मौसमी फलों के फवाइद

कुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“जब वह दरख्त फ़ल ले आएँ तो उन्हें खाओ।”

📕 सूरह अनाम: १४१

फायदा: मौसमी फलों का इस्तेमाल सेहत के लिए बेहद मुफीद है और बहुत सी बीमारियों से हिफ़ाज़त का ज़रिया है, लिहाज़ा अगर गुंजाइश हो तो ज़रूर इस्तेमाल करना चाहिए।

कयामत के दिन पहाड़ों का हाल

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“लोग आपसे पहाड़ों के बारे में सवाल करते हैं। तो आप (ﷺ) फ़र्मा दीजिये के मेरा रब उन को बिल्कुल उड़ा देगा, फिर वह जमीन को हमवार मैदान कर देगा, तुम उस में कोई टेढ़ापन और बुलन्दी नहीं देखोगे।”

📕 सूरह ताहा : 105 ता 107

गुस्ल करने का सुन्नत तरीका

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते,
तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते,
फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते,
फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते,
फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते,
फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते।

📕 मुस्लिमः १८

कुरआन का मजाक उड़ाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जब इन्सान के सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है के यह पहले लोगों के किस्से कहानियां हैं। हरगिज़ नहीं! बल्के उन के बुरे कामों के सबब उन के दिलों पर जंग लग गया है।”

📕 सूरह मुतफ्फिफीन: १३ ता १४

सलाम करने पर नेकियाँ

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अस्सलामु अलैकुम कहा, उस के लिये दस नेकियाँ लिखी जाती हैं
और जिस ने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह कहा, उस के लिये बीस नेकियाँ लिखी जाती है,
और जिसने अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाह व बरकातुह कहा, उस के लिये तीस नेकियाँ लिखी जाती हैं।”

📕 तबरानी कबीर : ५४२९

बातिल परस्तों के लिये सख्त अज़ाब है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो लोग खुदा के दीन में झगड़ते हैं, जब के वह दीन लोगों में मक़बूल हो चुका है (लिहाजा) उन लोगों की बहस उन के रब के नजदीक बातिल है, उनपर खुदा का ग़ज़ब है और सख्त अजाब (नाज़िल होने वाला है)।”

📕 सूरह शूरा :१६

दुआए जिब्रईल से इलाज

हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है के जब रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमार हुए,
तो जिब्रईल ने इस दुआ को पढ़ कर दम किया:

[ ” اللہ کے نام سے ، وہ آپ کو بچائے اور ہر بیماری سے شفا دے اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرے اورنظر لگانے والی ہر آنکھ کے شرسے ( آپ کومحفوظ رکھے ۔ ) ” ]

तर्जुमा: “अल्लाह के नाम पर, वह आपको बचाये और आपको हर बीमारी और हसद की बुराई से, जब वह हसद करता है और हर आंख की बुराई से (जो आपको महफूज़ रखे)।”

📕 मुस्लिम: ५६९९

खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

इन्सान को अपने खाने में गौर करना चाहिये के हम ने खूब पानी बरसाया, फिर हम ने अजीब तरीके से जमीन को फाड़ा, फिर हम ने उस ज़मीन में से ग़ल्ला, अंगूर, तरकारी, ज़ैतून और खजूर, घने बाग़, मेवे और चारा पैदा किया। यह सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के फायदे के लिये हैं।”

📕 सूरह अबस: २४ ता ३२

मौत की सख्ती के वक़्त की दुआ

हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने मौत से पहले यह दुआ पढ़ी थी :

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मौत की सख्तियों और बेहोशियों पर मेरी मदद फ़र्मा।

📕 तिर्मिजी : ९७८

सहाबा की सीरत को दागदार बनाने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मेरे सहाबा के बारे में अल्लाह से डरते रहना, मेरे बाद उनको निशाना मत बनाना।
जो उनसे मुहब्बत करेगा वह मुझसे मुहब्बत की बिना पर उन से मुहब्बत करेगा
और जो उनसे बुग्ज रखेगा वह मुझसे बुग्ज की बिना पर उन से बुग्ज रखेगा

और जिसने उन को तकलीफ दी उसने मुझ को तकलीफ दी
और जिसने मुझ को तकलीफ दी गोया उस ने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई

और जिसने अल्लाह को तक्लीफ पहुँचाई
करीब है के अल्लाह तआला उसको अजाब में पकड़ ले।”

📕 तिर्मिज़ी : ३८६२

ककड़ी के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) से खजूर के साथ ककड़ी खाते थे।

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) ककड़ी के फवाइद में लिखते हैं के यह मेअदे की गरमी को बुझाती है और मसाना के दर्द को खत्म करती है।

📕 अबू दाऊद: ३८३५

कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है:

“जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा”

📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493

गुनाह से न रोकने का वबाल

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।”

📕 अबू दाऊद: ४३३९-हसन

काफ़िरों की हालत

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“काफ़िर अपनी ज़बान को एक या दो फरसख (यानी तकरीबन बारा किलोमीटर) तक जमीन पर घसीटते हुए चलेगा, और लोग उस को रौंदते हुए उस पर चलेंगे।”

📕 तिर्मिज़ी : २५८०, अन इब्ने उमर (र.अ)

खाने के बाद उंगलियां चाटने का फ़ायदा

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब खाना खा लेते तो अपनी तीनों उंगलियों को चाटते।

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम कहते हैं के खाना खाने के बाद उंगलियां चाटना हाज़मे के लिए इन्तेहाई मुफीद है।

तफ्सील में जानकारी के लिए यह भी देखे
» उंगलियों के पोरों पर कीटनाशक प्रोटीन

📕 मुस्लिम : ५२९६

खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”

📕 तिर्मिज़ी : १८५५

दीनदार औरत से निकाह करो

हुस्न, खानदान और मालदारी की वजह से निकाह न करो

एक और रिवायत में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम औरतों से (सिर्फ) उन के हुस्न व जमाल की वजह से शादी न करो क्योकि हुस्न व जमाल खत्म होने वाला है और न उनकी मालदारी की वजह से शादी करो, मुमकिन है यह मालदारी उनको नाफ़रमानी में मुब्तला कर दे, अलबत्ता उनसे दीनदारी की बूनियाद पर निकाह करो।”

📕 इब्ने माजा: १८५९


दीनदारी की वजह से औरत से निकाह करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“औरत से चार चीजों की वजह से निकाह किया जाता है। उसके माल, हसब नसब, खूबसूरती और दीनदारी की वजह से। तुम्हारा भला हो! तुम दीनदार औरत को पसन्द कर के कामयाब हो जाओ।”

📕 बुखारी : ५०९०, अन अबी हुरैरह (र.अ)

इंसाफ करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“थोड़ी देर का इन्साफ साठ साल की शब बेदारी और रोजा रखने की इबादत से बेहतर है।
ऐ अबू हुरैरा (र.अ) ! किसी मामले में थोड़ी सी देर का जुल्म, अल्लाह के नजदीक साठ साल की नाफ़रमानी से जियादा सख्त और बड़ा गुनाह है।”

📕 तरघिब वा तरहीब: ३१२८

हौज़े कौसर क्या है ?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

कौसर जन्नत में एक नहर है, जिस के दोनों किनारे सोने के हैं और वह मोती और याकूत पर बहती है, उस की मिट्टी मुश्क से जियादा खुशबूदार, उस का पानी शहेद से जियादा मीठा और बर्फ से जियादा सफेद है।”

📕 तिर्मिज़ी : ३३६१

सोने से पहले बिस्तर झाड़ लेना

हजरत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से कोई बिस्तर पर आए तो उसे किसी कपडे से झाड़ ले, उसे नहीं मालूम के बिस्तर में क्या है।“

📕 अबू  दाऊद: ५०५०

अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।”

📕 सूरह निसा १४

“जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।”

📕 सूर-ए-अहजाब: ३६

“बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता है। और उन के लिये जलील करने वाला अज़ाब तय्यार कर रखा है।”

📕 सूरह अहज़ाब : ५७

दुनियावी ज़िन्दगी धोका है

दुनियावी जिन्दगी एक धोका है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“दुनियावी ज़िन्दगी तो कुछ भी नहीं सिर्फ धोके का सौदा है।”

📕 सूरह आले इमरान : १८५

“ऐ लोगो! बेशक अल्लाह तआला का वादा सच्चा है, फिर कहीं तुम को दुनियावी जिन्दगी धोके में न डाल दे और तुम को धोके बाज़ शैतान किसी धोके में न डाल दे, यकीनन शैतान तुम्हारा दुश्मन है। तुम भी उसे अपना दुश्मन ही समझो। वह तो अपने गिरोह (के लोगों) को इस लिये बुलाता है के वह भी दोज़ख वालों में शामिल हो जाएँ।”

📕 सूरह फातिर ५ ता ६

“ऐ इन्सान ! तुझे अपने रब की तरफ से किस चीज़ ने धोके में डाल रखा है (कि तू दुनिया में पड़ कर उसे भुलाए रखता है हालाँकि) उस ने तुझे पैदा किया (और) फिर तेरे तमाम आज़ा एक दम ठीक अन्दाज़ से बनाए। (फिर भी तू उससे गाफिल है)।”

📕 सूरह इन्फित्तार; ६

फायदा : जिस तरह माल के जाहिर को देख कर खरीदार फँस जाता है, इसी तरह इंसान दुनिया की चमक दमक से धोका खा कर आखिरत से गाफिल हो जाता है, इसलिए इन्सानों को दुनिया की चमक दमक से होशियार रहना चाहिए।

लोगों से अपनी जरूरत छुपाए रखने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जो शख्स भूका हो, या उस को कोई और खास हाजत हो और वह अपनी उस भूक और हाजत को लोगों से छुपाए रखे (यानी उन के सामने जाहिर कर के उनसे सवाल न करे) तो अल्लाह तआला के जिम्मे है के उस को हलाल तरीके से एक साल का रिज्क अता फ़रमाए।”

📕 शोअबुल ईमान लिलबहकी : ९६९८

डर और घबराहट की दुआ

डर और घबराहट की दुआ

एक शख्स ने हुज़ूर (ﷺ) से डर और वहेशत की शिकायत की तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: यह पढ़ो –

 فَتَعَالَى اللَّهُ الْمَلِكُ الْحَقُّ ۖ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ

(फ़ताआला अल्लाहु अलमालिकु अलहक़्क़ु ला इलाहा इल्ला हुवा रब्बू अलअर्शी अलक़रीमी)

तर्जमा: उस मुकद्द्स बादशाह की पाकी बयान करता हूँ जो फरिश्तों और रूह का रब है उसकी इज़्ज़त व ज़बरूत से ज़मीन व आसमान रौशन हैं।

📕 क़ुरआन 23:116, मुअजमे कबीर, लित्तबरानी: ११५६

अहले ईमान और क़यामत का दिन

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हज़ार साल के बराबर दिन (यानी क़यामत) के बारे में पूछा गया के वह कितना लम्बा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“उस ज़ात की कसम जिस के कब्जे में मेरी जान है ! वह दिन मोमिन के लिये इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में यह दुनिया में फर्ज़ नमाज अदा त किया करता था।”

📕 मुस्नदे अहमद : ११३२०

कयामत से हर एक डरता है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“कोई मुकर्रब फरिश्ता, कोई आसमान, कोई ज़मीन, कोई हवा, कोई पहाड़. कोई समुन्दर ऐसा नहीं जो जुमा के दिन से न डरता हो (इस लिये के जुमा के दिन ही क़यामत कायम होगी)”

📕 इब्ने माजा: १०८४

जोड़ों के दर्द का इलाज

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया :

अंजीर खाओ (फिर उस की अहमियत बताते हुए इर्शाद फर्माया) अगर मैं कहता के जन्नत से कोई फल उतरा है तो यही है, क्यों कि जन्नत के फलों में गुठली नहीं है।”

(और अंजीर का यही हाल है) लिहाजा इसे खाओ, इस लिए के यह बवासिर को खत्म करता है और जोड़ो के दर्द में मुफीद है।”

📕 कंजुल उम्माल: २८२७६

परहेज़गारों की नेअमत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“(क़यामत के दिन) परहेज़गार लोग (जन्नत) के सायों में और चशमों में और पसन्दीदा मेवों में होंगे (उन से कहा जाएगा) अपने (नेक) आमाल के बदले में खूब मजे से खाओ पियो, हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं। (और) उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी ख़राबी होगी।”

📕 सूरह मुरसलात: ४१ ता ४५

नमाज़ी पर जहन्नम की आग हराम है

रसूलुल्लाह (ﷺ)  ने फ़रमाया :

“जो शख्स पाँचों नमाजों की इस तरह पाबंदी करे के वजू और औक़ात का एहतेमाम कर, और सज्दा अच्छी तरह करे और इस तरह नमाज पढने को अपने जिम्मे अल्लाह तआला का समझे, तो उस आदमी को जहन्नम की आग पर हराम कर दिया जाएगा।”

📕 मुस्नदे अहमद : १८८२

दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।”

खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है।

📕 मुस्तदरक : ७९१७

माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।”

📕 सूरह कहफ: १८:४६

(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)

अहले जन्नत का इनाम : उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता : 

“उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे, अपने (नेक) आमाल की वजह से खुश होंगे, ऊँचे ऊँचे बागों में होंगे। वह उन बागों में कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे। उनमें चश्मे बह रहे होंगे।”

📕 सूरह ग़ाशिया: ८ ता १२

कयामत का होलनाक मंजर | जब शोर बरपा होगा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

जब कानों के पर्दे फाड़ देने वाला शोर बरपा होगा, तो उस दिन आदमी अपने भाई से अपनी माँ और बाप से, अपनी बीवी और बेटों से भागेगा। उस दिन हर शख्स की ऐसी हालत होगी जो उस को हर एक से बेखबर कर देगी।”

📕 सूरह अबसा: ३३ ता ३७

जमात के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।”

📕 मुस्नदे अहमद : ६५६३

शिर्क करने वाले की मिसाल

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह रहो, उस के साथ किसी को शरीक मत ठहराओ और जो शख्स अल्लाह के साथ शिर्क करता है, तो उसकी मिसाल ऐसी है जैसा के वह आसमान से गिर पड़ा हो, फिर परिन्दों ने उस की बोटियाँ नोच ली हों या हवा ने किसी दूर दराज मक़ाम पर ले जाकर उसे डाल दिया हो।”

📕 सूरह हज: ३१

हमेशा की जन्नत व जहन्नम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगा और जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा, फिर उन के दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा के ऐ जन्नतियों! अब मौत नहीं आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नहीं आएगी (तुम में का जो जहाँ है हमेशा उस में रहेगा)”

📕 मुस्लिम: ७१८३, अन इब्ने उमर (र.अ)

कंजूसी करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है,

कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।”

📕 सूरह आले इमरानः १८०

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अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“अल्लाह तआला फर्माता है, जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे, जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”

📕 तिर्मिजी: २३९०, अन मआज बिन जबल (र.अ)

हूर की खूबसूरती

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“अगर जन्नत की कोई औरत ज़मीन वालों की तरफ झाँक ले तो ज़मीन व आसमान के दर्मियान की तमाम चीज़ों को रौशन कर दे और उस को खुश्बू से भर दे और उसकी ओढ़नी दुनिया और तमाम चीज़ो से बेहतर है।”

📕 बुखारी: २७९६, अन अनस बिन मालिक रज़ि०

खाना खिलाने की फ़ज़ीलत

खाना खिलाने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो
अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में
दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।”

📕 तबरानी कबीर : १६५८९

किसी मुसलमान की ग़ीबत और बेइज्जती की सजा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस ने किसी मुसलमान (की गीबत की और उस की ग़ीबत) के बदले में एक लुक्मा भी खाया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को एक लुक्मा जहन्नम से खिलाएगा और जिस ने किसी (मुसलमान की बेइज्जती की और उस) के बदले में उस को कपड़ा पहनने को मिला, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को उसी कद्र जहन्नम से पहनाएंगा।”

📕 अबू दाऊद : ४८८१, अन मुस्तरिद (र.अ)

बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना

हजरत आयशा (रजि०) फरमाती  है के,

“हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।”

📕 अबू दाऊदः हदीस 4839

फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।

औरत के लिये चंद आमाल

रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब औरत पाँच वक्त की नमाज पढती रहे और अपनी इज्जत की हिफाजत करती रहे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करती रहे तो वह जन्नत के जिस दरवाजे से चाहे, दाखिल हो जाए।”

📕 सही इब्ने हिम्बान : ४२३७

बिच्छू के जहर का इलाज

हजरत अली (र.अ) फरमाते हैं :

एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज़ पढ़ रहे थे के नमाज के दौरान एक बिच्छू ने आप को डंक मार दिया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को मार डाला जब नमाज़ से फारिग हुए तो फरमाया : अल्लाह बिच्छू पर लानत करे, यह न नमाज़ी को छोड़ता है और न गैरे नमाज़ी को, फिर पानी और नमक मंगवा कर एक बर्तन में डाला और जिस उंगली पर बिच्छू ने डंक मारा था, उस पर पानी डालते और मलते रहे और सूरह फलक व सूरह नास पढ़कर उस जगह पर दम करते रहे।

📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान : २४७१

क़यामत की रुसवाई से बचने की दुआ

कयामत के दिन जिल्लत व रुसवाई से बचने के लिए इस दुआ का एहतमाम करना चाहिए:

رَبَّنَا وَآتِنَا مَا وَعَدتَّنَا عَلَىٰ رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ إِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيعَادَ

तर्जमा : ऐ हमारे परवरदिगार! तूने जो अपने रसूलों से वादा किया है, वह हमें अता फर्माइये और कयामत के दिन हमें रुसवा न कीजिए बेशक तू वादा खिलाफ़ी नहीं करता।

📕 सूर-ए-आले इमरान: १९४

बुरे लोगों की सोहबत से बचने की दुआ

अपने आप को और अपनी औलाद को बुरे लोगों की सोहबत से बचाने के लिये यह दुआ पढ़े:

“Rabbi najjinee waahlee mimma yaAAmaloon”

तर्जमा: ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे अहल व अयाल को उनके (बुरे) काम से नजात अता फ़र्मा।

📕 सूरह शुअरा : १६९

फासिद खून का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“बेहतरीन दवा हिजामा (पछना लगाना, cupping) है, क्यों कि वह फ़ासिद खून को निकाल देती है, निगाह को रौशन और कमर को हल्का करती है।”

📕 मुस्तदरक : ८२५८, अन इन्ने अब्बास (र.अ)

किसी की बात को छुप कर सुनने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“जिस ने दूसरों की कोई ऐसी बात छुप कर सुनी जिस को वह उस से छूपाना चाहते थे, तो कयामत के दिन ऐसे शख्स के कान में शीशा पिघला कर डाला जाएगा।”

📕 तिर्मिज़ी : १७५१

इताअत ऐ रसूल (ﷺ) की अहमियत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“(ऐ नबी (ﷺ) ) आप कह दीजिए के अगर तुम अल्लाह तआला से मोहब्बत रखते हो, तो तुम लोग मेरी पैरवी करो। अल्लाह भी तुम से मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को बख्श देगा।”

📕 सूरह आले इमरान; ३१

अल्लाह का ज़िक्र करने वाला जिन्दा है, और न करने वाला मुर्दा

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स अपने रब का जिक्र करे और जो अल्लाह का जिक्र न करे। उसकी मिसाल जिन्दा और मुर्दे की तरह है (यानी जिक्र करने वाला जिन्दा है और जिक्र न करने वाला मुर्दे की तरह है)।”

📕 बुखारी: ६४०७, अन अबी मूसा (र.अ)

बुराई से न रोकने का वबाल

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जो क़ौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं, उन में ऐसे समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद फैलाने से मना करते, सिवाए चन्द लोगों के जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।”

📕 सूरह हूद: ११६

खुलासा: मतलब यह है के हर एक के लिये भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना ज़रूरी है वरना अज़ाब में मुब्तला कर दिया जाएगा।

औरतों को उनके मेहर खुश दिली से दिया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“तुम औरतों को उनके मेहर खुश दिली से अदा कर दिया करो। हाँ अगर वह औरतें अपनी खुशी से उस महेर में से कुछ तुम्हारे लिए छोड़ दें तो उसको लज़ीज और खुशगवार समझ कर खा लिया करो।”

📕 सूरह निसा ४

तीन आदमी अल्लाह की जमानत में है

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

तीन आदमी की अल्लाह ने जमानत ले रखी है, अगर वह जिन्दा रहें तो बक्रद्रे जरूरत रोजी मिलती है और अगर वफात पा जाएं तो अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल फ़र्माता है (एक वह) जो घर में दाखिल होते वक़्त सलाम करे तो अल्लाह तआला उस का जामिन है, (दूसरा वह) जो मस्जिद गया, तो अल्लाह तआला उसका जामिन है, (तीसरा) राहे ख़ुदा में निकलने वाले का अल्लाह तआला जामिन है।”

📕 सही इब्ने हिब्वान : ५००

तहज्जुद की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”

📕 तबरानी कबीर:3370, अन अबी मालिक (र.अ)

इन्कार करने वालो का अजाब

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग हमारी आयतों का इन्कार करते रहे हैं, तो वही बडबख्त हैं, (जिन को बाएँ हाथ में नाम-ए-आमाल दिया जाएगा) उन पर चारों तरफ से बंद की हुई आग को मुसल्लत कर दिया जाएगा।”

📕 सूरह बलद: १९ ता २०

सबसे अच्छा मुसलमान कौन है ?

अबू मूसा (र.अ) से रिवायत है के, कुछ सहाबा ने पूछा, या रसूल अल्लाह ﷺ ! कौन सा इस्लाम अफज़ल है (यानि सबसे अच्छा मुसलमान कौन है) तो नबी-ऐ-करीम ﷺ ने फ़रमाया:

“वह शख्स जिस की जबान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज रहें।”

📕 बुखारी : ११

ईमान को झुटलाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जिस शख्स ने बुखल किया और लापरवाही करता रहा और भली बात (ईमान) को झुटलाया, तो हम उसके लिये तकलीफ व मुसीबत का रास्ता आसान कर देंगे (यानी जहन्नम में पहुँचा देंगे)।”

📕 सूर-ए-लैल: ८ ता १०

इजाजत तलब करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“(अगर किसी से मिलने जाओ तो अन्दर दाखिल होने से पहले) तीन मर्तबा इजाजत तलब करो, अगर इजाजत मिल जाए तो ठीक है वरना वापस लौट जाओ।”

📕 मुस्लिम : ५६३३

हर बीमारी का इलाज

एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई हो, अल्लाह के नाम से दम करता हूँ, अल्लाह आप को शिफा दे।

📕 तिर्मिज़ी : ९७२

अगर कोई फासिक खबर लाये तो तहक़ीक़ किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“ऐ ईमान वालो! अगर कोई फासिक तुम्हारे पास कोई खबर, लेकर आए, तो उस की तहक़ीक़ कर लिया करो, कहीं ऐसा न हो, के तुम किसी कौम को अपनी ला इल्मी से कोई नुकसान पहुँचादो, फिर तुम को अपने किये पर पछताना पड़े।”

📕 सूरह हुजरात: ६

ऑपरेशन से फोड़े का इलाज

हजरत अस्मा बिन्ते अबी बक्र (र.अ) कहती हैं के : मेरी गर्दन में एक फोड़ा निकल आया, जिसका जिक्र हुजूर (ﷺ) से किया गया, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया :

“उसे खोल दो (फोड़ दो) और छोड़ो मत, वरना गोश्त खाएगा और खून चूसेगा, (यानी उसका खराब माद्दा अगर वक्त पर न निकाला गया तो ज़ख्म को और ज़ियादा बढाकर गोश्त और खून को बिगाड़ता रहेगा)।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२५०

इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”

📕 इब्ने माजा: २२४

फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।

मुस्कुराते हुए मुलाकात करना

हजरत जरीर (र.अ) के फर्माते हैं के मेरे इस्लाम लाने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे कभी भी किसी भी वक्त अपने पास हाजिर होने से नहीं रोका और जब भी मुझे देखते तो आप मुस्कुराते थे।

📕 बूखारी : ३०३५

जन्नती अल्लाह तआला का दीदार करेंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने लैलतुबद्र में चाँद को देखा और फर्माया :

“तुम लोग अपने रब को इसी तरह देखोगे जिस तरह इस चाँद को देख रहे हो, तुम उस को देखने में किसी किस्म की परेशानी महसूस नहीं करोगे।”

📕 बुखारी : ५५४

पुरे यकींन से दुआ करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम अल्लाह तआला से ऐसी हालत में दुआ किया करो के तुम्हें कुबूलियत का पूरा यकीन हो और यह जान रखो के अल्लाह तआला गफलत से भरे दिल की दुआ कबूल नहीं करता।”

📕 तिर्मिजी: ३४७९

दुनिया के पीछे भागने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दुनिया के पीछे पड़ जाए, उस का अल्लाह तआला से कोई तअल्लुक़ नहीं और जो (दुनियावी मक्सद के लिये) अपने आप को खुशी से जलील करे, उस का हम से कोई तअल्लुक़ नहीं।”

📕 मोअजमे औसत लित तबरानी: ४७८

कर्ज ना लौटाने की निय्यत से लेने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स लोगों का माल (बतौर क़र्ज़) लेता है और उसे अदा करना चाहता हो तो उसकी तरफ से अल्लाह अदा फरमा देता है, लेकिन जो शख्स लोगों का माल वापस ना करने के इरादा से लेता है तो अल्लाह भी उसे तबाह कर देता है।

📕 सहीह बुखारी: 2387


एक और रिवायत में आप ﷺ ने फ़र्माया :

“जो शख्स किसी से क़र्ज़ ले और दिल में यह पक्का इरादा कर रखे के कर्ज पूरा पूरा नहीं लौटाएगा, तो वह (क़यामत के दिन) अल्लाह से एक चोर की हालत में मुलाकात करेगा।”

📕 इब्ने माजा : २४१०

अल्लाह इस बुरी सिफ़त से सबकी हिफाज़त फरमाए। अमीन

बीवी की विरासत में शौहर का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह ताआला फ़र्माता है :

“तुम्हारे लिए तुम्हारी बीवियों के छोड़े हुए माल में से आधा हिस्सा है, जब के उन को कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो, तो तुम्हारी बीवियो के छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है (तुम्हें यह हिस्सा) उन की वसिय्यत और कर्ज अदा करने के बाद मिलेगा।”

📕 सूरह निसा १२

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औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है

۞ हदीस: हज़रत आयशा रज़ि० ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा के
औरत पर तमाम लोगों में से किसका हक़ ज़्यादा है?

तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है।”

फिर हज़रत आयशा रज़ि० ने पूछा: मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ किसका है?

तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ उस की माँ का है।

📕 सुनन कुबरा लिन्नसई : ११४८. अन आयशा रज़ि०

आख़िरत में काफिर की बदहाली

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“क़यामत के दिन काफिर अपने पसीने में डूब जाएगा, यहाँ तक के वह पुकार उठेगा: ऐ मेरे परवरदिगार! जहन्नम में डालकर मुझे इस (अजाब) से नजात दे दीजिये।”

📕 कंजुल उम्माल : ३८९२३

मुजिजात को न मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब उन के रसूल उन के पास खुली हुई दलीलें ले कर आए, तो वह लोग अपने उस दुनियावी इल्म पर नाज़ करते रहे, जो उन्हें हासिल था, आखिरकार उनपर वह अज़ाब आ पड़ा जिस का वह मज़ाक़ उड़ाया करते थे।”

📕 सूरह मोमिन : ८३

अनकरीब दुनिया खोल दी जाएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अनकरीब दुनिया की दौलत तुम पर खोल दी जाएगी, यहाँ तक के तुम अपने घरों को इस तरह आरास्ता करोगे जैसे काबा शरीफ़ को आरास्ता किया जाता है।”

📕 तिबरानी कबीर : ४०३५

बच्चों को यह दुआ पढ़ कर दम करें

रसूलुल्लाह (ﷺ) हजरत हसन व हुसैन (र.अ) को यह दुआ पढ कर दम किया करते थे :

أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَمِنْ كُلِّ عَيْنٍ لامَّةٍ

आऊज़ु बिकालिमातिल्लाहीत ताम्माह
वा मीन कुल्ली शयतानीव वा हाम्माह
वा मीन कुल्ली अयनील आम्माह

तर्जमा: मैं पनाह माँगता हूँ अल्लाह की पूरे पूरे कलिमात के ज़रिए, हर शैतान से और हर ज़हरीले जानवर से और हर नुकसान पहुँचने वाली बुरी नज़र से।

📕 सही बुखारी: 3371

दुनिया से बेहतर आख़िरत का घर है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“दुनिया की जिन्दगी सिवाए खेल कूद के कुछ भी नहीं और आखिरत का घर मुत्तकियों (यानी अल्लाह तआला से डरने वालों) के लिये बेहतर है।”

📕 सूरह अन्आम : ३२

निमोनिया का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने निमोनिया के लिये वर्स, कुस्त और रोग़ने जैतून पिलाने को मुफीद बतलाया है।

फायदा : “वर्स” तिल के मानिंद एक किस्म की घास है, जिस से रंगाई का काम लिया जाता है और “कुस्त” एक खुशबूदार लकड़ी है जिस को ऊदे हिन्दी भी कहते हैं।

📕 इब्ने माजा : ३४६७

दाई करवट सोना

हज़रत बरा बिन आजिब (र.अ) बयान करते हैं के

“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बिस्तर पर तशरीफ लाते,
तो दाई (right) करवट पर आराम फर्माते।”

📕 बुखारी : ६३१५