13 Jamadi-ul-Akhir | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

13 Jamadi-ul-Akhir | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

गज्व-ए-तबूक

फतहे मक्का के बाद पूरे अरब में इस्लामी दावत व तब्लीग़ की असल हकीक़त वाजेह हो गई और लोग इस्लाम में जौक़ दर जौक दाखिल होने लगे, ऐसे मौके पर रूमी हुकूमत ने अपने लिये खतरा महसूस करते हुए मदीना पर हमले का इरादा कर लिया और उस की तय्यारियाँ शुरू कर दी।

शाम से आने वाले एक क़ाफले ने मुसलमानों को इस की इत्तेला दी। रूम की सलतनत आधी दुनिया पर हुकूमत करती थी और उस ज़माने में सबसे बड़ी ताक़त शुमार होती थी, इस लिये मुसलमान बहुत परेशान थे। एक तरफ बे सरो सामानी की हालत और अरब की सख्त गरमी ज़ोरों पर थी और दूसरी तरफ दूर दराज़ का सफर था। मगर ख़ामोश बैठना भी किसी तरह मुनासिब नहीं था। चुनान्चे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने जंग की तय्यारी का एलान कर दिया और माहे रजब सन ९ हिजरी में तीस हजार के लश्कर को ले कर आप तबूक के लिये रवाना हुए। मुसलमानों के इस दीलेराना इझदाम की वजह से रूमियों पर बड़ा असर हुआ और उन्होंने हमला करने का इरादा छोड़ दिया और बहुत सारे कबीले के सरदारों ने सुलह कर ली। 

यहाँ एक माह कयाम करने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) बगैर जंग किए फतहमन्दी के साथ मदीना वापस हो गए। यह आप की जिन्दगी का आखरी गजवा था। 

📕 इस्लामी तारीख

To be Continued ...


2. अल्लाह की कुदरत

मुंह में रतूबत (थूक)

अल्लाह तआला ने मुंह में तरी को पोशीदा रखा है के खाना मुंह में रख कर चबाते वक्त वह तरी पैदा होती है और खाने के साथ मिल कर उसके हज्म होने में मदद करती है, आम हालात में वह तरी हल्की रहती है, जिससे हलकतर रहे और सूखने न पाए, वरना आदमी बात ही न कर सके, अगर तरी बिल्कुल न रहे और मुंह एक दम सूखा रहे तो दम धुटने लगे और इन्सान जिन्दा न रह सके, और अगर तरी खाने के अलावा भी मुंह में पैदा होती रहे तो बात करने में दुश्वारी हो और मुंह खोलना मुशकिल हो जाए।

वह कैसी कुदरत वाली जात है जो खाने के वक़्त में रतूबत को ज़ियादा मिकदार में पैदा करती है और आम हालात में नॉर्मल रखती है।

📕 अल्लाह की कुदरत


3. एक फर्ज के बारे में

मय्यित का कर्ज उसके माल से अदा करना

हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के:

रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो।

📕 तिर्मिज़ी : २१२२

फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफन दफन के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस की। अदायगी में खत्म हो जाए।


4. एक सुन्नत के बारे में

कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत

हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के:

"ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।"

📕 बुख़ारी: ६३०७


5. एक अहेम अमल की फजीलत

अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

"कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।"

📕 मुस्नदे अहमद: २०८०३, अन अबी जर (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

किसी के सतर को देखने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

"अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।"

📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान : ७५३८

सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन का हिस्सा, गुप्त अंग


7. दुनिया के बारे में

माल जमा करने का नुकसान

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

"तुम माल व दौलत जमा न करो, क्योंकि उस की वजह से तुम दुनिया ही की तरफ माइल हो जाओगे।"

📕 तिर्मिज़ी : २३२८. अन इब्ने मसऊद (र.अ)


8. आख़िरत के बारे में

परहेज़गारों की नेअमत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

"(क़यामत के दिन) परहेज़गार लोग (जन्नत) के सायों में और चशमों में और पसन्दीदा मेवों में होंगे (उन से कहा जाएगा) अपने (नेक) आमाल के बदले में खूब मजे से खाओ पियो, हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं। (और) उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी ख़राबी होगी।"

📕 सूरह मुरसलात: ४१ ता ४५


9. तिब्बे नबवी से इलाज

मिस्वाक के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :

"मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।"

📕 नसई : ५, अन आयशा (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।


10. क़ुरान की नसीहत

सुबह शाम खूब ज़िक्रे इलाही किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

"ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला का खूब जिक्र किया करो और सुबह व शाम उस की पाकी बयान किया करो।"

📕 सूरह अहज़ाब : ४१ ता ४२

[icon name=”info” prefix=”fas”] इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।

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