27 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
सुलतान नूरुद्दीन जंगी (रह.)
सुलतान नूरुद्दीन जंगी १७ शव्वाल सन ५११ हिजरी में पैदा हुए, बड़े ही नेक और इबादत गुज़ार थे। अपने वालिद इमादुद्दीन जंगी के बाद मुल्के शाम के बादशाह बने। अपनी हुकूमत में उन्होंने शाम के तमाम बड़े बड़े शहरों में मदरसे बनवाए। उलमा और अहले दीन की बहुत ताज़ीम करते थे। सदकात व खैरात भी खूब करते थे। बड़े अमानतदार और कनाअत शिआर थे।
एक मर्तबा उन की अहलिया ने तंगी की शिकायत की, तो उन्होंने अपनी तीन दुकानें जिन की सालाना आमदनी बीस दीनार थी, उन को खर्च के लिए दे दीं। जब बीवी ने उस को कम समझा, तो उन्होंने कहा के इस के अलावा मेरे पास कुछ नहीं है और जो कुछ तुम मेरे पास देखती हो, वह सब मुसलमानों का है.मैं तो महज खजान्ची हूं, मैं तुम्हारी खातिर इस अमानत में खयानत करके जहन्नम में जाना नहीं चाहता।
उन की सबसे बड़ी आरजू “बैतुल मुकद्दीस” को फ़तह करना था, मगर उन की तमन्ना पूरी नहीं हो सकी और सन ५६९ हिजरी में उन का इन्तेकाल हो गया लेकिन बैतुल मकदिस को उन के सिपह सालार सलाहुद्दीन अय्यूबी (रह.) ने सन ५८३ हिजरी में फतह कर लिया। इब्ने असीर लिखते हैं के खुलफ़ाए राशिदीन और उमर इब्ने अब्दुल अज़ीज़ के बाद नूरुद्दीन से बेहतर सीरत और उन से ज़्यादा आदिल इन्सान मेरी नज़र से नहीं गुज़रा।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
आतिश फ़िशाँ (लावा, वालकेनो)
आतिश फिशाँ वह आग है, जो ज़मीन के अन्दर की धातों को पिघला कर बाहर निकालती है, जब वह बाहर निकलती है, तो बेपनाह जानी माली नुकसान होता है, यही नहीं बल्के चिकना और चटयल मैदान बना देता है। दुनिया के तरक्क्रीयाफ्ता लोग आज तक इसकी रोकथाम के लिये न कोई मशीन, न कोई इंतेज़ाम और न कोई मालूमात खास हासिल कर सके, के कब निकलेगा, कितना निकलेगा, कहाँ से निकलेगा और कब तक निकलेगा।
यह कौन है जो जमीन से आग का गोला निकालता है। यकीनन वह अल्लाह ही की जात है।
3. एक फर्ज के बारे में
नमाज़ छोड़ने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २७
“नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।” 📕 मुस्लिम : २४६
“ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।” 📕 इब्ने माजा : १०७८
4. एक सुन्नत के बारे में
रुकू में हाथों को घुटनों पर रखना
रसूलुल्लाह (ﷺ) रुकू फरमाते, तो “अपने हाथों को घुटनों पर रखते, ऐसा लगता था जैसे उन को पकड़ रखा हो और दोनों हाथों को थोडा मोड़ कर पहलुओं से अलग रखते थे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन साथी (दोस्त) वह है, जो अपने साथी के लिये बेहतर हो और अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के हक़ में अच्छा हो।”
6. एक गुनाह के बारे में
इस्लाम की दावत को ठुकराना एक बड़ा जुल्म
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया के फ़ितनों से बचो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“सुनो ! दुनिया मीठी और हरी भरी है और अल्लाह तआला जरूर तुम्हें इस की खिलाफत अता फरमाएगा, ताके देखें के तुम कैसे आमाल करते हो, पस तुम दुनिया से और औरतों (के फितने) से बचो।”
8. आख़िरत के बारे में
काफ़िर नाकाम होंगे
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“बेशक जो लोग काफिर हो गए और (दूसरों को भी) अल्लाह के रास्ते से रोका और हिदायत ज़ाहिर होने के बाद अल्लाह के रसूल की मुखालफत की, तो यह लोग अल्लाह (के दीन) को ज़रा भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और अल्लाह तआला उन के तमाम आमाल को बरबाद कर देगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
पछना के जरिये दर्द का इलाज
हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के :
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”
फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
फासिद खून का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“बेहतरीन दवा हिजामा (पछना लगाना, cupping) है, क्यों कि वह फ़ासिद खून को निकाल देती है, निगाह को रौशन और कमर को हल्का करती है।”
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