रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे।
रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना

और देखे :
- मुसाफा से गुनाहों का झड़ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब मोमिन दूसरे मोमिन से मिल कर सलाम करता है और उस का हाथ पकड़ कर मुसाफा करता है, तो उन दोनों के गुनाह इस तरह झड़ते हैं जैसे दरख्त के पत्ते गिरते हैं।" 📕 तबरानी औसत : २५०, अन हुजैफा (र.अ)
- मुसाफा मगफिरत का जरिया है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जब दो मुसलमान आपस में मिलते हैं और मुसाफा करते हैं, तो जुदा होने से पहले उन दोनों की मगफिरत कर दी जाती है।" 📕 अबू दाऊद: ५२१२
- हज़रत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) हजरत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) का शुमार भी उन दस लोगों में होता है जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया ही में जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों में अव्वलीन साबिकीन में से की हैं, ग़ज़व-ए-बद्र के अलावह तमाम ग़जवात में रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ रहे…
- औरतों का चंद बातों पर अमल करना औरतों का चंद बातों पर अमल करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "अगर औरत पाँच वक़्त की नमाज पढ़े और रमजान के रोजे रखे और अपनी शर्मगाह की हिफाज़त करे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करे (तो कयामत के दिन) उससे कहा जाएगा: तुम जन्नत के जिस दरवाजे से चाहो…
- मुस्कुराते हुए मुलाकात करना हजरत जरीर (र.अ) के फर्माते हैं के मेरे इस्लाम लाने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे कभी भी किसी भी वक्त अपने पास हाजिर होने से नहीं रोका और जब भी मुझे देखते तो आप मुस्कुराते थे। 📕 बूखारी : ३०३५
- खुशी के वक्त सज्द-ए-शुक्र अदा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब खुशी का मौक़ा आता या कोई खुशखबरी सुनाई जाती, तो आप (ﷺ) सज्दा ए-शुक्र अदा करते। 📕 अबू दाऊद: २७७४, अन अबी बकरह रज़ि०
- क़ज़ा नमाजों की अदायगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।” 📕 तिर्मिज़ी: १७७ फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की…
- इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।” 📕 इब्ने माजा: २२४ फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और…
- पसंद के मुताबिक हदिया देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा। 📕 तबरानी सगीर : ११७५ वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के…
- कर्ज़ अदा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "क़र्ज़ की अदायगी पर ताकत रखने के बावजूद टाल मटोल करना जुल्म है।" 📕 बुखारी : २४००
- वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक़ वालों के दर्मियान तकसीम करो।" 📕 मुस्लिम: ४१४३ फायदा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तकसीम करना वाजिब है, बगैर किसी शरई वजह…
- नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "पाँच नमाजें अल्लाह तआला ने फर्ज की हैं, जिस ने उन के लिऐ अच्छी तरह वुजू किया और ठीक वक्त पर उन को पढ़ा और रुकू व सज्दह जैसे करना चाहिये वैस हो किया, तो ऐसे शख्स के लिये अल्लाह तआला का पक्का वादा है,…
- घरवालों पर सवाब की नियत से खर्च करना भी सदक़ा है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब आदमी अपने अहले खाना पर सवाब की निय्यत से खर्च करता है, तो यह खर्च करना उस के हक में सद्का है।" 📕 बुखारी: ५५
- वुजू में तीन मर्तबा कुल्ली करना हजरत अली (र.अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के वुजू की कैफियत बयान करते हुए फ़र्माते हैं के : "रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तीन बार कुल्ली की।" 📕 मुस्नदे अहमद : ८७४
- वुजू में चमड़े के मोज़े पर मसह करना हज़रत अली (र.अ) फ़र्माते हैं : "मैं ने हुजूर (ﷺ) को मोज़े के ऊपर के हिस्से पर मसह करते देखा।" 📕 अबू दाऊद : १६२ नोट: जब किसी ने बावुजू चमड़े का मोज़ा पहेना हो, फिर वुजू टूट जाए, तो वुजू करते वक्त उन मोजों के ऊपरी हिस्से पर मसह…
- हुजूर (ﷺ) ग़ारे सौर में रसूलअल्लाह (ﷺ) और हज़रत अबू बक्र (र.अ) दोनों मक्का छोड़ कर गारे सौर में पहुँच चुके थे। उधर मुश्रिकीनने पीछा करना शुरू किया और तलाश करते हुए गारे सौर के बिल्कुल मुँह के करीब पहुंच गए। उस वक़्त हजरत अबू बक्र (र.अ) ने कहा : या रसूलल्लाह ! उन में…
- बद नसीबी की पहचान रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "चार चीजें बदनसीबी की पहेचान हैं। (१) आँखों का खुश्क होना (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके) (२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिये या न किसी दूसरे के लिये किसी वक़्त भी नर्म न पड़े।) (३) उम्मीदों का…
- नींद का आना जब इन्सान दिन भर काम कर के थक जाता है, तो अल्लाह तआला उस की थकान दूर करने के लिये उस पर नींद तारी कर देता है, यह नींद उस के फिक्र व ग्रम को दूर कर के ऐसा सुकून व राहत का जरिया बनती है के दुनिया की कोई…
- नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
- कयामत किन लोगों पर आएगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "कयामत सिर्फ बदतरीन लोगों पर ही आएगी।" 📕 मुस्लिम : ७४०२ फायदा: जब तक इस दुनिया में एक शख्स भी अल्लाह का नाम लेने वाला जिंदा रहेगा, उस वक्त तक दुनिया का निजाम चलता रहेगा, लेकिन जब अल्लाह का नाम लेने वाला कोई न रहेगा…