27 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
आमुल हुज़्न (ग़म का साल)
रसूलुल्लाह (ﷺ) की जौज-ए-मोहतरमा हज़रत ख़दीजा (र.अ) और चचा अबू तालिब हर वक्त आप (ﷺ) का साथ दिया करते थे। एक मर्तबा अबू तालिब बीमार हो गए और इंतकाल का वक्त करीब आ गया।
आप (ﷺ) ने फ़रमाया : ऐ चचा ! एक मर्तबा ” ला इलाहा इलल्लाह “ कह लो ताके खुदा के सामने तुम्हारी शफ़ाअत के लिये मुझे दलील मिल जाए।
लेकिन अबू जहल और अब्दुल्लाह बिन उमय्या वगैरह ने कहा के अबू तालिब ! क्या तुम अब्दुल मुत्तलिब के दीन को छोड़ दोगे?
अबू तालिब ने कलिमा पढ़ने से इनकार कर दिया और आखरी लफ़्ज़ जो उन की ज़बान पर था वह यह के मैं अब्दुल मुत्तलिब के दीन पर हूँ और इंतकाल हो गया। अभी चचा के इंतकाल का ग़म हल्का न हुआ था, के उसके कुछ ही दिनों के बाद आप (ﷺ) की जाँनिसार और गमख्वार बीवी हज़रत ख़दीजातुल कुबरा (र.अ) भी इस दुनिया से चल बसीं।
इस तरह यके बाद दीगरे दोनों के इन्तेक़ाल कर जाने से आप (ﷺ) पर रंज व ग़म और मुसीबत का एक पहाड़ टूट पड़ा, क्योंकि आपकी दावत व तबलीग़ के हर मरहले पर अबू तालिब और हजरत स ख़दीजा, दोनों आपका साथ दिया करते थे और हजरत खदीजा (र.अ) तो हमेशा आप की मदद करती थीं और परेशानी के वक्त बेहतरीन मशवरे दिया करती थीं। इस लिये दोनों का एक साल में इंतकाल कर जाना आपके लिए बड़ा हादसा था। इसी वजह से आप (ﷺ) ने इस साल का नाम “आमुल हुज्न” यानी गम का साल रखा।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
आँखों की हिफाजत
अल्लाह तआला ने दुनिया के हसीन तरीन मनाजिर देखने के लिये हमें जिस तरह आँख जैसी नेअमत अता फ़रमाई है, इसी तरह उन की हिफाजत के लिये ख़ुद बखुद मशीन की तरह उन पर ऐसे परदे लगा दिये हैं के जब कोई नुकसान पहुंचाने वाली चीज़ आँखों के सामने आती है, तो वह खुद बख़ुद बंद होने लगती हैं, उन की हरकत से जहाँ बाहर की चीज़ों के हमले से हमारी आँखें महफूज़ हो जाती हैं, वहीं उन के खुलने और बंद होने से आँख का मैल कुचैल साफ होता रहता है।
अल्लाह तआला ने अपनी हिकमत व कुदरत से आँखों की हिफाजत का कैसा अजीब व गरीब इंतजाम कर दिया है।
3. एक फर्ज के बारे में
मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो
मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो
۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।”
📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600
मज़दूर को पूरी मजदूरी देना
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।”
खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।
4. एक सुन्नत के बारे में
बारिश होने और रोके के लिए दुआ
बारिश के लिए यह दुआ मांगे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने बारिश के लिये हाथ उठा कर यह दुआ माँगी
❝ Allaahumma aghithnaa, Allaahumma aghithnaa, Allaahumma aghithnaa. ❞
(ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे। ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे। ऐ अल्लाह! हमें बारिश दे।)
सैलाबी बारिश रोकने की दुआ
हज़रत अनस (र.अ) बयान करते हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने बारिश रोकने के लिये यह दुआ की :
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! हमारे अतराफ में बारिश बरसा, हम पर बारिश न बरसा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
सलाम करने पर नेकियाँ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने अस्सलामु अलैकुम कहा, उस के लिये दस नेकियाँ लिखी जाती हैं
और जिस ने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह कहा, उस के लिये बीस नेकियाँ लिखी जाती है,
और जिसने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह व बरकातुह कहा, उस के लिये तीस नेकियाँ लिखी जाती हैं।”
6. एक गुनाह के बारे में
जकात न देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जकात का अदा न करने वाला क़यामत के दिन जहन्नम में जाएगा।”
7. दुनिया के बारे में
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।”
(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
8. आख़िरत के बारे में
जन्नती का ताज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अहले जन्नत के सर पर ऐसे ताज होंगे, जिन का अदना से अदना मोती भी मशरिक व मग़रिब के दर्मियान की चीज़ों को रौशन कर देगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
नींद न आने का इलाज
हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
आबे ज़म ज़म से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जमीन पर सबसे बेहतरीन पानी आबे जम जम है, यह खाने वाले के लिये खाना और बीमार के लिये शिफा है।”
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