अल्लाह से रेहम तलब करने की दुआ
अल्लाह तआला से रहम तलब करने के लिये दुआ
( Anta waliyyuna fagh-fir lana war-hamna, wa anta Khayrul- ghafirin )
तर्जुमा: (ऐ अल्लाह) तू ही हमारी खबर रखने वाला हैं, इस लिये हमारी मगफिरत और हमपर रहम फर्मा और तू सब से जियादा बेहतर माफ करने वाला हैं।
📕 सूरह आराफ: १५५
( Rabbana amanna faghfir lana warhamna wa anta khayrur Rahimiin )
तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है।
📕 सूरह मोमिनून : १09
दोज़ख़ में बिच्छू के डसने का असर
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दोजख में खच्चरों की तरह बिच्छू हैं, एक बार जब उनमें से एक बिच्छू डसेगा, तो दोजखी चालीस साल तक उस की जलन महसूस करेगा।”
मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम
मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम
अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –
3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा।
एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया।
दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए।
तीसरा वो शख्स जो अपना (बेचने का तिजारती) सामान असर के बाद लेकर खड़ा हुआ और कहने लगा कि उस अल्लाह की कसम जिसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, मुझे इस सामान की कीमत इतनी मिल रही थी उस पर एक शख्श ने उसे सही समझा (और उस सामान को खरीद लिया) (यानी झूठ को इख्तियार करके तिजारत करनेवाला)।
सूद खाने का अजाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़रमाते हैं के :
“मेराज की शब मेरा गुजर चंद ऐसे लोगों पर हुआ जिन के पेट धड़ों के मानिन्द बड़े बड़े थे, जिस में सांप थे, जो पेट के बाहर से नजर आते थे, मैं ने हज़रत जिब्रईल से पूछा: यह कौन लोग हैं? तो फ़रमाया: यह सूद खाने वाले हैं।”
आखरी रात में वित्र का मौका ना मिले तो शुरू में ही पढ़ ले
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस को यह अन्देशा हो के वह आखरी रात में नहीं उठ सकेगा तो उस को रात के शुरू ही में वित्र पढ़ लेना चाहिये और जिसको आखरी रात में उठने की पूरी उम्मीद हो तो उसे आखरी रात में वित्र पढ़ना चाहिये।”
जन्नत में दाखिल करने वाली चीज़
रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा गया के,
“लोगों को सब से ज़ियादा जन्नत में दाखिल करने वाली क्या चीज़ है?”
आप (ﷺ) ने फर्माया : “अल्लाह से डरना और अच्छे अख्लाक़“,
और सब से ज़ियादा आग में दाखिल करने वाली चीज़ के बारे में सवाल किया गया।
तो आप (ﷺ) ने फर्माया : मुंह और शर्मगाह।”
इल्म हासिल करने के लिये सफर करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स ऐसा रास्ता चले जिस में इल्म की तलाश मक्सूद हो तो अल्लाह तआला उस के लिए जन्नत का रास्ता आसान कर देगा।”
दुआ के वक्त हाथों को उठाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) दुआ के वक्त हाथों को इतना उठाते थे के आपकी बगल मुबारक जाहिर हो जाती थी।
बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना
हजरत आयशा (रजि०) फरमाती है के,
“हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।”
फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।
नजर लगने से हिफाजत
माशा अल्लाह की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स ने कोई ऐसी चीज़ देखी जो उसे पसंद आ गई, फ़िर उस ने (माशा अल्लाह ! व लाहौल वला क़ूवता इल्लाह बिल्लाही) कह लिया, तो उस की नज़र से कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा।”
📕 कंजुल उम्मुल : १७६६६, अनस (र.अ)
तर्जुमा : जो कुछ अल्लाह चाहता है [होता है] और अल्लाह के अलावा कोई ताकत नहीं है।
इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से अल्लाह की पनाह मांगना
रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :
तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”
जन्नत के दरख्तों की सुरीली आवाज़
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जन्नत में एक दरख्त है, जिसकी जड़ें सोने की और उनकी शाखें हीरे के जवाहरात की हैं, उस दरख्त से एक हवा चलती है, तो ऐसी सुरीली आवाज़ निकलती है, जिस से अच्छी आवाज़ सुनने वालों ने आज तक नहीं सुनी।”
रिश्वत लेकर नाहक फैसला करने का गुनाह
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स कुछ (रिश्वत) ले कर नाहक फ़ैसला करे, तो अल्लाह तआला उसे इतनी गहरी जहन्नम में डालेगा, के पाँच सौ बरस तक बराबर गिरते चले जाने के बावजूद, उसकी तह तक न पहुँच पाएगा।”
हज़रत ईसा (अ.स) को खुदा मानने का गुनाह
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“बिलाशुबा वह लोग भी काफिर हो गए जिन्होंने यूँ कहा के अल्लाह तआला तीन (खुदाओ) में से एक है, हालांके एक खुदा के अलावा कोई माबूद नहीं और अगर यह लोग इन बातों से बाज़ नहीं आएंगे, तो जो लोग उनमें से कुफ्र पर कायम रहेंगे उन को ज़रूर दर्दनाक अज़ाब पहुंचेगा।”
इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स तकब्बुर के तौर पर अपने इज़ार को टखने से नीचे लटकाएगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी तरफ रहमत की नजर से नहीं देखेगा।”
ककड़ी के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) से खजूर के साथ ककड़ी खाते थे।
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) ककड़ी के फवाइद में लिखते हैं के यह मेअदे की गरमी को बुझाती है और मसाना के दर्द को खत्म करती है।
पानी न मिलने पर तयम्मुम करना
वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम्हारे रब (अल्लाह) ने फैसला कर दिया है उसके के अलावा किसी और की इबादत न करो और वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो।”
खुलासा: माँ बाप की खिदमत करना और उनके साथ अच्छा बरताव करना फर्ज है।
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”
फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
बीमारी की शिकायत न करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त को उससे उम्दा गोश्त और उसके खून को उम्दा खून से बदल देता हूँ ताके नए सिरे से अमल करे।”
📕 मुस्तरदक १२९०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
खुलासा: अगर कोइ बिमार हो जाए, तो सब्र करना चाहिए, किसी से शिकायत नही करनी चाहिए, उस पर इसे अल्लाह तआला इन्आमात से नवाज़ता हैं।
कब्र का अज़ाब बरहक है
रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :
“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”
📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ)
वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।
नाफ़र्मानों से नेअमतें छीन ली जाती हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“वह नाफरमान लोग कितने ही बाग, चश्मे, खेतियाँ और उम्दा मकानात
और आराम के सामान जिन में वह मजे किया करते थे, (सब) छोड़ गए,
हम ने इसी तरह किया और उन सब चीज़ों का वारिस एक दूसरी कौम को बना दिया।
फिर उन लोगों पर न तो आसमान रोया और न ही जमीन
और नही उन को मोहलत दी गई।”
नमाज़ में भूल चूक हो जाए तो सज्दा-ए-सहव करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।”
📕 मुस्लिम १२८३
फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना वाजिब है, इस के बगैर नमाज़ नहीं होती।
बीमार की नमाज़
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।”
फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।
मौत और माल की कमी से घबराना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है, (हालांकि दोनों उस के लिए खैर है) एक मौत को, हालांकि मौत फ़ितनों से बचाव है, दूसरे माल की कमी को, हालांकि जितना माल कम होगा उतना ही हिसाब कम होगा।”
आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।”
यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।
हज की फरज़ियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ऐ लोगो ! तुम पर हज फर्ज़ कर दिया गया है, लिहाजा उस को अदा करो।”
तहज्जुद की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”
दुनिया में खाना पीना चंद रोज़ा है
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“तुम (दुनिया में) थोड़े दिन खा लो और (उससे) फायदा उठालो, बेशक तुम मुजरिम हो (यानी यह दुनियवी ज़िंदगी चंद रोज़ की है, अगर उसके पीछे पड़ कर अपनी आखिरत की ज़िंदगी को भुला दोगे, तो क़यामत के दिन तुम मुजरिम बन कर उठोगे)।”
जियादा देर धूप में बैठने के नुक्सानात
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“धूप में बैठने से बचो, क्योंकि उस से कपड़े खराब होते हैं (बदन से) बदबू फूटने लगती है और दबी हुई बीमारियाँ उभर आती हैं।”
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ इमान वालो ! तुम्हारे बाप और भाई अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों, तो तुम उनको अपना दोस्त न बनाओ और तुम में से जो शख्स उनसे दोस्ती करेगा, तो वही जुल्म करने वाले होंगे।”
सामने वाले की बात पूरी तवज्जोह से सुनना
जब आप (ﷺ) से कोई मुलाकात करता और गुफ्तगू करता,
तो आप (ﷺ) उस की तरफ से तवज्जोह न हटाते, यहाँ तक के वह आप से रुख न हटा लेता।
मोमिन पर तोहमत लगाने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स अपने मोमिन भाई को मुनाफिक के शर से बचाए, तो अल्लाह तआला कयामत के दिन ऐसे आदमी के साथ एक फरिश्ते को मुकर्रर कर देगा, जो उसके बदन को जहन्नम से बचाएगा; और जो आदमी भोमिन भाई पर किसी चीज़ की तोहमत लगाए जिस से उस को जलील करना मक्सूद हो, तो अल्लाह तआला उस को जहन्नम के पुल पर रोक देगा, यहाँ तक के वह अपनी कही हुई बात का बदला न दे दे।“
दीनदार औरत से निकाह करो
हुस्न, खानदान और मालदारी की वजह से निकाह न करो
एक और रिवायत में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम औरतों से (सिर्फ) उन के हुस्न व जमाल की वजह से शादी न करो क्योकि हुस्न व जमाल खत्म होने वाला है और न उनकी मालदारी की वजह से शादी करो, मुमकिन है यह मालदारी उनको नाफ़रमानी में मुब्तला कर दे, अलबत्ता उनसे दीनदारी की बूनियाद पर निकाह करो।”
📕 इब्ने माजा: १८५९
दीनदारी की वजह से औरत से निकाह करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“औरत से चार चीजों की वजह से निकाह किया जाता है। उसके माल, हसब नसब, खूबसूरती और दीनदारी की वजह से। तुम्हारा भला हो! तुम दीनदार औरत को पसन्द कर के कामयाब हो जाओ।”
जन्नत का खज़ाना: ला हौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह कसरत से पढ़ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
”(ला हौला वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह) बकसरत से पढ़ा करो,
इस लिए के वह जन्नत के खज़ानों में से एक खज़ाना है।”
तर्जुमा: कोई क़ुव्वत नहीं बचाने वाली सिवा अल्लाह के जो अज़ीम-तर है।
दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”
📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०
नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।
बुरे लोगों की सोहबत से बचने की दुआ
अपने आप को और अपनी औलाद को बुरे लोगों की सोहबत से बचाने के लिये यह दुआ पढ़े:
“Rabbi najjinee waahlee mimma yaAAmaloon”
तर्जमा: ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे अहल व अयाल को उनके (बुरे) काम से नजात अता फ़र्मा।
गुर्दे की बीमारियों का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
“पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।”
📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि०
फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।
हदिया कबूल करना
हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है:
रसूलुल्लाह (ﷺ) हदिया कबूल फर्माते थे और उसका बदला भी इनायत फर्माते थे।
कब्र में ही ठिकाने का फैसला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जब तुम में से कोई वफात पा जाता है, तो उस को सुबह व शाम उस का ठिकाना दिखाया जाता है, अगर जन्नती हो, तो जन्नत वालों का और अगर जहन्नमी है, तो जहन्नम वालों का ठिकाना दिखाया जाता है, फिर कहा जाता है: यह तेरा ठिकाना है यहाँ तक के अल्लाह तआला क़यामत के दिन तुझे दोबारा उठाए।”
कुरआन सुनने से रोकने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“यह काफिर लोग (एक दूसरे से) कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उस के दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम ग़ालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अज़ाब का मज़ा चखाएँगे और यकीनन हम उनको बुरे आमाल का बदला देंगे, जो वह किया करते थे।”
कयामत किन लोगों पर आएगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“कयामत सिर्फ बदतरीन लोगों पर ही आएगी।”
फायदा: जब तक इस दुनिया में एक शख्स भी अल्लाह का नाम लेने वाला जिंदा रहेगा, उस वक्त तक दुनिया का निजाम चलता रहेगा, लेकिन जब अल्लाह का नाम लेने वाला कोई न रहेगा और सिर्फ बदतरीन और बुरे लोग ही रह जाएँगे, तो उस वक़्त क़यामत कायम की जाएगी।
नफा न पहुँचाने वाली नमाज़ से पनाह मांगना
हजरत अनस (र.अ) का बयान है के
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे :
तर्जुमा : ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता है उस नमाज से जो नफा न पहुँचाती हो।
किसी पर तोहमत लगाना गुनाह अज़ीम है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो शख्स कोई छोटा या बड़ा गुनाह करे फिर उस की तोहमत (इल्जाम) किसी बेगुनाह पर लगा दे तो उसने बहुत बड़ा बोहतान और खुले गुनाह का बोझ अपने ऊपर लाद लिया।”
मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज
हजरत अबू हिन्ददारी (र.अ) कहते हैं के –
रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया। आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया:
“बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ! मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पेटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।”
इमाम से पहले सर उठाने का गुनाह
रसूलल्लाह ﷺ ने फ़र्माया:
“क्या वह शख्स जो (बाजमात नमाज़ में) इमाम से पहले अपने सर को उठाता है, इस बात से नहीं डरता, के अल्लाह तआला उसके सर को गधे का सर बना देगा, या उस की शक्ल गधे जैसी बना देगा।”
मुजिजात को न मानने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब उन के रसूल उन के पास खुली हुई दलीलें ले कर आए, तो वह लोग अपने उस दुनियावी इल्म पर नाज़ करते रहे, जो उन्हें हासिल था, आखिरकार उनपर वह अज़ाब आ पड़ा जिस का वह मज़ाक़ उड़ाया करते थे।”
आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :
“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)
मरीज़ के अयादत की फ़ज़ीलत
हज़रत अली (रज़ीअल्लाहु अन्हु) कहते है के ;
“जो शख्स किसी बीमार की दिन के आखिर हिस्से (शाम) में अयादत करता है तो इसके साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते है और फज़र तक इस के लये मगफिरत की दुआ करते है, और इस के लिए जन्नत में एक बाग़ होता है, और जो शख्स दिन के इब्तेदाई (सुबह) में अयादत के लिए निकलता है इसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते और शाम तक इस के लिए दुआ-ऐ-मग़फ़िरत करते है और इसके लिए जन्नत में एक बाग़ है।”
मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है।
खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।
इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।”
जमात के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।”
बीवी की विरासत में शौहर का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह ताआला फ़र्माता है :
“तुम्हारे लिए तुम्हारी बीवियों के छोड़े हुए माल में से आधा हिस्सा है, जब के उन को कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो, तो तुम्हारी बीवियो के छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है (तुम्हें यह हिस्सा) उन की वसिय्यत और कर्ज अदा करने के बाद मिलेगा।”
नमाज़ी पर जहन्नम की आग हराम है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स पाँचों नमाजों की इस तरह पाबंदी करे के वजू और औक़ात का एहतेमाम कर, और सज्दा अच्छी तरह करे और इस तरह नमाज पढने को अपने जिम्मे अल्लाह तआला का समझे, तो उस आदमी को जहन्नम की आग पर हराम कर दिया जाएगा।”
रुकू व सज्दे में उंगलियों को रखने का तरीका
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब रुकू फ़र्माते तो
(हाथों की) उंगलियों को खुली रखते और जब सज्दा फरमाते, तो उंगलियाँ मिला लेते।
नेक अमल करने वालों का इनाम
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, वह जन्नत के बागों में दाखिल होंगे, वह जिस चीज़ को चाहेंगे उनके रब के पास उन को मिलेगी। (उनकी) हर ख्वाहिश का पूरा होना भी बड़ा फज़ल व इनाम है।”
नमाज़ छोड़ने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २७
“नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।” 📕 मुस्लिम : २४६
“ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।” 📕 इब्ने माजा : १०७८
फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ
फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ
फितना व फसाद करने वालों पर गलबा पाने के लिये क़ुरआन की इस दुआ का एहतेमाम करना चाहिये:
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
قَالَ رَبِّ انصُرْنِي عَلَى الْقَوْمِ الْمُفْسِدِينَ
“Rabbi onsurnee AAala alqawmi almufsideena”
तर्जुमा: ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे फसाद करने वाली कौम पर गलबा अता फर्मा।
खुजली का इलाज
हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के :
रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।”
फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।
रसूल (ﷺ) के हुक्म को न मानने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म की खिलाफ वरजी करते हैं,
उनको इस से डरना चाहिये के कोई आफत उन पर आ पड़े
या कोई दर्दनाक अज़ाब उन पर आ जाए।”
कुफ्र व नाफर्मानी की सजा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो शख्स मुंह मोड़ेगा और कुफ्र करेगा, तो अल्लाह तआला उस को बड़ा अज़ाब देगा फिर उन को हमारे पास आना है। फिर हमारे ज़िम्मे उन का हिसाब लेना है।”
सिला रहमी करना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।”
फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला फर्माता है, जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे, जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”
कर्जो और ग़मों से नजात की दुआ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने कर्ज़ों और ग़मों से छुटकारे के लिये सुबह व शाम यह दुआ पढ़ने के लिये फर्माया :
“Allahumma inni a’udhu bika minal-hammi wal hazan, wa a’udhu bika minal-‘ajzi wal-kasal wa a’udhu bika minal-jubni wal-bukhul wa a’udhu bika min ghalabatid-dayn wa qahrir-rijal.”
तर्जुमा: ए अल्लाह मैं पनाह चाहता हु रंज और ग़म से, और पनाह चाहता हूँ आजज़ी और कुसली (सुस्ती) से और पनाह चाहता हूँ बुख़ल और बुज़दिली से और पनाह चाहता हु कसरत ए क़र्ज़ से और लोगों के ग़लबा पाने से।
किसी बुराई को देखे तो उसे रोकने की कोशिश करे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“तुम में से जो शख्स किसी बुराई को देखे तो उसे अपने हाथ से रोके अगर इस की ताकत न हो तो अपनी ज़बान से रोके, फिर अगर इस की भी ताकत न हो तो दिल से उस जाने और यह ईमान का सब से कमजोर दर्जा है।”
मस्जिदे नबवी में चालीस नमाज़ों का सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस ने मेरी मस्जिद में चालीस नमाज़े अदा की और कोई नमाज़ कजा नहीं की, तो उस के लिए जहन्नम से बरात और अज़ाब से नजात लिख दी जाती है और निफ़ाक से बरी कर दिया जाता है।”
इंसाफ करने वाले नूर के मिम्बरों पर होंगे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“इंसाफ करने वाले अल्लाह तआला के पास नूर के मिम्बरों पर होंगे और यह वह लोग होंगे जो अपनी हुकूमत, अहल व अयाल और रिआया के मुतअल्लिक इन्साफ से काम लेते हैं।”
माँगी हुई चीज़ का लौटाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“(वापसी की शर्त पर) माँगी हुई चीज़ को वापस किया जाएगा।”
खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।
दो चीज़ों की ख्वाहिश
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“बूढ़े आदमी का दिल दो चीजों के बारे में हमेशा जवान रहता है, एक दुनिया की मुहब्बत और दूसरी लम्बी लम्बी उम्मीदें।”
वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।”
इंसाफ न करने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स मेरी उम्मत की किसी छोटी या बड़ी जमात का जिम्मेदार बने फिर उनके दर्मियान अदल व इन्साफ न करे तो अल्लाह तआला उसको औंधे मुंह जहन्नम में डाल देगा।“
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।”
(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
दुनिया में चैन व सुकून नहीं है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“खबरदार ! दुनिया के बारे में जो कुछ मैं जानता हूँ, अगर तुम भी जानने लगो,
तो तुम्हें कभी दुनिया में चैन नसीब न हो।”
अल्लाह की चाहत दुनिया नहीं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।”
फायदा: इंसान हर वक़्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगा रहता है, हालांकि अल्लाह तआला चाहते हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र ज्यादा की जाए, क्योंकि आखिरत में हमेशा रहना है।
तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“तुम्हारे रब ने फरमाया है के मुझ से दुआ माँगो मैं तुम्हारी दुआ कबूल करूँगा, बिला शुबा जो लोग मेरी इबादत करने से एराज़ करते हैं, वह अन्ज़रीब ज़लील हो कर जहन्नम में दाखिल होंगे।”
दुनिया के फ़ितनों से बचो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“सुनो ! दुनिया मीठी और हरी भरी है और अल्लाह तआला जरूर तुम्हें इस की खिलाफत अता फरमाएगा, ताके देखें के तुम कैसे आमाल करते हो, पस तुम दुनिया से और औरतों (के फितने) से बचो।”
अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है और मरते दम तक इस्लाम पर क़ाएम रहना।”
डर और घबराहट की दुआ
डर और घबराहट की दुआ
एक शख्स ने हुज़ूर (ﷺ) से डर और वहेशत की शिकायत की तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: यह पढ़ो –
فَتَعَالَى اللَّهُ الْمَلِكُ الْحَقُّ ۖ لَا إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ
(फ़ताआला अल्लाहु अलमालिकु अलहक़्क़ु ला इलाहा इल्ला हुवा रब्बू अलअर्शी अलक़रीमी)
तर्जमा: उस मुकद्द्स बादशाह की पाकी बयान करता हूँ जो फरिश्तों और रूह का रब है उसकी इज़्ज़त व ज़बरूत से ज़मीन व आसमान रौशन हैं।
हलाक करने वाली चीजें
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“हर ऐसे शख्स के लिये बड़ी ख़राबी है, जो ऐब लगाने वाला और ताना देने वाला हो,
जो माल जमा करता हो और उस को गिन गिन कर रखता हो
और ख़याल करता हो के उस का (यह) माल हमेशा उस के पास रहेगा। हरगिज़ ऐसा नहीं है, वह ऐसी आग में डाला। जाएगा जिसमें जो कुछ पड़ेगा वह उस को तोड़फोड़ कर रख देगी।”
कसरत से अल्लाह का जिक्र करना
अब्दल्लाह बिन अबी औफ़ (र.अ) बयान करते हैं के :
“रसुलल्लाह (ﷺ) कसरत से (अल्लाह का) जिक्र फरमाते, बेजा बात ना फरमाते, नमाज़ लम्बी पढ़ते, खुत्बाब मुख्तसर देते और बेवाओं और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने के लिए चलने में आर और शर्म महसूस न फरमाते।”
हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है और सच और नेकी जन्नत में दाखिल करने वाले हैं। तुम झूट से बचो क्योंकि वह गुनाह का रास्ता बताता है और झूट और गुनाह जहन्नम में दाखिल करने वाले हैं।”
सबसे पहले जिन्दा होने वाले
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हम दुनिया में सबसे आखिर में आए हैं, लेकिन कल हश्र (यानी आखिरत में जब सब को जमा किया जाएगा) तो हम सबसे पहले जिन्दा किये जाएँगे।”
सखावत इख़्तियार करना
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला सखी है और सखावत को पसन्द करता है।
अच्छे अख्लाक़ को पसन्द करता है
और बुरे अख्लाक को नापसन्द करता है।”
अच्छी तरह वुजू कर के नमाज़ के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम में से जो शख्स अच्छी तरह मुकम्मल वुजू करता है, फिर नमाज ही के इरादे से मस्जिद में आता है, तो अल्लाह तआला उस बंदे से ऐसे खुश होता हैं जैसे के किसी दूर गए हुए रिश्तेदार के अचानक आने से उसके घर वाले खुश होते हैं।”
ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :
“ऐ ईमान वालो तुम शैतान के नक्शे कदम पर न चलो और जो शैतान के नक्शे कदम पर चलेगा तो शैतान तो बेहयाई और बुरी बातों का हुक्म करता है।”
इस्मिद सुरमा लगाना
हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) फरमाते हैं के,
“रसूलुल्लाह (ﷺ) से हर रात सोने से पहले तीन मर्तबा इस्मिद सुरमा लगाया करते थे।”
हर मर्ज़ का इलाज मौजूद है
हज़रत उसामा (र.अ) बयान करते है के,
मैं हुज़ूर (ﷺ) की ख़िदमत में मौजूद था के,
कुछ देहात के रहने वाले आए और आप (ﷺ) से अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह ! क्या हम दवा करें? तो रसूलुल्लाह ने फ़रमाया: ”अल्लाह के बन्दो! ज़रूर दवा किया करो: इसलिये के कोई बीमारी ऐसी नहीं है जिसकी दवा अल्लाह ने न पैदा की हो, सिवाए एक बीमारी के और वह बुढ़ापा है।”
माल व औलाद की मुहब्बत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(माल व औलाद की) कसरत और (दुनिया के सामान पर) फख्र ने तुम को (अल्लाह की याद से) ग़ाफिल कर दिया है, यहाँ तक के तुम कब्रिस्तान जा पहुँचते हो, हरगिज़ ऐसा न करो, तुमको बहुत जल्द मालूम हो जाएगा।”
कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा
नमाज़ की सेहत पर रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज़ खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।”
“क़यामत में सब से पहले नमाज़ का हिसाब लिया जाएगा, अगर वह अच्छी और पूरी निकल आई तो बाकी आमाल भी पूरे उतरेंगे और अगर वह खराब हो गई, तो बाक़ी आमाल भी खराब निकलेंगे।”
अल्लाह से मुहब्बत
रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह तआला से मुहब्बत रखो, इस वजह से के वह तूमको खाने के लिये अपनी नेअमतें देता है और मुझ से मुहब्बत रखो, इस वजह से के अल्लाह तआला को मुझ से मुहब्बत है।”
शौहर की विरासत में बीवी का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह तअला फर्माता है :
“उन औरतों के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो अगर तुम्हारी औलाद हो तो उन के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में आठवाँ हिस्सा है (उन को यह हिस्सा) तुम्हारी वसिय्यत और कर्ज को अदा करने के बाद मिलेगा।”
फायदा : शौहर के इन्तेकाल के बाद अगर उस की कोई औलाद न हो, तो बीवी को शौहर के माल का चौथाई हिस्सा देना और अगर कोई औलाद हो, तो आठवाँ हिस्सा देना जरूरी है।
बगैर किसी उज्र के नमाज़ क़ज़ा करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो शख्स दो नमाज़ों को बगैर किसी उज्र के एक वक्त में पढ़े वह कबीरा गुनाहों के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुँच गया।”
जन्नत हासिल करने के लिये दुआ करना
जन्नत हासिल करने के लिये इस दुआ को कसरत से माँगे:
तर्जमा: (ऐ मेरे रब!) मुझ को जन्नत की नेअमतों का वारिस बना दे।
किसी इज्जत की हिफाज़त करने का सवाब
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिस ने पीठ पीछे अपने भाई की इज्जत की हिफाजत की। अल्लाह तआला अपनी जिम्मेदारी से उस को (जहन्नम की) आग से आज़ाद कर देगा।”
गुनहगारों के साथ क़ब्र का सुलूक
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब गुनहगार या काफिर बन्दे को दफन किया जाता है, तो क़ब्र उससे कहती है : तेरा आना नामुबारक हो, मेरी पीठ पर चलने वालों में तू मुझे सब से ज़ियादा ना पसन्द था, जब तू मेरे हवाले कर दिया गया है और मेरे पास आ गया है, तो तू आज मेरी बद सुलूकी देखेगा, फिर क़ब्र उस को दबाती है और उस पर मुसल्लत हो जाती है, तो उस की पसलियाँ एक दूसरे में घुस जाती है।”
माल की मुहब्बत खुदा की नाशुक्री का सबब है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“इन्सान अपने रब का बड़ा ही नाशुक्रा है, हालाँ के उसको भी इस की खबर है (और वह ऐसा मामला इस लिये करता है) के उस को माल की मुहब्बत ज़ियादा है।”
हराम चीज़ों का बयान
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“तुम पर मरा हुआ जानवर, खून और खिंजीर का गोश्त हराम कर दिया गया है और वह जानवर भी जिस पर (ज़िब्हा करते वक्त) अल्लाह के अलावा किसी दूसरे का नाम लिया गया हो।”
नमाज़ के लिये पैदल आना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“सब से जियादा नमाज का सवाब उस आदमी को मिलेगा जो सबसे जियादा पैदल चल कर आए फिर उससे जियादा सवाब उस आदमी को मिलेगा जो उस से ज़ियादा दूर से चल कर आए।”
मौत की सख्ती के वक़्त की दुआ
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने मौत से पहले यह दुआ पढ़ी थी :
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मौत की सख्तियों और बेहोशियों पर मेरी मदद फ़र्मा।
📕 तिर्मिजी : ९७८
इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो: हदीस
इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से कोई घर में दाखिल होने के लिए तीन मर्तबा इजाजत मांगे और उस को इजाजत न मिले,या कोई जवाब न मिले तो उस को वापस हो जाना चाहिए।”