23. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

1

इस्लामी तारीख

औरंगज़ेब आलमगीर (रह.)

औरंगजेब आलमगीर (रह.) शाहजहाँ के तीसरे बेटे पंद्रह जीकादा सन १०२७ हिजरी में अर्जुमंद बानो (मुमताज़ महल) के बत्नसे पैदा हुए, इब्तिदाई तालीम शेख अबुल वाइज़ हरगामी से और इल्म व अदब मौलवी सय्यद मुहम्मद कन्नौजी से हासिल किया और दीगर असातिजा से दीनी उलूम में महारत हासिल की, इन्होंने सिर्फ एक साल में क़ुरआने करीम हिफ़्ज़ कर लिया, उलमा और बुजुर्गों से हुस्ने अकीदत और वालेहाना मुहब्बत रखते थे, जब किसी जगह तश्रीफ़ ले जाते, तो वहाँ के उलमा व मशाइख की मजलिस में हाज़िर हो कर इल्म व मारिफ़त की बातें सुनते और उन्हें कीमती तोहफ़ा व तहाइफ़ से नवाज़ते।

हज़रत ख्वाजा मुहम्मद मासूम और उनके साहब ज़ादे सैफुद्दीन से इल्मे सुलूक व अत व इबादत का यह हाल था के सुबहे सादिक से पहले उठ कर तहज्जुद पढ़ते और मस्जिद में पहुँच कर फज़र की अज़ान के इन्तेज़ार में किबला रु हो कर बैठे रहते, अज़ान के फ़ौरन बाद सुन्नत अदा फ़र्माते, बा जमात नमाज़ पढ़ कर तिलावते कुरआन और मुताल-ए-हदीस में मशगूल हो जाते और चाश्त की नमाज़ पढ़ कर खल्वत गाह में तशरीफ़ ले जाते, हमेशा बावुजू रहते, कलिमा-ए-तय्यिबा और दीगर वज़ाइफ़ पाबंदी से अदा करते, पीर, जुमेरात और जुमा को रोज़ा रखते और अल्लाह वालो के साथ जिक्र व इबादत में मसरूफ़ रहते।

[ इस्लामी तारीख ]

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2

अल्लाह की कुदरत

तेल

अल्लाह तआला ने नारियल, मूंगफली, सूरजमुखी, सरसों वगैरह के ऐसे बेशुमार पेड़ पौधे बनाए हैं जिसके जरिए हमें मुख्तलिफ़ किस्म का खुशबूदार तेल हासिल होता है और हमारे खाने, लगाने और मालिश वगैरह की ज़रूरत पूरी होती है। गौर करने की बात है के इन पेड़ पौधों को तेल पैदा करने की सलाहियत कौन अता करता है और उनके दानों और बीजों से मुख्तलिफ़ किस्म के रंगों का ज़ाइकादार तेल कौन जमा करता है?

यकीनन यह अल्लाह तआला ही की जात है जिस ने अपनी कुदरत से, ज़रुरत पूरा करने के लिए इतना अच्छा इन्तेज़ाम किया है।

[ अल्लाह की कुदरत ]

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3

एक फर्ज के बारे में:

बीमार की नमाज़

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“नमाज़ खड़े हो कर अदा करो, अगर ताकत न हो, तो बैठ कर अदा करो और अगर इसपर भी कुदरत न हो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।”

फायदा: अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढने पर कादिर न हो, तो रुकू व सजदे के साथ बैठकर पढ़े अगर रुकू व सजदे पर भी कादिर न होतो इशारे से पढ़े और अगर बैठकर पढने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।

[ बुखारी : १११७ ]

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4

एक सुन्नत के बारे में:

दुआ के वक्त हाथों को उठाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) दुआ के वक्त हाथों को इतना उठाते थे के आपकी बगल मुबारक जाहिर हो जाती थी।

[ बूखारी: ६३४१ ]

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5

एक गुनाह के बारे में:

झूठी कसम खाने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स झूटी कसम खाए, ताके उस के ज़रिए किसी मुसलमान का माल हासिल कर ले, तो वह अल्लाह तआला से इस हाल में मुलाकात करेगा के अल्लाह तआला उस पर सख्त नाराज़ होगा।”

[ अबू दाऊद: ३२४३ ]

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6

दुनिया के बारे में:

दुनिया का कोई भरोसा नहीं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“इस दुनिया की मिसाल उस कपड़े की सी है, जिस को शुरू से काट दिया जाए और अखीर में एक धागे पर लटका हुआ रह जाए, तो वह धागा कभी भी टूट सकता है। (इसी। तरह इस दुनिया का कोई ठिकाना नहीं, कभी भी खत्म हो जाएगी)।”

[ शोअबुल ईमान: १८७५ ]

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7

आख़िरत के बारे में:

कयामत के दिन जमीन का लरज़ना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब ज़मीन पूरी हरकत से हिला दी जाएगी और जमीन अपने बोझ (मुर्दे और खज़ाने) बाहर निकाल देगी और इन्सान कहेगा के इस ज़मीन को क्या हो गया है? उस दिन जमीन अपनी बातें बयान कर देगी, इस लिए के आपके रब ने उसको हुक्म दिया होगा।”

[सूरह जिलजाल : १ ता ५]

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8

तिब्बे नबवी से इलाज

सिरका के फ़वाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“सिर्का क्याही बेहतरीन सालन है ।”

फायदा: सिर्का के बारे में मुहदिसीन हज़रात कहते हैं के यह तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज्म करता है और खून को साफ़ करता है और फोड़े फुसियों को दूर करता है।

[ मुस्लिम: ५३५० ]

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9

कुरआन की नसीहत:

ऐसी बात क्यों कहते हो जो करते नहीं

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“ऐ ईमान वालो ! तुम ऐसी बात क्यों कहते हो जो करते नहीं? यह बात अल्लाह के नजदीक बड़ी नाराजगी की है के तुम ऐसी बातें कहो जिन पर अमल न करो।”

[सूरह सफ़ : २ ता ३]

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