18. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

दुआ करना बेकार नहीं जाता, यतीमों का माल मत खाओ, माल व औलाद क़ुर्बे आखिरत का ज़रिया नहीं, गुनहगारों के साथ कब्र का सुलूक, खरबूजे के फ़वाइद...
18 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

18. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 

18 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

एक अहम अमल की फजीलत 

दुआ करना बेकार नहीं जाता 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

"बे शक तुम्हारा रब शर्म व हया करने वाला और बड़ा सखी है।
वह बन्दे से इस बात पर शर्माता है के बंदा उस की तरफ
अपने हाथ उठाए और वह उसे खाली। "

📕 तिर्मिज़ी:३५५६

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एक गुनाह के बारे में 

यतीमों का माल मत खाओ 

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : 

"यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को। नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने माल के साथ मिला कर मत खाओ; ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।"

📕 सूरह  निसा: २

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दूनिया के बारे में 

माल व औलाद क़ुर्बे आखिरत का ज़रिया नहीं  

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : 

"तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद ऐसी चीज़ नहीं, जो तुम को दर्जे में हमारा मुकर्रब बना दे, मगर हाँ ! जो ईमान लाए और नेक अमल करता रहे तो ऐसे लोगों को उनके आमाल का दो गुना बदला मिलेगा और वह जन्नत के बालाखानों में आराम से रहेंगे।"

📕 सूरह सबा : ३७

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आख़िरत के बारे में 

गुनहगारों के साथ कब्र का सुलूक 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

"जब गुनहगार या काफ़िर बन्दे को दफ़्न किया जाता है, तो कब्र उससे कहती है : तेरा आना ना मुबारक हो, मेरी पीठ पर चलने वालों में तुम मुझे सब से जियादा ना पसंद थे,

जब तुम मेरे हवाले कर दिए गए और मेरे पास आ गए, तो तुम आज मेरी बद सुलूकी देखोगे, फिर कब्र उस को दबाती है और उस पर मुसल्लत हो जाती है, तो उसकी पसलियों एक दूसरे में घुस जाती हैं।"

📕 तिर्मिज़ी : २४६०

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तिब्बे नब्बी से इलाज 

खरबूजे के फ़वाइद 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : 

"खाने से पहले खरबूज़ा का इस्तेमाल पेट को
बिल्कुल साफ़ कर देता है और बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है।"

📕 इब्ने असाकिर : ६/१०२

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नबी की नसीहत 

गुनाहों को छोड़ देना बेहतरीन हिजरत है 

हज़रत अनस की वालिदा ने सरकारे दो आलम (ﷺ) की
खिदमत में हाज़िर हो कर अर्ज किया: मुझे कुछ वसिय्यत फर्माइये। 

आप (ﷺ) ने इर्शाद फ़ाया :

"गुनाहों को छोड़ देना बेहतरीन हिजरत है,
फ़राइज़ की हिफ़ाज़त करना बेहतरीन जिहाद है
और ज़िक्रे इलाही ब कसरत करती रहो, इस लिए के तुम
अल्लाह के यहाँ इस से जियादा महबूब चीज़ लेकर नहीं आ सकती हो।" 

📕 तबरानी कबीर : २०८२१

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