12. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

12. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 
12 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत नूह (अ.स) की दावत

जब लोगों की नाफर्मानी और बूतपरस्ती दुनिया में आम हो गई, तो अल्लाह तआला ने उन की हिदायत व रहेनुमाई के लिये हजरत नूह (अ.स) को नबी बनाया। उन्होंने लोगों को नसीहत करते और दीन की दावत देते हुए फर्माया :
तुम सिर्फ अल्लाह की इबादत व बन्दगी करो, वह तुम्हारे गुनाहों को माफ़ कर देगा।

इस नसीहत को सुन कर कौम के सरदारों ने जवाब दिया: हम तुम्हें रसूल नहीं मानते, क्योंकि तुम हमारे ही जैसे आदमी हो नीज़ तुम्हारी पैरवी जलील व हक़ीर और कम दर्जे के लोगों ने कर रखी है।

हजरत नूह (अ.स) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला के यहाँ सआदत व नेक बख्ती का दारोमदार दौलत पर नहीं बल्के अल्लाह की रजामन्दी और इख्लासे निय्यत पर है। मैं तुम्हें यह दावत माल व दौलत की उम्मीद पर नहीं, बल्के अल्लाह के हुक्म और उसकी रजा के लिये दे रहा हूँ। वही मेरी मेहनत का अजर व सवाब अता फरमाएगा।”

गर्ज हजरत नूह (अ.स) दिन रात इन्फिरादी व इज्तेमाई और खुसूसी व उमूमी तौर पर एक तवील अर्से तक कौम को शिर्क कुफ्र और अल्लाह तआला की नाफरमानी से डराते रहे, मगर वह बाज तो क्या आते बल्के उल्टा अजाबे इलाही का मुतालबा करने लगे।

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हज़रत नूह अलैहि सलाम | क़सस उल अम्बिया

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

दरख्त का हुजूर (ﷺ) को इत्तेला देना

एक मर्तबा किसी ने हजरत मसरूक (र.अ) से पूछा के जिस रात जिन्नातों ने हुजूर (ﷺ) का कुरआन सुना था, उस रात आप को जिन्नातों की हाजरी की इत्तेला किसने दी थी? 

तो हजरत मसरूक (र.अ) ने फर्माया : मुझे हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) ने खबर दी है के उस रात रसूलुल्लाह (ﷺ) को जिन्नातों के बारे में एक दरख्त ने बताया था।

📕 बुखारी: ३८५९


3. एक फर्ज के बारे में

नमाजी पर जहन्नम की आग हराम है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स पाँचों नमाजों की इस तरह पाबन्दी के साथ वुजू और औकात का एहतमाम करे, रूकूअ और सज्दा अच्छी तरह करे और इस तरह नमाज़ पढ़ने को अपने जिम्मे अल्लाह तआला का हक समझे तो उस आदमी को जहन्नम की आग पर हराम कर दिया जाएगा।”

📕 मुस्नदे अहमदः १७८८२ अन हन्जला (र.अ)


4. एक सुन्नत के बारे में

जहालत से पनाह माँगने की दुआ

जहालत से बचने के लिये इस दुआ का एहतमाम करना चाहिये।

तर्जमा: अल्लाह की पनाह माँगता हूँ इस बातसे के मैं जाहिलों में से हो जाऊँ।

📕 सूरह बकराह: ६७


5. एक अहेम अमल की फजीलत

नेअमत के मिलने पर अल्हम्दुलिल्लाह कहना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब अल्लाह तआला किसी बन्दे को किसी नेअमत से सरफराज फरमाए और वह उस पर अलहम्दुलिल्लाह कहे, तो जो उस ने हासिल किया है उस से भी बेहतर दिया जाएगा।”

📕 इब्ने माजा: ३८०५, अन अनस (र.अ)


6. एक गुनाह के बारे में

अल्लाह के साथ शिर्क करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो शख्स अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करेगा, तो अल्लाह तआला उस पर जन्नत हराम कर देगा और उसका ठिकाना जहन्नम है और ऐसे जालिमों का कोई मददगार नहीं होगा।”

📕 सूरह माइदा : ७२


7. दुनिया के बारे में

दुनिया चाहने वालों का अन्जाम

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“जो कोई (सिर्फ) दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द दे देते हैं, फिर हम उस के लिये दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिसमें जिल्लत व रुस्वाई के साथ ढकेल दिये जाएँगे।”

📕 सूरह बनी इस्राईल: १८


8. आख़िरत के बारे में

जन्नतियों का हाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“जन्नत में लोग खाएंगे और पिएंगे, लेकिन न तो पेशाब पाखाना करेंगे और न ही नाक छींकेंगे, बल्के उन का खाना इस तरह हज्म होगा के डकार आएगी, जिससे मुश्क की खुशबू फैलेगी और उन को अल्लाह की ऐसी तस्बीह और तक्बीर बताई जाएगी जिस को पढ़ना इतना आसान होगा, जितना दुनिया में तुम्हारे लिए सांस लेना आसान होता है।”

📕 मुस्लिम : ७१५४, अन जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

मिस्वाक के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मिस्वाक जरुर किया करो, क्योंकि इस से अल्लाह की ख़ुशनूदी हासिल होती है
और आँख की रोश्नी तेज़ होती है।”

📕 अल मोअजमुल औसत लित्तबरानी: ७७०९


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

बाएँ हाथ से ना खाएं और ना पियें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम में से कोई अपने बाएँ हाथ से हरगिज़ न खाए और न बाएँ हाथ से पिये,
क्योंकि शैतान अपने बाएँ हाथ से खाता पीता है।”

📕 मुस्लिम: ५२६७

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