18. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

18. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
18 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत इब्राहीम (अ.स)

हज़रत इब्राहीम (अ.स) की पैदाइश हजरत ईसा (अ.स) से दो हजार साल क़ब्ल इराक में हुई।
अजीम पैग़म्बर और हादी व रहेनुमा थे। कुरआने करीम में ६९ जगह उन का तजकेरा आया है और मक्की व मदनी दोनों तरह की सूरतों में उन्हें “दीने हनीफी” का दाई, हजरत इस्माईल (अ.स) के वालिदे मोहतरम, अरब के जद्दे अमजद, बैतुल्लाह शरीफ की तामीर करने वाला और अरब कौम का हादी पैग़म्बर बताया गया है। 

अल्लाह तआला ने उन्हें खास रहमत व बरकत और फजीलत से नवाजा था। उन के बाद आने वाले सारे अम्बिया उन्हीं की नस्ल में पैदा हुए, इसी वजह से वह “अबुलअम्बिया” के लकब से मशहूर हैं। 

अल्लाह तआला ने नुबुव्वत व रिसालत के साथ माल व दौलत भी अता किया था। सखावत व दरिया दिली और मेहमान नवाज़ी में बहुत मशहूर थे, इस के साथ ही सब्र व तहम्मुल अल्लाह तआला की जात पर मुकम्मल एतेमाद व भरोसा और लोगों पर शफकत व मेहरबानी उन की खास सिफत थी। 

और भी पढ़े :
हज़रत इब्राहीम अलैहि सलाम | कसस उल अम्बिया

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

अबू तालिब का सेहतयाब होना

एक मर्तबा चचा अबू तालिब बीमार हुए, तो आप उन की इयादत के लिये गए,
अबू तालिब ने फर्माया : ऐ भतीजे ! अपने रब से दुआ करो के वह मुझे आफियत बख्शे,
तो आप (ﷺ) ने दुआ फर्माई : “या अल्लाह ! मेरे चचा को शिफा अता फर्मा“।

बस फौरन अबू तालिब खड़े हो गए और कहने लगे :
ऐ. भतीजे! आपका रब तो आपका हर सवाल पूरा करता है,

तो उस पर आप (ﷺ) ने फर्माया:
ऐ मेरे चचा! अगर आप भी अल्लाह तआला की इताअत करें,
तो वह आपका भी सवाल पूरा करेगा।

📕 तबरानी औसत ; ४१२०, अन अनस (र.अ)


3. एक फर्ज के बारे में

जमात के साथ नमाज़ अदा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स नमाज के लिये कामिल वुजू करता है
फिर फर्ज नमाज के लिये चल कर जाता है
और लोगों के साथ नमाज़ पढ़ता है
या आप (ﷺ) ने फर्माया : जमात के साथ नमाज़ पढ़ता है
या फर्माया : नमाज मस्जिद में अदा करता है,
तो अल्लाह तआला उस के गुनाहों को माफ़ फर्मा देता हैं।”

📕 मुस्लिम: ५४९, अन उस्मान बिन अफ्फान (र.अ)


4. एक सुन्नत के बारे में

दूध पीने के बाद की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 
“जिसे अल्लाह तआला दूध पिलाए तो यह दुआ पढ़नी चाहिये।

तर्जमा: ऐ अल्लाह इस में हमारे लिये बरकत अता फर्मा और ज़ियादा अता फर्मा।

📕 तिर्मिजी : ३४५५, अन इने अब्बास (र.अ)


5. एक अहेम अमल की फजीलत

नुक्सान से हिफाज़त

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन खुबैब से फर्माया :

“तुम रोजाना सुबह, शाम तीन तीन मर्तबा “सूर-ए-इख्लास” और “मुअव्वजतैन” यानी (सूरह फलक और सूरह नास) पढ़ा करो, यह सूरतें हर नुक्सान देने वाली चीज़ से तुम्हारी हिफाजत का जरिया होंगी।

📕 तिर्मिजी : ३५७५, अन अब्दुल्लाह बिन खुबैब (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

फुजूल कामों में माल खर्च करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बाज लोग वह हैं, जो गफलत में डालने वाली चीज़ों को खरीदते हैं, ताके बे सोचे समझे अल्लाह के रास्ते से लोगों को गुमराह करें और सीधे रास्ते का मजाक उड़ाएँ, ऐसे लोगों के लिये बड़ी रूस्वाई का अजाब है।”

📕 सूरह लुकमान: ६


7. दुनिया के बारे में

माल व औलाद अल्लाह के क़ुर्ब का जरिया नहीं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद ऐसी चीज़ नहीं जो तुम को हमारा महबूब बना दे, मगर हाँ, जो ईमान लाए और नेक अमल करता रहे, तो ऐसे लोगों को उनके आमाल का दुगना बदला मिलेगा और वह जन्नत के बाला खानों में आराम से रहेंगे।”

📕 सूरह सबा : ३७


8. आख़िरत के बारे में

जहन्नम के हथौड़े का वजन

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“अगर (जहन्नम के) लोहे का एक गुर्ज जमीन पर रख दिया जाए और (उसको उठाने) के लिये तमाम इन्सान और जिन्नात मिल जाएँ, तब भी उसे जमीन से नहीं उठा सकेंगे।”

📕 मुस्नदे अहमदः १०८४८, अनअबी सईद खुदरी (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

बीमार के लिए जौ मुफीद है

एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ हज़रत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “ऐ अली! बस करो, इस लिए के तुम अभी कमजोर हो।”

 उम्मे मुन्ज़िर (र.अ) का बयान है के मैं ने उन के लिए चुकंदर और जौ का खाना तय्यार किया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत अली (र.अ) से फर्माया:” ऐ अली! इसको खाओ, इस लिए के यह तुम्हारे लिए मुफीद तरीन है।”

📕 अबू दाऊद : ३८५६, अन उम्मे मुन्ज़िर बिन्ते कैस (र.अ)

फायदा: चुकंदर (Beetroot) और जौ बीमार आदमी के लिये बहुत मुफीद हैं चुकंदर खून को साफ करता है और जौ कमजोरी को दूर करता है।


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

शरई उसूल के मुताबिक हाकिम की पैरवी करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अगर तुम पर किसी नाक, कान कटे हुए काले गुलाम को भी अमीर बना दिया जाए, जो तुम्हें अल्लाह तआला की किताब के ज़रिये अल्लाह तआला के हुक्म के मुताबिक चलाए तो तुम उसका हुक्म सुनो और मानो।”

📕 मुस्लिम: ३१३८, अन उम्मे हुसैन (र.अ)

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