रसूलुल्लाह (ﷺ) इशा से पहले नहीं सोते थे
और इशा के बाद नहीं जागते थे (बल्के सो जाते थे)
इशा के बाद जल्दी सोने की सुन्नत
और देखे :
- सोने के आदाब (सुन्नत) रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सोने का इरादा करते तो अपने दाहने हाथ को दाहने गाल के नीचे रख कर सोते फिर तीन बार यह दुआ पढ़ते : (Allahumma qinee 'adhabaka yawma tab'athu 'ibadaka) तर्जुमा: (ऐ अल्लाह! मुझे (उस दिन) अपने अ़ज़ाब से बचा, जिस दिन तू अपने बन्दों को उठायेगा। 📕…
- कब्र के बारे में ख़बर देना हजरत अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ) फर्माते हैं के: जब हम लोग हुजूर (ﷺ) के साथ ताइफ जा रहे थे तो रास्ते में हमारा गुजर एक कब्र के पास से हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : यह अबू रिग़ाल की कब्र है जो कौमे समूद का एक फर्द था। मक्का…
- सुन्नत पर अमल करने पर शहीद का सवाब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो मेरी उम्मत में बिगाड़ के वक्त मेरी सुन्नत को मजबूती से थामे रहेगा, उसके लिये एक शहीद का सवाब है।" 📕 तबरानी औसत: ५५७२
- सोने से पहले बिस्तर झाड़ लेना हजरत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से कोई बिस्तर पर आए तो उसे किसी कपडे से झाड़ ले, उसे नहीं मालूम के बिस्तर में क्या है।“ 📕 अबू दाऊद: ५०५०
- इस्मिद सुरमा लगाना हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) फरमाते हैं के, "रसूलुल्लाह (ﷺ) से हर रात सोने से पहले तीन मर्तबा इस्मिद सुरमा लगाया करते थे।" 📕 मुस्तदरक हाकिम: ८२४९
- कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के: "ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।" 📕 बुख़ारी: ६३०७
- जन्नत के दरख्तों की सुरीली आवाज़ रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "जन्नत में एक दरख्त है, जिसकी जड़ें सोने की और उनकी शाखें हीरे के जवाहरात की हैं, उस दरख्त से एक हवा चलती है, तो ऐसी सुरीली आवाज़ निकलती है, जिस से अच्छी आवाज़ सुनने वालों ने आज तक नहीं सुनी।" 📕 तरगिब : ५३२२, अन…
- दुनिया से बेरग़वती का इनाम रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जो शख्स जन्नत का ख्वाहिश मन्द होगा वह भलाई में जल्दी करेगा। और जो शख्स जहन्नम से खौफ करेगा, वह ख्वाहिशात से गाफिल (बेपरवाह) हो जाएगा और जो मौत का इंतज़ार करेगा उसपर लज्जतें बेकार हो जाएगी और जो शख्स दुनिया में जुद (दुनिया से बेरगबती)…
- मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "खुशामदीद" (यानी आपका आना मुबारक हो।) 📕 बुखारी: ५३ फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।
- क़ज़ा नमाजों की अदायगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।” 📕 तिर्मिज़ी: १७७ फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की…
- हौज़े कौसर क्या है ? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "कौसर जन्नत में एक नहर है, जिस के दोनों किनारे सोने के हैं और वह मोती और याकूत पर बहती है, उस की मिट्टी मुश्क से जियादा खुशबूदार, उस का पानी शहेद से जियादा मीठा और बर्फ से जियादा सफेद है।" 📕 तिर्मिज़ी : ३३६१
- वालिदैन की नाफरमानी और जुल्म करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "तुम जुल्म व सितम करने से बचो ! क्योंकि जुल्म व सितम की सज़ा दूसरी सजाओं के मुकाबले में सबसे जल्दी मिलती है। और वालिदैन की नाफर्मानी से बचो! अल्लाह की कसम वालिदैन का नाफ़र्मान जन्नत की खुश्बू भी नहीं पाएगा। जब के जन्नत की…
- माफ़ करने की सुन्नत हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के : “रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपनी जात के लिए कभी किसी से कोई बदला नहीं लिया।” 📕 मुस्लिम: ६०४५
- सज्दा करने का सुन्नत का तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सज्दा फरमाते तो अपनी नाक और पेशानी को जमीन पर रखते और अपने बाजुओं को पहलू से अलग रखते और अपनी हथेलियों को कांधे के बराबर रखते। 📕 तिर्मिज़ी : २७०
- जोहर से पहले की चार रकात सुन्नत पढ़ना हज़रत आयशा (र.अ) बयान फरमाती है के: "रसूलुल्लाह (ﷺ) जोहर से पहले चार रकात और फ़र्ज़ से पहले की दो रकात कभी नहीं छोड़ते थे।" 📕 बुखारी : १९८२
- हज़रत जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) हज़रत जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) भी उन खुशनसीब लोगों में हैं जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया में ही है। जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों में चौथे या पाँचवे शख्स है। पंद्रह साल की उम्र में इस्लाम कबूल किया और हबशा और मदीना दोनो की…
- दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते, तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते, बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते और "अस्सलामु अलैकुम" फ़रमाते। 📕 अबू दाऊद: 5986, अन अब्दुल्लाह बिन बुन (र.अ)
- गुस्ल करने का सुन्नत तरीका रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते, तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते, फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते, फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की…
- इशा के बाद दो रकात नमाज पढना हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ) बयान फ़र्माते हैं के, “मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ ईशा की फर्ज नमाज़ के बाद दो रकात (सुन्नत) पढ़ी है।” 📕 बुखारी : ११७२ फायदा: इशा की नमाज के बाद वित्र से पहले दो रकात पढ़ना सुन्नते मोअक्कदा है।
- तीन उंगलियों से खाना हजरत कअब बिन मालिक (र.अ) फरमाते हैं : रसूलुल्लाह (ﷺ) तीन उंगलियों से खाते थे और जब खाने से फारिग हो जाते तो उंगलियाँ चाट लेते थे। 📕 मुस्लिम: ५२९८ नोट: खाने के बाद उंगलियों को चाटना सुन्नत है, लेकिन इस तरह नहीं चाटना चाहिये के देखने वाले को नागवार…