28 मार्च 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

हुजूर (ﷺ) गारे हिरा में

नुबुव्वत मिलने का वक़्त जितना करीब होता गया, उतना ही रसूलुल्लाह (ﷺ) तन्हाई को जियादा ही पसन्द करने लगे।

सबसे अलग हो कर अकेले रहने से आप को बड़ा सुकून मिलता था। आप अकसर खाने पीने का सामान ले कर कई कई दिन तक मक्का से दूर जाकर “हिरा” नामी पहाड़ के एक गार में बैठ जाते और इब्राहीमी तरीके और अपनी पाकीजा फितरत की रहनुमाई से अल्लाह की इबादत और जिक्र में मशगूल रहते थे।

अल्लाह की कुदरत में गौर व फिक्र करते रहते थे और क़ौम की बुरी हालत को देख कर बहुत गमजदा रहते थे, जब तक खाना खत्म न होता था, आप शहर वापस नहीं आते थे। जब मक्का की वादियों से गुजरते तो दरख्तों और पत्थरों से सलाम करने की आवाज़ आती। आप दाएँ बाएँ और पीछे मुड़ कर देखते, तो दरख्तों और पत्थरों के सिवा कुछ नज़र न आता था।

इसी ज़माने में आप (ﷺ) को ऐसे ख्वाब नज़र आने लगे के रात में जो कुछ देखते वही दिन में जाहिर होता था। यही सिलसिला चलता रहा के नुबुव्वत की घड़ी आ पहुँची और अल्लाह तआला ने आपको नुबुव्वत अता फ़रमाई।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

काफिर का मरऊब हो जाना

हज़रत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ एक ग़ज़वे में जा रहे थे, रास्ते में एक जगह पड़ाव डाला, तो लोग इधर उधर दो दो, तीन तीन की जमात बना कर दरख्तों के नीचे आराम करने लगे, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी एक दरख्त के नीचे आराम फरमाने के लिये तशरीफ ले गए, और अपनी तलवार उस दरख्त पर लटका कर सो गए, रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़र्माते हैं के मैं सोया हुआ था के एक आदमी आया और उस ने मेरी तलवार ले ली, अचानक मैं बेदार हुआ तो क्या देखता हूँ के वह तलवार लिये मेरे सर पर खड़ा है। वह मुझ से कहने लगा के तुम्हें कौन बचा सकता है ?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह’ ! उस ने दूसरी मर्तबा सवाल किया. रसुलल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह” ! तो (उस पर यह असर हुआ के) उस ने तलवार मियान में वापस रख दी, (और आप (ﷺ) को कुछ न कर सका)

📕 मुस्लिम : ५९५०

3. एक फर्ज के बारे में

मय्यित का कर्ज अदा करना

हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के:

रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो।

📕 तिर्मिज़ी : २१२२

फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफन दफन के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस की। अदायगी में खत्म हो जाए।

4. एक सुन्नत के बारे में

हिकमत के लिये दुआ

हिकमत और सलाह व तकवा हासिल करने के लिये यह दुआ पढ़ें:

तर्जुमा: ऐ हमारे परवरदिगार! हमें हिकमत अता फ़रमा
और नेक लोगों के साथ शामिल फरमा।

📕 सूरह शुअरा : ८३

5. एक अहेम अमल की फजीलत

सबसे अच्छा मुसलमान कौन है ?

अबू मूसा (र.अ) से रिवायत है के, कुछ सहाबा ने पूछा, या रसूल अल्लाह ﷺ ! कौन सा इस्लाम अफज़ल है (यानि सबसे अच्छा मुसलमान कौन है) तो नबी-ऐ-करीम ﷺ ने फ़रमाया:

“वह शख्स जिस की जबान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज रहें।”

📕 बुखारी : ११

6. एक गुनाह के बारे में

बातिल परस्तों के लिये सख्त अज़ाब है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो लोग खुदा के दीन में झगड़ते हैं, जब के वह दीन लोगों में मक़बूल हो चुका है (लिहाजा) उन लोगों की बहस उन के रब के नजदीक बातिल है, उनपर खुदा का ग़ज़ब है और सख्त अजाब (नाज़िल होने वाला है)।”

📕 सूरह शूरा :१६

7. दुनिया के बारे में

अल्लाह तआला अपने बंदे से क्या कहता है?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“अल्लाह तआला फ़र्माता है : ऐ इब्ने आदम ! तू मेरी इबादत के लिए फारिग हो जा, मैं तेरे सीने को मालदारी से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को खत्म कर दूंगा और अगर ऐसा नहीं करेगा, तो मैं तेरे सीने को मशगूली से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को बंद नहीं करूंगा।”

📕 तिर्मिज़ी : २४६६

8. आख़िरत के बारे में

जन्नत का खेमा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”

📕 सहीह बुखारी: ४८७९

9. तिब्बे नबवी से इलाज

खुजली का इलाज

हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के :

रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।”

📕 बुखारी: ५८३९

फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

खुजली का इलाज

हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के :

रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।”

📕 बुखारी: ५८३९

फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।

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