1
बदज़ुबानी से बचो।
2
गुस्से को पी जाओ।
3
दूसरों के साथ भलाई करो।
4
घमंड से बचो।
5
दूसरों की गलतियां माफ करो।
6
लोगों से नरमी से बात करो।
7
अपनी आवाज़ नीची रखों।
8
दूसरों का मज़ाक न उड़ाओ।
9
वालदैन की इज़्ज़त और उनकी फरमानबरदारी करो।
10
वालदैन की बेअदबी से बचो और उनके सामने उफ़ तक न कहो।
11
इजाज़त के बिना किसी के कमरे मे (निजी कक्ष) में दाखिल न हो।
12
आपस में क़र्ज़ के मामलात लिख लिया करो।
13
किसी की अंधी तक़लीद मत करो।
14
अगर कोई तंगी मे है तो उसे कर्ज़ उतारने में राहत दो।
15
ब्याज मत खाओ।
16
रिश्वत मत खाओ।
17
वादों को पूरा करो।
18
आपस में भरोसा कायम रखो।
19
सच और झूठ को आपस में ना मिलाओ।
20
लोगों के बीच इंसाफ से फैसला करो।
21
इंसाफ पर मज़बूती से जम जाओ।
22
मरने के बाद हर शख्स की दोलत उसके करीबी रिश्तेदारों में बांट दो।
(सूरह 4:7)
23
औरतों का भी विरासत में हक है।
(सूरह 4:7)
24
यतीमों का माल नाहक मत खाओ।
25
यतीमों का ख्याल रखो।
26
एक दूसरे का माल नाजायज़ तरीक़े से मत खाओ।
27
किसी के झगड़े के मामले में लोगों के बीच सुलह कराओ।
28
बदगुमानी(guesswork) से बचो।
29
गवाही को मत छुपाओ।
30
एक दूसरे के भेद न टटोला करो और किसी की चुगली मत करो।
31
अपने माल में से खैरात करो।
32
मिसकीन गरीबों को खिलाने की तरग़ीब दो।
33
जरूरतमंद को तलाश कर उनकी मदद करो।
34
कंजूसी और फिज़ूल खर्ची से बचा करो।
35
अपनी खैरात लोगों को दिखाने के लिये और एहसान जताकर बर्बाद मत करो।
36
मेहमानों की इज़्ज़त करो।
37
भलाई पर खुद अमल करने के बाद दूसरों को बढ़ावा दो।
38
ज़मीन पर फसाद मत करो।
39
लोगों को मस्जिदों में अल्लाह के ज़िक्र से मत रोको।
40
सिर्फ उन से लड़ो जो तुम से लड़ें।
41
जंग के आदाब का ख्याल रखना।
42
जंग के दौरान पीठ मत फेरना।
43
दीन में कोई ज़बरदस्ती नहीं।
44
सभी पैगम्बरों पर इमान लाओ।
45
हालते माहवारी में औरतों के साथ संभोग न करो।
46
मां बच्चों को दो साल तक दूध पिलाएँ।
47
खबरदार! ज़िना (fornication) के पास किसी सूरत में भी नहीं जाना।
48
हुक्मरानो(शाशको) को खूबीे देखकर चुना करो।
49
किसी पर उसकी ताकत से ज़्यादा बोझ मत डालो।
50
आपस में फूट मत डालो।
51
दुनिया की तखलीक चमत्कार पर गहरी चिन्ता करो।
52
मर्दों और औरतों को आमाल का सिला बराबर मिलेगा।
53
खून के रिश्तों में शादी मत करो।
54
मर्द परिवार का हुक्मरान है।
55
हसद और कंजूसी मत करो।
56
हसद मत करो।
57
एक दूसरे का कत्ल मत करो।
58
खयानत करने वालों के हिमायती मत बनो।
59
गुनाह और ज़ुल्म व ज़यादती में मदद मत करो।
(सूरह 5:2)
60
नेकी और भलाई में सहयोग करो।
61
अक्सरियत मे होना सच्चाई का सबूत नहीं।
62
इंसाफ पर कायम रहो।
(सूरह 5:8)
63
जुर्म की सज़ा मिसाली तौर में दो।
64
गुनाह और बुराई आमालियों के खिलाफ भरपूर जद्दो जहद करो।
65
मुर्दा जानवर, खून, सूअर का मांस निषेध (हराम) हैं।
66
शराब और नशीली दवाओं से खबरदार।
67
जुआ मत खेलो।
68
दूसरों की आस्था का मजाक ना उडाओ।
69
लोगों को धोखा देने के लिये नाप तौल में कमी मत करो।
70
खूब खाओ पियो लेकिन हद पार न करो।
71
मस्जिदों में इबादत के वक्त अच्छे कपड़े पहनें।
72
जो तुमसे मदद और हिफाज़त और पनाह के तलबगार हो उसकी मदद और हिफ़ाज़त करो।
(सूरह 9:6)
73
पाक साफ रहा करो।
74
अल्लाह की रहमत से कभी निराश मत होना।
75
अज्ञानता और जिहालत के कारण किए गए बुरे काम और गुनाह अल्लाह माफ कर देगा।
76
लोगों को अल्लाह की तरफ हिकमत और नसीहत के साथ बुलाओ।
77
कोई किसी दूसरे के गुनाहों का बोझ नहीं उठाएगा।
78
मिसकीनी और गरीबी के डर से बच्चों की हत्या मत करो।
79
जिस बात का इल्म न हो उसके पीछे(Argue) मत पड़ो।
80
निराधार और अनजाने कामों से परहेज़ करो।
81
दूसरों के घरों में बिला इजाज़त मत दाखिल हो।
82
जो अल्लाह में यकीन रखते हैं, अल्लाह उनकी हिफाज़त करेगा।
83
ज़मीन पर आराम और सुकून से चलो।
84
अपनी दुनियावी ज़िन्दगी को अनदेखा मत करो।
85
अल्लाह के साथ किसी और को मत पुकारो।
86
समलैंगिकता से बचा करो।
87
अच्छे कामों की नसीहत और बुरे कामों से रोका करो।
88
ज़मीन पर शेखी और अहंकार से इतरा कर मत चलो।
89
औरतें अपने बनाओ सिंघार पर तकब्बुर (गर्व) ना करें।
90
अल्लाह सभी गुनाहों को माफ कर देगा सिवाय शिर्क के।
91
अल्लाह की रहमत से मायूस मत हो।
92
बुराई को भलाई से दफा करो।
93
नमाज़ से अपने काम अंजाम दो।
94
तुम से ज़्यादा इज़्ज़त वाला वो है जिसने सच्चाई और भलाई इख्तियार की हो।
95
दीन मे रहबानियत मौजूद नहीं।
96
अल्लाह के यहां इल्म वालों के दरजात बुलंद हैं।
97
ग़ैर मुसलमानों के साथ उचित व्यवहार और दयालुता और अच्छा व्यवहार करो।
98
अपने आप को नफ़्स की हर्ष पाक रखो।
99
अल्लाह से माफी मांगो वो माफ करने और रहम करनेवाला है।
अल्लाह तआला हम सब को कहने, सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फरमाये और नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताये हुए रास्ते पर चलने की तौफीक अता फरमाये जो फिरको मे बट रहे है उनको उनके हाथो मे दामन ए मुस्तफा ﷺ दे… और सही रास्ते पर चलने की तौफीक दे। ईमान की दौलत और कलिमा तययब पर खत्मा फरमा… अगर आपको ये लगता है इस post से दुसरो को भी अच्छी जानकारी मिलेगी तो इसे शेयर करे।
Recent Posts
Allah ki Neymato ka Izhar Kiya Karo …
807,273
Momin Ki Sifat ke wo Shukr Karta Hai Allah ka aur Sabr Karta Hai Musibat Par
807,448
Sadqa Faqeer Ke Saamne A’ajizee Se Ba-Adab Pesh Karo ….
807,218
Al-Quran: Aye Imanwalo! Kisi ke Aib ki talash me mat raho
807,395
Har Shakhs Se Assalaam-O-Alaykum Kare ….
807,361
Waqt ki Pabandi, Soney aur Jaagne ka Waqt | Post 4 | Islam aur Humara Ghar
वक्त की पाबन्दी, सोने और जागने का वक़्त » पोस्ट 4⃣ » इस्लाम और हमारा घर
942
Koi Musalman kisi Musalman se 3 Din se jyada ki Narazgi me Marr gaya tou Jahannam me Jayega
809,884
Jashne Eid Milad un Nabi (ﷺ) ki Sharayi daleel aur iski Hakikat
808,239
Taajjub Hai Uss Ghafil Shakhs Par ….
807,281
Tijarat me Qasam Ki Kasrat Se Parhez Kiya Karo
807,680
Sood aur Rishwat (Complete Lecture) by Adv. Faiz Syed
807,221
Nikah Nigaah aur Sharamgah ki hifazat karta hai aur Roza Sehwat ko kum karta hai [Hadith: Bukhari,Tirmizi]
808,416
Kitne Din Biwi se Door Rehne par Nikah toot jata hai by Adv. Faiz Syed
3,617
Allah ke Nazdik Sab se Pasandeda Amaal
807,370
सउदी में फंसे भारतीयों के लिए किंग सलमान ने की 178 करोड़ रूपये की मदद …
807,126
2
3
…
177
Next