अल्लाह वालो की सिफत

अल्लाह वालो की सिफत

एक बार हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अनहु) बाज़ार में चल रहे थे।
वह एक शख्स के पास से गूज़रे जो दुआ कर रहा था।

“ऐ अल्लाह!! मुझे चन्द लोगों में शामिल कर।”
“ऐ अल्लाह मुझे चन्द लोगों में शामिल कर।”

उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने उससे पूछा।
“यह दुआ तुमने कहां से सीखी?”

वह बोला, अल्लाह की किताब से।
अल्लाह ने क़ुर्आन मे फरमाया है।

“और मेरे बन्दों में सिर्फ चन्द ही शुक्र गुज़ार हैं”

📕 अल्-कुरआन ३४:१३

हज़रत उमर (रज़ियल्लाहु अनहु) यह सुन कर रो पडे और अपने आपको यह नसीहत करते हूए बोले,

“ऐ उमर!! लोग तुमसे ज़्यादह इल्म वाले हैं, ऐ अल्लाह मुझे अपने चन्द लोगों में शामिल कर”

हम देखते हैं कि जब हम किसी शख़स से कोई गुनाह का काम छोडने के लिए कहते हैं तो वह यही कहता है कि ये तो अकसर लोग करते हैं मैं कोई अकेला थोडी ना ऐसा करता हूं।

लेकिन अगर आप क़ुर्आन में लफ्ज़ “अकसर लोग” सर्च करें तो आप को यह जवाब मिलेगा ।

👉 “अकसर लोग नहीं जानते” – (अल्-क़ुर्आन ७:१८७)

👉 “अकसर लोग शुक्र अदा नहीं करते” – (अल्-क़ुर्आन, २:२४३)

👉 “अकसर लोग ईमान नहीं लाए” – (अल्-क़ुर्आन, ११:१७)

👉 “अकसर लोग शदीद नाफरमान हैं” – (अल्-क़ुर्आन, ५:५९)

👉 “अकसर लोग जाहिल हैं” – (अल्-क़ुर्आन, ६:१११)

👉 “अकसर लोग राहे हक से हट जाने वाले हैं” – (अल्-क़ुर्आन, २१:२४)

तो अपने आपको चन्द लोगों मे डालो जिन के बारे में अल्लाह ने फरमाया:

👉 “मेरे थोडे ही बन्दे शुक्र गुज़ार हैं” – (अल्-क़ुर्आन,३४:१३)

👉 “और कोई ईमान नहीं लाया सिवाय चन्द के” (अल्-क़ुर्आन, ११:४०)

👉 “नेमत भरी जन्नतों में होंगे; अगलों में से तो बहुत-से होंगे, किन्तु पिछलों में से कम ही” – (अल्-क़ुर्आन, ५६:१२,१३,१४)

तो लिहाजा मेरे अज़ीज़ भाइयो और बहनो!!
इन्हीं चन्द लोगो मे अपने आप को शामिल करें।

और इसकी बिल्कुल फरवाह न करें कि इस रास्ते पर आप अकेले हैं।
बिलाशुबा अक्सर हक़ के रास्ते पर चन्द (बहुत कम) होते हैं ।
मगर कामयाब भी हक पर चलने वाले ही होते हैं।
क्योंकि बेशक अल्लाह उनके साथ होता है।

“ऐ अल्लाह !!!
हमें भी हक़ पर चलने वाले उन चन्द कामयाब लोगों में शामिल कर,
जिन पर तेरा करम व फ़ज़ल और ईन्आम हुवा है।”

आमीन । या रब्बल्आलमीन।

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