रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब औरत पाँच वक्त की नमाज पढती रहे और अपनी इज्जत की हिफाजत करती रहे और अपने शौहर की फरमा बरदारी करती रहे तो वह जन्नत के जिस दरवाजे से चाहे, दाखिल हो जाए।”
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रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब औरत पाँच वक्त की नमाज पढती रहे और अपनी इज्जत की हिफाजत करती रहे और अपने शौहर की फरमा बरदारी करती रहे तो वह जन्नत के जिस दरवाजे से चाहे, दाखिल हो जाए।”