- इस्लामी तारीख: हजरत उम्मे ऐमन (र.अ)
- अल्लाह की कुदरत: नारियल में अल्लाह तआला की कुदरत
- एक फर्ज के बारे में: कज़ा नमाज़ों की अदायगी
- एक सुन्नत के बारे में: सजदा करने का सुन्नत तरीका
- एक अहेम अमल की फजीलत: मुसलमान भाई के लिए दुआ करना
- एक गुनाह के बारे में: बड़े गुनाह
- दुनिया के बारे में : दुनिया की मुहब्बत से बचना
- आख़िरत के बारे में: अहले जन्नत का हाल
- तिब्बे नबवी से इलाज: नजरे बद का इलाज
- कुरआन की नसीहत: औरतों के साथ हुस्ने सुलूक से जिन्दगी गुजारो
1. इस्लामी तारीख:
हजरत उम्मे ऐमन (र.अ)
. हजरत उम्मे ऐमन हुजूर (ﷺ) के वालिद की बांदी थीं, आप के वालिद के इन्तेकाल के बाद मीरास में आप के पास आ गई, उन का नाम बरकत बिन्ते सालबा था, वालिदा मोहतरमा की वफ़ात के बाद उम्मे ऐमन ने आप की पर्वरिश फर्माई। इसी लिये हुजूर (ﷺ) फ़र्माते थे: मेरी वालिदा के बाद उम्मे ऐमन मेरी वालिदा हैं, हुजूर (ﷺ) ने आज़ाद कर के उन का निकाह उबैद बिन जैद से कर दिया, बाद में उन का निकाह जैद बिन हारसा से हुआ।
. पहले शौहर से ऐमन और दूसरे शौहर से उसामा पैदा हुए। उम्मे ऐमन शुरू ही जमाने में मुसलमान हो गईं, उन्होंने हब्शा और मदीने की हिजरत फ़रमाई, वह ग़ज्व-ए-उहुद में जख्मियों का इलाज, मरहम पट्टी और पानी पिलाने पर मुकर्रर थीं। इसी तरह आप ने गज्व-ए-खैबर में भी शिरकत की।
. हुजूर (ﷺ) की वफ़ात पर हजरत उम्मे ऐमन ने बड़ा दर्द भरा कसीदा कहा। हुजूर (ﷺ) की जुदाई बरदाश्त न कर सकीं और आप की वफ़ात के सिर्फ पाँच महीने बाद शाबान सन ११ हिजरी में उनका भी इन्तेक़ाल हो गया।
2. अल्लाह की कुदरत
नारियल में अल्लाह तआला की कुदरत
. अल्लाह तआला ने नारियल को बनाया और अपनी कुदरत से इस में ऐसा पानी रखा के वह पानी अगर जमीन को खोदें तो उसमें नहीं, दरख्त को काटें तो उस में नहीं, लेकिन अल्लाह तआला ने सिर्फ अपनी कुदरत से इस फल के अंदर ऐसा पानी रखा है जिस में बहुत सी बीमारियों के लिए शिफा और इलाज है।
3. एक फर्ज के बारे में:
कज़ा नमाज़ों की अदायगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जो कोई नमाज़ पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उस का कफ़्फ़ारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।” [तिर्मिज़ी : १७७, अन अबी कतादा]
वजाहत: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की हालत में नमाज का वक्त गुजर जाए, तो बाद में उस को पढ़ना फर्ज है।
4. एक सुन्नत के बारे में:
सजदा करने का सुन्नत तरीका
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सजदा फ़र्माते तो अपनी नाक और पेशानी को जमीन पर रखते और अपने बाजुओं को पहलू से अलग रखते और अपनी हथेलियों को कांधे के बराबर रखते। [तिर्मिजी: २७०, अन अबी हुमंद]
5. एक अहेम अमल की फजीलत:
मुसलमान भाई के लिए दुआ करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “सब से जल्द कबूल होने वाली दुआ वह है, जो दुआ कोई मुसलमान अपने ऐसे भाई के लिए करे जो मौजूद न हो।” [तिर्मिज़ी: १९८०, अन अब्दुल्लाह बिन अम्र]
6. एक गुनाह के बारे में:
बड़े गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया ; क्या मैं तुम्हें गुनाहों में सब से बड़े गुनाह की खबर न दे दूँ? यह बात रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तीन बार फ़रमाई। सहाबा ने अर्ज किया: ऐ अल्लाह के रसूल ! क्यों नहीं ! (जरुर बताइए), रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना और माँ बाप की नाफरमानी करना और झूठी गवाही देना।” [मुस्लिम : २५९]
7. दुनिया के बारे में :
दुनिया की मुहब्बत से बचना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “अल्लाह तआला तुम्हारे दुश्मनों के दिल से तुम्हारा खौफ़ खत्म कर देगा और तुम्हारे दिलों में वहन डाल देगा।” सहाबा (र.अ) ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह! वहन | क्या चीज़ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : दुनिया की मुहब्बत और मौत को ना पसंद करना।” [अबू दाऊद : ४२९७, अन सीवान]
8. आख़िरत के बारे में:
अहले जन्नत का हाल
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “जो लोग अपने रब से डरते रहे, उनको भी गिरोह के गिरोह बना कर जन्नत की तरफ़ रवाना किया जाएगा और जन्नत के मुहाफिज़ (फरिश्ते) उन से कहेंगे : तुम पर सलामती हो अच्छी तरह (मज़े में) रहो, जाओ जन्नत में हमेशा हमेशा के लिए दाखिल हो जाओ।” [सूर-ए-जुमर : ७३]
9. तिब्बे नबवी से इलाज:
नजरे बद का इलाज
इब्ने अब्बास (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) अल्लाह से हुसैन व हसन (रज़ी अल्लाहु अन्हु) के लिए तलब किया करते थे और फरमाते थे की “तुम्हारे बुज़ुर्ग दादा इब्राहिम (अलैहि सलाम) भी इस्माइल और इस्हाक़ (अलैहि सलाम) के लिए इन्ही कलीमात के जरिये अल्लाह की पनाह माँगा करते थे। ‘अवज़ू बि-कलिमातील्लाही तमात्ति मीन कुल्ली शैतानींन व हम्मातींन वा-मिन कुल्ली अयेनिन लामातिन।’”
तर्जुमा : मैं पनाह मांगता हु अल्लाह की पुरे पुरे कलिमात के जरिए, हर शैतान से और हर ज़हरीले जानवर से और हर नुकसान पहुँचाने वाली नज़र-ए-बद्द से। [सहीह अल-बुखारी 3371]
10. कुरआन की नसीहत:
औरतों के साथ हुस्ने सुलूक से जिन्दगी गुजारो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : “तुम औरतों के साथ हुस्ने सुलूक से जिन्दगी गुजारो और अगर तुम को उन की (कोई आदत) अच्छी न लगे (तो उसकी वजह से सख्ती का बर्ताव न किया करो। बल्के उस पर सब्र करो) क्योंकि, मुमकिन है तुम कीसी चीज को नापसंद करो, मगर अल्लाह तआला ने उसमें बहुत ज़ियादा भलाई रख दी हो।” [सूर-ए-निसा:१९]