रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी मरीज की इयादत करते तो फ़र्माते:
لاَ بَأْسَ طَهُورٌ، إِنْ شَاءَ اللَّهُ
“La Basa Tahuran In Sha Allah”
तर्जमा: घबराओ नहीं इन्शाअल्लाह अच्छे हो जाओगे।
📕 बुखारी: ५६५६, अन इब्ने अब्बास (र.अ)
और पढ़े:
- बीमार पुरसी के वक़्त की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी बीमार की इयादत के लिये जाते या आप (ﷺ) की खिदमत में बीमार को हाज़िर किया जाता तो आप यह दुआ पढ़ते: اَللَّهُمَّ رَبَّ النَّاسِ مُذْهِبَ الْبَاسِ اشْفِ أَنْتَ الشَّافِيْ لَا شَافِيَ إِلَّا أَنْتَ شِفَاءً لَا يُغَادِرُ سَقَمًا ALLAHumma Rabbannasi Muzhibal-baasi-shfee Antashhaafi La Shaafi Illa Anta…
- बीमार की नमाज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।" 📕 बुखारी : १९१७ फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर…
- हजरत रुकय्या बिन्ते रसूलुल्लाह (र.अ) हज़रत रुकय्या (र.अ) हुजूर (ﷺ) की दूसरी साहबज़ादी (बेटी) थीं, वह पहले अबू लहब के बेटे उत्बा के निकाह में थीं, जब हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिली और लोगों को दावत देना शुरू किया, तो अबू लहब के हुक्म पर उत्बा ने हजरत रुकय्या (र.अ) को तलाक दे दी, फिर…
- नेकियों का हुक्म देना और बुराइयों से रोकना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "कसम है उस जात की जिस के कब्जे में मेरी जान है तुम जरूर बिज जरूर भलाइयों का हुक्म करो और बुराइयों से रोको; वरना करीब है के अल्लाह तआला गुनहगारों के साथ तुम सब पर अपना अजाब भेज दे, और उस वक्त तुम अल्लाह…
- तलबीना से इलाज हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के: "तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।” 📕 बुखारी: ५६८९ फायदा: जौ (बरली) को कट कर…
- बीमार को परहेज़ का हुक्म एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।” 📕 अबू दाऊद: ३८५६ फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो…
- माँगने वाले को नरमी से जवाब देना कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "माँगने वाले को नरमी से जवाब देना और उस को माफ कर देना उस सदके और ख़ैरात से बेहतर है, जिस के बाद तकलीफ पहुँचाई जाए, (याद रहे) अल्लाह तआला बड़ा बे नियाज और ग़ैरतमन्द है।" 📕 सूरह बकरा : २६३