रजी और बीरे मऊना का अलमनाक हादसा

70 Sahaba ka Qatl - Raji aur Bire Mauna ka Hadsa

रजी और बीरे मऊना का अलमनाक हादसा

जंगे उहुद के बाद मुशरिकिन ने धोके से मुसलमानों को कत्ल करने की साजिश शुरू कर दी, माहे सफर सन ४ हिजरी में कबील-ए-अजल व कारा के लोग मदीना आए और हुजूर (ﷺ) से दरख्वास्त की के हम में से कुछ लोग मुसलमान हो गए हैं,
उन की तालीम व तरबियत के लिये अपना मुअल्लिम भेज दीजिये।

आप (ﷺ) ने उन की फर्माइश पर दस मुअल्लिमों को रवाना फरमाया, जिन के अमीर हजर मरसद (र.अ) थे, मकामे रजीअ में पहुँच कर उन जालिमों ने आठ सहाबा को शहीद कर दिया, और हजरत खबैब (र.अ) और जैद (र.अ) को कुरैशे मक्का के हाथ भेज दिया जिन्होंने दोनों को सुली देकर शहीद कर दिया।

उसी महीने में इस से बड़ा बीरे मऊना का दिल खराश वाकिआ पेश आया।

अबू बरा, आमिर बिन मालिक ने आकर हजुर (ﷺ) से फर्माइश की के अहले नजद को इस्लाम की दावत देने और दीन सिखाने के लिये अपने सहाबा को रवाना फर्मा दें। उस की तरफ से हिफाजत के वादे पर आप (ﷺ) ने ७० बड़े बड़े कुर्रा सहाबा को रवाना फर्मा दिया, जिन के अमीर मुन्जिर बिन अम्र थे।

जब यह दावती वफ्द बीरे मऊना पहँचा तो इस धोके बाज ने कबील-ए-रिअलजकवान वगैरा के लोगों को साथ ले कर उन पर हमला कर दिया और कअब बिन जैद (र.अ) के अलावा तमाम कुर्रा सहाबा को शहीद कर डाला। इस अलमनाक हादसे से हजूर (ﷺ) को सख्त सदमा पहँचा और एक महीने तक फज़्र नमाज में नाजिला पढ़ी।

📕 इस्लामी तारीख

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