इंसाफ न करने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स मेरी उम्मत की किसी छोटी या बड़ी जमात का जिम्मेदार बने फिर उनके दर्मियान अदल व इन्साफ न करे तो अल्लाह तआला उसको औंधे मुंह जहन्नम में डाल देगा।“
ईमान की बरकत से जहन्नम से छुटकारा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
जब जन्नती जन्नत में चले जाएंगे और जहन्नमी जहन्नम में चले जाएंगे, तो अल्लाह तआला फरमाएगा:
“जिस के दिल में राई के दाने के बराबर भी ईमान हो उसे भी जहन्नम से निकाल लो, चुनान्चे उन लोगों को भी निकाल लिया जाएगा, जिनकी यह हालत होगी के वह जल कर काले सियाह हो गए होंगे। उसके बाद उन को “नहरे हयात” में डाला जाएगा, तो इस तरह निकल आएंगे जैसे दाना सैलाब के कड़े में (खाद और पानी मिलने की वजह से) उग आता है।”
शराब, मुरदार और खिन्ज़ीर हराम है
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला ने शराब और उस की कीमत, मुरदार और उसकी कीमत, खिन्जीर और उसकी क़ीमत को हराम कर दिया है।”
कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।”
माल जमा करने का नुकसान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम माल व दौलत जमा न करो, क्योंकि उस की वजह से तुम दुनिया ही की तरफ माइल हो जाओगे।”
हर नबी का हौज होगा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हर नबी के लिये एक हौज़ होगा और अम्बिया आपस में फख्र करेंगे के किस के हौज़ पर ज़ियादा उम्मती पानी पीने के लिये आते हैं।
मुझे उम्मीद है के मेरे हौज पर आने वालों की तादाद सबसे ज़ियादा होगी।”
जन्नत का मुस्तहिक
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो आदमी इस हाल में मर जाए के वह तकब्बुर, खयानत और कर्ज से बरी हो, तो जन्नत में दाखिल होगा।”
अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।”
वालिदैन की नाफरमानी और जुल्म करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम जुल्म व सितम करने से बचो ! क्योंकि जुल्म व सितम की सज़ा दूसरी सजाओं के मुकाबले में सबसे जल्दी मिलती है। और वालिदैन की नाफर्मानी से बचो! अल्लाह की कसम वालिदैन का नाफ़र्मान जन्नत की खुश्बू भी नहीं पाएगा। जब के जन्नत की खुश्बू एक हजार साल की दूरी से महसूस होती है।”
मस्जिद में दाखिल होने के लिए पाक होना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“किसी हाइजा औरत और किसी जनबी : यानी नापाक आदमी के लिए मस्जिद में दाखिल होने की बिल्कुल इजाजत नहीं है।”
📕 अबू दाऊद : २३२, अन आयशा (र.अ)
वजाहत: मस्जिद में दाखिल होने के लिये हैज व निफ़ास और जनाबत से पाक होना जरुरी है।
इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।”
कयामत किस दिन कायम होगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम्हारे दिनों में अफजल दिन जुमा का दिन है,
इसी रोज़ हज़रत आदम (अ.) को पैदा किया गया,
इसी रोज़ उन का इन्तेक़ाल हुआ,
इसी रोज सूर फूंका जाएगा और
इसी दिन क़यामत कायम होगी।”
दुनिया से बेरगबती रखने वाले मोमिन से दोस्ती करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जब तुम किसी ऐसे मोमिन को देखो जिसे दुनिया से बेरगबती और कम बोलने की दौलत दी गई है तो तुम उस के पास रहा करो, इस लिये के वह हिकमत की बातें करता है।”
विरासत में लड़की का हिस्सा
विरासत में लड़की का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।”
खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।
अहले ईमान और क़यामत का दिन
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हज़ार साल के बराबर दिन (यानी क़यामत) के बारे में पूछा गया के वह कितना लम्बा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“उस ज़ात की कसम जिस के कब्जे में मेरी जान है ! वह दिन मोमिन के लिये इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में यह दुनिया में फर्ज़ नमाज अदा त किया करता था।”
दुनिया का कोई भरोसा नहीं
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“इस दुनिया की मिसाल उस कपड़े की सी है, जिस को शुरू से काट दिया जाए और आखीर में एक धागे पर लटका हुआ रह जाए, तो वह धागा कभी भी टूट सकता है। (इसी तरह इस दुनिया का कोई ठिकाना नहीं, कभी भी खत्म हो जाएगी)।”
खुजली का इलाज
हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के :
रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।”
फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।
किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।”
फकीरी और कुफ्र से पनाह मांगने की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) इस दुआ को पढ़ कर कुफ्र और फक्र से पनाह मांगते:
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मैं कुफ्र,फक्र व फाका और कब्र के अज़ाब से तेरी पनाह चाहता हूँ।
आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह
आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह
रसलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“हर पीर व जुमेरात को (अल्लाह की बारगाह में) आमाल पेश किए जाते है,
अल्लाह तआला उन दिनों में हर ऐसे आदमी की मगफिरत
फर्मा देता है जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं करता मगर
( उन दो आदमियों की मगफिरत नहीं करता ) जिन के दर्मियान दुश्मनी हो।
अल्लाह तआला फर्माता है जब तक यह दोनों
सुलह व सफाई न कर लें उन को उसी हाल पर छोड़े रखो।”
अल्लाह के ज़िक्र की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स सुबह को सौ मर्तबा और शाम को सौ मर्तबा “सुब्हान अल्लाही वबिहम्दिहि” पढ़े, उस के गुनाहों की मग़फ़िरत कर दी जाएगी ख़्वाह उस के गुनाह समुन्दर के झाग से ज़्यादा हों।”
सिरका के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।”
फायदा : मुहद्दिसीन हज़रात कहते हैं के सिरका तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वरम नहीं होने देता, खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुन्सियों को दूर करता है। [अलइलाजुन नबी]
फज़्र और अस्त्र की नमाज़ पाबन्दी से अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हरगिज़ वह आदमी जहन्नम में दाखिल नहीं हो सकता, जो सूरज निकलने से पहले फज़्र की नमाज और सूरज गुरूब होने से पहले अस्र की नमाज़ पढ़े।”
जहन्नम के दरवाजे का फासला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जहन्नम के सात दरवाजे हैं, हर दो दरवाजों के दर्मियान का फासला एक सवार आदमी के सत्तर साल चलने के बराबर है।”
जमात से नमाज़ अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जिस ने तक्बीरे ऊला के साथ चालीस दिन तक अल्लाह की रज़ा के लिए जमात के साथ नमाज़ पढी उस के लिये दोजख से नजात और निफाक से बरात के दो परवाने लिख दिये जाते हैं।”
जो कुछ खर्च करना है दुनिया ही में कर लो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“हमने तुमको जो कुछ दिया है, उसमें से खर्च करो इससे पहले के तुम में से किसी को मौत आ जाए और फिर (मौत को देख कर ) कहने लगे के ऐ मेरे रब ! तूने मुझ को और थोड़े दिनों की मोहलत क्यों न दी, ताके खूब खर्च (सदका, खैरात) कर के नेक लोगों में शामिल हो जाता।”
नमाज़ छोड़ने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २७
“नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।” 📕 मुस्लिम : २४६
“ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।” 📕 इब्ने माजा : १०७८
तक़दीर पर ईमान लाना
हर चीज़ तकदीर से है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर ही से है)।”
वजाहत: तकदीर कहते है के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उसकी मशिय्यत से है, हमारे ऊपर उसका यक़ीन रखना और उसपर ईमान लाना फर्ज है।
औरतों का खुशबु लगाकर बाहर निकलने का गुनाह
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”
📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)
ज़ानिया: जीना करने वाली खातून
हँसाने के लिये झूट बोलने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“उस शख्स के लिये हलाकत है, जो लोगों को हँसाने के लिये कोई बात कहे और उसमें झूट बोले, उसके लिये हलाकत है, हलाकत है।”
औरत के लिये चंद आमाल
रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब औरत पाँच वक्त की नमाज पढती रहे और अपनी इज्जत की हिफाजत करती रहे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करती रहे तो वह जन्नत के जिस दरवाजे से चाहे, दाखिल हो जाए।”
नमाज़ छोड़ने का नुकसान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स की एक नमाज़ भी फौत हो गई वह ऐसा है के गोया उस के घर के लोग और माल व दौलत सब छीन लिया गया।”
गाय के दूध में शिफा है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“गाय का दूध इस्तेमाल किया करो, क्योंकि वह हर किस्म के पौधों को चरती है (इस लिए) उसके दूध में हर बीमारी से शिफ़ा है।”
अस्र की नमाज़ की फज़ीलत
एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अस्र की नमाज़ पढ़ाई और फिर लोगों की तरफ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाया –
“यह नमाज़ तुमसे पहले वाले लोगों पर भी फ़र्ज़ की गई थी, मगर उन्होंने इस को ज़ाय कर दिया, लिहाज़ा सुनो! जो इसको पाबन्दी से पढ़ता रहेगा उसको दोहरा सवाब मिलेगा।”
अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।”
दाढ़ी रखने की अहमियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मूंछों को कतरवाओ और दाढ़ी को बढ़ाओ।”
वजाहत: दाढी रखना शरीअते इस्लाम में वाजिब और इस्लामी शिआर में से है इस लिये तमाम मुसलमानों के लिये उस पर अमल करना इन्तेहाई जरूरी है।
सजदा-ए-तिलावत की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) कुआन मजीद की तिलावत करते हुए आयते सज्दा पर पहुँचते तो इस दुआ को सज्दा-ए-तिलावत में पढ़ा करते –
(سجدہ وجهى على خلقه ومتى وبصره بحوله وقوته )
तर्जमा – मेरे चेहरे ने उस जात के लिये सज्दा किया जिसने उस को पैदा किया और अपनी कुदरत व कुव्वत से उसके कान और आँख खोले।
तहज्जुद की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”
पानी न मिलने पर तयम्मुम करना
आख़िरत में काफिर की बदहाली
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“क़यामत के दिन काफिर अपने पसीने में डूब जाएगा, यहाँ तक के वह पुकार उठेगा: ऐ मेरे परवरदिगार! जहन्नम में डालकर मुझे इस (अजाब) से नजात दे दीजिये।”
दुनिया में चैन व सुकून नहीं है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“खबरदार ! दुनिया के बारे में जो कुछ मैं जानता हूँ, अगर तुम भी जानने लगो,
तो तुम्हें कभी दुनिया में चैन नसीब न हो।”
मय्यित का कर्ज अदा करना
हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के:
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो।
फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफन दफन के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस की। अदायगी में खत्म हो जाए।
बीवी को उस का महर देना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम लोग अपनी बीवियों को उन का महर खुश दिली से दे दिया करो, अलबत्ता अगर वह अपने महर में से कुछ छोड़ दें, तो उसे लजीज़ और खुशगवार समझ कर व खाओ।”
सच्चे लोगों के साथ रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो! अल्लाह तआला से डरते रहो और सच्चे लोगों के साथ रहो।”
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआला रोज़े क़यामत 3 तरह के लोगो से न कलाम करेगा और न ही उनकी तरफ नज़रे रेहमत से देखेगा, और उनको दर्दनाक अजाब में मुब्तेला करेगा, और वो 3 ये लोग होंगे:
“बुढा जानी, झूठा बादशाह और मुतक्कबिर फ़क़ीर।”
मुस्कुराते हुए मुलाकात करना
हजरत जरीर (र.अ) के फर्माते हैं के मेरे इस्लाम लाने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे कभी भी किसी भी वक्त अपने पास हाजिर होने से नहीं रोका और जब भी मुझे देखते तो आप मुस्कुराते थे।
इस्लाम पर कायम रहना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है और मरते दम तक इस्लाम पर क़ाएम रहना।”
मुत्तक़ी और परहेज़गारों का इनाम
क़ुरआन में अल्लाह तआला ने इर्शाद फ़रमाया है:
“जो लोग परहेज़गारी और तक़वा के पाबंद थे, अल्लाह तआला उन को कामयाबी के साथ जहन्नम से बचा लेगा, न उन को किसी तरह की तकलीफ़ पहुँचेगी और न वह कभी ग़मगीन होंगे।”
दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते,
तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते,
बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते
और “अस्सलामु अलैकुम” फ़रमाते।
नफ़्स की बुराई से पनाह माँगने की दुआ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने हजरत इमरान बिन हुसैन (र.अ) के वालिद को यह दुआ सिखाई:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मेरे दिल में भलाई डाल दे और मेरे नफ़्स की बुराई से मुझे बचा दे।
तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो मैं तुम्हारी दुआ कबूल करूँगा, बिला शुबा जो लोग मेरी इबादत करने से एराज़ करते हैं, वह अन्ज़रीब ज़लील हो कर जहन्नम में दाखिल होंगे।”
दुआ के वक्त हाथों को उठाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) दुआ के वक्त हाथों को इतना उठाते थे के आपकी बगल मुबारक जाहिर हो जाती थी।
डर और घबराहट की दुआ
डर और घबराहट की दुआ
एक शख्स ने हुज़ूर (ﷺ) से डर और वहेशत की शिकायत की तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: यह पढ़ो –
فَتَعَالَى اللَّهُ الْمَلِكُ الْحَقُّ ۖ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ
(फ़ताआला अल्लाहु अलमालिकु अलहक़्क़ु ला इलाहा इल्ला हुवा रब्बू अलअर्शी अलक़रीमी)
तर्जमा: उस मुकद्द्स बादशाह की पाकी बयान करता हूँ जो फरिश्तों और रूह का रब है उसकी इज़्ज़त व ज़बरूत से ज़मीन व आसमान रौशन हैं।
क़यामत के दिन इन्सान के आज़ा की गवाही
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“जिस दिन अल्लाह के दुश्मन (यानी कुफ्फार)
दोज़ख की तरफ जमा
(करने के मौकफ में) लाएंगे,
फिर वह रोके जाएँगे (ताके बाकी आजाएँ)
यहाँ तक के जब वह उसके करीब आजाएँगे
तो उनके कान, उनकी आँखें और उनकी खाल,
उनके खिलाफ उन के
किये हुए आमाल की गवाही देंगी।”
जन्नत का मौसम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”
हर एक को नाम-ए-आमाल के साथ बुलाया जाएगा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“वह दिन याद करने के काबिल है, जिस दिन तमाम आदमियों को उनके नाम-ए-आमाल के साथ मैदाने हश्र में बुलाएंगे, फिर जिनका नाम-ए-आमाल उन के दाहिने हाथ में दिया जाएगा, तो वह (खुश हो कर) अपने नाम-ए-आमाल को पढ़ने लगेंगे उन पर एक धागे के बराबर भी जुल्म नहीं किया जाएगा।”
मस्जिद में दुनिया की बातें करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“एक जमाना ऐसा आएगा के लोग मस्जिद में हलके लगाकर दुनियावी बातें करेंगे, तुमको चाहिये के उन लोगों के पास बिल्कुल न बैठो, अल्लाह को उन लोगों से कोई वास्ता नहीं।”
आधी धुप और आधी छाँव में न बैठे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी जगह बैठने से मना फरमाया है के जहाँ बदन का कुछ हिस्सा साए में हो और कुछ हिस्सा धूप में हो।
वजाहत: तिब्बी एतेबार से एक साथ धूप और साए में बैठना सेहत के लिये मुजिर है।
जन्नती का ताज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अहले जन्नत के सर पर ऐसे ताज होंगे, जिन का अदना से अदना मोती भी मशरिक व मग़रिब के दर्मियान की चीज़ों को रौशन कर देगा।”
औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है
۞ हदीस: हज़रत आयशा रज़ि० ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा के
औरत पर तमाम लोगों में से किसका हक़ ज़्यादा है?
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है।”
फिर हज़रत आयशा रज़ि० ने पूछा: मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ किसका है?
तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ उस की माँ का है।“
पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन साथी (दोस्त) वह है, जो अपने साथी के लिये बेहतर हो और अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के हक़ में अच्छा हो।”
दुनिया से बेहतर आख़िरत का घर है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“दुनिया की जिन्दगी सिवाए खेल कूद के कुछ भी नहीं और आखिरत का घर मुत्तकियों (यानी अल्लाह तआला से डरने वालों) के लिये बेहतर है।”
नमाज़ी पर जहन्नम की आग हराम है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स पाँचों नमाजों की इस तरह पाबंदी करे के वजू और औक़ात का एहतेमाम कर, और सज्दा अच्छी तरह करे और इस तरह नमाज पढने को अपने जिम्मे अल्लाह तआला का समझे, तो उस आदमी को जहन्नम की आग पर हराम कर दिया जाएगा।”
अल्लाह की चाहत दुनिया नहीं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।”
फायदा: इंसान हर वक़्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगा रहता है, हालांकि अल्लाह तआला चाहते हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र ज्यादा की जाए, क्योंकि आखिरत में हमेशा रहना है।
सिला रहमी करना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।”
फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
हर शख्स मौत के बाद अफसोस करेगा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“हर शख्स मौत के बाद अफसोस करेगा, सहाबा ने अर्ज किया: या रसूलअल्लाह (ﷺ) ! किस बात का अफसोस करेगा? आप (ﷺ) ने फ़र्माया : अगर नेक है, तो जियादा नेकी न करने का अफसोस करेगा और अगर गुनहगार है तो गुनाह से न रूकने पर अफसोस करेगा।“
अपने पडोसी को तकलीफ न दे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :
“जो शख्स अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो
उसे चाहिये के अपने पड़ोसी को तकलीफ न दे।”
बुराई से न रोकने का वबाल
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो क़ौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं, उन में ऐसे समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद फैलाने से मना करते, सिवाए चन्द लोगों के जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।”
खुलासा: मतलब यह है के हर एक के लिये भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना ज़रूरी है वरना अज़ाब में मुब्तला कर दिया जाएगा।
अल्लाह तआला अपने बंदे से क्या कहता है?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अल्लाह तआला फ़र्माता है : ऐ इब्ने आदम ! तू मेरी इबादत के लिए फारिग हो जा, मैं तेरे सीने को मालदारी से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को खत्म कर दूंगा और अगर ऐसा नहीं करेगा, तो मैं तेरे सीने को मशगूली से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को बंद नहीं करूंगा।”
अल्लाह तआला अद्ल व इंसाफ का हुक्म देता है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह तआला अद्ल व इंसाफ और अच्छा सुलूक करने का और रिश्तेदारों को माली मदद करने का हुक्म देता है और बेहयाई, नापसन्द कामों और जुल्म व ज़ियादती से मना करता है, वह तुम्हें ऐसी बातों की नसीहत करता है, ताके तुम याद रखो।”
कद्दू (दूधी) से इलाज
۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,
“मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के
प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे,
उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।”
फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो
बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।
वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम्हारे रब (अल्लाह) ने फैसला कर दिया है उसके के अलावा किसी और की इबादत न करो और वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो।”
खुलासा: माँ बाप की खिदमत करना और उनके साथ अच्छा बरताव करना फर्ज है।
अगर कोई फासिक खबर लाये तो तहक़ीक़ किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ऐ ईमान वालो! अगर कोई फासिक तुम्हारे पास कोई खबर, लेकर आए, तो उस की तहक़ीक़ कर लिया करो, कहीं ऐसा न हो, के तुम किसी कौम को अपनी ला इल्मी से कोई नुकसान पहुँचादो, फिर तुम को अपने किये पर पछताना पड़े।”
बुखार व दीगर बीमारियों से नजात
हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ.) फ़रमाते हैं के :
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को बुखार और दूसरी तमाम बीमारियों से नजात के लिये यह दुआ बताई:
तर्जमा : मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ, हर जोश मारने वाली रग की बुराई से और आग की गर्मी की बुराई से।
शराबी की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने शराबनोशी की, अल्लाह तआला चालीस रात तक उस से खुश नहीं होगा। अगर वह (उसी हाल में) मर गया तो कुफ्र की हालत में मरेगा और अगर तौबा कर ली तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़र्माएगा और अगर फिर शराब पी तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों का पीप पिलाएगा।”
किसी के सतर को देखने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।”
सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन का हिस्सा, गुप्त अंग
इल्म की फजीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“इल्म की फजीलत इबादत की फजीलत से बेहतर है
और दीन में बेहतरीन चीज़ तक़वा व परहेजगारी है।”
आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :
“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)
गुस्ल करने का सुन्नत तरीका
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते,
तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते,
फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते,
फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते,
फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते,
फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते।
जहन्नम का जोश
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत पुकारेंगे। (जैसा के मुसीबत में लोग मौत की तमन्ना करते हैं)।”
माँगने वाले को नरमी से जवाब देना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“माँगने वाले को नरमी से जवाब देना और उस को माफ कर देना उस सदके और ख़ैरात से बेहतर है, जिस के बाद तकलीफ पहुँचाई जाए, (याद रहे) अल्लाह तआला बड़ा बे नियाज और ग़ैरतमन्द है।”
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।”
(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया?
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया, के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाज़िल हुआ है, उसके सामने झुक जाएँ। और वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी।”
यानी वह वक़्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उसके सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”
हर बीमारी का इलाज
एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी:
तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई हो, अल्लाह के नाम से दम करता हूँ, अल्लाह आप को शिफा दे।
अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत
अपने घरवालों पर खर्च करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“एक वह दीनार जिसे तुमने अल्लाह के रास्ते में खर्च किया और एक वह दीनार जिसे तुमने किसी गुलाम के आज़ाद करने में खर्च किया और एक वह दीनार जो तुमने किसी ग़रीब को सदका किया और एक वह दीनार जो तुम ने अपने घर वालों पर खर्च किया
तो इन में से उस दीनार का अज्र व सवाव सबसे ज़ियादा है, जो तुमने अपने अहल व अयाल पर खर्च किया।”
दिल की कमज़ोरी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“तुम लोग सन्तरे का इस्तेमाल किया करो, क्योंकि यह दिल को मज़बूत बनाता है।”
फायदा : मुहद्दिसीन तहरीर फ़रमाते हैं के सन्तरे का जूस पेट की गन्दगी को दूर करता है, क़े और मतली को खत्म करता है और भूक बढ़ाता है।
जहन्नम की आग की सख्ती
जहन्नम की आग की सख्ती
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“दोजख को एक हजार साल तक दहकाया गया, तो वह लाल हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो वह सफेद हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो अब वह बहुत जियादा काली हो गई।”
जख्म वगैरह का इलाज
हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं :
अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते:
तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए।
नेक और अच्छे काम न करने की कसमें मत खाओ
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
“नेकी और परहेज़गारी इख्तियार करने और लोगों के दर्मियान सुलह कराने में अल्लाह को अपनी कस्मों में आड मत बनाया करो। (यानी नेक और अच्छे काम न करने की कसम मत खाओ) बेशक अल्लाह तआला सुनने वाला और जानने वाला है।”
नमाज़ में सुस्ती करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐसे नमाजियों के लिए बड़ी खराबी है, जो अपनी नमाजों की तरफ़ से गफ़लत व सुस्ती बरतते हैं, जो सिर्फ रियाकारी करते हैं।”
अज़ान का जवाब दे कर दुआ करने की फ़ज़ीलत
एक आदमी ने अर्ज किया: “या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मोअज्जिन हज़रात फजीलत में हम से आगे बढ गए।
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम भी इसी तरह अज़ान का जवाब दिया करो, जिस तरह वह अजान देते है फिर जब तुम फारिग़ हो जाओ तो अल्लाह तआला से दुआ करो, तुम्हारी दुआ पूरी होगी!”
कयामत के दिन के सवालात
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे
जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए।
(1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया।
(2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया।
(3) माल कहाँ से कमाया
(4) कहाँ खर्च किया।
(5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया।
कब्र की पुकार
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“कब्र रोज़ाना पुकार कर कहती है, मैं तन्हाई का घर हूँ, मैं मिट्टी का घर हूँ, मैं कीड़े मकोड़े का घर हूँ।”
अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“तुम लोग अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो,
अपने आप को अपने हाथों से हलाकत में न डालो
और खुलूस से काम किया करो,
क्योंकि अल्लाह तआला!
अच्छी तरह अमल करने वालों को पसन्द करता है।”
बाएँ हाथ से ना खाएं और ना पियें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम में से कोई अपने बाएँ हाथ से हरगिज़ न खाए और न बाएँ हाथ से पिये, क्योंकि शैतान अपने बाएँ हाथ से खाता पीता है।”
कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”
फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।
अल्लाह की राह में खर्च करे
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम को क्या हो गया के तुम अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते, हालां के आसमान और जमीन की सब मीरास अल्लाह ही की है।”
छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करो, अपनी आँखों को नीचे रखो और अपने हाथों को (जुल्म व सितम से) रोके रखो।”
कर्जो और ग़मों से नजात की दुआ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने कर्ज़ों और ग़मों से छुटकारे के लिये सुबह व शाम यह दुआ पढ़ने के लिये फर्माया :
“Allahumma inni a’udhu bika minal-hammi wal hazan, wa a’udhu bika minal-‘ajzi wal-kasal wa a’udhu bika minal-jubni wal-bukhul wa a’udhu bika min ghalabatid-dayn wa qahrir-rijal.”
तर्जुमा: ए अल्लाह मैं पनाह चाहता हु रंज और ग़म से, और पनाह चाहता हूँ आजज़ी और कुसली (सुस्ती) से और पनाह चाहता हूँ बुख़ल और बुज़दिली से और पनाह चाहता हु कसरत ए क़र्ज़ से और लोगों के ग़लबा पाने से।
रात के आखरी हिस्से में अल्लाह अपने बन्दे से करीब होता हैं
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह तआला रात के आखरी हिस्से में बन्दे से बहुत जियादा करीब होता हैं, अगर तुमसे हो सके, तो उस वक़्त अल्लाह तआला का जिक्र किया करो।”