(1). हमराउल असद पर तीन रोज कयाम, (2). मेअदे का निज़ाम ( Digestive System ), (3). सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाजात का जिम्मा, (4). मूंछों को तराशना, (5). खाना खिलाने की फ़ज़ीलत, (6). आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह, (7). दुनिया में लगे रहने का वबाल, (8). कयामत के हालात : जब सूरज बेनूर हो जाएगा, (9). आटे की छान से इलाज, (10). अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे।
17 जमादी-उल-अव्वल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा


Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book)
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1. इस्लामी तारीख
हमराउल असद पर तीन रोज कयाम
ग़ज़व-ए-उहुद के बाद अबू सुफियान अपना लश्कर ले कर मक्का वापस जाते हुए मकामे रोहा में पहुँच कर कहने लगा,
हमें मुकम्मल तौर पर फतह हासिल करना चाहिये, तो (नऊज़ बिल्लाह) मुहम्मद (ﷺ) को कत्ल क्यों न करूँ ?
चलो ! वापस जाकर मुसलमानों को सफ्ह-ए-हस्ती से मिटा कर आएँ।
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) को इस की इत्तेला मिली तो आप (ﷺ) ने मुसलमानों को
उस का पीछा करने का हुक्म दिया, जो जंगे उहुद में शरीक थे,
मुसलमान जखमी और खस्ता हाल होने के बावजूद
फौरन तय्यार हो गए और मदीना से आठ मील दूर हमराउल असद मक़ाम पर पड़ाव डाला।
जब अबू सुफियान को उन की बहादुरी और शुजाअत का पता चला के
मुहम्मद (ﷺ) फिर अपने साथियों को ले कर मुकाबले के लिये पीछा कर रहे हैं,
तो उस पर खौफ तारी हो गया और सब की हिम्मत पस्त हो गई।
बिल आखिर अबू सुफियान अपनी जान बचाते हुए लश्कर ले कर मक्का भाग गया।
हुजूर (ﷺ) ने वहाँ तीन रोज कयाम फ़रमाया और इतमेनान के साथ वापस मदीना आ गए ।
To Be Continued …
2. अल्लाह की कुदरत
मेअदे का निज़ाम ( Digestive System )
हमें इन्सानी जिस्म के अन्दर जो निज़ाम चल रहा है उस पर गौर करना चाहिये,
इन्सान जब लुकमा मुंह में डालता है वह मेअदे में पहुँचता है,
मेअदा उस को पकाता है, फिर उस गिजा का जो अच्छा हिस्सा होता है,
उस को बारीक रगों के रास्ते से जिगर तक पहुँचाता है।
फिर जिगर उस को खून में तब्दील करता है,
उस खून को बारीक रगों के रास्ते से पूरे जिस्म में बक्रदे जरूरत सप्लाई करता है,
और मेअदे में जो फासिद माद्दा होता है वह पेशाब व पाखाने के रास्ते से बाहर निकल जाता है।
तो हमे गौर करना चाहिए के अंदर का यह सारा निजाम कौन चला रहा है,
बिला शुबा वही अल्लाह वदहू लाशरीक है।
3. एक फर्ज के बारे में
4. एक सुन्नत के बारे में
मूंछों को तराशना
रसूलुल्लाह (ﷺ) मूंछों को तराश्ते थे और फ़रमाया करते थे के
हजरत इब्राहीम (र.अ) भी ऐसा ही किया करते थे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
6. एक गुनाह के बारे में
7. दुनिया के बारे में
8. आख़िरत के बारे में
कयामत के हालात
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है
“जब सूरज बेनूर हो जाएगा और सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे और जब पहाड़ चला दिए जाएँगे और जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगी और जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगे और जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
आटे की छान से इलाज
۞ हदीस: हजरत उम्मे ऐमन (र.अ) आटे को छान कर
रसूलुल्लाह (ﷺ) के लिये रोटी तय्यार कर रही थीं के
आप (ﷺ) ने दरयाफ्त फ़रमाया: यह क्या है ?
उन्होंने अर्ज किया: यह हमारे मुल्क का खाना है, जो आप के लिये तय्यार कर रही हूँ।
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : “तुम ने आटे में से जो कुछ छान कर
निकाला है उस को उसी में डाल दो और फिर गूंधो।”
फायदा : जदीद तहकीकात से मालूम हआ है के आटे की छान (भूसी) पुराने कब्ज
और ज़्याबेतीस के मरीजों के लिये बेहतरीन दवा है ।