सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
5 Minute Ka Madarsa in Hindi
- इस्लामी तारीख औरंगजेब आलमगीर (रह.) का दौरे हुक़ूमत
- एक फर्ज के बारे में: वारिसीन के दर्मियान विरासत तक्सीम करना
- एक सुन्नत के बारे में: तीन चीज़ों से पनाह मांगना
- एक गुनाह के बारे में: किसी पर तोहमत लगाना गुनाह अज़ीम है
- दुनिया के बारे में: जो कुछ खर्च करना है दुनिया ही में कर लो
- आख़िरत के बारे में: हज़रत मिकाईल की हालत
- कुरआन से इलाजमौसमी फलों के फवाइद
Table of Contents
इस्लामी तारीख
औरंगजेब आलमगीर (रह.) का दौरे हुक़ूमत
औरंगजेब आलमगीर (रह.) खानदाने तैमूरिया के सब से ज़ियादा अक्लमंद, बहादुर, मुंसिफ़ मिज़ाज और हुकूमत व मुलकी इन्तेज़ाम की भरपूर सलाहियत रखते थे। वह सन १०६८ हिजरी में तख्त नशीन हुए, अगले साल तख्त नशीनी के मौके पर लोगों के तमाम टॅक्स माफ़ कर दिए और पच्चीस लाख रूपये जरुरतमंद लोगों में तक्सीम किए, छ: लाख तीस हजार रूपये के तोहफ़े मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनव्वरा रवाना फरमाए, एक लाख साठ हज़ार रुपये की लागत से किले में संगे मर मर की मस्जिद तामीर कराई जगह जगह गरीबों के लिए लंगर खाने खुलवाए, आमलगीर की हुकूमत कराची बंदरगाह से लेकर आसाम की मशरिकी हुदूद और कोहे हिमालिया से ले कर बहरे हिंद तक फैली हुई थी, उन्होंने मुलकी इन्तज़ाम के तहत नशा आवर चीज़ों, नाच गाने और खिलाफे शरीअत कामों पर पाबंदी लगाई, रास्तों को लूट मार करने वालों से महफूज़ किया, एक लाख चालीस हज़ार रुपये सालाना मोहताजों के लिए मुकर्रर किए, उन्होंने किसी मज़हबी मकाम को गिराने की कभी इजाज़त नहीं दी, हर तब्का व मजहब के लोग खुशहाली और अमन व सुकून से रहते और आज़ादी के साथ अपने मज़हब की रसमों को अदा करते, वह हर छोटे बड़े की बात गौर से सुन कर फैसला करते और हक बात के मुकाबले में किसी की सिफारिश कबूल नहीं करते थे।
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एक फर्ज के बारे में:
वारिसीन के दर्मियान विरासत तक्सीम करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक वालों के दर्मियान तक्सीम करो।”
फायदा: अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तक्सीम करना वाजिब है बगैर किसी शरई वजह के किसी वारिस को महरूम करना या अल्लाह तआला के बनाए हुए हिस्से से कम देना जाइज नहीं है।
एक सुन्नत के बारे में:
तीन चीज़ों से पनाह मांगना
रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :
तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”
एक गुनाह के बारे में:
किसी पर तोहमत लगाना गुनाह अज़ीम है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो शख्स कोई छोटा या बड़ा गुनाह करे फिर उस की तोहमत (इल्जाम) किसी बेगुनाह पर लगा दे तो उसने बहुत बड़ा बोहतान और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर लाद लिया।”
दुनिया के बारे में:
जो कुछ खर्च करना है दुनिया ही में कर लो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“हमने तुमको जो कुछ दिया है,उसमें से खर्च करो इससे पहले के तुम में से किसी को मौत आ जाए और फिर (मौत को देख कर ) कहने लगे के ऐ मेरे रब ! तूने मुझ को और थोड़े दिनों की मोहलत क्यों न दी, ताके खूब खर्च (सदका, खैरात) कर के नेक लोगों में शामिल हो जाता।”
आख़िरत के बारे में:
हज़रत मिकाईल की हालत
आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :
“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल को हंसते हुए नहीं देखा? “अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”
कुरआन से इलाज
मौसमी फलों के फवाइद
कुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है
“जब वह दरख्त फ़ल ले आएँ तो उन्हें खाओ।”
फायदा: मौसमी फलों का इस्तेमाल सेहत के लिए बेहद मुफीद है और बहुत सी बीमारियों से हिफ़ाज़त का ज़रिया है, लिहाज़ा अगर गुंजाइश हो तो ज़रूर इस्तेमाल करना चाहिए।