रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो शख्स दो नमाज़ों को बगैर किसी उज्र के एक वक्त में पढ़े वह कबीरा गुनाहों के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुँच गया।”
📕 मुस्तदरक : १०२०, अन इब्ने अब्बास (र.अ)
और पढ़े:
- क़ज़ा नमाजों की अदायगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।” 📕 तिर्मिज़ी: १७७ फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की…
- नमाज़ में भूल चूक हो जाए तो सज्दा-ए-सहव करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।" 📕 मुस्लिम १२८३ फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना…
- सामान ऐब बताए बगैर फरोख्त करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "मुसलमान मुसलमान का भाई है और किसी मुसलमान के लिये अपने भाई से ऐब वाले सामान को ऐब बयान किए बगैर फरोख्त करना जाइज नहीं।" 📕 इब्ने माजा : २२४६, अन उकबा बिन आमिर (र.अ)
- किसी के सतर को देखने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।" 📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान : ७५३८ सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन…
- दीन-ऐ-इस्लाम में नमाज़ की अहमियत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दीन बगैर नमाज़ के नहीं है, नमाज़ दीन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लिये सर होता है।" 📕 तबरानी औसत: २३८३
- वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।" 📕 इब्ने खुजैमा १४०९
- बग़ैर वुजू के नमाज़ नहीं होती रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "इस्लाम में उस शख्स का कुछ भी हिस्सा नहीं जो नमाज़ न पढ़ता हो और वुज़ू के बग़ैर नमाज़ नहीं होती।" 📕 तर्ग़ीब व तरहीब:479, अन अबी हुरैरह (र.अ)