10 Shaban | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

Table of Contents

1. इस्लामी तारीख

हजरत अबूज़र गिफारी (र.अ)

हजरत अबू ज़र गिफ़ारी (र.अ) का पूरा नाम जुंदुब बिन जुनादा था, हजरत अबू ज़र पहले शख्स हैं जिन्होंने हुजूर (ﷺ) की पहली मुलाकात के वक़्त अस्सलामु अलैकूम कहा था; हुजूर (ﷺ) ने जवाब में वालेकुमस्सालाम व रहमतुल्लाहि व बरकातुह फ़रमाया। इस तरह सलाम करने का रिवाज शूरू हुआ।

हज़रत अबू जर गिफ़ारी (र.अ) मक्का में मुसलमान हुए और वापस आकर अपने गाँव में दावत देना शुरू किया, सबसे पहले उनके भाई अनीस गिफ़ारी (र.अ) मुसलमान हुए, इन दोनों की चंद महीनों की मेहनत से क़बील-ए-गिफ़ार के अक्सर लोग मुसलमान हो गए और जो रह गए वह हुजूर (ﷺ) की मदीना हिजरत के बाद मुसलमान हो गए।

गज़व-ए-खंदक के बाद हज़रत अबू ज़र के मदीना आकर हुजूर (ﷺ) की ख़िदमत में रहने लगे, आप (ﷺ) के इन्तेकाल के बाद शाम के इलाके में चले गए, हज़रत उमर (र.अ) के जमाने तक वहीं रहे, वहां के लोगों का दुनिया की तरफ़ मैलान देख कर उन्हें दुनियादारी से रोकने में सख्ती करने लगे, हज़रत उस्मान (र.अ) ने अपने ज़मान-ए-खिलाफ़त में उन्हें मदीना बुला लिया।

लेकिन अबू जर (र.अ) यहाँ भी ज़ियादा दिन नहीं रह सके, हज़रत उस्मान (र.अ) के मशवरे से वह रब्जह नामी वफ़ात में चले गए और वहीं सन ३२ हिजरी में आपका इन्तेकाल हुआ।

[ Islamic History in Hindi ]


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

जंगे बद्र में सहाबा के हक में दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) जंगे बद्र में तीन सौ तेरह (या इससे कुछ ज़ियादा) सहाबा को ले कर निकले और दुआ की “ऐ अल्लाह ! यह लोग नंगे बदन है कपड़े दे, नंगे पाँव हैं सवारी अता फ़र्मा, भूके हैं खाना देदे।”

इस दुआ का यह असर हुआ के जब यह लोग वापस हुए तो हर शख्स के पास एक या दो ऊँट, कपड़े और खाने की चीजें मौजूद थीं।

[ अबू दाऊद : २७४७ ]


3. एक फ़र्ज़ के बारे में

हमेशा सच बोलो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम सच्चाई को लाजिम पकड़ो और हमेशा सच बोलो, क्योंकि सच बोलना नेकी के रास्ते पर डाल देता है और नेकी जन्नत तक पहुँचा देती है।”

[ बुखारी : ६६३९ ]


4. एक सुन्नत के बारे में

वजू के दरमियान की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) वुजू के दौरान यह दुआ पढ़ते थे:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मेरे गुनाहों को माफ़ फ़र्मा और मेरे घर में वुसअत और रिज्क में बरकत अता फ़र्मा।

[ सुनन ऐ कुबरा नसाई: ९९०८, अन अबी मूसा (र.अ) ]


5. एक अहेम अमल की फजीलत

वालिद के दोस्तों के साथ अच्छा बर्ताव करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“नेकियों में बेहतरीन नेकी यह है के आदमी अपने वालिद के दोस्तों के साथ अच्छा बर्ताव करे।”

[ तिर्मिजी: १९०३ ]


6. एक गुनाह के बारे में

दीन के खिलाफ साजिश करना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“उन खयानत करने वाले लोगों की हालत यह है के लोगों से तो परदा करते है और अल्लाह ताआला से नही शरमाते, जब के अल्लाह तआला उस वक्त भी उन के पास होता है, जब यह रात को ऐसी बातों का मशवरा करते हैं जिनको अल्लाह पसंद नहीं करता और अल्लाह तआला उन की तमाम कार्रवाइयों को जानता है।”

[ सूरह निसा: 108 ]


7. दुनिया के बारे में

दुनिया की जिंदगी खेल तमाशा है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता:

यह दुनिया की जिंदगी तो सिर्फ़ खेल तमाशा है, अगर तुम अल्लाह पर ईमान लाओ और तक़वा इख्तियार करो तो वह तूम को तूम्हारा अज्र व सवाब अता फरमाएगा और तुम से तुम्हारा माल तलब नहीं करेगा (और) अगर वह तुम से तुम्हारा माल तलब करने लगे और आखरी हद तक तलब करता रहे तो तुम कंजूसी करने लगो और तुम्हारी नागवारी को ज़ाहिर कर दे।”

[ सूरह हूदः १५ ता १६ ]


8. आखिरत के बारे में

जन्नती अल्लाह तआला का दीदार करेंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने लैलतुबद्र में चाँद को देखा और फर्माया :

“तुम लोग अपने रब को इसी तरह देखोगे जिस तरह इस चाँद को देख रहे हो, तुम उस को देखने में किसी किस्म की परेशानी महसूस नहीं करोगे।”

[ बुखारी : ५५४ ]


9. तिब्बे नब्वी से इलाज

फोड़े फुंसी का इलाज

आप (ﷺ) की बीवीयों में से एक बीवी बयान फ़र्माती हैं के एक दिन रसूलुल्लाह मेरे पास तशरीफ़ लाए और दर्याफ्त फ़ाया : क्या तेरे पास जरीरह है ? (चिरायता) मैं ने कहा: हाँ! तो आप ने उसे मंगाया और अपने पैर की उंगलियों के दर्मियान जो फुंसी थी उसपर रख कर यह दुआ फ़रमाई:

तर्जमा : ऐ बड़े को छोटा और छोटे को बड़ा करने वाले अल्लाह! इस जख्म को ख़त्म कर दे, चुनांचे वह फुंसी अच्छी हो गई।

[ मुस्तदरक : ७४६३ ]


10. नबी की नसीहत

कुरआन अपने पढ़ने वालो की शफाअत करेगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

कुरआन पढ़ा करो, क्योंकि कुरआन कयामत के रोज अपने पढ़ने वालों की शफाअत करेगा।”

[ मुस्लिम: १८७४,अन अबी उमामा (र.अ) ]


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