27 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
मदीना की चरागाह पर हमला
जब मुसलमान अपने दीन व ईमान की हिफाज़त के लिये हिजरत कर के मदीना चले गए और खुश्शवार माहौल में लोगों को इस्लाम की दावत देनी शुरू की, लोग इस्लाम में दाखिल होने लगे, चुनान्चे मुसलमानों की बढ़ती हुई तादाद को देख कर कुफ्फारे मक्का अपने लिये खतरा महसूस करने लगे तो मुश्रिक़ीने मक्का ने मदीना पर हमला करने के लिये जंग की तैयारियाँ शुरू कर दी।
इधर मुसलमान मदीना में अमन व सुकून से रहना चाहते थे, लेकिन मुश्रिकिने मक्का जंग करने के लिये अहले मदीना से छेड़ख्वानी करते रहते थे, चुनान्चे कुरैशी सरदार कुर्ज़ बिन जाबिर फहरी मदीना की चरागाह पर हमला कर के सौ ऊँट ले भागा और जंग की तय्यारी के लिये मक्का के तमाम लोगों ने सरमाया लगा कर एक तिजारती काफला मुल्के शाम रवाना किया, ताके उस के नफे से जंगी साज व सामान खरीद कर मुसलमानों से फैसला कुन जंग लड़ सकें, बिल आखिर हज़र (ﷺ) ने मुश्रिक़ीने मक्का के जुल्म व सितम को रोकने के लिये सहाबा ऐ किराम को उनके मुकाबले की इजाजत दे दी।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
अरब के रास्तों के मुतअल्लिक़ पेशीनगोई
एक मर्तबा आप (ﷺ) ने अदी बिन हातिम (र.अ) से फर्माया :
“ऐ अदी ! अगर तेरी उम्र लम्बी होगी तो तू देखेगा के ऊँट पर सवार अकेली औरत हिरा (जगह) से चलेगी, यहाँ तक के काबा का तवाफ करेगी। और अल्लाह के अलावा उस को किसी का डर न होगा, चुनान्चे हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मैंने वह जमाना अपनी आँखों से देखा, के एक औरत हिरा से अकेली ऊँट पर सवार हो कर आई और काबा का तवाफ भी किया: उस को अल्लाह के अलावा किसी का डर न था।”
3. एक फर्ज के बारे में
हज की फरज़ियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ऐ लोगो ! तुम पर हज फर्ज़ कर दिया गया है, लिहाजा उस को अदा करो।”
4. एक सुन्नत के बारे में
इस्तिन्जे के बाद वुजू करना
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के –
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बैतुलखला से निकलते तो वुजू फरमाते।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अल्लाह के लिये मुहब्बत का बदला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
अल्लाह तआला क़यामत के दिन फरमाएगा।
“मेरी अजमत की वजह से आपस में मुहब्बत करने वाले लोग आज कहाँ हैं ?
मैं आज उन को अपने साए में जगह दूँगा जब के मेरे साए के अलावा कोई साया न होगा।”
6. एक गुनाह के बारे में
ज़िना की कसरत और नाप तौल में कमी करने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस कौम में ज़िना आम होता है, उस में ताऊन और ऐसी बीमारियां फ़ैल जाती हैं जो पहले नहीं थीं और जो लोग नाप तौल में कमी करते हैं, तो वह लोग कहत साली, परेशानियों और बादशाह (हुकुमरानों) के जुल्म के शिकार हो जाते हैं।”
7. दुनिया के बारे में
माल के मुताल्लिक़ फ़रिश्तों का एलान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हर रोज़ जब अल्लाह के बन्दे सुबह को उठते हैं, दो फरिश्ते नाज़िल होते हैं उनमें से एक कहता है।
ऐ अल्लाह! (अच्छे कामों में) खर्च करने वाले को मज़ीद अता फ़रमा और दूसरा कहता है ऐ अल्लाह ! माल को (अच्छे कामों में खर्च करने के बजाए) रोक कर रखने वाले का माल ज़ाये फ़रमा।”
8. आख़िरत के बारे में
हर एक को नाम-ए-आमाल के साथ बुलाया जाएगा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“वह दिन याद करने के काबिल है, जिस दिन तमाम आदमियों को उनके नाम-ए-आमाल के साथ मैदाने हश्र में बुलाएंगे, फिर जिनका नाम-ए-आमाल उन के दाहिने हाथ में दिया जाएगा, तो वह (खुश हो कर) अपने नाम-ए-आमाल को पढ़ने लगेंगे उन पर एक धागे के बराबर भी जुल्म नहीं किया जाएगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
तलबीना से इलाज
हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं
और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के:
“तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।”
फायदा: जौ (बरली) को कट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए इस में शहद डाला जाता है; इस को तलबीना कहते हैं।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
हर बीमारी का इलाज
एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी:
तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई हो, अल्लाह के नाम से दम करता हूँ, अल्लाह आप को शिफा दे।
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