दुनिया की चीजें चंद रोजा हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो कुछ भी तुम को दिया गया है, वह सिर्फ चंद रोज़ा ज़िन्दगी के लिये है और वह उस की रौनक है और जो कुछ अल्लाह तआला के पास है, वह इस से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है। क्या तुम लोग इतनी बात भी नहीं समझते?”
ज़कात अदा करना
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) इर्शाद फ़र्माते हैं के,
“हमें नमाज़ कायम करने का और जकात अदा करने का हुक्म है और जो शख्स जकात अदा न करे उसकी नमाज़ भी (क़बूल) नहीं।”
दुनिया से बेहतर आख़िरत का घर है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“दुनिया की जिन्दगी सिवाए खेल कूद के कुछ भी नहीं और आखिरत का घर मुत्तकियों (यानी अल्लाह तआला से डरने वालों) के लिये बेहतर है।”
अल्लाह के लिये मुहब्बत का बदला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
अल्लाह तआला क़यामत के दिन फरमाएगा।
“मेरी अजमत की वजह से आपस में मुहब्बत करने वाले लोग आज कहाँ हैं ?
मैं आज उन को अपने साए में जगह दूँगा जब के मेरे साए के अलावा कोई साया न होगा।”
वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“हम ने इन्सानों को अपने वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक ही करने का हुक्म दिया है।”
फायदा: वालिदैन की इताअत फ़रमाबरदारी करना, उनके साथ अच्छा सलूक करना और उनके सामने अदब के साथ पेश आना इन्तेहाई जरूरी है।
आबे ज़म ज़म से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जमीन पर सबसे बेहतरीन पानी आबे जम जम है, यह खाने वाले के लिये खाना और बीमार के लिये शिफा है।”
इताअत ऐ रसूल (ﷺ) की अहमियत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(ऐ नबी (ﷺ) ) आप कह दीजिए के अगर तुम अल्लाह तआला से मोहब्बत रखते हो, तो तुम लोग मेरी पैरवी करो। अल्लाह भी तुम से मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को बख्श देगा।”
इंसाफ न करने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स मेरी उम्मत की किसी छोटी या बड़ी जमात का जिम्मेदार बने फिर उनके दर्मियान अदल व इन्साफ न करे तो अल्लाह तआला उसको औंधे मुंह जहन्नम में डाल देगा।“
अल्लाह और उसके बन्दों के हुकूक अदा करो
क़ुरान में अल्लाह तआला फर्माता है:
“अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो, वालिदेन के साथ अच्छा सुलूक करो, रिश्तेदारों, यतीमों और मिसकीनों के साथ भी अच्छा बर्ताव करो, लोगों से ख़ुश अख्लाक़ी से बात करो, नमाज़ क़ायम करो और ज़कात अदा करो।”
अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।”
हलाल को हराम समझने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह ने तुम्हारे लिये जो पाक व लजीज चीजें हलाल की हैं, उन को अपने ऊपर हराम न किया करो और (शरई) हुदूद से आगे मत बढो, बेशक अल्लाह तआला हद से आगे बढ़ने वालों को पसन्द नहीं करता।”
अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो, माँ, बाप के साथ अच्छा सुलूक करो, और तंगदस्ती के खौफ से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम तुम, को भी रिज्क देते हैं और उन को भी; खुले और छुपे बेहयाई के कामों के करीब न जाओ।”
कयामत के दिन के सवालात
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे
जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए।
(1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया।
(2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया।
(3) माल कहाँ से कमाया
(4) कहाँ खर्च किया।
(5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया।
सच्चे लोगों के साथ रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो! अल्लाह तआला से डरते रहो और सच्चे लोगों के साथ रहो।”
कलौंजी में मौत के सिवा हर बीमारी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम इस कलौंजी (मंगरैला) को इस्तेमाल करो, क्योंकि इस में मौत के अलावा हर बीमारी से शिफ़ा मौजूद है।”
एक और रिवायत में आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“बीमारियों में मौत के सिवा ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिस के लिये कलौंजी में शिफा नहो।”
इंसाफ करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“थोड़ी देर का इन्साफ साठ साल की शब बेदारी और रोजा रखने की इबादत से बेहतर है।
ऐ अबू हुरैरा (र.अ) ! किसी मामले में थोड़ी सी देर का जुल्म, अल्लाह के नजदीक साठ साल की नाफ़रमानी से जियादा सख्त और बड़ा गुनाह है।”
जन्नत का खेमा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”
मस्जिद की सफाई का इन्आम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख्स मस्जिद का कूड़ा करकट साफ़ करेगा,
अल्लाह तआला उस का घर जन्नत में बनायेगा।”
तीन आदमी अल्लाह की जमानत में है
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“तीन आदमी की अल्लाह ने जमानत ले रखी है, अगर वह जिन्दा रहें तो बक्रद्रे जरूरत रोजी मिलती है और अगर वफात पा जाएं तो अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल फ़र्माता है (एक वह) जो घर में दाखिल होते वक़्त सलाम करे तो अल्लाह तआला उस का जामिन है, (दूसरा वह) जो मस्जिद गया, तो अल्लाह तआला उसका जामिन है, (तीसरा) राहे ख़ुदा में निकलने वाले का अल्लाह तआला जामिन है।”
छींक आए तो मुंह पर कपड़ा या हाथ रख ले
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब छींक आती,
तो आवाज को आहिस्ता करते और चेहर-ए-मुबारक कपड़े से, या हाथ से ढांक लेते।
कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत
हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के:
“ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।”
गुमराही इख्तियार करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो लोग अल्लाह तआला के रास्ते से भटकते हैं, उनके लिये सख्त अज़ाब है, इस लिये के वह हिसाब के दिन को भूले हुए हैं।”
अल्लाह के ज़िक्र की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स सुबह को सौ मर्तबा और शाम को सौ मर्तबा “सुब्हान अल्लाही वबिहम्दिहि” पढ़े, उस के गुनाहों की मग़फ़िरत कर दी जाएगी ख़्वाह उस के गुनाह समुन्दर के झाग से ज़्यादा हों।”
तकब्बुर का अंजाम: दिल पर मुहर लग जाती है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग बगैर किसी दलील के अल्लाह तआला की आयात में झगड़े निकाला करते है, अल्लाह तआला और अहले ईमान के नज़दीक यह बात बड़ी काबिले नफरत है, इसी तरह अल्लाह तआला हर मुतकब्बिर सरकश के दिल पर मुहर लगा देता है।”
अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया :
“अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा।
किसी मंजिल से चलते वक़्त नमाज़ पढ़ना
हज़रत अनस (र.अ) बयान करते हैं के:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) किसी जगह कयाम करते
और फिर वहाँ से चलते तो दो रकात नमाज जरूर पढ़ते।”
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है?
तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है।
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।”
वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।”
सामने वाले की बात पूरी तवज्जोह से सुनना
जब आप (ﷺ) से कोई मुलाकात करता और गुफ्तगू करता,
तो आप (ﷺ) उस की तरफ से तवज्जोह न हटाते, यहाँ तक के वह आप से रुख न हटा लेता।
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है” तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया “मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।”
सरगोशी करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐसी सरगोशी (खुफिया मश्वरा) सिर्फ शैतान की तरफ से है जो के मुसलमानों को रंज में मुब्तला कर दे, और वह अल्लाह की मशिय्यत व इरादे के बगैर (मुसलमानों को) कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिये।”
तबीअत के मुवाफिक ग़िज़ा से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जब मरीज़ कोई चीज खाना चाहे, तो उसे खिलाओ।”
फायदा: जो गिजा चाहत और तबी अत के तकाजे से खाई जाती है, वह बदन में जल्द असर करती है, लिहाजा मरीज़ किसी चीज़ के खाने का तकाज़ा करे, तो उसे खिलाना चाहिये। हाँ अगर गिजा ऐसी है के जिस से मर्ज बढ़ने का कवी इमकान है, तो जरूर परहेज करना चाहिये।
जहन्नम का जोश
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत पुकारेंगे। (जैसा के मुसीबत में लोग मौत की तमन्ना करते हैं)।”
सब से बड़ा सूद
सईद इब्न ज़ैद (रदी अल्लाहू अन्हु) से रिवायत है की
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“सब से बड़ा सूद ये है की आदमी नाहक़ किसी मुसलमान की बेइज़्ज़ती करे।”
दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे …
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं।
और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।”
इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो: हदीस
इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से कोई घर में दाखिल होने के लिए तीन मर्तबा इजाजत मांगे और उस को इजाजत न मिले,या कोई जवाब न मिले तो उस को वापस हो जाना चाहिए।”
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ इमान वालो ! तुम्हारे बाप और भाई अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों, तो तुम उनको अपना दोस्त न बनाओ और तुम में से जो शख्स उनसे दोस्ती करेगा, तो वही जुल्म करने वाले होंगे।”
इस्तिन्जे के बाद वुजू करना
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के –
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बैतुलखला से निकलते तो वुजू फरमाते।
कब्र के जियारत की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) सहाब-ए-किराम को जियारते कुबूर (क़ब्र के जियारत) की यह दुआ सिखाते थे:
اَلسَّلَامُ عَلَیْکُمْ اَھْلَ الدِّیَارِ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُسْلِمِیْنَ ،وَاِنَّااِنْ شَآئَ اللّٰہُ بِکُمْ لَلاَحِقُوْنَ أَسْأَلُ اللّٰہَ لَنَا وَلَکُمُ الْعَافِیَةَ۔
Assalamualaikum ya ahlad diyaar minal mu’mineena wal muslemeen.wainna insha allahu bikum lahiqoon.asalullahu lana walakumul aafiya.
तर्जमा : सलाम हो तुम पर ऐ इस इस बस्ती के मोमिनो और मुसलमानो ! और हम भी इन्शाअल्लाह तुम्हारे साथ मिलने वाले हैं, हम अपने और तुम्हारे लिये अल्लाह से आफियत चाहते हैं।
दाढ़ी रखने की अहमियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मूंछों को कतरवाओ और दाढ़ी को बढ़ाओ।”
वजाहत: दाढी रखना शरीअते इस्लाम में वाजिब और इस्लामी शिआर में से है इस लिये तमाम मुसलमानों के लिये उस पर अमल करना इन्तेहाई जरूरी है।
बेवा और मिस्कीन की मदद करने की फजीलत
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“बेवा और मिस्कीन के कामों में जद्दो जहद करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले के बराबर है।”
शिर्क और कत्ल करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआला हर गुनाह को माफ कर सकता है, मगर उस आदमी को माफ नहीं करेगा,
जो शिर्क की हालत में मर जाए, दूसरा वह आदमी जो किसी (बेगुनाह) मुसलमान भाई को जानबूझ कर क़त्ल कर दे।”
अच्छे अखलाक़ की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“यक़ीनन मोमिन अपने अच्छे अखलाक के ज़रिए, नफ़्ल नमाजें पढ़ने वाले रोज़ेदार शख्स के मर्तबे को हासिल कर लेता है।”
जुमा के लिये खास लिबास पहनना
“रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास दो कपड़े थे, जिसे आप जुमा के दिन पहनते थे फिर जब वापस तशरीफ लाते तो उसे लपेट कर रख देते।”
जहन्नम के दरवाजे का फासला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जहन्नम के सात दरवाजे हैं, हर दो दरवाजों के दर्मियान का फासला एक सवार आदमी के सत्तर साल चलने के बराबर है।”
खड़े हो कर नमाज़ पढ़ना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“नमाज़ में अल्लाह के सामने आजिज़ बने हुए खड़े हुआ करो।”
फायदा: अगर कोई शख्स खड़े होकर नमाज़ पढ़ने की ताकत रखता हो तो उस पर फ़र्ज और वाजिब नमाज़ को खड़े हो कर पढ़ना फ़र्ज़ है।
जन्नती का ताज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अहले जन्नत के सर पर ऐसे ताज होंगे, जिन का अदना से अदना मोती भी मशरिक व मग़रिब के दर्मियान की चीज़ों को रौशन कर देगा।”
मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है।
खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।
किसी के वालिदैन को बुरा भला कहने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) फरमाते है :
“(शिर्क के बाद) कबीरा गुनाहों में सबसे बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने वालिदैन पर लानत करें”
पूछा गया : ऐ अल्लाह के रसूल! आदमी अपने वालिदैन पर कैसे लानत करेगा?
इर्शाद फ़रमाया :
“वह दूसरे के वालिदैन को बुरा भला कहे फिर वह आदमी उस के वालिदैन को बुरा भला कहे।”
ऑपरेशन से फोड़े का इलाज
हजरत अस्मा बिन्ते अबी बक्र (र.अ) कहती हैं के : मेरी गर्दन में एक फोड़ा निकल आया, जिसका जिक्र हुजूर (ﷺ) से किया गया, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“उसे खोल दो (फोड़ दो) और छोड़ो मत, वरना गोश्त खाएगा और खून चूसेगा, (यानी उसका खराब माद्दा अगर वक्त पर न निकाला गया तो ज़ख्म को और ज़ियादा बढाकर गोश्त और खून को बिगाड़ता रहेगा)।”
मुसाफा से गुनाहों का झड़ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मोमिन दूसरे मोमिन से मिल कर सलाम करता है और उस का हाथ पकड़ कर मुसाफा करता है, तो उन दोनों के गुनाह इस तरह झड़ते हैं जैसे दरख्त के पत्ते गिरते हैं।”
जकात न देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जकात का अदा न करने वाला क़यामत के दिन जहन्नम में जाएगा।”
अल्लाह के रास्ते में रोज़ा रखना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिसने अल्लाह के रास्ते में एक रोज़ा रखा, तो अल्लाह तआला उस के और जहन्नम के दर्मियान
आसमान व ज़मीन के फासले के बराबर खन्दक़ कायम कर देगा।”
दुनिया का कोई भरोसा नहीं
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“इस दुनिया की मिसाल उस कपड़े की सी है, जिस को शुरू से काट दिया जाए और आखीर में एक धागे पर लटका हुआ रह जाए, तो वह धागा कभी भी टूट सकता है। (इसी तरह इस दुनिया का कोई ठिकाना नहीं, कभी भी खत्म हो जाएगी)।”
नमाज़ी पर जहन्नम की आग हराम है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स पाँचों नमाजों की इस तरह पाबंदी करे के वजू और औक़ात का एहतेमाम कर, और सज्दा अच्छी तरह करे और इस तरह नमाज पढने को अपने जिम्मे अल्लाह तआला का समझे, तो उस आदमी को जहन्नम की आग पर हराम कर दिया जाएगा।”
रात के आखरी हिस्से में अल्लाह अपने बन्दे से करीब होता हैं
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह तआला रात के आखरी हिस्से में बन्दे से बहुत जियादा करीब होता हैं, अगर तुमसे हो सके, तो उस वक़्त अल्लाह तआला का जिक्र किया करो।”
हर महीने के तीन दिन रोजे रखने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हर महीने तीन दिन के रोजे रखना उम्र भर रोजा रखने जैसा है।“
सज्दा करने का सुन्नत का तरीका
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सज्दा फरमाते तो अपनी नाक और पेशानी को जमीन पर रखते और अपने बाजुओं को पहलू से अलग रखते और अपनी हथेलियों को कांधे के बराबर रखते।
पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं
“आदमी (इंसान) ने पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं भरा। इब्ने आदम को चंद लुक्मे काफी है जो उसकी पीठ को सीधा रखे। लेकिन अगर ज्यादा खाना ज़रूरी हो तो तिहाई पेट खाने के लिए, तिहाई पानी के लिए और तिहाई साँस के लिए रखे।”
जन्नतियों का लिबास
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उन जन्नतियों के बदन पर बारीक और मोटे रेशम के कपड़े होंगे और उनको चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उनको पाकीज़ा शराब पिलाएगा।
(अहले जन्नत से कहा जाएगा के) यह सब नेअमतें तुम्हारे आमाल का बदला हैं और तुम्हारी दुनियावी कोशिश कबूल हो गई।”
हज की फरज़ियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ऐ लोगो ! तुम पर हज फर्ज़ कर दिया गया है, लिहाजा उस को अदा करो।”
दुनिया में लगे रहने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स (दुनिया की जेब व जीनत को देख कर और अपने अंजाम को सोचे बगैर) दुनिया में घुसता है, तो वह अपने आपको जहन्नम में डालता है।”
कर्ज ना लौटाने की निय्यत से लेने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स लोगों का माल (बतौर क़र्ज़) लेता है और उसे अदा करना चाहता हो तो उसकी तरफ से अल्लाह अदा फरमा देता है, लेकिन जो शख्स लोगों का माल वापस ना करने के इरादा से लेता है तो अल्लाह भी उसे तबाह कर देता है।
एक और रिवायत में आप ﷺ ने फ़र्माया :
“जो शख्स किसी से क़र्ज़ ले और दिल में यह पक्का इरादा कर रखे के कर्ज पूरा पूरा नहीं लौटाएगा, तो वह (क़यामत के दिन) अल्लाह से एक चोर की हालत में मुलाकात करेगा।”
अल्लाह इस बुरी सिफ़त से सबकी हिफाज़त फरमाए। अमीन
आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।”
यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।
नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“पाँच नमाजें अल्लाह तआला ने फर्ज की हैं, जिस ने उन के लिऐ अच्छी तरह वुजू किया और ठीक वक्त पर उन को पढ़ा और रुकू व सज्दह जैसे करना चाहिये वैस हो किया, तो ऐसे शख्स के लिये अल्लाह तआला का पक्का वादा है, के वह उसको बख्श देगा। और जिस ने ऐसा नहीं किया तो लिए अल्लाह तआला का कोई वादा नहीं, चाहेगा तो उसको बख्श देगा और चाहेगा तो सजा देगा।”
नींद न आने का इलाज
हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”
सब से बेहतरीन दवा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“सबसे बेहतरीन दवा कुरआन है।”
फायदा : उलमाए किराम फर्माते हैं के क़ुरआनी आयात के मफ़हूम के मुताबिक जिस बीमारी के लिए जो आयत मुनासिब हो, उस आयत को पढ़ने से इन्शा अल्लाह शिफा होगी और यह सहाब-ए-किराम का मामूल था।
अल्लाह तआला से जो वादा करो उस को पूरा किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब तुम बात किया करो, तो इन्साफ का ख्याल रखा करो, अगरचे वह शख्स तुम्हारा रिश्तेदार ही हो और अल्लाह तआला से जो अहद करो उस को पूरा किया करो, अल्लाह तआला ने तुम्हें इस का ताकीदी हुक्म दिया है। ताके तुम याद रखो (और अमल करो)।
शर्म व हया ईमान का जुज़ है
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“ईमान के साठ से ऊपर या सत्तर से कुछ जायद शोअबे हैं।
सब से अफज़ल (ला इलाहा इलल्लाहु) पढ़ना है
और सब से कम दर्जा रास्ते से तकलीफ़ देह चीज़ का हटा देना है
और शर्म व हया ईमान का हिस्सा है।”
जख्म वगैरह का इलाज
हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं :
अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते:
तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए।
मुसाफा करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जब दो मुसलमान मिलते हैं और एक दूसरे से मुसाफह करते हैं (यानी हाथ मिलाते हैं) तो उनके जुदा होने से पहले पहले दोनो की मगफिरत कर दी जाती है।”
अहले ईमान और क़यामत का दिन
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हज़ार साल के बराबर दिन (यानी क़यामत) के बारे में पूछा गया के वह कितना लम्बा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“उस ज़ात की कसम जिस के कब्जे में मेरी जान है ! वह दिन मोमिन के लिये इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में यह दुनिया में फर्ज़ नमाज अदा त किया करता था।”
क़यामत के दिन लोगों की हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“क़यामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उसकी गर्मी में भी इज़ाफा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग़ इस तरह उबल रहा होगा जिस तरह हाँड़ियाँ जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बक़द्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज कमर तक और बाज़ के मुंह में लगाम की तरह होगा।”
सच्ची गवाही को छुपाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम गवाही मत छुपाया करो और जो शख्स इस (गवाही) को छुपाएगा, तो बिला शुबा उस का दिल गुनहगार होगा और अल्लाह तआला तुम्हारे किए हुए कामों को खूब जानता है।”
मुतअल्लिक़ीन की खबरगीरी करना एक बेहतरीन सुन्नत
हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) बयान करते हैं के :
“अहले ताल्लुक में से कोई शख्स अगर तीन दिन तक न आता (या उस से मुलाक़ात न होती) तो आप (ﷺ) उसके मुतअल्लिक़ मालूमात फरमाते, अगर वह बाहर (सफर में) होता तो उस के लिये दुआ करते, अगर यह मौजूद होता तो आप उससे मुलाकात फ़रमाते, अगर बीमार होता तो उसकी इयादत फरमाते।
पुरे यकींन से दुआ करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम अल्लाह तआला से ऐसी हालत में दुआ किया करो के तुम्हें कुबूलियत का पूरा यकीन हो और यह जान रखो के अल्लाह तआला गफलत से भरे दिल की दुआ कबूल नहीं करता।”
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआला रोज़े क़यामत 3 तरह के लोगो से न कलाम करेगा और न ही उनकी तरफ नज़रे रेहमत से देखेगा, और उनको दर्दनाक अजाब में मुब्तेला करेगा, और वो 3 ये लोग होंगे:
“बुढा जानी, झूठा बादशाह और मुतक्कबिर फ़क़ीर।”
अज़ान देने की फ़ज़ीलत
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस शख्स ने बारा साल तक अजान दी, उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई और हर रोज अजान के बदले उसके लिये साठ नेकियाँ लिखी जाएँगी और हर तक्बीर पर तीस नेकियाँ मिलेंगी।”
फोड़े फुंसी का इलाज
आप (ﷺ) की बीवीयों में से एक बीवी बयान फ़र्माती हैं के एक दिन रसूलुल्लाह ﷺ मेरे पास तशरीफ़ लाए और दर्याफ्त फ़ाया : क्या तेरे पास जरीरह है ? (चिरायता) मैं ने कहा: हाँ! तो आप ने उसे मंगाया और अपने पैर की उंगलियों के दर्मियान जो फुंसी थी उसपर रख कर यह दुआ फ़रमाई:
तर्जमा : ऐ बड़े को छोटा और छोटे को बड़ा करने वाले अल्लाह! इस जख्म को ख़त्म कर दे, चुनांचे वह फुंसी अच्छी हो गई।
बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना
हजरत आयशा (रजि०) फरमाती है के,
“हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।”
फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।
अहले जन्नत का इनाम : उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता :
“उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे, अपने (नेक) आमाल की वजह से खुश होंगे, ऊँचे ऊँचे बागों में होंगे। वह उन बागों में कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे। उनमें चश्मे बह रहे होंगे।”
मुसलमान को कपड़ा पहनाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिसने किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाया, जब तक उस के बदन में एक धागा भी रहेगा, वह उस वक्त तक अल्लाह की हिफाजत रहेगा।”
दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते,
तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते,
बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते
और “अस्सलामु अलैकुम” फ़रमाते।
अल्लाह ताला कुफ्र को पसंद नहीं करता
अल्लाह ताला कुफ्र को पसंद नहीं करता
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
अल्लाह ताला कुरआन में फर्माता है :
“अगर तुम मुन्किर होगे, तो यकीन जानो के अल्लाह तआला तुम से बेनियाज है और अपने बन्दों के लिये कुफ्र को पसन्द नहीं करता और अगर तुम शुक्र करोगे, तो तुम्हारे इस शुक्र को पसन्द करेगा।”
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कयामत के हालात
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है
“जब सूरज बेनूर हो जाएगा और सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे और जब पहाड़ चला दिए जाएँगे और जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगी और जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगे और जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।”
गुनहगारों के साथ क़ब्र का सुलूक
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब गुनहगार या काफिर बन्दे को दफन किया जाता है, तो क़ब्र उससे कहती है : तेरा आना नामुबारक हो, मेरी पीठ पर चलने वालों में तू मुझे सब से ज़ियादा ना पसन्द था, जब तू मेरे हवाले कर दिया गया है और मेरे पास आ गया है, तो तू आज मेरी बद सुलूकी देखेगा, फिर क़ब्र उस को दबाती है और उस पर मुसल्लत हो जाती है, तो उस की पसलियाँ एक दूसरे में घुस जाती है।”
किसी बुराई को देखे तो उसे रोकने की कोशिश करे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“तुम में से जो शख्स किसी बुराई को देखे तो उसे अपने हाथ से रोके अगर इस की ताकत न हो तो अपनी ज़बान से रोके, फिर अगर इस की भी ताकत न हो तो दिल से उस जाने और यह ईमान का सब से कमजोर दर्जा है।”
जमात से नमाज़ अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जिस ने तक्बीरे ऊला के साथ चालीस दिन तक अल्लाह की रज़ा के लिए जमात के साथ नमाज़ पढी उस के लिये दोजख से नजात और निफाक से बरात के दो परवाने लिख दिये जाते हैं।”
शराबी की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने शराबनोशी की, अल्लाह तआला चालीस रात तक उस से खुश नहीं होगा। अगर वह (उसी हाल में) मर गया तो कुफ्र की हालत में मरेगा और अगर तौबा कर ली तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़र्माएगा और अगर फिर शराब पी तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों का पीप पिलाएगा।”
हज़रत मिकाईल की हालत
आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :
“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल (फ़रिश्ते) को हंसते हुए नहीं देखा?“
अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”
अगली सफ में नमाज़ अदा करने की फजीलत
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला और उसके फरिश्ते पहली सफ वालों पर रहमत भेजते हैं और मोअज्जिन के बुलंद आवाज़ के बकद्र उस की मगफिरत कर दी जाती है, खुश्की और तरी की हर चीज़ उस की आवाज़ की तसदीक करती है और उस के साथ नमाज़ पढ़ने वालों का सवाब उस को भी मिलेगा।”
सिला रहमी करना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।”
फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
कोई चीज़ ऐब बताए बगैर बेचने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स कोई ऐबदार चीज़ उस का ऐब बताए बगैर बेचेगा, वह बराबर अल्लाह की नाराजगी में रहेगा और फरिश्ते उसपर लानत करते रहेंगे।”
खुशू व खुजू से नमाज़ अदा करना
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो कोई खूब अच्छी तरह वुजू करे और दो रकात नमाज खुशू खुजू के साथ पड़े तो उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई।”
सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ
सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सफ़र के इरादे से निकलते और सवारी पर बैठ जाते तो तीन मर्तबा तक्बीर: (अल्लाहु अकबर) फ़र्माते और यह दुआ पढ़तेः
“Allahu akbar, Allahu akbar, Allahu akbar,
subhanal-lathee sakhkhara lana hatha wama kunna lahu muqrineen,
wa-inna ila rabbina lamunqaliboon”
नमाज के लिये मस्जिद जाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स सुबह व शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं, जितनी मर्तबा जाता है उतनी मर्तबा अल्लाह तआला उस के लिये मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं।”
हौज़े कौसर क्या है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कौसर जन्नत में एक नहर है, जिस के दोनों किनारे सोने के हैं और वह मोती और याकूत पर बहती है, उस की मिट्टी मुश्क से जियादा खुशबूदार, उस का पानी शहेद से जियादा मीठा और बर्फ से जियादा सफेद है।”
मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम
मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम
अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –
3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा।
एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया।
दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए।
तीसरा वो शख्स जो अपना (बेचने का तिजारती) सामान असर के बाद लेकर खड़ा हुआ और कहने लगा कि उस अल्लाह की कसम जिसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, मुझे इस सामान की कीमत इतनी मिल रही थी उस पर एक शख्श ने उसे सही समझा (और उस सामान को खरीद लिया) (यानी झूठ को इख्तियार करके तिजारत करनेवाला)।
अल्लाह के लिये अपने भाई की जियारत करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“क्या मैं तुम्हें जन्नती लोगों के बारे में खबर न करूं? सहाबा (र.अ) ने अर्ज किया: जरूर या रसूलल्लाह (ﷺ)!
आप (ﷺ) ने फर्माया: नबी जन्नती है, सिद्दीक जन्नती है और वह आदमी जन्नती है जो सिर्फ अल्लाह की रजा के लिये शहर के दूर दराज इलाके में अपने भाई की जियारत के लिये जाए।“