दुनिया की चीजें चंद रोजा हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“जो कुछ भी तुम को दिया गया है, वह सिर्फ चंद रोज़ा ज़िन्दगी के लिये है और वह उस की रौनक है और जो कुछ अल्लाह तआला के पास है, वह इस से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है। क्या तुम लोग इतनी बात भी नहीं समझते?”

📕 सूरह कसस : ६०

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मौसमी फलों के फवाइद

कुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“जब वह दरख्त फ़ल ले आएँ तो उन्हें खाओ।”

📕 सूरह अनाम: १४१

फायदा: मौसमी फलों का इस्तेमाल सेहत के लिए बेहद मुफीद है और बहुत सी बीमारियों से हिफ़ाज़त का ज़रिया है, लिहाज़ा अगर गुंजाइश हो तो ज़रूर इस्तेमाल करना चाहिए।

शराब, जुवा, बूत और फाल खोलना सब शैतानी काम है

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“ऐ ईमान वालो! सच्ची बात यह है के शराब, जुवा, बूत और फाल खोलने के तीर, यह सब शैतान के नापाक काम है, लिहाजा तुम इनसे बचो! ताके तुम अपने मकसद में कामयाब हो जाओ।”

📕 सूरह मायदा १०५

अहले जहन्नम पर दर्दनाक अजाब

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बेशक जक्कूम का दरख्त बड़े मुजरिम का खाना होगा, जो तेल की तलछट जैसा होगा,
वह पेट में तेज़ गर्म पानी की तरह खौलता होगा (कहा जाएगा)
उस गुनहगार को पकड़ लो और घसीटते हुए दोजख के बीच में ले जाओ,
फिर उसके सर पर तकलीफ देने वाला खौलता हुआ पानी डालो,
(फिर कहा जाएगा) अज़ाब का मज़ा चख ! तू अपने आप को बड़ी इज्जत व शान वाला समझता था, यही वह अजाब है जिसके बारे में तुम शक किया करते थे।”

📕 सूरह दुखान : ४३ ता ५०

नमाजे अस्र की अहमियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।”

📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ)

वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है,

चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।

अज़ाबे कब्र से बचने की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ कसरत से फ़रमाते थे:

तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मैं अज़ाबे कब्र, अज़ाबे दोजख, ज़िंदगी और मौत के फितने और दज्जाल के फितने से तेरी पनाह चाहता हूँ।

📕 बुखारी: १३७७. अन अबी हुरैरह रज़ि०

हर नबी का हौज होगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“हर नबी के लिये एक हौज़ होगा और अम्बिया आपस में फख्र करेंगे के किस के हौज़ पर ज़ियादा उम्मती पानी पीने के लिये आते हैं।
मुझे उम्मीद है के मेरे हौज पर आने वालों की तादाद सबसे ज़ियादा होगी।”

📕 तिर्मिजी : २४४३

कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा

नमाज़ की सेहत पर रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज़ खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।”

📕 तरगीब व तरकीब: ५१६


“क़यामत में सब से पहले नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा, अगर वह अच्छी और पूरी निकल आई तो बाकी आमाल भी पूरे उतरेंगे और अगर वह खराब हो गई, तो बाक़ी आमाल भी खराब निकलेंगे।”

📕 तिर्मिजी: ४१३, अन अबू हरैराह रज़ि०

हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ४०

वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।

अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो
और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के
उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है
और अल्लाह से डरते रहो
और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”

📕 सूरह हश्र १८

इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो: हदीस

इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जब तुम में से कोई घर में दाखिल होने के लिए तीन मर्तबा इजाजत मांगे और उस को इजाजत न मिले,या कोई जवाब न मिले तो उस को वापस हो जाना चाहिए।”

📕 अबू दाऊद : ५१८१, अन अबी मूसा (र.अ)

नफा बख्श इल्म के लिए दुआ

हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फर्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थेः

”ऐ अल्लाह ! जो इल्म तूने मुझे दिया है इस से नफ़ा अता फर्मा और मुझे नफ़ा बख्श इल्म अता फ़र्मा और मेरे इल्म में ज़ियादती अता फ़र्मा।”

📕 तिर्मिज़ी : ३५९९

नमाज़ छोड़ने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २७

“नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।” 📕 मुस्लिम : २४६

“ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।” 📕 इब्ने माजा : १०७८

पुरे यकींन से दुआ करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम अल्लाह तआला से ऐसी हालत में दुआ किया करो के तुम्हें कुबूलियत का पूरा यकीन हो और यह जान रखो के अल्लाह तआला गफलत से भरे दिल की दुआ कबूल नहीं करता।”

📕 तिर्मिजी: ३४७९

कुरआन सुनने से रोकने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“यह काफिर लोग (एक दूसरे से) कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उस के दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम ग़ालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अज़ाब का मज़ा चखाएँगे और यकीनन हम उनको बुरे आमाल का बदला देंगे, जो वह किया करते थे।”

📕 सूरह हामीम सज्दा : २६ ता २७

बीमार को दुआ देना

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी मरीज की इयादत करते तो फ़र्माते:

لاَ بَأْسَ طَهُورٌ، إِنْ شَاءَ اللَّهُ

“La Basa Tahuran In Sha Allah”

तर्जमा: घबराओ नहीं इन्शाअल्लाह अच्छे हो जाओगे।

📕 बुखारी: ५६५६, अन इब्ने अब्बास (र.अ)

कयामत के दिन के सवालात

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे
जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए।

(1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया।
(2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया।
(3) माल कहाँ से कमाया
(4) कहाँ खर्च किया।
(5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया।

📕 तिर्मिजी:2416, अन अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ)

दिखावे के लिए कपड़ा पहनने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स शोहरत के लिए दुनिया में कपड़े पहनेगा, अल्लाह तआला उसको कयामत के दिन रुसवाई के कपड़े पहनाएगा और फिर उसमें आग भड़काएगा।”

📕 इब्ने माजाह, ३६०८

घमंड करने वाले का अंजाम

रसूलअल्लाह सलअल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया

“क़यामत के दिन मुतक़ब्बीर (घमंड करने वाले) लोगों को मैदान ए महशर में छोटी छोटी चिटीयों की मानिंद लोगो की सूरतों में लाया जाएगा, उन्हें हर जगह ज़िल्लत ढांपे रहेगी, फिर वो जहन्नम के एक ऐसे क़ैद खाने की तरफ हांके जाएँगे जिसका नाम बुलस है, उसमे इन्हें भड़कती हुई आग उबालेगी, वो उसमे जहन्नमियो के ज़ख्मों के पीप पीएँगे जिस से तीनत अल-खबाल कहते हैं, यानी सड़ी हुई बदबूदार कीचड़”

📕 जामिया तिरमिज़ी जिल्द 2, 381-हसन

सवारी के जानवर

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“उसी ने (यानी अल्लाह ने) घोड़े, खच्चर और गधे भी पैदा किये ताके तुम उन पर सवारी करो और जेब व ज़ीनत हासिल करो और आइंदा भी ऐसी चीजें पैदा कर देगा जिनको तुम अभी नहीं जानते।”

📕 सूरह नहल ८

हर नमाज के बाद तस्बीह फातिमी अदा करना

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो हर फ़र्ज नमाज़ के बाद ३३ मर्तबा “सुभानअल्लाह” ३३ मर्तबा “अलहम्दुलिल्लाह” और ३४ मर्तबा “अल्लाहु अकबर” कहता है, वह कभी नुकसान में नहीं रहता।”

📕 मुस्लिम : १३४९

जहन्नुम की गहराई

दोजख (जहन्नुम) की गहराई

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“एक पत्थर को जहन्नम के किनारे से फेंका गया, वह सत्तर साल तक उस में गिरता रहा मगर उस की गहराई तक नहीं पहुंच सका।”

📕 मुस्लिम : ७४३५

इत्र लगाना

हजरते आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के
रसूलुल्लाह इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फ़रमाया :

“हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबु लगाया करते थे।”

📕 निसाई: ५११९

कयामत में तीन किस्म के लोग

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कयामत के दिन जहन्नम से एक गर्दन निकलेगी, जिस की दो देखने वाली औंखें, दो सुनने वाले कान और एक बोलने वाली जुबान होगी, वह कहेगी: तीन किस्म के लोग मेरे सुपुर्द किए गए हैं:

(१) हर मगरूर हक जान कर रुगरदानी करने वाला।,
(२) अल्लाह के साथ किसी और को खुदा समझ कर पुकारने वाला।,
(३) तस्वीर बनाने वाला।

📕 शोअबुल ईमान: ६०८४, अन अबी हुरैरह (र.अ)

काफ़िरों के माल से तअज्जुब न करना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम उन (काफ़िरों) के माल और औलाद से तअज्जुब में मत पड़ना, कयोंकि अल्लाह तआला दुनियाही की ज़िंदगी में उन काफ़िरों को अज़ाब में मुब्तला करना चाहता है और जब उनकी जान निकलेगी, तो कुफ्र की हालत में मरेंगे।”

📕 सूरह तौबा: ५५

खुलासा : काफ़िरों को माल व औलाद जो दी जाती है, उन की ज़ियादती से किसी को तअज्जुब नहीं होना चाहिए, क्योंकि उन्हें अल्लाह तआला उन चीज़ों के ज़रिए उन की नाफ़र्मानी और बगावत की वजह से अज़ाब देना चाहता है।

हलाल रोज़ी कमाओ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

रोज़ी को दूर न समझो, क्योंकि कोई आदमी उस वक्त तक नहीं मर सकता जब तक के जो रोजी उस के मुक़द्दर में लिख दी गई है, वह उस को न मिल जाए।

लिहाजा रोजी हासिल करने में बेहतर तरीका इख्तियार करो, हलाल रोजी कमाओ और हराम को छोड़ दो।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : २१३४

शर्म व हया ईमान का जुज़ है

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“ईमान के साठ से ऊपर या सत्तर से कुछ जायद शोअबे हैं।
सब से अफज़ल (ला इलाहा इलल्लाहु) पढ़ना है
और सब से कम दर्जा रास्ते से तकलीफ़ देह चीज़ का हटा देना है
और शर्म व हया ईमान का हिस्सा है।”

📕 मुस्लिम: १५३

मोमिन पर तोहमत लगाने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स अपने मोमिन भाई को मुनाफिक के शर से बचाए, तो अल्लाह तआला कयामत के दिन ऐसे आदमी के साथ एक फरिश्ते को मुकर्रर कर देगा, जो उसके बदन को जहन्नम से बचाएगा; और जो आदमी भोमिन भाई पर किसी चीज़ की तोहमत लगाए जिस से उस को जलील करना मक्सूद हो, तो अल्लाह तआला उस को जहन्नम के पुल पर रोक देगा, यहाँ तक के वह अपनी कही हुई बात का बदला न दे दे।

📕 अबू दाऊद : ४८८३, अन मुआन बिन अनस (र.अ)

पानी न मिलने पर तयम्मुम करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“पाक मिट्टी मुसलमान का सामाने तहारत है, अगरचे दस साल तक पानी न मिले, पस जब पानी पाए तो चाहिये के उस को बदन पर डाले यानी उस से वुजू या ग़ुस्ल कर ले। क्योंकि यह बहुत अच्छा है।”

📕 अबू दाऊद : ३३२

किसी इज्जत की हिफाज़त करने का सवाब

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने पीठ पीछे अपने भाई की इज्जत की हिफाजत की। अल्लाह तआला अपनी जिम्मेदारी से उस को (जहन्नम की) आग से आज़ाद कर देगा।”

📕 तबरानी कबीर : १९९१६

वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“हम ने इन्सानों को अपने वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक ही करने का हुक्म दिया है।”

📕 सूरह अहकाफ:१५

फायदा: वालिदैन की इताअत फ़रमाबरदारी करना, उनके साथ अच्छा सलूक करना और उनके सामने अदब के साथ पेश आना इन्तेहाई जरूरी है।

वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।”

📕 इब्ने खुजैमा १४०९

अल्लाह तआला से जो वादा करो उस को पूरा किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब तुम बात किया करो, तो इन्साफ का ख्याल रखा करो, अगरचे वह शख्स तुम्हारा रिश्तेदार ही हो और अल्लाह तआला से जो अहद करो उस को पूरा किया करो, अल्लाह तआला ने तुम्हें इस का ताकीदी हुक्म दिया है। ताके तुम याद रखो (और अमल करो)।

📕 सूरह अन्आमः १५३

अल्लाह से मुहब्बत

रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला से मुहब्बत रखो, इस वजह से के वह तूमको खाने के लिये अपनी नेअमतें देता है और मुझ से मुहब्बत रखो, इस वजह से के अल्लाह तआला को मुझ से मुहब्बत है।”

📕 तिर्मिज़ी: ३७८९

मजलिस में जाये तो सलाम करे

मजलिस में जाये तो सलाम करे

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जब तुम में से कोई आदमी मजलिस में जाए, तो सलाम करे और फिर जी चाहे, तो मजलिस में शरीक हो जाए, और फिर जाते वक्त भी सलाम कर के जाए।”

📕 तिर्मिज़ी, हदीस २७०६, अन अबी हुरैराह (र.अ)

पडोसी का एहतराम किया करो

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जो अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो उसे अपने पडोसी का इकराम करना चाहिये।

सहाबा ने पुछा: या रसुलल्लाह (ﷺ) पड़ोसी का क्या हक़ है ?

फरमाया : अगर वह तुम से कुछ माँगे तो उस को दे दिया करो।”

📕 तरगीब व तरहीब : ३६५७

जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा तो…

۞ हदीस: अनस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा अल्लाह सुबहानहु क़यामत के दिन उसको उसके महबूब लोगो से जुदा कर देगा।”

📕 जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 1, 1291-हसन

मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो

मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो

۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।”

📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600


मज़दूर को पूरी मजदूरी देना

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।”

📕 इब्ने माजाह : २४४२

खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।

अल्लाह ही रोजी तकसीम करता हैं

क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“दुनियवी जिंदगी में उन की रोज़ी हम ने ही तकसीम कर रखी है और एक को दूसरे पर मर्तबा के एतबार से फज़ीलत दे रखी है ताकि एक दूसरे से काम लेता रहे।”

📕 सूर-ए-जुखरुफ़ :३२

हराम माल से सदक़ा करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है)

और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का वबाल उस पर होगा।”

📕 इब्ने हिब्बान : ३२८५

सूद खाने का अजाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़रमाते हैं के :

“मेराज की शब मेरा गुजर चंद ऐसे लोगों पर हुआ जिन के पेट धड़ों के मानिन्द बड़े बड़े थे, जिस में सांप थे, जो पेट के बाहर से नजर आते थे, मैं ने हज़रत जिब्रईल से पूछा: यह कौन लोग हैं? तो फ़रमाया: यह सूद खाने वाले हैं।”

📕 इब्ने माजाः २२७३

वारिस को मीरास से महरूम करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स अपने वारिस को मीरास (विरासत) देने से भागेगा (और उसे मीरास से महरूम कर देगा) तो अल्लाह तआला कयामत के दिन जन्नत से उसकी मीरास खत्म कर देगा।”

📕 इब्ने माजा : २७०३

आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।”

📕 सूरह तौबा: ३८

यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।

सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो शख्स (अपने आमाल के बदले में) सिर्फ दुनिया के इनाम की ख्वाहिश रखता है (तो यह उस की नादानी है के उसे मालूम नहीं) के अल्लाह तआला के यहाँ दुनिया और आखिरत दोनों का इनाम मौजूद है (लिहाजा अल्लाह से दुनिया और आखिरत दोनों की नेअमतें मांगो) अल्लाह तुम्हारी दुआओं को सुनता और तुम्हारी निय्यतों को देखता है।”

📕 सूरह निसा 134

खुजली का इलाज

हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के :

रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।”

📕 बुखारी: ५८३९

फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।

क़यामत के दिन इन्सान के आज़ा की गवाही

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“जिस दिन अल्लाह के दुश्मन (यानी कुफ्फार)
दोज़ख की तरफ जमा
(करने के मौकफ में) लाएंगे,
फिर वह रोके जाएँगे (ताके बाकी आजाएँ)
यहाँ तक के जब वह उसके करीब आजाएँगे
तो उनके कान, उनकी आँखें और उनकी खाल,
उनके खिलाफ उन के
किये हुए आमाल की गवाही देंगी।”

📕 सूरह फुसिलत: १९ ता २०

इमाम से पहले सर उठाने का गुनाह

रसूलल्लाह ﷺ ने फ़र्माया:

“क्या वह शख्स जो (बाजमात नमाज़ में) इमाम से पहले अपने सर को उठाता है, इस बात से नहीं डरता, के अल्लाह तआला उसके सर को गधे का सर बना देगा, या उस की शक्ल गधे जैसी बना देगा।”

📕 बुखारी: ६१५, अन अबी हुरैरह (र.अ)

खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”

📕 तिर्मिज़ी : १८५५

गुनाह देख कर खामोश ना रहो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“तुम ऐसे अज़ाब से बचो, जो सिर्फ गुनाह करने वालों ही पर नहीं आएगा, बल्कि गुनाह देख कर खामोश रहने वालों को भी अपनी पकड़ में लेगा खूब जान लो के अल्लाह सख्त सज़ा देने वाला है।”

📕 सूर-ए-अनफाल: २५

बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।”

📕 अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)

तबीअत के मुवाफिक ग़िज़ा से इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जब मरीज़ कोई चीज खाना चाहे, तो उसे खिलाओ।”

📕 कन्जुल उम्माल : २८१३७

फायदा: जो गिजा चाहत और तबी अत के तकाजे से खाई जाती है, वह बदन में जल्द असर करती है, लिहाजा मरीज़ किसी चीज़ के खाने का तकाज़ा करे, तो उसे खिलाना चाहिये। हाँ अगर गिजा ऐसी है के जिस से मर्ज बढ़ने का कवी इमकान है, तो जरूर परहेज करना चाहिये।

इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स तकब्बुर के तौर पर अपने इज़ार को टखने से नीचे लटकाएगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी तरफ रहमत की नजर से नहीं देखेगा।”

📕 बुखारी: ५७८८

तक़दीर पर ईमान लाना

हर चीज़ तकदीर से है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर ही से है)।”

📕 सहीह मुस्लिम : ६७५१

वजाहत: तकदीर कहते है के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उसकी मशिय्यत से है, हमारे ऊपर उसका यक़ीन रखना और उसपर ईमान लाना फर्ज है।

अल्लाह से रेहम तलब करने की दुआ

अल्लाह तआला से रहम तलब करने के लिये दुआ

( Anta waliyyuna fagh-fir lana war-hamna, wa anta Khayrul- ghafirin )

तर्जुमा: (ऐ अल्लाह) तू ही हमारी खबर रखने वाला हैं, इस लिये हमारी मगफिरत और हमपर रहम फर्मा और तू सब से जियादा बेहतर माफ करने वाला हैं।

📕 सूरह आराफ: १५५

( Rabbana amanna faghfir lana warhamna wa anta khayrur Rahimiin )

तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है।

📕 सूरह मोमिनून : १09

सदका-ए-जारिया, नफ़ाबख्श इल्म और नेक औलाद की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जब आदम की औलाद का इंतकाल होता है, तो तीन कामों के अलावा उस के अमल का सिलसिला खत्म हो जाता है : (१) सदका-ए-जारिया (२) वह इल्म जिस से लोग फायदा उठाएँ (३) ऐसी नेक औलाद जो उस के लिये दुआ करती रहे।”

📕 मुस्लिम : ४२२३

अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“अल्लाह तआला फर्माता है, जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे, जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”

📕 तिर्मिजी: २३९०, अन मआज बिन जबल (र.अ)

कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है:

“जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा”

📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493

दुनिया से बेरगबती रखने वाले मोमिन से दोस्ती करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जब तुम किसी ऐसे मोमिन को देखो जिसे दुनिया से बेरगबती और कम बोलने की दौलत दी गई है तो तुम उस के पास रहा करो, इस लिये के वह हिकमत की बातें करता है।”

📕 तबरानी औसत : १९५६, अन अबी हुरैरह (र.अ)

बुखार व दीगर बीमारियों से नजात

हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ.) फ़रमाते हैं के :

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को बुखार और दूसरी तमाम बीमारियों से नजात के लिये यह दुआ बताई:

तर्जमा : मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ, हर जोश मारने वाली रग की बुराई से और आग की गर्मी की बुराई से।

📕 तिर्मिज़ी : २०७५

मेहमान का इकराम करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जब कभी भी कोई मुसलमान अपने मुसलमान भाई से मुलाकात के लिये जाए और मेजबान मेहमान का एजाज व इकराम करने की गर्ज से मेहमान को तकिया पेश करे तो अल्लाह तआला उस मेजबान की मग़फिरत फरमा देगा।” 

📕 तबरानी सगीर :७६२

फज़्र और अस्त्र की नमाज़ पाबन्दी से अदा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“हरगिज़ वह आदमी जहन्नम में दाखिल नहीं हो सकता, जो सूरज निकलने से पहले फज़्र की नमाज और सूरज गुरूब होने से पहले अस्र की नमाज़ पढ़े।”

📕 मुस्लिम : १४३६

मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल

खीरा (ककड़ी) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।

📕 बुखारी : ५४४७

फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।

नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।”

📕 मुस्तदरक : ४५६

माँगी हुई चीज़ का लौटाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“(वापसी की शर्त पर) माँगी हुई चीज़ को वापस किया जाएगा।”

📕 इब्ने माजा : २३९८

खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।

सिफारिश पर बतौरे हदिया माल लेना एक गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“किसी ने अपने (मुसलमान) भाई की किसी चीज़ में सिफारिश की और सिफारिश करने पर सामने वाले ने उस को कोई चीज बतौरे हदिया पेश की और उस ने कुबूल कर ली, तो वह सूद के बहुत बड़े दरवाजे पर आ पहुँचा।”

📕 अबू दाऊद: ३५४१

इस्मे आजम का वजीफा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक शख्स को दुआ मांगते हुए सुना तो फ़र्माया :

तुम ने इस्मे आजम के साथ दुआ मांगी है के उस के साथ जो भी सवाल व दुआ की जाती है वह पूरी की जाती है, वह इस्मे आज़म यह है –

“Allahu la ilaha illa hu al ahad’us samad’ ulladhee lam yalid walam yulad wa lam yakun lahu kufuwan ahad”

📕 तिर्मिज़ी : ३४७५, अन बुरैदा (र.अ)

मुसलमानों के दिल अल्लाह की याद और उस के सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“क्या ईमान वालों के लिए अभी तक ऐसा वक्त नहीं आया के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाजिल हुआ है उसके सामने झुक जाएँ और वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी। यानी वह वक्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उस के सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”

📕 सूरह हदीद : १६

अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद तुम्हारे हक़ में दुश्मन हैं, तो तुम उन से होशियार रहो।”

वजाहत: बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफे के लिये शरीअत के खिलाफ कामों का हुक्म देते हैं, उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला ने दीन का दुश्मन बताया है और उन के हुक्म को पूरा न करने की हिदायत दी है।

📕 सूरह तग़ाबुन : १४

मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”

📕 अबू दाऊद: ४२७०

सलाम करने के आदाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“छोटों को चाहिए के बड़ों को सलाम करें और चलने वालों को चाहिए के बैठे हुए को सलाम करें और कम लोगों को चाहिए के ज़ियादा लोगों को सलाम करें।”

📕 अबू दाऊद : ५१९८, अन अबी हुरैरह (र.अ)

खाने के बाद उंगलियां चाटने का फ़ायदा

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब खाना खा लेते तो अपनी तीनों उंगलियों को चाटते।

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम कहते हैं के खाना खाने के बाद उंगलियां चाटना हाज़मे के लिए इन्तेहाई मुफीद है।

तफ्सील में जानकारी के लिए यह भी देखे
» उंगलियों के पोरों पर कीटनाशक प्रोटीन

📕 मुस्लिम : ५२९६

अल्लाह की राह में खर्च करे

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम को क्या हो गया के तुम अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते, हालां के आसमान और जमीन की सब मीरास अल्लाह ही की है।”

📕 सूरह हदीद : १०

जन्नत का खेमा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”

📕 सहीह बुखारी: ४८७९

दुनिया की इमारतें साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) एक मर्तबा एक गुंबद वाली इमारत के पास से गुज़रे तो फर्माया :
“यह किस ने बनाया है? लोगों ने बताया के फलाँ शख्स ने, तो फर्मायाः

“क़यामत के दिन मस्जिद के अलावा हर इमारत साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी।”

📕 शोअबुल ईमान : १०३०३, अन अनस बिन मालिक (र.अ)

नेक अमल करने वालों का इनाम

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, वह जन्नत के बागों में दाखिल होंगे, वह जिस चीज़ को चाहेंगे उनके रब के पास उन को मिलेगी। (उनकी) हर ख्वाहिश का पूरा होना भी बड़ा फज़ल व इनाम है।”

📕 सूरह शूरा : २२

तहज्जुद की निय्यत कर के सोना

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो आदमी अपने बिस्तर पर लेटते वक्त रात को उठ कर (तहज्जुद की) नमाज पढने की निय्यत करे फिर नींद के गलबे की वजह से सुबह हो जाए तो निय्यत के मुताबिक उसको नमाज का सवाब मिलेगा और (हुस्ने निय्यत की वजह से) उस का सोना अल्लाह की तरफ से उसके लिये सदक़ा है।”

📕 निसाई : १७८८

क़यामत से पहले माल का ज़ियादा होना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इरशाद फर्माया :

“उस वक़्त तक क़यामत नहीं आएगी जब तक तुम्हारे अन्दर माल की इतनी कसरत न हो जाए के वह बहने लगे, यहाँ तक के माल वाले आदमी को इस बात पर रंज व ग़म होगा के उस से कौन सदक़ा क़बूल करेगा? वह एक आदमी को सद्के के लिये बुलाएगा तो वह कह देगा के मुझे इस की कोई जरूरत नहीं।”

📕 मुस्लिम: २३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)

मौत और माल की कमी से घबराना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है, (हालांकि दोनों उस के लिए खैर है) एक मौत को, हालांकि मौत फ़ितनों से बचाव है, दूसरे माल की कमी को, हालांकि जितना माल कम होगा उतना ही हिसाब कम होगा।”

📕 मुस्नदे अहमदः २३११३

कुफ्र व नाफर्मानी की सजा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो शख्स मुंह मोड़ेगा और कुफ्र करेगा, तो अल्लाह तआला उस को बड़ा अज़ाब देगा फिर उन को हमारे पास आना है। फिर हमारे ज़िम्मे उन का हिसाब लेना है।”

📕 सूरह गाशिया: २३ ता २६

नफ़्स की बुराई से पनाह माँगने की दुआ

रसूलल्लाह (ﷺ) ने हजरत इमरान बिन हुसैन (र.अ) के वालिद को यह दुआ सिखाई:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मेरे दिल में भलाई डाल दे और मेरे नफ़्स की बुराई से मुझे बचा दे।

📕 तिर्मिज़ी: ३४८३

रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले,
सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ?
फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”

📕 इब्ने खुजैमा : ६४३