रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते,
तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते,
बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते
और “अस्सलामु अलैकुम” फ़रमाते।
दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत

Related Posts:
जहन्नम के दरवाजे का फासला रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जहन्नम के सात दरवाजे हैं, हर दो दरवाजों के दर्मियान का फासला एक सवार आदमी के सत्तर साल चलने के बराबर है।" 📕 मुस्तदरक : ८६८३
सुन्नत पर अमल करने पर शहीद का सवाब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो मेरी उम्मत में बिगाड़ के वक्त मेरी सुन्नत को मजबूती से थामे रहेगा, उसके लिये एक शहीद का सवाब है।" 📕 तबरानी औसत: ५५७२
मस्जिदे नबवी की तामीर हिजरत के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सब से पहले एक मस्जिद की तामीर फ़रमाई, जिस को आज "मस्जिदे नब्वी" के नाम से जाना जाता है। उस के लिये वही जगह मुन्तखब की गई थी, जहाँ हुजूर (ﷺ) की ऊँटनी बैठी थी, यह जमीन बनू नज्जार के दो यतीम बच्चों की थी, जिस को आप (ﷺ) ने कीमत दे कर खरीद लिया था। उसकी तामीर में सहाब-ए-किराम (र.अ) के साथ आप भी पत्थर उठाते थे, सहाब-ए-किराम जोश में यह अश्आर पढ़ते थे और आप भी उनके साथ आवाज़ मिलाते और पढ़ते: तर्जुमा: "ऐ अल्लाह ! अस्ल उजरत तो आखिरत की उजरत…
कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के: "ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।" 📕 बुख़ारी: ६३०७
मजलिस में जाये तो सलाम करे मजलिस में जाये तो सलाम करे ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “जब तुम में से कोई आदमी मजलिस में जाए, तो सलाम करे और फिर जी चाहे, तो मजलिस में शरीक हो जाए, और फिर जाते वक्त भी सलाम कर के जाए।” 📕 तिर्मिज़ी, हदीस २७०६, अन अबी हुरैराह (र.अ)
सिफारिश पर बतौरे हदिया माल लेना एक गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “किसी ने अपने (मुसलमान) भाई की किसी चीज़ में सिफारिश की और सिफारिश करने पर सामने वाले ने उस को कोई चीज बतौरे हदिया पेश की और उस ने कुबूल कर ली, तो वह सूद के बहुत बड़े दरवाजे पर आ पहुँचा।” 📕 अबू दाऊद: ३५४१
माफ़ करने की सुन्नत हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के : “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपनी जात के लिए कभी किसी से कोई बदला नहीं लिया।” 📕 मुस्लिम: ६०४५
खाना खिलाने की फ़ज़ीलत खाना खिलाने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।" 📕 तबरानी कबीर : १६५८९
सज्दा करने का सुन्नत का तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सज्दा फरमाते तो अपनी नाक और पेशानी को जमीन पर रखते और अपने बाजुओं को पहलू से अलग रखते और अपनी हथेलियों को कांधे के बराबर रखते। 📕 तिर्मिज़ी : २७०
खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।" 📕 तिर्मिज़ी : १८५५
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।" 📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने उमर रज़ि०
जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अल्लाह तआला की इबादत करते रहो, खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो, (इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।” 📕 तिर्मिज़ी : १८५५, अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)
मोहब्बत पाने का तरीका एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया : ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।” 📕 इब्ने माजा : ४१०२, अन सहल बिन सअद (र.अ)
हजरत सालेह (अलैहि सलाम) की दावत और कौम का हाल हज़रत सालेह अलैहि सलाम हजरत हूद अलैहि सलाम के तकरीबन सौ साल बाद पैदा हुए। कुरआन में उन का तजकिरा ८ जगहों पर आया है। अल्लाह तआला ने उन्हें कौमे समूद की हिदायत व रहेनुमाई के लिये भेजा था। उस कौम को अपनी शान व शौकत, इज्जत व बड़ाई फक्र व गुरूर और शिर्क व बुत परस्ती पर बड़ा नाज़ था। हजरत सालेह (अ.) ने उन्हें नसीहत करते हुए फर्माया: ऐ लोगो ! तुम सिर्फ अल्लाह की इबादत करो उस के सिवा कोई बन्दगी के लाएक नहीं। वह इस पैगामे हक़ को सुन कर नफरत का इजहार करने लगे और हुज्जत बाज़ी…
गुस्ल करने का सुन्नत तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते, तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते, फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते, फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते, फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते, फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते। 📕 मुस्लिमः १८