रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते, तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते, फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते, फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते, फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते, फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते।
और देखे :
- सज्दा करने का सुन्नत का तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सज्दा फरमाते तो अपनी नाक और पेशानी को जमीन पर रखते और अपने बाजुओं को पहलू से अलग रखते और अपनी हथेलियों को कांधे के बराबर रखते।
- गुस्ल में पूरे बदन पर पानी बहाना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "(जिस्म) के हर बाल के नीचे नापाकी होती है, लिहाजा तुम बालों को धोओ और बदन को अच्छी तरह साफ करो।" खुलासा: गुस्ल में पूरे बदन पर पानी पहुँचाना फर्ज है।
- माफ़ करने की सुन्नत हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपनी जात के लिए कभी किसी से कोई बदला नहीं लिया।”
- सुन्नत पर अमल करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो मेरी उम्मत में बिगाड़ के वक्त मेरी सुन्नत को मजबूती से थामे रहेगा, उसके लिये एक शहीद का सवाब है।"
- कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के: "ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।" 📕 बुख़ारी: ६३०७
- हलाल रोज़ी कमाओ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "रोज़ी को दूर न समझो, क्योंकि कोई आदमी उस वक्त तक नहीं मर सकता जब तक के जो रोजी उस के मुक़द्दर में लिख दी गई है, वह उस को न मिल जाए। लिहाजा रोजी हासिल करने में बेहतर तरीका इख्तियार करो, हलाल रोजी कमाओ…
- रुकू व सज्दे में उंगलियों को रखने का तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब रुकू फ़र्माते तो (हाथों की) उंगलियों को खुली रखते और जब सज्दा फरमाते, तो उंगलियाँ मिला लेते।
- दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते, तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते, बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते और "अस्सलामु अलैकुम" फ़रमाते। 📕 अबू दाऊद: 5986, अन अब्दुल्लाह बिन बुन (र.अ)
- इशा के बाद जल्दी सोने की सुन्नत रसूलुल्लाह (ﷺ) इशा से पहले नहीं सोते थे और इशा के बाद नहीं जागते थे (बल्के सो जाते थे)
- एक सुन्नत : इस्तिन्जे के बाद वुजू करना हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बैतुलखला से निकलते तो वुजू फरमाते।
- किला फतह होना जंगे खैबर के दिन चन्द आदमी रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आ कर भूक की शिकायत करने लगे और रसूलुल्लाह (ﷺ) से सवाल करने लगे, लेकिन हुजूर (ﷺ) के पास कोई चीज़ न थी, तो आप ने अल्लाह तआला से दुआ की : या अल्लाह ! तू इन की हालत से…
- पानी न मिलने पर तयम्मुम करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "पाक मिट्टी मुसलमान का सामाने तहारत है, अगरचे दस साल तक पानी न मिले, पस जब पानी पाए तो चाहिये के उस को बदन पर डाले यानी उस से वुजू या ग़ुस्ल कर ले। क्योंकि यह बहुत अच्छा है।"
- दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।" नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।
- काफिर का मरऊब हो जाना हज़रत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ एक ग़ज़वे में जा रहे थे, रास्ते में एक जगह पड़ाव डाला, तो लोग इधर उधर दो दो, तीन तीन की जमात बना कर दरख्तों के नीचे आराम करने लगे, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी एक दरख्त के नीचे आराम फरमाने…
- मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है" तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।" 📕 बैहेकी फी शोअबिलईमान: १९५८,अन इब्ने…
- हज्जतुल विदाअ फतहे मक्का के बाद जब पूरे अरब में मजहबे इस्लाम की खूबियाँ अच्छी तरह वाजेह हो गई और लोग फौज दर फ़ौज शिर्क व बुतपरस्ती को छोड़ कर इस्लाम कबूल करने लगे, तो अब वक़्त था के हुज़र (ﷺ) खुद अमली तौर पर फरीज़-ए-हज को अन्जाम देकर इस्लाम के इस…
- ग़लत हदीस बयान करने की सज़ा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "मेरी हदीस को बयान करने में एहतियात करो और वही बयान करो जिस का तुम्हें यक़ीनी इल्म हो, जो शख्स जान बूझ कर मेरी तरफ से कोई गलत बात बयान करे, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।"
- मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "खुशामदीद" (यानी आपका आना मुबारक हो।) 📕 बुखारी: ५३ फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।
- हज के मौसम में इस्लाम की दावत देना जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने देखा के कुफ्फारे कुरैश इस्लाम कबूल करने के बजाए बराबर दुश्मनी पर तुले हुए हैं। तो हुजूर (ﷺ) हज के मौसम के इंतज़ार में रहने लगे और जब हज का मौसम आ जाता और लोग मुख्तलिफ इलाकों से मक्का आते, तो ऐसे मौके पर रसूलुल्लाह (ﷺ)…
- हर बीमारी का इलाज एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी: तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह…