(1). ग़ज़व-ए-उहुद, (2). हराम लुकमे का गले से नीचे न उतरना, (3). क़ज़ा नमाजों की अदायगी, (4). इशा के बाद जल्दी सोने की सुन्नत, (5). सबसे अच्छा मुसलमान कौन है ?, (6). ईमान को झुटलाने का गुनाह, (7). आखिरत की कामयाबी दुनिया से बेहतर है, (8). ईमान की बरकत से जहन्नम से छुटकारा, (9). बीमारियों से बचने की तदबीर , (10). किसी बुराई को देखे तो उसे रोकने की कोशिश करे।
14 जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा


Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book)
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1. इस्लामी तारीख
जंगे ओहद
जंगे बद्र की शिकस्त से कुरैशे मक्का के हौसले तो पस्त हो गए थे, मगर उन में ग़म व गुस्से की आग भड़क रही थी, उस आग ने उन को एक दिन भी चैन से बैठ ने न दिया।
एक साल तो उन्होंने किसी तरह गुजारा, लेकिन सन ३ हिजरी में अबू सुफियान ने मुकम्मल तय्यारी के साथ तीन हजार का लश्कर ले कर मदीना के बाहर उहुद पहाड़ के पास पड़ाव डाला, उस के साथ तीन हजार ऊँट, दो सौ घोड़े और सात सौ आदमी जिरह पहने हुए थे।
रसूलुल्लाह (ﷺ) शव्वाल सन ३ हिजरी में नमाज़े जमा अदा कर के एक हजार मुसलमानों को ले कर उहद की तरफ रवाना हुए, मगर ऐन वक्त पर मुनाफिक़ों ने धोका दे दिया और अब्दुल्लाह बिन उबइ अपने तीन सौ आदमियों को ले कर वापस हो गया।
अब मुसलमानों की तादाद सिर्फ सात सौ रह गई, उहुद के मक़ाम पर लड़ाई शुरू हुई और दोनों जमातें एक दूसरे पर हमला आवर हुईं, इस जंग में मुसलमानों को पहले फतह हुई मगर एक चूक की वजह से जंग का पासा पलट गया।
To Be Continued …
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
हराम लुकमे का गले से नीचे न उतरना
एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) किसी की नमाजे नजाजा पढ़ कर वापस आ रहे थे, रास्ते में एक आदमी एक औरत की तरफ से खाने की दावत देने आया, तो हजर (र.अ) ने दावत कुबूल फ़रमा ली और रसूलुल्लाह (ﷺ) अपने सहाबा के साथ उस औरत के घर तशरीफ ले गए।
जब खाना सामने रखा गया, तो सब से पहले हुजूर (ﷺ) ने लुकमा उठाया और फिर सहाबा ने खाना शुरू कर दिया, लेकिन वह लुकमा हजर (ﷺ) के गले से नीचे नहीं उतर रहा था, तो आप (ﷺ) ने फरमाया : मुझे लगता है के यह बकरी मालिक की इजाजत के बगैर जबह की गई है।
चुनान्चे खुद उस औरत ने बतलाया: या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मैं ने एक आदमी को मक़ामे वकीअ भेजा था (जहाँ मंडी लगती थी) लेकिन बकरी नहीं मिली तो मैंने अपने पडोसी आदमी के पास भेजा, मगर वह आदमी घर पर न था तो फिर मैंने उसकी औरत के पास भेजा, तो उस ने वह बकरी (अपने शौहर की इजाजत के बगैर) दे दी, हजर (ﷺ) ने फरमाया: यह खाना कैदियों को खिला दो।
3. एक फर्ज के बारे में
क़ज़ा नमाजों की अदायगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।”
फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की हालत में नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए, तो बाद में उसको पढ़ना फर्ज है।
4. एक सुन्नत के बारे में
इशा के बाद जल्दी सोने की सुन्नत
रसूलुल्लाह (ﷺ) इशा से पहले नहीं सोते थे और इशा के बाद नहीं जागते थे (बल्के सो जाते थे)
5. एक अहेम अमल की फजीलत
सबसे अच्छा मुसलमान कौन है ?
अबू मूसा (र.अ) से रिवायत है के, कुछ सहाबा ने पूछा, या रसूल अल्लाह ﷺ ! कौन सा इस्लाम अफज़ल है (यानि सबसे अच्छा मुसलमान कौन है) तो नबी-ऐ-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
“वह शख्स जिस की जबान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज रहें ।”
6. एक गुनाह के बारे में
ईमान को झुटलाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिस शख्स ने बुखल किया और लापरवाही करता रहा और भली बात (ईमान) को झुटलाया, तो हम उसके लिये तकलीफ व मुसीबत का रास्ता आसान कर देंगे (यानी जहन्नम में पहुँचा देंगे)।”
7. दुनिया के बारे में
आखिरत की कामयाबी दुनिया से बेहतर है

आखिरत की कामयाबी दुनिया से बेहतर है
अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है :
“तुम लोगों को जो कुछ दिया गया है वह सिर्फ दुनियावी जिन्दगी में (इस्तेमाल की) चीजें हैं और जो कुछ (अज्र व सवाब) अल्लाह के पास है, वह इस (दुनिया) से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है और वह उन लोगों के लिये है जो ईमान लाए और अपने रब पर भरोसा रखते हैं।”
[ सूर-ए-शूराः ३६ ]
8. आख़िरत के बारे में
ईमान की बरकत से जहन्नम से छुटकारा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : जब जन्नती जन्नत में चले जाएंगे और जहन्नमी जहन्नम में चले जाएंगे, तो अल्लाह तआला फरमाएगा:
“जिस के दिल में राई के दाने के बराबर भी ईमान हो उसे भी जहन्नम से निकाल लो, चुनान्चे उन लोगों को भी निकाल लिया जाएगा, जिनकी यह हालत होगी के वह जल कर काले सियाह हो गए होंगे। उसके बाद उन को “नहरे हयात” में डाला जाएगा, तो इस तरह निकल आएंगे जैसे दाना सैलाब के कड़े में (खाद और पानी मिलने की वजह से) उग आता है।”
📕 बुखारी: २२, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)
9. तिब्बे नबवी से इलाज
बीमारियों से बचने की तदबीर
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी जगह बैठने से मना फरमाया है के जहाँ बदन का कुछ हिस्सा साए में हो और कुछ हिस्सा धूप में हो।
वजाहत: तिब्बी एतेबार से एक साथ धूप और साए में बैठना सेहत के लिये मुजिर है।
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
किसी बुराई को देखे तो उसे रोकने की कोशिश करे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“तुम में से जो शख्स किसी बुराई को देखे तो उसे अपने हाथ से रोके अगर इस की ताकत न हो तो अपनी ज़बान से रोके.फिर अगर इस की भी ताकत न हो तो दिल से उस जाने और यह ईमान का सब से कमजोर दर्जा है।”