अल्लाह और उस के रसूल का हुक्म मानो कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "तुम अल्लाह तआला और उस के रसूल का हुक्म मानो और हुक्म की खिलाफ वरजी से बचते रहो, फिर अगर तुम मुँह मोड़ोगे (और नहीं मानोगे) तो यकीन जानो के हमारे रसूल के जिम्मे तो सिर्फ अहकाम को साफ साफ पहुँचा देना है।"…
मुजिजात को न मानने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : "जब उन के रसूल उन के पास खुली हुई दलीलें ले कर आए, तो वह लोग अपने उस दुनियावी इल्म पर नाज़ करते रहे, जो उन्हें हासिल था, आखिरकार उनपर वह अज़ाब आ पड़ा जिस का वह मज़ाक़ उड़ाया करते थे।" 📕 सूरह…
अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : “जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।” 📕 सूरह…
अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है : "अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए, तो अल्लाह और उसके रसूल के हुक्म की तरफ रूजूअ करो, अगर तुम अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखते हो, यह तरीका तुम्हारे लिये बेहतर है और अच्छा भी है।" 📕 सूरह…
हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "(हज़रत मुहम्मद (ﷺ) ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।" 📕 सूरह अहज़ाब : ४० वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी…
अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: "आप अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करते रहो और खुद भी नमाज़ के पाबन्द रहिये, हम आपसे रोजी तलब नहीं करते, रोजी तो आप को हम देंगे आर अच्छा अंजाम तो परहेजगारों का है।"…
कुरआन सुनने से रोकने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: "यह काफिर लोग (एक दूसरे से) कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उस के दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम ग़ालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अज़ाब का मज़ा चखाएँगे और यकीनन हम उनको…