (अ.स) की कफालत में बैतुलमुक़द्दस की इबादत के लिये वक़्फ़ कर दिया और ऊँची जगह पर एक कमरा उन की इबादत के लिये ख़ास कर दिया।
वह हर वक़्त इबादत और ज़िक्रे इलाही में मसरूफ रहतीं, अल्लाह तआला ने ग़ैबी तौर पर बग़ैर मौसम के उम्दा फलों के ज़रिये उन की नशोनुमा और परवरिश फ़रमाई।
जब हज़रत मरयम (अ.स) बड़ी हो गईं, तो अल्लाह तआला ने फरिश्ते के ज़रिये बशारत दी के तुम्हें एक बेटा अता किया जाएगा, जिस का नाम ईसा होगा, वह दुनिया व आख़िरत में बुलन्द मर्तबे वाला होगा और बचपन ही में लोगों से बात कर के आपकी पाक दामनी की शहादत देगा।
2. अल्लाह की कुदरत
जिस्म में गुर्दे की अहमियत (Kidney)
इन्सान के ख़ून में हर लम्हा ज़हरीले माददे (Toxin) की मिक़दार बढ़ती रहती है। गुर्दे उन ज़हरीले माददों को पेशाब के ज़रिये खारिज कर के बदन को साफ़ ख़ून सपलाई करते रहते हैं, इस तरह गुर्दे 24 घंटे में कई लीटर ख़ून से ज़हरीला माददा निकाल कर पूरे जिस्म की हिफाज़त करते रहते हैं।
अल्लाह ना करे अगर ये गुर्दे काम करना बंद कर दें, तो भारी दौलत ख़र्च कर के बड़ी-बड़ी मशीनों के ज़रिये खून साफ कर के वह फ़ायदा हासिल नहीं होता, जो गुर्दो के कुदरती अमल से होता है।
गुर्दो के ज़रिये ख़ून से ज़हरीले माददों को ख़ारिज कर के जिस्मे इन्सानी की हिफाज़त करना अल्लाह की कितनी बड़ी कुदरत है।
3. एक फर्ज के बारे में
बग़ैर वुजू के नमाज़ नहीं होती
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“इस्लाम में उस शख्स का कुछ भी हिस्सा नहीं जो नमाज़ न पढ़ता हो और वुज़ू के बग़ैर नमाज़ नहीं होती।”
📕 तर्ग़ीब व तरहीब:479, अन अबी हुरैरह (र.अ)
4. एक सुन्नत के बारे में
दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते,
तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते,
बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते
और “अस्सलामु अलैकुम” फ़रमाते।
📕 अबू दाऊद: 5986, अन अब्दुल्लाह बिन बुन (र.अ)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अल्लाह के ज़िक्र की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स सुबह को सौ मर्तबा और शाम को सौ मर्तबा “सुब्हान अल्लाही वबिहम्दिहि” पढ़े, उस के गुनाहों की मग़फ़िरत कर दी जाएगी ख़्वाह उस के गुनाह समुन्दर के झाग से ज़्यादा हों।”
📕 तबरानी कबीर: 3370, अन अबी मालिक (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
मेहर अदा ना करने का गुनाह
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।”
📕 तरग़ीब २६०२, अन अबी हुरैरह (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
माल की चाहत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“लोगों पर एक ज़माना ऐसा आएगा जिस में (लोगों को अपने) माल की ज़कात देना बहुत भारी गुज़रेगा।”
📕 मोअजमे कबीर: १३७०८, अन अदी बिन हातिम (र.अ)
8. आख़िरत के बारे में
मुत्तक़ी और परहेज़गारों का इनाम
क़ुरआन में अल्लाह तआला ने इर्शाद फ़रमाया है:
“जो लोग परहेज़गारी और तक़वा के पाबंद थे, अल्लाह तआला उन को कामयाबी के साथ जहन्नम से बचा लेगा, न उन को किसी तरह की तकलीफ़ पहुँचेगी और न वह कभी ग़मगीन होंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
मिस्वाक के फायदे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :
“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।
10. क़ुरान की नसीहत
अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए
कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :
“अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए, तो अल्लाह और उसके रसूल के हुक्म की तरफ रूजूअ करो, अगर तुम अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखते हो, यह तरीका तुम्हारे लिये बेहतर है और अच्छा भी है।”