रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दीन बगैर नमाज़ के नहीं है, नमाज़ दीन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लिये सर होता है।”
Home » Quotes » सिर्फ पाँच मिनट का मदरसा » 22. रबी उल आखिर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा » दीन-ऐ-इस्लाम में नमाज़ की अहमियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दीन बगैर नमाज़ के नहीं है, नमाज़ दीन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लिये सर होता है।”