- इस्लामी तारीख: उम्मुल मोमिनीन हज़रत जैनब (र.अ)
- हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा: उंगलियों से पानी का निकलना
- एक फर्ज के बारे में: हमेशा सच बोलो
- एक सुन्नत के बारे में: वित्र के बाद की दुआ
- एक अहेम अमल की फजीलत: मर्ज पर सब्र करना
- एक गुनाह के बारे में: अच्छे बुरे बराबर नहीं हो सकते
- दुनिया के बारे में : दुनिया आरज़ी और आखिरत मुस्तकिल है
- आख़िरत के बारे में: हमेशा की जन्नत व जहन्नम
- तिब्बे नबवी से इलाज: खुबी (मशरूम) से आँखों का इलाज
- नबी ﷺ की नसीहत: सच्चाई में दिल का सुकून होता है
1. इस्लामी तारीख:
उम्मुल मोमिनीन हज़रत जैनब (र.अ)
. हजरत जैनब बिन्ते खुजैमा (र.अ) का तअल्लुक़ कबील-ए-हिलाल से है, आप के वालिद का नाम खुजैमा है, हजरत मैमूना (र.अ) की माँ शरीक बहन हैं और अन्सारिया में से हैं, उन के शौहर हज़रत अब्दुल्लाह बिन जहश (र.अ) ग़ज्व-ए-उहुद में शहीद हो गए, तो आप (ﷺ) ने रमजान सन ३ हिजरी में चार सौ दिरहम महर के बदले निकाह फर्माया, बड़ी सखी थीं, गरीबों और मोहताजों की ख़बर गीरी करती थीं, अपने हाथ से कमाई करतीं और ग़रीबों में तक़सीम कर देतीं, इसी लिये उन का लकब ही उम्मल मसाकीन यानी मोहताजों की माँ हो गया। इतनी कसरत से सद्का खैरात अज्वाजे मुतहहरात में से सिर्फ इन्हीं का हिस्सा है।
. ३० साल की उम्र में रबिउल आख़िर सन ४ हिजरी में उनकी वफ़ात हुई, आप (ﷺ) ने खुद नमाज़े जनाजा पढ़ाई और जन्नतुल बक़ी में दफ़न की गईं।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा
उंगलियों से पानी का निकलना
۞ हदीस: हज़रत हय्यान बिन बुह्ह बयान करते हैं के
‘मैं एक रात सुबह तक आप के साथ रहा और मैंने फज़्र की नमाज़ के लिए अजान दी, फ़िर जब नमाज़ का वक्त हुआ, तो हुजूर (ﷺ) ने मुझे एक बर्तन दिया और मैं ने उस में से वुजू किया और नबी (ﷺ) बर्तन में अपनी उंगलियाँ रखे हुए थे, मैं ने देखा के पानी आप (ﷺ) की उंगलियों से जारी था। आप (ﷺ) ने फ़रमाया: तुम में से जो वुजू करना चाहे कर ले।
3. एक फर्ज के बारे में:
हमेशा सच बोलो
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“तुम सच्चाई को लाजिम पकड़ो और हमेशा सच बोलो, क्योंकि सच बोलना नेकी के रास्ते पर डाल देता है और नेकी जन्नत तक पहुँचा देती है।”
[मुस्लिम ६६३९, अन अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ)]
4. एक सुन्नत के बारे में:
वित्र के बाद की दुआ
۞ हदीस: हज़रत उबैइ बिन कअब (र.अ) फ़र्माते है के रसूलुल्लाह (ﷺ) जब नमाज़े वित्र से सलाम फेरते, तो यह दुआ पढ़ते:
तर्जमा: (मैं) हर ऐब से पाक बादशाह की पाकीज़गी बयान करता हूँ।
[अबू दाऊद : १४२०, अन उबद बिन कअब (र.अ)]
5. एक अहेम अमल की फजीलत:
मर्ज पर सब्र करना
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जब कोई बन्दा बीमार होता है, तो अल्लाह तआला दो फ़रिश्तों को भेजता है, ताके यह देखें के वह इयादत करने वाले को क्या कहता है।
अगर इयादत करने वाले की आमद पर वह अल्लाह की हम्द और तारीफ़ करता है, तो वह दोनों फ़रिश्ते उस बात को अल्लाह के पास ऊपर ले जाते हैं, तो अल्लाह तआला जो सब कुछ जानने वाला है, कहता है : “मैं अपने इस बन्दे को वफात देने के बाद जरूर जन्नत में दाखिल करूँगा, अगर मैंने इसे शिफ़ा दी, तो उसके गोश्त का इससे बेहतर गोश्त से और खून को इससे बेहतर खून से बदल दूंगा और उस के गुनाह माफ़ कर दूंगा।”
[मोअत्ता इमाम मालिक: १४७५, अन अता बिन यसार (र.)]
6. एक गुनाह के बारे में:
अच्छे बुरे बराबर नहीं हो सकते
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“क्या वह लोग जो बरे काम करते हैं यह समझते हैं के हम उन्हें और उन लोगों को बराबर कर देंगे जो ईमान लाते हैं और नेक अमल करते हैं के उन का मरना जीना बराबर हो जाए (नहीं! बल्कि), वह बहुत ही बुरी बात का फ़ैसला करते हैं।”
7. दुनिया के बारे में :
दुनिया आरज़ी और आखिरत मुस्तकिल है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“दुनिया की जिंदगी महज चंद रोजा है और अस्ल ठहरने की जगह तो आखिरत ही है।”
8. आख़िरत के बारे में:
हमेशा की जन्नत व जहन्नम
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में दाखिल कर देगा और जहन्नमियों को जहन्नम में दाखिल कर देगा, फिर उनके दर्मियान एक एलान करने वाला कहेगा के ‘ऐ जन्नतियों! अब मौत नही आएगी, ऐ जहन्नमियों! अब मौत नही आएगी (तूम में का जो जहाँ है हमेशा उसमें रहेगा)।’“
[मुस्लिम:७१८३. अन इन्ने उमर (र.अ)]
9. तिब्बे नबवी से इलाज:
खुबी (मशरूम) से आँखों का इलाज
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“खुबी का पानी आँखों के लिए शिफ़ा है।” [बुखारी : ५७०८, सईद बिन जैद (र.अ)]
फायदा: हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) अपना वाकिआ बयान करते हैं : मैं ने तीन या पाँच या सात ख़ूबियाँ ली। और उसका पानी निचोड़ कर एक शीशी में रख लिया, फ़िर वही पानी मैं ने अपनी बांदी की दूखती हुई आँख में डाला तो वह अच्छी हो गई।
[तिर्मिज़ी: २०६९]
नोट: खंबी को हिंदुस्तान के बाज इलाकों में साँप की छतरी और बाज दूसरे इलाकों में कुकुर मुत्ता कहते हैं, याद रहे के बाज बियाँ ज़हरीली भी होती हैं, लिहाजा तहकीक के बाद इस्तेमाल की जाएं।
10. नबी ﷺ की नसीहत:
सच्चाई में दिल का सुकून होता है
۞ हदीस: हज़रत हसन बिन अली (र.अ) बयान करते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से यह बात महफज़ की है के :
‘जिस चीज में शक व शुबा पैदा हो जाए उस को छोड़ दो और उस चीज को इख़्तेयार करो जिस में शक व शुबा न हो, इस लिए के सच्चाई में सुकूने कल्ब होता है और झूट में शुबा ही शुबा है।’
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