24 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

24 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हुजूर (ﷺ) की पैदाइश के वक़्त दुनिया पर असर

रसूलुल्लाह (ﷺ) की मुबारक पैदाइश से ५० दिन पहले असहाबे फील का वाकिआ पेश आया, शाहे यमन अबरहा, हाथियों के एक बड़े लश्कर को ले कर बैतुल्लाह शरीफ को ढाने के लिये मक्का आया, मगर अल्लाह तआला ने उस पूरे लश्कर को तबाह कर के बैतुल्लाह की खुद हिफाज़त फरमाई। 

मोअरिंखीन का बयान है के जिस वक्त हुज़ूर (ﷺ) पैदा हुए, ठीक उसी वक्त किसरा के शाही महल में सख्त ज़लज़ला आ गया और उस के चौदह कनगुरे गिर गए, इसी तरह फारस के आतिशकदे की आग जो बराबर एक हज़ार साल से जल रही थी, एकदम से बुझ गई गोया अल्लाह तआला की तरफ से एक तरह का यह एलान था के अब इस दुनिया में वह हस्ती पैदा हो चुकी है, जिन की अज़मत व बुलंदी का चर्चा पूरी दुनिया में होगा। 

जो कुफ्र व शिर्क और गुमराही को खत्म कर के ईमान व तौहीद का बीज बोएगा और तमाम बुरी आदतों को खत्म कर के लोगों को अच्छे अखलाक़ सिखाएगा और जो किसी एक क़ौम, क़बीला व खानदान और मुल्क का नहीं बल्कि क़यामत तक के लिये पूरी दुनिया का हादी व पैगम्बर होगा।

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा

हज़रत रिफाआ रज़ि० की आँख का दुरुस्त होना

हज़रत रिफाआ रज़ि० फ़रमाते हैं –

“जंगे बद्र में मेरी आँख में एक तीर लगा जिसकी वजह से आँख फूट गई, आप (ﷺ) ने उस पर थूक मुबारक लगा दिया और दुआ फरमाई, उसके बाद ऐसा हो गया जैसे मुझे कोई तकलीफ़ ही नहीं पहुची।”

📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नुब्बुव्वहः ९६९
📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा


3. एक फर्ज के बारे में

सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“क़यामत में सब से पहले नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा, अगर वह अच्छी और पूरी निकल आई. तो बाकी आमाल भी पूरे उतरेंगे और अगर वह खराब हो गई, तो बाक़ी आमाल भी खराब निकलेंगे।”

📕 तिर्मिजी: ४१३, अन अबू हरैराह रज़ि०


4. एक सुन्नत के बारे में

अच्छी मौत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया-
तकलीफ़ और बीमारी की वजह से मौत की आरज़ू मत करो अगर तुम यही चाहते हो तो इस तरह दुआ करो:

( اللهم أحيني ما كانت المميزة خيزاتی وتولي إذا كانت الوفاة خيراتي )

तर्जमा: ऐ अल्लाह! तू मुझे ज़िन्दा रख जब तक मेरा ज़िन्दा रहना मेरे हक़ में बेहतर हो और मुझे मौत दे अगर मरना मेरे हक़ में बेहतर हो।

📕 बुखारी: ५६७१, अन अनस बिन मालिक रज़ि०


5. एक अहेम अमल की फजीलत

अल्लाह की दी हुई रोज़ी पर राज़ी रहने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“जो शख्स अल्लाह तआला से थोड़ी रोज़ी पर राज़ी रहे, अल्लाह तआला भी उस की तरफ से थोड़े अमल पर राज़ी हो जाते हैं।”

📕 बैहक़ी फी शोअबिल ईमान : ४०९


6. एक गुनाह के बारे में

लड़की की पैदाइश को बुरा समझने का गुनाह

क़ुरआन में अल्लाहत आला फ़रमाता है:

“जब उन में से किसी को बेटी पैदा होने की खबर दी जाती है, तो उसका चेहरा रंज की वजह से काला पड़ जाता है और दिल ही दिल में घुटता रहता है और जिस लड़की की पैदाइश की उस को खबर दी गई है, उस की शर्मिंदगी की वजह से लोगों से छुपता फिरता है के उस को ज़िल्लत गवारा कर के रहने दे या उस को मिट्टी में छुपा दे, वह बहुत ही बुरा फैसला करते हैं।”

📕 सूरह नहल: ५८ ता ५९


7. दुनिया के बारे में

दुनिया का धोखा

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“ऐ इन्सान ! तुझे अपने रब की तरफ से किस चीज़ ने धोके में डाल रखा है (कि तू दुनिया में पड़ कर उसे भुलाए रखता है हालाँकि) उस ने तुझे पैदा किया (और) फिर तेरे तमाम आज़ा एक दम ठीक अन्दाज़ से बनाए। (फिर भी तू उससे गाफिल है)।”

📕 सूरह इन्फित्तार; ६


8. आख़िरत के बारे में

जन्नत की नहरें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाता –

“जन्नत में एक नहर पानी की एक शहद की, एक दूध की और एक शराब की होगी।”

📕 तिर्मिजी : २५७१, अन मुआविया रज़ि०

नोट – जन्नत की शराब में न नशा होगा और न उस में बदबू होगी, बल्कि बड़ी खुश्बूदार और लजीज़ होगी।


9. तिब्बे नबवी से इलाज

सब से उमदा ग़िज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“बेहतरीन ग़िजा मौसम का पहला फल है।”

📕 कन्जुल उम्माल : २८२९०, अन अनस रज़ि०

नोट – यूँ तो मेवा और मौसमी फल सेहत को बरकरार रखने और मौसमी बीमारियों से बचने का अहम नुस्खा है, मगर मौसम का पहला फल गिज़ा के एतेबार से सबसे उमदा होता है।


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

अल्लाह से शर्मो लिहाज करो

एक आदमी ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से नसीहत करने की दरख्वास्त की तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“अल्लाह से शर्म (हया / लिहाज ) करो जैसे के तुम अपने खानदान के नेक और शरीफ आदमी से शर्म करते हो।”

📕 आदाबु स सोहबा लि अबी अग्दिर्रहमान सलमी ११

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