27 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

हमराउल असद पर तीन रोज कयाम

हमराउल असद पर तीन रोज कयाम

ग़ज़व-ए-उहुद के बाद अबू सुफियान अपना लश्कर ले कर मक्का वापस जाते हुए मकामे रोहा में पहुँच कर कहने लगा,
हमें मुकम्मल तौर पर फतह हासिल करना चाहिये, तो (नऊज़ बिल्लाह) मुहम्मद (ﷺ) को कत्ल क्यों न करूँ ?
चलो ! वापस जाकर मुसलमानों को सफ्ह-ए-हस्ती से मिटा कर आएँ।

जब रसूलुल्लाह (ﷺ) को इस की इत्तेला मिली तो आप (ﷺ) ने मुसलमानों को
उस का पीछा करने का हुक्म दिया, जो जंगे उहुद में शरीक थे,
मुसलमान जखमी और खस्ता हाल होने के बावजूद
फौरन तय्यार हो गए और मदीना से आठ मील दूर हमराउल असद मक़ाम पर पड़ाव डाला।

जब अबू सुफियान को उन की बहादुरी और शुजाअत का पता चला के
मुहम्मद (ﷺ) फिर अपने साथियों को ले कर मुकाबले के लिये पीछा कर रहे हैं,
तो उस पर खौफ तारी हो गया और सब की हिम्मत पस्त हो गई।

बिल आखिर अबू सुफियान अपनी जान बचाते हुए लश्कर ले कर मक्का भाग गया।
हुजूर (ﷺ) ने वहाँ तीन रोज कयाम फ़रमाया और इतमेनान के साथ वापस मदीना आ गए ।

📕 इस्लामी तारीख

To Be Continued …

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

फिरौन का इबरतनाक अंजाम

कुरआन के बयान के मुताबिक खुदाई का दावा करने वाले फिरऔन की नाफरमानी जब हद से बढ़ गई, तो अल्लाह तआला ने समन्दर में डुबा कर हलाक कर दिया और साथ ही यह ऐलान किया के उस की लाश को आने वाले लोगों के लिए इबरत बनाऊँगा।

चुनान्चे मुहकिकीन की राए के मुताबिक फिरऔन की लाश सन १८८१ में समन्दर से मिली, जो तकरीबन तीन हजार एक सौ सोला साल बाद समंदर से निकाली गई और इतनी लम्बी मुद्दत गुजरने के बाद भी लाश को गलने सड़ने से महफूज रखा, जो आज भी मिस्र के म्यूजियम में मौजूद है, आखिर वह कौन सी जात है? जिस ने समन्दर में भी उसकी लाश को महफूज रखा।

यकीनन अल्लाह की जात बड़ी कुदरत वाली है।

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📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

पानी न मिलने पर तयम्मुम करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“पाक मिट्टी मुसलमान का सामाने तहारत है, अगरचे दस साल तक पानी न मिले, पस जब पानी पाए तो चाहिये के उस को बदन पर डाले यानी उस से वुजू या ग़ुस्ल कर ले। क्योंकि यह बहुत अच्छा है।”

📕 अबू दाऊद : ३३२

4. एक सुन्नत के बारे में

नफा बख्श इल्म के लिए दुआ

हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फर्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थेः

”ऐ अल्लाह ! जो इल्म तूने मुझे दिया है इस से नफ़ा अता फर्मा और मुझे नफ़ा बख्श इल्म अता फ़र्मा और मेरे इल्म में ज़ियादती अता फ़र्मा।”

📕 तिर्मिज़ी : ३५९९

5. एक अहेम अमल की फजीलत

बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।”

📕 अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

शिर्क करने वाले की मिसाल

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह रहो, उस के साथ किसी को शरीक मत ठहराओ और जो शख्स अल्लाह के साथ शिर्क करता है, तो उसकी मिसाल ऐसी है जैसा के वह आसमान से गिर पड़ा हो, फिर परिन्दों ने उस की बोटियाँ नोच ली हों या हवा ने किसी दूर दराज मक़ाम पर ले जाकर उसे डाल दिया हो।”

📕 सूरह हज: ३१

7. दुनिया के बारे में

दुनिया की इमारतें साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) एक मर्तबा एक गुंबद वाली इमारत के पास से गुज़रे तो फर्माया :
“यह किस ने बनाया है? लोगों ने बताया के फलाँ शख्स ने, तो फर्मायाः

“क़यामत के दिन मस्जिद के अलावा हर इमारत साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी।”

📕 शोअबुल ईमान : १०३०३, अन अनस बिन मालिक (र.अ)

8. आख़िरत के बारे में

हमेशा की जन्नत व जहन्नम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगा और जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा, फिर उन के दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा के ऐ जन्नतियों! अब मौत नहीं आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नहीं आएगी (तुम में का जो जहाँ है हमेशा उस में रहेगा)”

📕 मुस्लिम: ७१८३, अन इब्ने उमर (र.अ)

9. तिब्बे नबवी से इलाज

जख्म वगैरह का इलाज

हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं :

अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए।

📕 मुस्लिम ५७१९

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”

📕 बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ)

फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।

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