हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) इर्शाद फ़र्माते हैं के हमें नमाज़ कायम करने का और जकात अदा करने का हुक्म है और जो शख्स जकात अदा न करे उसकी नमाज़ भी (क़बूल) नहीं।
और देखे :
- हुजूर (ﷺ) ग़ारे सौर में रसूलअल्लाह (ﷺ) और हज़रत अबू बक्र (र.अ) दोनों मक्का छोड़ कर गारे सौर में पहुँच चुके थे। उधर मुश्रिकीनने पीछा करना शुरू किया और तलाश करते हुए गारे सौर के बिल्कुल मुँह के करीब पहुंच गए। उस वक़्त हजरत अबू बक्र (र.अ) ने कहा : या रसूलल्लाह ! उन में…
- अज़ान की इब्तेदा हजरत इब्ने उमर (र.अ) फ़र्माते हैं के हुजूर (ﷺ) ने जमात की नमाज के लिये जमा करने का मशवरा किया, तो सहाब-ए-किराम (र.अ) ने मुख़्तलिफ राएँ पेश की, किसी ने यहूद की तरह बूक (Beegle) बजाने और किसी ने ईसाइयों की तरह नाकूस (घंटी) बजाने का मशवरा दिया, लेकिन आप…
- ख़ुशहाली आम होने की खबर देना हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मुझ से रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अगर तेरी उम्र जियादा होगी तो तू देखेगा के आदमी मिट्टी भर सोना और चाँदी खैरात के लिये लाएगा और मोहताज को तलाश करेगा, लेकिन उसे कोई (सद्का) लेने वाला नहीं मिलेगा।” वजाहत: उलमा ने लिखा है…
- हजरत रुकय्या बिन्ते रसूलुल्लाह (र.अ) हज़रत रुकय्या (र.अ) हुजूर (ﷺ) की दूसरी साहबज़ादी (बेटी) थीं, वह पहले अबू लहब के बेटे उत्बा के निकाह में थीं, जब हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिली और लोगों को दावत देना शुरू किया, तो अबू लहब के हुक्म पर उत्बा ने हजरत रुकय्या (र.अ) को तलाक दे दी, फिर…
- जकात न देने का गुनाह रसूलुल्लाह ने फरमाया : "जकात का अदा न करने वाला क़यामत के दिन जहन्नम में जाएगा।"
- बकरी का दूध देना हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) फरमाते हैं के मैं मकामे जियाद में उकबा बिन अबी मुईत की बकरियाँ चरा रहा था, इतने में मुहम्मद (ﷺ) और हजरत अबू बक्र (र.अ) हिजरत करते हुए मेरे पास पहुँचे और कहने लगे: तुम हमको दूध पिला सकते हो? मैंने कहा: यह बकरियाँ मेरे…
- ग़ारे सौर से हुजूर (ﷺ) की रवानगी रसूलुल्लाह (ﷺ) हिजरत के दौरान गारे सौर में जुमा, सनीचर और इतवार तीन दिन रहे, फिर जब मक्का में शोर व हंगामे में कमी हुई तो मदीना के लिये निकलने का इरादा फ़रमाया, अब्दुल्लाह बिन अरीक़त को रास्ते की रहनुमाई में बहुत महारत थी, उन्हें हज़रत अबू बक्र (र.अ.) ने…
- आबे जमजम के फवाइद हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ.) कहते के मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को फरमाते हुए सुना: "जमजम का पानी जिस निय्यत से पिया जाए, उस से वही फायदा हासिल होता है।"
- हराम माल से सदक़ा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है) और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का…
- अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ। और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।”
- ग़ज़वा-ए-उहुद में मुसलमानों की आज़माइश ग़ज़वा-ए-उहुद में मुसलमानों ने बड़ी बहादुरी से मुशरिकीने मक्का का मुकाबला किया, जिस में पहले फतह हुई, मगर बाद में एक चूक की वजह से नाकामी का सामना करना पड़ा। जंग शुरू होने से पहले रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पचास तीरअन्दाजों की एक जमात को पहाड़ की घाटी पर जहाँ से…
- नजाशी के दरबार में कुफ्फार की अपील कुरैश ने जब यह देखा के सहाबा-ए-किराम हबशा जा कर सुकून व इत्मीनान के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं, तो उन्होंने मशविरा कर के अम्र बिन आस और अब्दुल्लाह बिन अबी रबीआ को बहुत सारे तोहफे देकर बादशाह हबशा के पास भेजा। वहाँ का बादशाह ईसाई था। इन दोनों ने…
- दाढ़ के दर्द का इलाज एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई : चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया।
- ज़रूरत से ज़ाइद सामान शैतान के लिये रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) से फ़र्माया : "एक बिस्तर आदमी के लिये और एक उसकी बीवी के लिये और तीसरा मेहमान के लिये और चौथा शैतान के लिये होता है।"
- आमुल हुज़्न (ग़म का साल) रसूलुल्लाह (ﷺ) की जौज-ए-मोहतरमा हज़रत ख़दीजा (र.अ) और चचा अबू तालिब हर वक्त आप (ﷺ) का साथ दिया करते थे। एक मर्तबा अबू तालिब बीमार हो गए और इंतकाल का वक्त करीब आ गया। आप (ﷺ) ने फ़रमाया : ऐ चचा ! एक मर्तबा ” ला इलाहा इलल्लाह “ कह लो ताके…
- नमाज़ में इमाम की पैरवी करना हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फ़र्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) हमें सिखाते थे के "(नमाज़ में) इमाम से पहले रुक्न अदा न किया करो।" फायदा : अगर इमाम के पीछे नमाज पढ़ रहा हो, तो तमाम अरकान को इमाम के पीछे अदा करना चाहिये, इमाम से आगे बढ़ना जाइज नहीं है।
- वुजू में चमड़े के मोज़े पर मसह करना हज़रत अली (र.अ) फ़र्माते हैं : "मैं ने हुजूर (ﷺ) को मोज़े के ऊपर के हिस्से पर मसह करते देखा।" नोट: जब किसी ने बावुजू चमड़े का मोज़ा पहेना हो, फिर वुजू टूट जाए, तो वुजू करते वक्त उन मोजों के ऊपरी हिस्से पर मसह करना जरूरी है।
- इशा के बाद दो रकात नमाज पढना हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ) बयान फ़र्माते हैं के, “मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ ईशा की फर्ज नमाज़ के बाद दो रकात (सुन्नत) पढ़ी है।” फायदा: इशा की नमाज के बाद वित्र से पहले दो रकात पढ़ना सुन्नते मोअक्कदा है।
- हज़रत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) हजरत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) का शुमार भी उन दस लोगों में होता है जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया ही में जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों में अव्वलीन साबिकीन में से की हैं, ग़ज़व-ए-बद्र के अलावह तमाम ग़जवात में रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ रहे…
- हज़रत इस्हाक़ (अ.) की पैदाइश हजरत इस्हाक़ (अ.) की विलादत बा सआदत अल्लाह तआला की एक बड़ी निशानी है, क्योंकि उन की पैदाइश ऐसे वक्त में हुई जब के उन के वालिद हजरत इब्राहीम (अ.) की उम्र 100 साल और उनकी वालिदा हजरत सारा की उमर 90 साल हो चुकी थी, हालाँके आम तौर पर इस उम्र में औलाद…