14 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

14 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हारूत व मारूत

क़दीम ज़माने में शहरे बाबुल (Babylon) में रहने वाले यहुदियों के दर्मियान जादू बहुत ज़्यादा आम हो गया था वह लोग जादू के ज़रिये अजीब व ग़रीब कमालात दिखाते थे यहाँ तक कि बाज़ लोग जादू के ज़ोर पर नुबुव्वत का दावा करने लगते थे।

अल्लाह तआला ने बाबुल शहर में हारूत व मारूत नामी फरिश्तों को भेजा ताकि लोगों को जादू की हक़ीक़त से आगाह कर सकें। चुनाचें लोग इबरत हासिल करने के बजाए दुनिया कमाने और दुसरों को नुक़सान पहुँचाने के लिये उन से जादू सीखने आते थे हलाकि दोनों फरिश्ते जादू सिखाने से पहले यह बता देते थे के हमें तुम्हारी आज़माइश के लिये भेजा गया है।

लिहाज़ा तुम जादू के ज़रिये नाजाइज़  और हराम काम मत करो इससे तुम्हारे क़ुफ्र में मुब्तिला हो जाने का अन्देशा है लेकिन उन लोगों ने नहीं माना और उनसे जादू सीख कर कुफ्र व शिर्क में मुब्तिला हो गए और अपनी दुनिया और आख़िरत को बर्बाद कर डाला।

📕 इस्लामी तारीख


2. एक फर्ज के बारे में

नमाज़ के लिये मस्जिद जाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

"जो शख्स सुबह व शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं, जितनी मर्तबा जाता है उतनी मर्तबा अल्लाह तआला उस के लिये मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं।"

📕 बुखारी:662, अन अबी हुरैरह (र.अ)


3. एक सुन्नत के बारे में

सज्दा-ए-तिलावत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) कुआन मजीद की तिलावत करते हुए आयते सज्दा पर पहुँचते तो इस दुआ को सज्दा-ए-तिलावत में पढ़ा करते -

(سجدہ وجهى على خلقه ومتى وبصره بحوله وقوته )

तर्जमा - मेरे चेहरे ने उस जात के लिये सज्दा किया जिसने उस को पैदा किया और अपनी कुदरत व कुव्वत से उसके कान और आँख खोले।

📕 तिर्मिज़ी:580, अन आयशा (र.अ)


4. एक अहेम अमल की फजीलत

कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

"कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।"

📕 मुस्लिम: 1093


5. एक गुनाह के बारे में

हराम चीज़ों का बयान

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है -

"तुम पर मरा हुआ जानवर, खून और खिंजीर का गोश्त हराम कर दिया गया है और वह जानवर भी जिस पर (ज़िब्हा करते वक्त) अल्लाह के अलावा किसी दूसरे का नाम लिया गया हो।"

📕 सूरह मायदा 5:3


6. दुनिया के बारे में

दुनियावी ज़िन्दगी की हक़ीक़त

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है -

"तूम खूब जान लो के दुनियावी जिन्दगी (बचपन में) खेल कूद और (जवानी में) ज़ेब व ज़ीनत और बाहम एक दूसरे पर फ़ख्र करना और (बुढ़ापे में) माल व औलाद में एक दूसरे से अपने को ज़्यादा बताना है।"

📕 सूर-ए-हदीद 57:20


7. आख़िरत के बारे में

कयामत के दिन के सवालात

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

"इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे
जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए।

(1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया।
(2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया।
(3) माल कहाँ से कमाया
(4) कहाँ खर्च किया।
(5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया।

📕 तिर्मिजी:2416, अन अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ)


8. तिब्बे नबवी से इलाज

सफर जल (बही, Pear) से इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

"सफर जल (यानी बही) खाया करो, क्योंकि यह दिल को राहत पहुँचाता है।"

📕 इब्ने माजा: ३३६९


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

ज़ुल्म से बचो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

"ज़ुल्म से बचो क्योंकि ज़ुल्म कयामत के दिन बेशुमार तारीकियों की शक़्ल इख़्तियार कर लेगा और बुख़्ल से भी बचो कि कन्जूसी ने उन लोगों को हलाक़ किया जो तुम से पहले थे। बुख्ल ने उन्हें एक दूसरे का खून बहाने पर उभारा और बुख्ल ही की वजह से वह हराम चीज़ों को हलाल समझने लगे।"

📕 मुस्लिम : 6576, अन जाबिर (र.अ)

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