जब बुरा ख्वाब देखे तो यह अमल करे
जब तुम में से कोई पुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुतकार दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।
सवारी के जानवर
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उसी ने (यानी अल्लाह ने) घोड़े, खच्चर और गधे भी पैदा किये ताके तुम उन पर सवारी करो और जेब व ज़ीनत हासिल करो और आइंदा भी ऐसी चीजें पैदा कर देगा जिनको तुम अभी नहीं जानते।”
बद नसीबी की पहचान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“चार चीजें बदनसीबी की पहेचान हैं।
(१) आँखों का खुश्क होना (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके)
(२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिये या न किसी दूसरे के लिये किसी वक़्त भी नर्म न पड़े।) (३) उम्मीदों का लम्बा होना ।
(४) दुनिया की हिर्स व लालच का होना।”
वरम (सूजन) का इलाज
हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया,
तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।
اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله
फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।
नमाजे अस्र की अहमियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।”
📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ)
वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है,
चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।
हराम चीज़ों का बयान
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“तुम पर मरा हुआ जानवर, खून और खिंजीर का गोश्त हराम कर दिया गया है और वह जानवर भी जिस पर (ज़िब्हा करते वक्त) अल्लाह के अलावा किसी दूसरे का नाम लिया गया हो।”
मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है।
खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।
गुनाह से न रोकने का वबाल
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।”
सबसे अच्छा मुसलमान कौन है ?
अबू मूसा (र.अ) से रिवायत है के, कुछ सहाबा ने पूछा, या रसूल अल्लाह ﷺ ! कौन सा इस्लाम अफज़ल है (यानि सबसे अच्छा मुसलमान कौन है) तो नबी-ऐ-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
“वह शख्स जिस की जबान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज रहें।”
दीनी भाई की जियारत की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने किसी मरीज़ की इयादत की, या किसी दीनी भाई की जियारत की, तो एक पुकारने वाला (फरिश्ता) कहता है। तुम (दुनिया में) अच्छे रहो, तुम्हारा (अच्छे कामों की तरफ) चलना मुबारक हो और तुम ने (अपने इस अमल के जरिये) जन्नत का बुलंद दर्जा हासिल कर लिया है।”
बीमारी से बचने की तदबीरें
हज़रत जाबिर (र.अ) बयान करते हैं के मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के :
“बर्तनों को ढांक दिया करो और मशकीज़े का मुँह बांध दिया करो क्योंकि साल में एक ऐसी रात आती है जिस में वबा उतरती है पस जिस बर्तन या मशकीजे का मुँह खुला रहेता है वह उस में उतर जाती है।”
शहद और कुरआन से शिफा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम अपने लिए शिफा की दो चीजों : यानी शहद और कुरआन को लाजिम पकड़लो।”
हौजे कौसर की कैफियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“हौज़े कौसर के बर्तन सितारों के बराबर होंगे, उस से जो भी इन्सान एक घूंट पी लेगा तो हमेशा के लिए उसकी प्यास बुझ जाएगी।”
दुनिया में चैन व सुकून नहीं है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“खबरदार ! दुनिया के बारे में जो कुछ मैं जानता हूँ, अगर तुम भी जानने लगो,
तो तुम्हें कभी दुनिया में चैन नसीब न हो।”
जमीन में फसाद फैलाने का गुनाह
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
“बिलाशुबाह लोग जो अल्लाह से पक्का अहद करने के बाद तोड़ डालते हैं
और उन रिश्ते नातों को भी तोड़ डालते हैं जिन को अल्लाह ने जोड़े रखने का हुक़्म दिया है
और ज़मीन में फसाद फैलाते फिरते हैं,
तो ऐसे लोग बड़े ख़सारे (नुकसान उठाने) वाले हैं।”
सोने के आदाब (सुन्नत)
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सोने का इरादा करते
तो अपने दाहने हाथ को दाहने गाल के नीचे रख कर सोते फिर तीन बार यह दुआ पढ़ते :
(Allahumma qinee ‘adhabaka yawma tab’athu ‘ibadaka)
तर्जुमा: (ऐ अल्लाह! मुझे (उस दिन) अपने अ़ज़ाब से बचा, जिस दिन तू अपने बन्दों को उठायेगा।
सूद से बचना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो! तुम कई गुना बढ़ा कर सूद मत खाया करो (क्योंकि सूद लेना मुतलकन हराम है) और अल्लाह तआला से डरते रहो ताके तुम कामयाब हो जाओ।”
नोट: कम या जियादा सुद लेना देना, खाना, खिलाना नाजाइज और हराम है,
कुरआन और हदीस में इस पर बडी सख्त सजा आई है,
लिहाजा हर मुसलमान पर सुदी लेन देन से बचना जरूरी है।’
नमाज़े गुनाहों को मिटा देती हैं
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:
“अगर किसी के दरवाजे पर एक नहर हो और उसमें वह हर रोज़ पाँच बार गुस्ल किया करे, तो क्या उसका कुछ मैल बाकी रह सकता है? सहाबा ने अर्ज किया के कुछ भी मैल न रहेगा।”
आप (ﷺ) ने फर्माया के :
“यही हालत है पाँचों वक्त की नमाज़ों की, के अल्लाह तआला उनके सब बगुनाों को मिटा देता है।”
मौत की आरज़ू कभी मत करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
तकलीफ़ और बीमारी की वजह से मौत की आरज़ू मत करो अगर तुम यही चाहते हो तो इस तरह दुआ करो:
( اللهم أحيني ما كانت المميزة خيزاتی وتولي إذا كانت الوفاة خيراتي )
तर्जमा: ऐ अल्लाह! तू मुझे ज़िन्दा रख जब तक मेरा ज़िन्दा रहना मेरे हक़ में बेहतर हो और मुझे मौत दे अगर मरना मेरे हक़ में बेहतर हो।
हलाल कमाई से मस्जिद बनाने की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जिस ने हलाल कमाई से अल्लाह की इबादत के लिये घर बनाया, तो अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में कीमती मोती और याकूत का शानदार घर बनाएगा।”
आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :
“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)
लोगों से अपनी जरूरत छुपाए रखने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स भूका हो, या उस को कोई और खास हाजत हो और वह अपनी उस भूक और हाजत को लोगों से छुपाए रखे (यानी उन के सामने जाहिर कर के उनसे सवाल न करे) तो अल्लाह तआला के जिम्मे है के उस को हलाल तरीके से एक साल का रिज्क अता फ़रमाए।”
वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक़ वालों के दर्मियान तकसीम करो।”
फायदा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तकसीम करना वाजिब है, बगैर किसी शरई वजह के किसी वारिस को महरूम करना या अल्लाह तआला के बनाए हुए हिस्से से कम देना जाइज नहीं है ।
सदके से शैतान की शिकस्त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब कोई शख्स किसी चीज़ को सदके में निकाल देता है, तो सत्तर शैतानों के जबड़े टूट जाते हैं।”
सब से बड़ा तक़वे वाला कौन है
एक शख्स ने रसूलल्लाह (ﷺ) की खिदमत में आकर अर्ज़ किया:
“ऐ अल्लाह के रसूल लोगों में सब से बड़ा जाहिद कौन है ?”
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“वह आदमी जो कब्र और उस की बोसीदगी को न भूले और दुनिया की जरूरत से ज़ियादा जेब व जीनत को छोड़ दे, बाकी रहने वाली (आखिरत) को फना हो जाने वाली (दनिया) पर तरजीह दे, आने वाले कल को अपनी (जिन्दगी का) दिन शुमार न करे और अपने आप को मुर्दो की फहेरिस्त में शुमार करे (तो यह सबसे बड़ा ज़ाहिद है)”
बुरी तदबीरें करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग बुरी बुरी तदबीरें (बुरी चाल) करते हैं उन को सख्त अज़ाब होगा और उन की सब तदबीरे (प्लानिंग) नाकाम हो जाएँगी।”
दुआ के कलिमात को तीन बार कहना
रसूलल्लाह (ﷺ) दुआ व इस्तिगफार के कलिमात को
तीन तीन मर्तबा दोहराना पसन्द फ़र्माते थे।
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दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”
📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०
नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस
अबु बक्र सिद्दीक (रजी) से रिवायत है की,
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“अगर लोग जालीम को जुल्म करते हुए देखे और उसे न रोके तो करीब है की अल्लाह तआला उन सबको अजाब मे मुब्तला कर देगा।”
मियाँ बीवी अपना राज़ बयान न करें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“कयामत के रोज़ अल्लाह की नज़र में लोगों में सब से बदतरीन वह शख्स होगा, जो अपनी बीवी के पास जाए और उसकी बीवी उसके पास आए; फिर उनमें से एक अपने साथी का राज किसी दूसरे को बताए।”
जहन्नमी हथौड़े
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अगर जहन्नम के लोहे के हथौड़े से पहाड़ को मारा जाए, तो वह रेजा रेजा हो जाएगा, फिर वह पहाड़ दोबारा अपनी असली हालत पर लौट आएगा।”
खुशी के वक्त सज्द-ए-शुक्र अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब खुशी का मौक़ा आता या कोई खुशखबरी सुनाई जाती,
तो आप (ﷺ) सज्दा ए-शुक्र अदा करते।
मय्यित का कर्ज अदा करना
हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के:
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो।
फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफन दफन के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस की। अदायगी में खत्म हो जाए।
छींक आए तो मुंह पर कपड़ा या हाथ रख ले
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब छींक आती,
तो आवाज को आहिस्ता करते और चेहर-ए-मुबारक कपड़े से, या हाथ से ढांक लेते।
हौज़े कौसर क्या है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कौसर जन्नत में एक नहर है, जिस के दोनों किनारे सोने के हैं और वह मोती और याकूत पर बहती है, उस की मिट्टी मुश्क से जियादा खुशबूदार, उस का पानी शहेद से जियादा मीठा और बर्फ से जियादा सफेद है।”
अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।”
📕 सूरह निसा १४
“जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।”
📕 सूर-ए-अहजाब: ३६
“बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता है। और उन के लिये जलील करने वाला अज़ाब तय्यार कर रखा है।”
📕 सूरह अहज़ाब : ५७
यतीमों का माल खाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।”
हलाल रोज़ी कमाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“रोज़ी को दूर न समझो, क्योंकि कोई आदमी उस वक्त तक नहीं मर सकता जब तक के जो रोजी उस के मुक़द्दर में लिख दी गई है, वह उस को न मिल जाए।
लिहाजा रोजी हासिल करने में बेहतर तरीका इख्तियार करो, हलाल रोजी कमाओ और हराम को छोड़ दो।”
वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।”
कद्दू (दूधी) से इलाज
۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,
“मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के
प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे,
उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।”
फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो
बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।
नफा बख्श इल्म के लिए दुआ
हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फर्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थेः
”ऐ अल्लाह ! जो इल्म तूने मुझे दिया है इस से नफ़ा अता फर्मा और मुझे नफ़ा बख्श इल्म अता फ़र्मा और मेरे इल्म में ज़ियादती अता फ़र्मा।”
जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला की इबादत करते रहो, खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो, (इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”
दुआ के वक्त हाथों को उठाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) दुआ के वक्त हाथों को इतना उठाते थे के आपकी बगल मुबारक जाहिर हो जाती थी।
निमोनिया का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने निमोनिया के लिये वर्स, कुस्त और रोग़ने जैतून पिलाने को मुफीद बतलाया है।
फायदा : “वर्स” तिल के मानिंद एक किस्म की घास है, जिस से रंगाई का काम लिया जाता है और “कुस्त” एक खुशबूदार लकड़ी है जिस को ऊदे हिन्दी भी कहते हैं।
वजू के दरमियान की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) वुजू के दौरान यह दुआ पढ़ते थे:
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मेरे गुनाहों को माफ़ फ़र्मा और मेरे घर में वुसअत और रिज्क में बरकत अता फ़र्मा।
इस्लाम पर कायम रहना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है और मरते दम तक इस्लाम पर क़ाएम रहना।”
अल्लाह का सहारा मजबूती से पकड़ लो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“और अल्लाह का सहारा मजबूती से पकड़ लो, वही तुम्हारा काम बनाने वाला है और (जिस का काम बनाने वाला अल्लाह हो तो) अल्लाह तआला क्या ही अच्छा काम बनाने वाला है और क्या ही अच्छा मददगार है।”
वालिद के दोस्तों के साथ अच्छा बर्ताव करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“नेकियों में बेहतरीन नेकी यह है के आदमी अपने वालिद के दोस्तों के साथ अच्छा बर्ताव करे।”
अपने पडोसी को तकलीफ न दे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :
“जो शख्स अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो
उसे चाहिये के अपने पड़ोसी को तकलीफ न दे।”
थोड़ी सी रोज़ी पर रहने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स अल्लाह तआला से थोड़ी रोजी पर राजी रहे, तो अल्लाह तआला भी उसकी तरफ से थोड़े से अमल पर राजी हो जाता हैं।”
सिरका के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।”
फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]
वुजू में चमड़े के मोज़े पर मसह करना
हज़रत अली (र.अ) फ़र्माते हैं :
“मैं ने हुजूर (ﷺ) को मोज़े के ऊपर के हिस्से पर मसह करते देखा।”
नोट: जब किसी ने बावुजू चमड़े का मोज़ा पहेना हो, फिर वुजू टूट जाए,
तो वुजू करते वक्त उन मोजों के ऊपरी हिस्से पर मसह करना जरूरी है।
दुनिया में लगे रहने का वबाल
दुनिया में लगे रहने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं
और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता।
और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है,
तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।”
कलौंजी में मौत के सिवा हर बीमारी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम इस कलौंजी (मंगरैला) को इस्तेमाल करो, क्योंकि इस में मौत के अलावा हर बीमारी से शिफ़ा मौजूद है।”
एक और रिवायत में आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“बीमारियों में मौत के सिवा ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिस के लिये कलौंजी में शिफा नहो।”
औरत के लिये चंद आमाल
रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब औरत पाँच वक्त की नमाज पढती रहे और अपनी इज्जत की हिफाजत करती रहे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करती रहे तो वह जन्नत के जिस दरवाजे से चाहे, दाखिल हो जाए।”
हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है
कुल्लु नफ़्सिन ज़ाइक़त-उल-माैत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(कुल्लु नफ़्सिन ज़ाइक़त-उल-माैत)
हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है और तुम को क़यामत के दिन आमाल का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा, फिर जो शख्स जहन्नम की आग से बचाकर जन्नत में दाखिल कर दिया गया, तो वह कामयाब हो गया।”
इस्मिद सुरमा लगाना
हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) फरमाते हैं के,
“रसूलुल्लाह (ﷺ) से हर रात सोने से पहले तीन मर्तबा इस्मिद सुरमा लगाया करते थे।”
कोई चीज़ ऐब बताए बगैर बेचने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स कोई ऐबदार चीज़ उस का ऐब बताए बगैर बेचेगा, वह बराबर अल्लाह की नाराजगी में रहेगा और फरिश्ते उसपर लानत करते रहेंगे।”
अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत
अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“एक वह दीनार जिसे तुमने अल्लाह के रास्ते में खर्च किया और एक वह दीनार जिसे तुमने किसी गुलाम के आज़ाद करने में खर्च किया और एक वह दीनार जो तुमने किसी ग़रीब को सदका किया और एक वह दीनार जो तुम ने अपने घर वालों पर खर्च किया
तो इन में से उस दीनार का अज्र व सवाव सबसे ज़ियादा है, जो तुमने अपने अहल व अयाल पर खर्च किया।”
बिला शुबा यह कुरआन एक नसीहत है
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“बिला शुबा यह कुरआन एक नसीहत है तो जो शख्स चाहे अपने रब तक पहुँचने का रास्ता इख्तियार कर ले और तुम अल्लाह की मर्जी के बगैर कुछ नहीं चाह सकते, अल्लाह तआला बड़े इल्म व हिकमत का मालिक है।”
सरगोशी करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐसी सरगोशी (खुफिया मश्वरा) सिर्फ शैतान की तरफ से है जो के मुसलमानों को रंज में मुब्तला कर दे, और वह अल्लाह की मशिय्यत व इरादे के बगैर (मुसलमानों को) कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिये।”
कोई शख्स दूसरे के सामने फक्र न करे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तवाजो इख्तियार करो, कोई शख्स दूसरे के सामने फक्र न करे और एक दूसरे पर ज़ियादती करे।”
इस्लाम की दावत को ठुकराना एक बड़ा जुल्म
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”
कुरआन पढ़ना और उस पर अमल करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिसने कुरआन पढ़ा और उसके हुक्मों पर अमल किया, तो उसके माँ बाप को कयामत के दिन ऐसा ताज पहनाया जाएगा, जिस की रोशनी आफताब की रोशनी सभा ज्यादा होगी, अगर वह आफताब तुम्हारे घरों में मौजूद हो।”
तबीअत के मुवाफिक ग़िज़ा से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जब मरीज़ कोई चीज खाना चाहे, तो उसे खिलाओ।”
फायदा: जो गिजा चाहत और तबी अत के तकाजे से खाई जाती है, वह बदन में जल्द असर करती है, लिहाजा मरीज़ किसी चीज़ के खाने का तकाज़ा करे, तो उसे खिलाना चाहिये। हाँ अगर गिजा ऐसी है के जिस से मर्ज बढ़ने का कवी इमकान है, तो जरूर परहेज करना चाहिये।
नमाज़ दीन ऐ इस्लाम का सुतून है
एक आदमी ने आप (ﷺ) से अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल ! इस्लाम में अल्लाह के नजदीक सबसे ज़ियादा पसन्दीदा अमल क्या है ? आप (ﷺ) ने फर्माया :
“नमाज़ को उस के वक्त पर अदा करना और जो शख्स नमाज़ को (जान बूझ कर) छोड़ दे उसका कोई दीन नहीं है, और नमाज़ दीन का सुतून है।”
अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो
और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के
उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है
और अल्लाह से डरते रहो
और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”
परहेज़गारों की नेअमत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“(क़यामत के दिन) परहेज़गार लोग (जन्नत) के सायों में और चशमों में और पसन्दीदा मेवों में होंगे (उन से कहा जाएगा) अपने (नेक) आमाल के बदले में खूब मजे से खाओ पियो, हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं। (और) उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी ख़राबी होगी।”
खाना खिलाने की फ़ज़ीलत
खाना खिलाने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो
अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में
दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।”
मुसीबत या खतरे को टालने की दुआ
जब किसी मुसीबत या बला का अंदेशा हो, तो इस दुआ को कसरत से पढ़े:
“हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है और वह बेहतरीन काम बनाने वाला है, हम उसी पर भरोसा करते हैं।”
शहीद कौन कौन लोग हैं
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“पाँच लोग शहीद हैं। ताऊन में मरने वाला, पेट की बीमारी में मरने वाला, डूब कर मरने वाला, दीवार वग़ैरा के गिरने से मरने वाला और राहे ख़ुदा में कत्ल होने वाला।”
बीवी को उस का महर देना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम लोग अपनी बीवियों को उन का महर खुश दिली से दे दिया करो, अलबत्ता अगर वह अपने महर में से कुछ छोड़ दें, तो उसे लजीज़ और खुशगवार समझ कर व खाओ।”
कब्र का अज़ाब बरहक है
रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :
“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”
📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ)
वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।
पागलपन का इलाज तिब्बे नबवी से
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अजवा (खजूर) जन्नत का फल है और जुनून (पागलपन) का इलाज है।”
हर शख्स मौत के बाद अफसोस करेगा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“हर शख्स मौत के बाद अफसोस करेगा, सहाबा ने अर्ज किया: या रसूलअल्लाह (ﷺ) ! किस बात का अफसोस करेगा? आप (ﷺ) ने फ़र्माया : अगर नेक है, तो जियादा नेकी न करने का अफसोस करेगा और अगर गुनहगार है तो गुनाह से न रूकने पर अफसोस करेगा।“
हर नमाज के बाद तस्बीह फातिमी अदा करना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो हर फ़र्ज नमाज़ के बाद ३३ मर्तबा “सुभानअल्लाह” ३३ मर्तबा “अलहम्दुलिल्लाह” और ३४ मर्तबा “अल्लाहु अकबर” कहता है, वह कभी नुकसान में नहीं रहता।”
तीन उंगलियों से खाना
हजरत कअब बिन मालिक (र.अ) फरमाते हैं :
रसूलुल्लाह (ﷺ) तीन उंगलियों से खाते थे
और जब खाने से फारिग हो जाते तो उंगलियाँ चाट लेते थे।
नोट: खाने के बाद उंगलियों को चाटना सुन्नत है,
लेकिन इस तरह नहीं चाटना चाहिये के देखने वाले को नागवार हो।
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विरासत में लड़की का हिस्सा
विरासत में लड़की का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।”
खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।
नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह
मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है?
हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया :
यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)।
तहज्जुद की निय्यत कर के सोना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो आदमी अपने बिस्तर पर लेटते वक्त रात को उठ कर (तहज्जुद की) नमाज पढने की निय्यत करे फिर नींद के गलबे की वजह से सुबह हो जाए तो निय्यत के मुताबिक उसको नमाज का सवाब मिलेगा और (हुस्ने निय्यत की वजह से) उस का सोना अल्लाह की तरफ से उसके लिये सदक़ा है।”
अहले जन्नत की नेअमतें: परहेज़गारों के लिये अच्छा ठिकाना है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“परहेज़गारों के लिये (आखिरत में) अच्छा ठिकाना है, हमेशा रहने वाले बागात हैं, जिन के दरवाजे उन के लिये खुले हुए होंगे, वह उन बागों में तकिये लगाए बैठे होंगे, वह वहाँ (जन्नत के खादिमों से) बहुत से मेवे और पीने की चीजें मंगाएँगे और उन लोगों के पास नीची नजरों वाली हम उम्र हुरे होंगी।”
सदका-ए-जारिया, नफ़ाबख्श इल्म और नेक औलाद की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जब आदम की औलाद का इंतकाल होता है, तो तीन कामों के अलावा उस के अमल का सिलसिला खत्म हो जाता है : (१) सदका-ए-जारिया (२) वह इल्म जिस से लोग फायदा उठाएँ (३) ऐसी नेक औलाद जो उस के लिये दुआ करती रहे।”
दुनिया की जाहिरी हालत धोका है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“यह लोग सिर्फ दुनियावी ज़िंदगी की ज़ाहिरी हालत को जानते हैं और यह आख़िरत से बिल्कुल ग़ाफिल हैं।” (यानी इन्सान सिर्फ दुनिया की चीजों को जानते और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगे रहते हैं, उन्हें पता ही नहीं है के इस के बाद दूसरी जिंदगी आने वाली है और वह हमेशा हमेशा की जिंदगी है, लिहाजा दुनिया में लगने के बजाए आखिरत की तय्यारी में मशगूल रहना चाहिये।)”
अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना
अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“आप अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म करते रहो और खुद भी नमाज़ के पाबन्द रहिये, हम आपसे रोजी तलब नहीं करते, रोजी तो आप को हम देंगे आर अच्छा अंजाम तो परहेजगारों का है।”
दुनिया चाहने वालों का अन्जाम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो कोई दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द देते हैं फिर हम उस के लिए दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिस में (ऐसे लोग कयामत के दिन) जिल्लत व रुसवाई के साथ ढकेल दिए जाएंगे।”
ऐसी बात क्यों कहते हो जो करते नहीं
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! तुम ऐसी बात क्यों कहते हो जो करते नहीं? यह बात अल्लाह के नजदीक बड़ी नाराजगी की है के तुम ऐसी बातें कहो जिन पर अमल न करो।”
मुजिजात को न मानने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब उन के रसूल उन के पास खुली हुई दलीलें ले कर आए, तो वह लोग अपने उस दुनियावी इल्म पर नाज़ करते रहे, जो उन्हें हासिल था, आखिरकार उनपर वह अज़ाब आ पड़ा जिस का वह मज़ाक़ उड़ाया करते थे।”
आखरी रात में वित्र का मौका ना मिले तो शुरू में ही पढ़ ले
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस को यह अन्देशा हो के वह आखरी रात में नहीं उठ सकेगा तो उस को रात के शुरू ही में वित्र पढ़ लेना चाहिये और जिसको आखरी रात में उठने की पूरी उम्मीद हो तो उसे आखरी रात में वित्र पढ़ना चाहिये।”
अज़ाबे कब्र से बचने की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ कसरत से फ़रमाते थे:
तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मैं अज़ाबे कब्र, अज़ाबे दोजख, ज़िंदगी और मौत के फितने और दज्जाल के फितने से तेरी पनाह चाहता हूँ।
ज़रूरत से ज्यादा सामान शैतान के लिये
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) से फ़र्माया :
“एक बिस्तर आदमी के लिये और एक उसकी बीवी के लिये और तीसरा मेहमान के लिये और चौथा शैतान के लिये होता है।”
सिफारिश पर बतौरे हदिया माल लेना एक गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“किसी ने अपने (मुसलमान) भाई की किसी चीज़ में सिफारिश की और सिफारिश करने पर सामने वाले ने उस को कोई चीज बतौरे हदिया पेश की और उस ने कुबूल कर ली, तो वह सूद के बहुत बड़े दरवाजे पर आ पहुँचा।”
किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।”
ककड़ी के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) से खजूर के साथ ककड़ी खाते थे।
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) ककड़ी के फवाइद में लिखते हैं के यह मेअदे की गरमी को बुझाती है और मसाना के दर्द को खत्म करती है।
हज की फरज़ियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ऐ लोगो ! तुम पर हज फर्ज़ कर दिया गया है, लिहाजा उस को अदा करो।”
क़यामत में झूटे खुदाओं की बेबसी
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिसको तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वह खजूर की गुठली के एक छिलके का भी इख्तियार नहीं रखते, अगर तुम उनको पुकारो भी, तो वह तुम्हारी पुकार सुन भी नहीं सकते और अगर (बिलफर्ज़) सुन भी लें तो तुम्हारी ज़रूरत पूरी न कर सकेंगे और कयामत के दिन तुम्हारे शिर्क की मुखालफत व इन्कार करेंगे।”
अल्लाह की राह में खर्च करे
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम को क्या हो गया के तुम अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते, हालां के आसमान और जमीन की सब मीरास अल्लाह ही की है।”
कामयाब कौन?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कामयाब हो गया वह शख्स जिसने इस्लाम क़बूल किया और उसको जरूरत के बकद्र रोज़ी मिली और अल्लाह तआला ने उस को दी हुई रोज़ी पर कनाअत करने वाला बना दिया।”
मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल
खीरा (ककड़ी) के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।
फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।
रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले,
सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ?
फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”