नेक अमल करने वालों का इनाम

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, वह जन्नत के बागों में दाखिल होंगे, वह जिस चीज़ को चाहेंगे उनके रब के पास उन को मिलेगी। (उनकी) हर ख्वाहिश का पूरा होना भी बड़ा फज़ल व इनाम है।”

📕 सूरह शूरा : २२

इशा के बाद दो रकात नमाज पढना

हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ) बयान फ़र्माते हैं के,

“मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ ईशा की फर्ज नमाज़ के बाद दो रकात (सुन्नत) पढ़ी है।”

📕 बुखारी : ११७२

फायदा: इशा की नमाज के बाद वित्र से पहले दो रकात पढ़ना सुन्नते मोअक्कदा है।

जन्नत का मौसम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”

📕 सूरह दहर : १२ ता १३

कयामत के रोज़ सब को जिंदा किया जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“(दोबारा) सूर फूंका जाएगा, तो सब के सब कब्रों से निकल कर अपने रब की तरफ दौड़ पड़ेंगे। वह कहेंगे: हाय हमारी बरबादी! हमको हमारी ख्वाब गाहों से किस ने उठा दिया?

(जवाब मिलेगा) यह वही है जिसका रहमान (अल्लाह) ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था। बस वह एक जोर की आवाज़ होगी, जिस से सब जमा हो कर हमारे पास हाजिर कर दिए जाएंगे।”

📕 सूरह यासीन : ५१ ता ५३

बीमारी की शिकायत न करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त को उससे उम्दा गोश्त और उसके खून को उम्दा खून से बदल देता हूँ ताके नए सिरे से अमल करे।”

📕 मुस्तरदक १२९०, अन अबी हुरैरह (र.अ)

खुलासा: अगर कोइ बिमार हो जाए, तो सब्र करना चाहिए, किसी से शिकायत नही करनी चाहिए, उस पर इसे अल्लाह तआला इन्आमात से नवाज़ता हैं।

इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से अल्लाह की पनाह मांगना

रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :

तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”

📕अबू दाऊद : १५४६

आपस में झगड़ा न करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और आपस में झगड़ा न करो,
वरना तुम बुजदिल हो जाओगे
और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी
और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो,
बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।”

📕 सूर-ए-अन्फाल : 46

जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से

एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी।

फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९)

📕 बुखारी : २९२०

दो आदतें: दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देखे …

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलन्द शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कमतर को देख कर अल्लाह तआला की अता करदा फजीलत पर उस की तारीफ करे, तो अल्लाह तआला उस को (इन दो आदतों की वजह से) सब्र करने वाला और शुक्र करने वाला लिख देता हैं।

और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दूनीयावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उसको साबिर व शाकिर नहीं लिखता।”

📕 तिर्मिज़ी : २५१२

बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना

हजरत आयशा (रजि०) फरमाती  है के,

“हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।”

📕 अबू दाऊदः हदीस 4839

फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।

फोड़े फुंसी का इलाज

आप (ﷺ) की बीवीयों में से एक बीवी बयान फ़र्माती हैं के एक दिन रसूलुल्लाह ﷺ मेरे पास तशरीफ़ लाए और दर्याफ्त फ़ाया : क्या तेरे पास जरीरह है ? (चिरायता) मैं ने कहा: हाँ! तो आप ने उसे मंगाया और अपने पैर की उंगलियों के दर्मियान जो फुंसी थी उसपर रख कर यह दुआ फ़रमाई:

तर्जमा : ऐ बड़े को छोटा और छोटे को बड़ा करने वाले अल्लाह! इस जख्म को ख़त्म कर दे, चुनांचे वह फुंसी अच्छी हो गई।

📕 मुस्तदरक : ७४६३

फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ

फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ

फितना व फसाद करने वालों पर गलबा पाने के लिये क़ुरआन की इस दुआ का एहतेमाम करना चाहिये:

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

قَالَ رَبِّ انصُرْنِي عَلَى الْقَوْمِ الْمُفْسِدِينَ

“Rabbi onsurnee AAala alqawmi almufsideena”

तर्जुमा: ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे फसाद करने वाली कौम पर गलबा अता फर्मा।

📕 सूरह अंकबूत 29:30

माल आरियत (उधार) है

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (अ.स) फ़रमाते हैं –

“तुम में से हर एक मेहमान है और उस का माल आरियत (उधार) है और मेहमान यानी (इन्सान इस दुनिया से) जाने वाला है और आरियत की चीज़ उसके मालिक को लौटानी पड़ेगी।”

📕 शोअबुल ईमान: १०२४१

जख्म वगैरह का इलाज

हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं :

अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए।

📕 मुस्लिम ५७१९

विरासत में लड़की का हिस्सा

विरासत में लड़की का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।”

📕 सूरह निसा: ११

खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।

मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल

खीरा (ककड़ी) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।

📕 बुखारी : ५४४७

फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।

अनकरीब दुनिया खोल दी जाएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अनकरीब दुनिया की दौलत तुम पर खोल दी जाएगी, यहाँ तक के तुम अपने घरों को इस तरह आरास्ता करोगे जैसे काबा शरीफ़ को आरास्ता किया जाता है।”

📕 तिबरानी कबीर : ४०३५

जिस्म के दर्द का इलाज

हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो:

( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ )

“A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru”

तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द खत्म हो गया फिर वह सहाबी अपने घर वालों और दूसरे जरुरतमंदों को हमेशा इन कलिमात की तलकीन करते रहते थे।

📕 मुस्लिम: ५७३७, अन उस्मान बिन अबिल आस (र.अ)

जहन्नम की आग की सख्ती

जहन्नम की आग की सख्ती

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“दोजख को एक हजार साल तक दहकाया गया, तो वह लाल हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो वह सफेद हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो अब वह बहुत जियादा काली हो गई।”

📕 शोअबुल ईमान : ८१२

लोगों की जरूरतें पूरी करने वालो की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है, लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं, लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।”

📕 तबरानी कबीर : १३१५३

दुनिया के फ़ितनों से बचो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“सुनो ! दुनिया मीठी और हरी भरी है और अल्लाह तआला जरूर तुम्हें इस की खिलाफत अता फरमाएगा, ताके देखें के तुम कैसे आमाल करते हो, पस तुम दुनिया से और औरतों (के फितने) से बचो।”

📕 मुस्लिम ६९४८

तोहफा देने वाले के साथ सुलूक

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस शख्स को हदिया (तोहफा) दिया जाए, अगर उस के पास भी देने के लिए हो, तो उसको बदले में हदिया देने वाले को दे देना चाहिए और अगर कुछ न हो तो (बतौर शुक्रिया) देने वाले की तारीफ़ करनी चाहिए। क्यों कि जिस ने तारीफ़ की उसने शुक्रिया अदा कर दिया और जिस ने छुपाया उसने नाशुक्री की।”

📕 अबू दाऊद : ४८१३

रसूल (ﷺ) के हुक्म को न मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म की खिलाफ वरजी करते हैं,
उनको इस से डरना चाहिये के कोई आफत उन पर आ पड़े
या कोई दर्दनाक अज़ाब उन पर आ जाए।”

📕 सूरह नूर : ६३

हलाल कमाई से मस्जिद बनाने की फजीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“जिस ने हलाल कमाई से अल्लाह की इबादत के लिये घर बनाया, तो अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में कीमती मोती और याकूत का शानदार घर बनाएगा।”

📕 मोअजमुल औसत : ५२१६, अन अबी हुरैरह (र.अ)

गुनाहों की मगफिरत का वजीफा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“ज़मीन पर जो शख्स भी “La ilaha illallah, Wallahu Akbar, La Hawla Wala Quwwata Illa Billahil Aliyyil Azeem” पढ़ता है, तो उस के तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं ख्वाह समन्दर के झाग के बराबर हों।”

📕 तिर्मिज़ी : ३४६०

दुनिया की जाहिरी हालत धोका है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“यह लोग सिर्फ दुनियावी ज़िंदगी की ज़ाहिरी हालत को जानते हैं और यह आख़िरत से बिल्कुल ग़ाफिल हैं।” (यानी इन्सान सिर्फ दुनिया की चीजों को जानते और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगे रहते हैं, उन्हें पता ही नहीं है के इस के बाद दूसरी जिंदगी आने वाली है और वह हमेशा हमेशा की जिंदगी है, लिहाजा दुनिया में लगने के बजाए आखिरत की तय्यारी में मशगूल रहना चाहिये।)”

📕 सूरह रूम : ७

गैरुल्लाह को माबूद बनाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“उन लोगों ने अल्लाह तआला को छोड़ कर और माबूद बना लिये हैं, इस उम्मीद पर के उन की मदद कर दी जाएगी। वह उन की कुछ मदद कर ही नहीं सकते; बल्के वह उन लोगों के हक़ में फरीके मुखालिफ बन कर हाजिर किये जाएँगे।”

📕 सूरह यासीन: ७४ ता ७५

लोगों से अपनी जरूरत छुपाए रखने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जो शख्स भूका हो, या उस को कोई और खास हाजत हो और वह अपनी उस भूक और हाजत को लोगों से छुपाए रखे (यानी उन के सामने जाहिर कर के उनसे सवाल न करे) तो अल्लाह तआला के जिम्मे है के उस को हलाल तरीके से एक साल का रिज्क अता फ़रमाए।”

📕 शोअबुल ईमान लिलबहकी : ९६९८

आधी धुप और आधी छाँव में न बैठे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी जगह बैठने से मना फरमाया है के जहाँ बदन का कुछ हिस्सा साए में हो और कुछ हिस्सा धूप में हो।

📕 इब्ने माजा: ३७२२

वजाहत: तिब्बी एतेबार से एक साथ धूप और साए में बैठना सेहत के लिये मुजिर है।

माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।”

📕 सूरह कहफ: १८:४६

(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)

ईमान वालों का ठिकाना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“इन (ईमान वालों) के लिए हमेशा रहने वाले बाग़ हैं, जिन में वह दाखिल होंगे और उन के माँ बाप, उन की बीबियों और उन की औलाद में जो (जन्नत) के लायक होंगे, वह भी जन्नत में दाखिल होंगे और हर दरवाजे से फरिश्ते उन के पास यह कहते हए दाखिल होंगे ‘तुम्हारे दीन पर मज़बूत जमे रहने की बदौलत तुम पर सलामती हो, तुम्हारे लिए आखिरत का घर कितना उम्दा है!’

📕 सूरह रआद:२३ ता २४

बुरे लोगों का अंजाम

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जो शख्स झुटलाने वाले गुमराहों में से होगा, तो खौलते हुए गरम पानी से उसकी मेहमानवाजी होगी और उसे दोजख में दाखिल किया जाएगा।”

📕 सूरह वाकिआ: ९२ ता ९४

सजदा-ए-तिलावत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) कुआन मजीद की तिलावत करते हुए आयते सज्दा पर पहुँचते तो इस दुआ को सज्दा-ए-तिलावत में पढ़ा करते –

(سجدہ وجهى على خلقه ومتى وبصره بحوله وقوته )

तर्जमा – मेरे चेहरे ने उस जात के लिये सज्दा किया जिसने उस को पैदा किया और अपनी कुदरत व कुव्वत से उसके कान और आँख खोले।

📕 तिर्मिज़ी:580, अन आयशा (र.अ)

बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।”

📕 अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)

दुनिया की रगबत का खौफ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

मैं तुम से पहले जाने वाला हूँ और मैं तुम पर गवाह हूँ, तुमसे मिलने की जगह हौज़ होगी और अब मैं यहाँ खड़े हो कर उसे देख रहा हूँ, मुझे इस बात का अन्देशा नहीं के तुम मेरे बाद शिर्क करोगे, मगर इस बात का डर है के तुम कहीं दुनिया में रगबत न करने लगो।”

📕 मुस्नदे अहमद : १६९४९

मोमिन के साथ क़ब्र का सुलूक

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब मोमिन बन्दे को दफन किया जाता है, तो कब्र उस से कहती है: तुम्हारा आना मुबारक हो, मेरी पुश्त पर चलने वालों में तुम मुझे सब से जियादा महबूब थे, जब तुम मेरे हवाले कर दिए गए और मेरे पास आ गए, तो तुम आज मेरा हुस्ने सुलूक देखोगे, तो जहाँ तक नजर जाती है क़ब्र कुशादा हो जाती है और उसके लिये जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है।”

📕 तिरमिजी : २४६०, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)

जहन्नमी हथौड़े

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अगर जहन्नम के लोहे के हथौड़े से पहाड़ को मारा जाए, तो वह रेजा रेजा हो जाएगा, फिर वह पहाड़ दोबारा अपनी असली हालत पर लौट आएगा।”

📕 मुस्नदे अहमद : ११३७७

अच्छे और बुरे अख़्लाक़ की मिसाल

हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“अच्छे अख्लाक बुराइयों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह पानी बरफ को पिघला देता है और बुरे अख्लाक अच्छे कामों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह सरका शहद को खराब कर देता है।”

📕 तबरानी कबीर: १०६२६

आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।”

📕 सूरह तौबा: ३८

यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।

माल व दौलत आज़माइश की चीजें हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“(जब अल्लाह तआला) इन्सान को आजमाता है तो उस को (जाहिरन माल व दौलत दे कर) उसका इकराम करता है, तो वह (बतौरे फन) कहने लगता है, के मेरे रब ने मेरी कद्र बढ़ा दी।
(हालांके यह उसकी तरफ से इसकी आज़माइश का ज़रिया है)।”

📕 सूरह फज्र : १५

नींद न आने का इलाज

हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।

📕 मुअजमेल कबीर लित तबरानी: ४६८३

दिल की कमज़ोरी का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“तुम लोग सन्तरे का इस्तेमाल किया करो, क्योंकि यह दिल को मज़बूत बनाता है।”

📕 कंजुल उम्माल : २८२५३

फायदा : मुहद्दिसीन तहरीर फ़रमाते हैं के सन्तरे का जूस पेट की गन्दगी को दूर करता है, क़े और मतली को खत्म करता है और भूक बढ़ाता है।

इंसाफ करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“थोड़ी देर का इन्साफ साठ साल की शब बेदारी और रोजा रखने की इबादत से बेहतर है।
ऐ अबू हुरैरा (र.अ) ! किसी मामले में थोड़ी सी देर का जुल्म, अल्लाह के नजदीक साठ साल की नाफ़रमानी से जियादा सख्त और बड़ा गुनाह है।”

📕 तरघिब वा तरहीब: ३१२८

कुरआन सुनने से रोकने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“यह काफिर लोग (एक दूसरे से) कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उस के दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम ग़ालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अज़ाब का मज़ा चखाएँगे और यकीनन हम उनको बुरे आमाल का बदला देंगे, जो वह किया करते थे।”

📕 सूरह हामीम सज्दा : २६ ता २७

खाना खिलाने की फ़ज़ीलत

खाना खिलाने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो
अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में
दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।”

📕 तबरानी कबीर : १६५८९

अल्लाह और उसके बन्दों के हुकूक अदा करो

क़ुरान में अल्लाह तआला फर्माता है:

अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो, वालिदेन के साथ अच्छा सुलूक करो, रिश्तेदारों, यतीमों और मिसकीनों के साथ भी अच्छा बर्ताव करो, लोगों से ख़ुश अख्लाक़ी से बात करो, नमाज़ क़ायम करो और ज़कात अदा करो।”

📕 सूरह बकरा: 83  

अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे

अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है,
जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के
लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें
और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे।

📕 सूरह साद : २९

क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया?

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया, के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाज़िल हुआ है, उसके सामने झुक जाएँ। और वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी।”

यानी वह वक़्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उसके सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”

📕 सूरह हदीद: १६

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जन्नत की सिफात

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“वह घर हमेशा रहने के बाग़ हैं, जिन में परहेजगार लोग दाखिल होंगे। उन बागों के नीचे दूध, शहद और पाकीज़ा शराब की नहरें बह रही होंगी, जिस चीज़ को उनका जी चाहेगा वह उन को वहाँ मिलेगी। अल्लाह तआला परहेजगारों को ऐसा ही बदला दिया करता है।”

📕 सूर नहल: ३१

सब से बड़ा तक़वे वाला कौन है

एक शख्स ने रसूलल्लाह (ﷺ) की खिदमत में आकर अर्ज़ किया:

“ऐ अल्लाह के रसूल लोगों में सब से बड़ा जाहिद कौन है ?”

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
वह आदमी जो कब्र और उस की बोसीदगी को न भूले और दुनिया की जरूरत से ज़ियादा जेब व जीनत को छोड़ दे, बाकी रहने वाली (आखिरत) को फना हो जाने वाली (दनिया) पर तरजीह दे, आने वाले कल को अपनी (जिन्दगी का) दिन शुमार न करे और अपने आप को मुर्दो की फहेरिस्त में शुमार करे (तो यह सबसे बड़ा ज़ाहिद है)”

📕 तरग़ीब व तरहीब : ४५५३

मुसलमानों को तकलीफ देने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस शख्स ने किसी मुसलमान को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ पहुँचाई और जिसने मुझे तकलीफ पहुँचाई उसने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई।”

📕 मोअजमे औसत लित्तबरानी : ३७४५

माँगी हुई चीज़ का लौटाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“(वापसी की शर्त पर) माँगी हुई चीज़ को वापस किया जाएगा।”

📕 इब्ने माजा : २३९८

खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।

रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे।

📕 तिर्मिजी : ३४४२, अन इब्ने उमर (र.अ)

अहले ईमान का बदला

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“उन (अहले ईमान और नेक अमल करने वालों) का बदला उन के रब के पास ऐसे हमेशा रहने वाले बाग़ होंगे, जिन के नीचे नहरें बह रही होंगी। यह लोग उन में हमेशा रहेंगे। अल्लाह तआला उन से राज़ी, और वह अल्लाह से खुश होंगे। और यह बदला हर उस शख्स के लिये है जो अपने रब से डरता है।”

📕 सूरह अल-बय्यिना 98:8

कयामत का हौलनाक मंजर

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“(क़यामत का मुन्किर) पूछता है के कयामत का दिन कब आएगा?
जिस दिन आँखें पथरा जाएँगी और चाँद बेनूर हो जाएगा और सूरज व चाँद (दोनों बेनूर हो कर) एक हालत पर कर दिये जाएँगे,
उस दिन इंसान कहेगा : (क्या) आज कहीं भागने की जगह है? जवाब मिलेगा : हरगिज नहीं (आज) कहीं पनाह की जगह नहीं है, उस दिन सिर्फ आप के रब के पास ठिकाना होगा।

📕 सूरह कियामा : ६ ता १२

सिला रहमी करना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: 

“जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।”

📕 सूरह बकरा : २७

फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।

अपने मातहतों पर तोहमत लगाने गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अपने मातहत पर किसी ऐसी बात की तोहमत लगाई जिस से वह बरी है तो उस पर क़यामत के दिन हद जारी की जाएगी। मगर यह के वह कही हुई बात उस में मौजूद हो।”

📕 बुखारी : ६८५८

सूरह फलक और सूरह नास (मुअव्वज़तैन) से बीमारी का इलाज

हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बीमार होते तो मुअव्वजतैन सूरह फलक और सूरह नास पढ़ कर अपने ऊपर दम कर लिया करते थे।”

📕 मुस्लिम: ५७१५

दुनियावी ज़िन्दगी की हक़ीक़त

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“तूम खूब जान लो के दुनियावी जिन्दगी (बचपन में) खेल कूद और (जवानी में) ज़ेब व ज़ीनत और बाहम एक दूसरे पर फ़ख्र करना और (बुढ़ापे में) माल व औलाद में एक दूसरे से अपने को ज़्यादा बताना है।”

📕 सूर-ए-हदीद 57:20

अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया :
“अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा।

📕 तबरानी कबीर: ११३८९

दावत कबूल करे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से किसी को खाने की दावत दी जाए तो उस को कबूल करना चाहिये, फिर अगर वह चाहे तो खाना खाले और न चाहे तो छोड़ दे।”

📕 मुस्लिम : ३५१८

तीन काम में देर ना करो (नमाज़, जनाज़ा और निकाह)

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“ऐ अली! तीन काम वह है जिनमें ताखीर न करो।

(१) नमाज़, जब उस का वक्त आ जाए।
(२) जनाज़ा, जब तैयार हो जाए।
(३) बेशोहर वाली औरत का निकाह,
जब उसके लिए कोई मुनासिब जोडा (रिश्ता) मिल जाए।

📕 तिर्मिजी: १७१. अली बिन अबी तालिब (र.अ)

अगर कोई फासिक खबर लाये तो तहक़ीक़ किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“ऐ ईमान वालो! अगर कोई फासिक तुम्हारे पास कोई खबर, लेकर आए, तो उस की तहक़ीक़ कर लिया करो, कहीं ऐसा न हो, के तुम किसी कौम को अपनी ला इल्मी से कोई नुकसान पहुँचादो, फिर तुम को अपने किये पर पछताना पड़े।”

📕 सूरह हुजरात: ६

डर और घबराहट की दुआ

डर और घबराहट की दुआ

एक शख्स ने हुज़ूर (ﷺ) से डर और वहेशत की शिकायत की तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: यह पढ़ो –

 فَتَعَالَى اللَّهُ الْمَلِكُ الْحَقُّ ۖ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ

(फ़ताआला अल्लाहु अलमालिकु अलहक़्क़ु ला इलाहा इल्ला हुवा रब्बू अलअर्शी अलक़रीमी)

तर्जमा: उस मुकद्द्स बादशाह की पाकी बयान करता हूँ जो फरिश्तों और रूह का रब है उसकी इज़्ज़त व ज़बरूत से ज़मीन व आसमान रौशन हैं।

📕 क़ुरआन 23:116, मुअजमे कबीर, लित्तबरानी: ११५६

अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“अल्लाह तआला फर्माता है, जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे, जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”

📕 तिर्मिजी: २३९०, अन मआज बिन जबल (र.अ)

नमाज़ छोड़ने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २७

“नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।” 📕 मुस्लिम : २४६

“ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।” 📕 इब्ने माजा : १०७८

जन्नत वालों का इनाम व इकराम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिसका मालिक हम अपने बन्दों में से उस शख्स को बनाएँगे, जो अल्लाह से डरने वाला होगा।”

📕 सूरह मरयम : ६२ ता ६३

जहन्नमियों की फरियाद

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

जहन्नमि फरियाद करते हुए कहेंगे:
“ऐ हमारे परवरदिगार! हमें इस जहन्नम से निकाल कर (दुनिया में भेज दीजिये) फिर अगर दोबारा हम ऐसे गुनाह करें, तो हम कुसूरवार और सजा के मुस्तहिक होंगे।”

अल्लाह तआला फर्माएगा:

“तुम इसी जहन्नम में फिटकारे हुए पड़े रहो मुझसे बात मत करो।”

📕 सूरह मोमिनून: १०७ ता १०८

जमीन पर अकड़ कर मत चलो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जमीन पर अकड़ कर मत चलो (क्योंकि) तुम न तो जमीन को फाड़ सकते हो और ना तन कर चलने से पहाड़ों की बुलन्दी तक पहुँच सकते हो।”

📕 सूरह बनी इस्माईल : ३७

जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये दुनिया और आखिरत में भलाई है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज़ नाजिल की है?
तो जवाब में कहते हैं : बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है।
जिन लोगों ने नेक आमाल किये, उनके लिये इस दुनिया में भी भलाई है और बिला शुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाक़ई वह परहेजगार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।”

📕 सूरह नहल: ३०

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –

3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा।

एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया।

दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए।

तीसरा वो शख्स जो अपना (बेचने का तिजारती) सामान असर के बाद लेकर खड़ा हुआ और कहने लगा कि उस अल्लाह की कसम जिसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, मुझे इस सामान की कीमत इतनी मिल रही थी उस पर एक शख्श ने उसे सही समझा (और उस सामान को खरीद लिया) (यानी झूठ को इख्तियार करके तिजारत करनेवाला)।

📕 सहीह बुखारी, हदीस 2358

रोज़े आख़िरत (क़यामत के दिन) हर अमल का बदला मिल जायेगा

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है :

“जो शख्स क़यामत के दिन नेकी लेकर हाज़िर होगा, तो उस को उस नेकी से बेहतर बदला मिलेगा और जो शख़्स बदी ले कर हाज़िर होगा, तो ऐसे बुरे आमाल वालों को सिर्फ उनके कामों की सज़ा दी जाएगी।” 

📕 सूरह क़सस: 84

किसी इज्जत की हिफाज़त करने का सवाब

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने पीठ पीछे अपने भाई की इज्जत की हिफाजत की। अल्लाह तआला अपनी जिम्मेदारी से उस को (जहन्नम की) आग से आज़ाद कर देगा।”

📕 तबरानी कबीर : १९९१६

खाने के बाद उंगलियां चाटने का फ़ायदा

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब खाना खा लेते तो अपनी तीनों उंगलियों को चाटते।

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम कहते हैं के खाना खाने के बाद उंगलियां चाटना हाज़मे के लिए इन्तेहाई मुफीद है।

तफ्सील में जानकारी के लिए यह भी देखे
» उंगलियों के पोरों पर कीटनाशक प्रोटीन

📕 मुस्लिम : ५२९६

वरम (सूजन) का इलाज

हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया,

तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।

اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله

फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।

📕 दलाइलुनबुवह लिल बैहकी: २४३०

घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत

घर में नफील नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जब तुम में से कोई मस्जिद में (फ़र्ज़) नमाज़ अदा कर ले, तो अपनी नमाज़ में से कुछ हिस्सा घर के लिए भी छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह तआला बन्दे की (नफ़्ल) नमाज़ की वजह से उस के घर में खैर नाज़िल करता हैं।”

📕 सही मुस्लिम : ७७८, अन जाबिर (र.अ)


एक और रिवायत में, रसूलअल्लाह(ﷺ) ने फरमाया –

“फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा (सुन्नत और नवाफ़िल नमाज़े) घर में पढ़ना मेरी इस मस्जिद (मस्जिद-ए-नबवी) में नमाज़ पढ़ने से भी अफ़ज़ल है।”

📕 सुनन अबू दाऊद: 1044, जैद इब्ने थाबित (र.अ.)

नोट : ख्याल रहे के फ़र्ज़ नमाज़े मस्जिद में ही पढ़ना अफ़ज़ल और इन्तेहाई जरुरी है।

आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :

“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)

📕 अबू दाऊद: ५१५६

मुतअल्लिक़ीन की खबरगीरी करना एक बेहतरीन सुन्नत

हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) बयान करते हैं के :

“अहले ताल्लुक में से कोई शख्स अगर तीन दिन तक न आता (या उस से मुलाक़ात न होती) तो आप (ﷺ) उसके मुतअल्लिक़ मालूमात फरमाते, अगर वह बाहर (सफर में) होता तो उस के लिये दुआ करते, अगर यह मौजूद होता तो आप उससे मुलाकात फ़रमाते, अगर बीमार होता तो उसकी इयादत फरमाते।

📕 मुस्नदे अबी याला : ३३३५

अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह

अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बिलाशुबा अल्लाह तआला शिर्क को मुआफ नहीं करेगा। शिर्क के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा, माफ कर देगा और जिसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया, तो उसने अल्लाह के खिलाफ बहुत बड़ा झूट बोला।”

📕 सूरह निसा: ४४

हक को झुटलाने की सज़ा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: 

“हमने उन (कौमे आद) के लोगों को उन चीजों की कुदरत दी थी के जिन की कुदरत तुम को नहीं दी और हमने उन को कान और आँखें और दिल अता किए थे। चूँकि वह अल्लाह की आयतों का इनकार करते थे, इसलिये न उन के कान उन के कुछ काम आए, न उन की आँखें और न उन के दिल; और जिस अजाब का वह मजाक उड़ाया करते थे उसी ने उन को आ घेरा।”

📕 सूर अल-अह्काफ़: २६

मुसीबत या खतरे को टालने की दुआ

जब किसी मुसीबत या बला का अंदेशा हो, तो इस दुआ को कसरत से पढ़े:

“हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है और वह बेहतरीन काम बनाने वाला है, हम उसी पर भरोसा करते हैं।”

📕 तिर्मिज़ी : २४३१, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)

सुबह शाम अपने रब को याद किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम सुबह व शाम अपने रब को अपने दिल में गिड़गिड़ा कर, डरते हुए और दर्मियानी आवाज के साथ याद किया करो और गाफिलों में से मत हो जाओ।”

📕 सूरह आराफ : २०५

हराम चीज़ों का बयान

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“तुम पर मरा हुआ जानवर, खून और खिंजीर का गोश्त हराम कर दिया गया है और वह जानवर भी जिस पर (ज़िब्हा करते वक्त) अल्लाह के अलावा किसी दूसरे का नाम लिया गया हो।”

📕 सूरह मायदा 5:3

किसी के सतर को देखने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।”

📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान : ७५३८

सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन का हिस्सा, गुप्त अंग

रुकू में हाथों को घुटनों पर रखना

रसूलुल्लाह (ﷺ) रुकू फरमाते, तो “अपने हाथों को घुटनों पर रखते, ऐसा लगता था जैसे उन को पकड़ रखा हो और दोनों हाथों को थोडा मोड़ कर पहलुओं से अलग रखते थे।”

📕 तिर्मिज़ी : २६०