नमाज़ गुनाहों को ऐसे ही खत्म कर देती है जिस तरह पानी गन्दगी को नमाज़ गुनाहों को ऐसे ही खत्म कर देती है जिस तरह पानी गन्दगी को ۞ हदीस: अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: "नमाज़ गुनाहों को ऐसे ही खत्म कर देती है जिस तरह पानी मैल-कुचैल (गन्दगी) को खत्म कर देता है।" 📕 सुनन इब्ने माजाह; हदीस 1397
रोज़े की हालत में भी झूठ और दगाबाज़ी से बचे | Roze ki Halat me bhi Jhoot aur Dagabazi se bachey Hadees of the Day रोज़े की हालत में भी झूठ और दगाबाज़ी से बचे ۞ हदीस: अबू हुरैरा (र.अ.) से रिवायत है की,रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया - "अगर कोई शक्श (रोजा रख कर भी) झूठ बोलना और दगाबाजी करना ना छोड़े तो अल्लाह सुभानहु ताला को उसकी कोई जरूरत नहीं कि वो अपना खाना पीना छोड़ दे।" 📕 सहिह बुखारी, खंड 3, हदीस 1903
पसंद के मुताबिक हदिया देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा। 📕 तबरानी सगीर : ११७५ वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।
दिखावे के काम करने वाले का अंजाम दिखावे के काम करने वाले का अंजाम नबी करीम (ﷺ) ने फरमाया: ❝ जो लोगों को दिखलाने और शोहरत के लिए (खैर के) काम करेगा तो अल्लाह सुब्हानहु क़यामत के दिन उसकी रियाकारी का हाल लोगों को सुना देगा। ❞ 📕 सही बुखारी, हदीस 7152
कद्दू (दूधी) से इलाज ۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,"मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे, उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।" 📕 बुख़ारी : ५३७९ फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।
जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा तो... ۞ हदीस: अनस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा अल्लाह सुबहानहु क़यामत के दिन उसको उसके महबूब लोगो से जुदा कर देगा।" 📕 जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 1, 1291-हसन
कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है: "जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा" 📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493
मजलिस में जाये तो सलाम करे मजलिस में जाये तो सलाम करे ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “जब तुम में से कोई आदमी मजलिस में जाए, तो सलाम करे और फिर जी चाहे, तो मजलिस में शरीक हो जाए, और फिर जाते वक्त भी सलाम कर के जाए।” 📕 तिर्मिज़ी, हदीस २७०६, अन अबी हुरैराह (र.अ)
ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस Hadees of the Day ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना: हदीस अबु बक्र सिद्दीक (रजी) से रिवायत है की,रसुलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया: "अगर लोग जालीम को जुल्म करते हुए देखे और उसे न रोके तो करीब है की अल्लाह तआला उन सबको अजाब मे मुब्तला कर देगा।" 📕 रियाद अस-सलीहिन, हदीस, 197
गुस्सा ना किया करो : हदीस गुस्सा ना किया करो : हदीस अबू हुरैरा (रज़ि) से वर्णित है के : एक आदमी ने पैगंबर (ﷺ) से कहा, "मुझे सलाह दीजिये!" पैगंबर (ﷺ) ने कहा, "गुस्सा करने से बचो और उग्र मत बनो।" आदमी ने (वही) बार-बार पूछा, और पैगंबर (ﷺ) ने प्रत्येक मामले में कहा, "क्रोध से बचो और उग्र मत बनो।" 📕 सहिह अल-बुखारी ६११६📕 इन-बुक संदर्भ: पुस्तक 78, हदीस 143
शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस | Shohar ki ijazat Hadees शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस अबू हरैराह (रज़ी) से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: "शोहर की गैर हाजिरी मे इसकी इजाजत के बगैर कोई औरत रोज़ा ना रखे सिवाय रमज़ान के, और बगैर इस की इजाजत के इस की मौजूदगी में किसी को घर में आने की इजाजत न दे।" 📕 सुनन अबू दावूद, हदीस 2458
निमोनिया का इलाज रसूलुल्लाह (ﷺ) ने निमोनिया के लिये वर्स, कुस्त और रोग़ने जैतून पिलाने को मुफीद बतलाया है। फायदा : "वर्स" तिल के मानिंद एक किस्म की घास है, जिस से रंगाई का काम लिया जाता है और "कुस्त" एक खुशबूदार लकड़ी है जिस को ऊदे हिन्दी भी कहते हैं। 📕 इब्ने माजा : ३४६७
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: "अल्लाह तआला रोज़े क़यामत 3 तरह के लोगो से न कलाम करेगा और न ही उनकी तरफ नज़रे रेहमत से देखेगा, और उनको दर्दनाक अजाब में मुब्तेला करेगा, और वो 3 ये लोग होंगे: "बुढा जानी, झूठा बादशाह और मुतक्कबिर फ़क़ीर।" 📕 सहीह मुस्लिम, हदीस 107
MD. Salim Shaikh
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