۞ Bismillah-Hirrahman-Nirrahim ۞
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अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है:
❝ क्या तुम लोग आखिरत की ज़िन्दगी के मुकाबले दुनिया की जिन्दगी पर राजी हो गए ? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले कुछ भी नहीं। ❞
❝ Kya tum log Aakhirat ki zindagi ke muqable dunia ki zindagi par razi ho gaye ? Dunia ka maal wa matah to aakhirat ke muqable kuch bhi nahi. ❞
(इस लिये किसी इन्सान के लिये मुनासिब नहीं है के वह आखिरत को भूलकर जिन्दगी गुज़ारे या दुनिया के थोड़े से साजो सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद करे)