(1). नबी (ﷺ) को शहीद करने की नाकाम साजिश, (2). बकरी का दूध देना, (3). सज्द-ए-सहु करना, (4). बारिश के लिए यह दुआ मांगे, (5). घर से वुजू कर के मस्जिद जाना, (6). काफ़िर नाकाम होंगे, (7). लोगों की कंजूसी, (8). हौज़े कौसर क्या है ?, (9). वरम (सूजन) का इलाज, (10). किसी की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो।
24. रबी उल आखिर | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा


Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book)
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1. इस्लामी तारीख
नबी (ﷺ) को शहीद करने की नाकाम साजिश
कुरैश को जब मालूम हुआ के मोहम्मद (ﷺ) भी हिजरत करने वाले हैं, तो उन को बड़ी फिक्र हुई के अगर मोहम्मद (ﷺ) भी मदीना चले गए, तो इस्लाम जड़ पकड़ जाएगा और फिर वह अपने साथियों के साथ मिल कर हम से बदला लेंगे और हमें हलाक कर देंगे। इस बिना पर उन्होंने कुसइ बिन किलाब के घर, जो दारुन नदवा के नाम से मशहूर था, साजिश के लिये जमा हुए, उस में हर कबीले के सरदार मौजूद थे, सभी ने आपस में यह तय किया, के हर कबीले का एक एक शख्स जमा हो और सब मिल कर तलवारों से हुजूर (ﷺ) का खातमा करदें (नऊजु बिल्लाह). इस फैसले के बाद उन्होंने रात के वक़्त रसूलुल्लाह (ﷺ) के मकान को घेर लिया और इस इन्तेजार में रहे के जब मोहम्मद (ﷺ) सुबह को नमाज़ के लिये निकलेंगे, तो तलवारों से उनका खात्मा कर देंगे, मगर अल्लाह तआला ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को कुरैश की इस साजिश से बाखबर कर दिया, इसी लिये आप रात को अपने बिस्तर पर हजरत अली (र.अ) को लिटा कर सूर-ए-यासीन पढ़ते हुए और उन के सरों पर मिट्टी डालते हुए उन के सामने से गुजर गए और अल्लाह तआला ने उन की आँखों पर परदा डाल दिया, उन लोगों को कुछ भी खबर न हुई। सुबह को जब उन्होंने हज़रत अली (र.अ) को बाहर निकलते देखा तो बहुत शर्मिंदा हुए।
2. अल्लाह की कुदरत
बकरी का दूध देना
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) फरमाते हैं के मैं मकामे जियाद में उकबा बिन अबी मुईत की बकरियाँ चरा रहा था, इतने में मुहम्मद (ﷺ) और हजरत अबू बक्र (र.अ) हिजरत करते हुए मेरे पास पहुँचे और कहने लगे: तुम हमको दूध पिला सकते हो?
मैंने कहा: यह बकरियाँ मेरे पास अमानत हैं मैं इन का दूध कैसे पिला सकता हूँ? तो फर्माया: अच्छा ठीक है इतना तो करो के जिस बकरीने अभी तक बच्चा नहीं जना उसको ले आओ, तो मैंने ऐसी बकरी हाज़िर कर दी। आप (ﷺ) ने उसके थनों पर जैसे ही हाथ फेरा थनों में दूध भर आया फिर उसको एक प्याले में दूहा, उस में से आप (ﷺ) ने पिया फिर हज़रत अबू बक्र (र.अ) को और फिर मुझ को पिलाया और थनों से कहा सुकड़ जाओ तो वह थन अपनी पहली हालत पर लौट आए।
📕 तबरानी कबीर: ८३७४, अनइब्ने मसऊद
3. एक फर्ज के बारे में
सज्द-ए-सहु करना
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्द-ए-सह्व कर ले।”
फायदा: अगर नमाज में कोई वाजिब भूल से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए, तो सज्द-ए-सहु करना वाजिब है; इस के बगैर नमाज़ नहीं होती।
और भी देखे : सजदा ऐ सहु का तरीका अहकाम और मसाइल
4. एक सुन्नत के बारे में
बारिश के लिए यह दुआ मांगे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने बारिश के लिये हाथ उठा कर यह दुआ माँगी
❝ Allaahumma aghithnaa, Allaahumma aghithnaa, Allaahumma aghithnaa. ❞
(ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे। ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे। ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे।)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
घर से वुजू कर के मस्जिद जाना
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जब तुम में से कोई घर से वुजू कर के मस्जिद आए, तो घर लौटने तक उसे नमाज का सवाब मिलता रहेगा।”
6. एक गुनाह के बारे में
काफ़िर नाकाम होंगे
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“बेशक जो लोग काफिर हो गए और (दूसरों को भी) अल्लाह के रास्ते से रोका और हिदायत ज़ाहिर होने के बाद अल्लाह के रसूल की मुखालफत की, तो यह लोग अल्लाह (के दीन) को ज़रा भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और अल्लाह तआला उन के तमाम आमाल को बरबाद कर देगा।”
7. दुनिया के बारे में
लोगों की कंजूसी
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“सुन लो! तुम ऐसे हो के जब तुम को अल्लाह की राह में खर्च करने के लिये बुलाया जाता है, तो तुम में से बाज लोग बुख्ल करते हैं और जो कंजूसी करता है, तो हकीकत में अपने ही लिये कंजूसी करता है और अल्लाह तआला ग़नी है (किसी का मोहताज नहीं) और तुम सब उस के मोहताज हो।”
8. आख़िरत के बारे में
हौज़े कौसर क्या है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कौसर जन्नत में एक नहेर है, जिस के दोनों किनारे सोने के हैं और वह मोती और याकूत पर बहती है, उस की मिट्टी मुश्क से जियादा खुशबूदार, उस का पानी शहेद से जियादा मीठा और बर्फ से जियादा सफेद है।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
वरम (सूजन) का इलाज
हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम हो गया, तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।
फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
किसी की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तम अपने किसी भाई की मुसीबत पर खुशी का इजहार मत करो। (अगर एसा करोगे तो हो सकता है के) अल्लाह तआला उसको उस मुसीबत से नजात दे दे और तुम को उस मुसीबत में मुब्तला कर दे।”