सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा
क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में


१. इस्लामी तारीख

हजरत आदम (अलैहिस्सलाम)

हजरत आदम (अलैहिस्सलाम)

हजरत आदम (अलैहिस्सलाम) वह पहले इंसान हैं जिन से दुनिया में बसने वाले इंसानों की इब्तिदा हुई है। अल्लाह तआला ने उन का खमीर तैयार करने से पहले फरिश्तों से कहा: “अनकरीब मैं मिट्टी से एक ऐसी मखलूक पैदा करने वाला हूँ जिसे ज़मीन में खिलाफत का शर्फ हासिल होगा।”

चुनांचे हजरत आदम (अलैहिस्सलाम) का खमीर मिट्टी से गूँधा गया, फिर अल्लाह तआला ने उस में रूह फूँक दी, तो उसी वक़्त वह ज़िन्दा इंसान बन गए।

उन के सामने फरिश्तों को सज्दा करने का हुक्म दिया, तो तमाम फरिश्ते अल्लाह तआला के हुक्म की इताअत करते हुए सज्दे में गिर गए मगर शैतान ने अपनी बड़ाई और तकब्बुर की वजह से सज्दे से इनकार कर दिया और कहने लगा: “मैं उस से बेहतर हूँ क्योंकि आप ने मुझे आग से पैदा किया और आदम (अलैहिस्सलाम) को मिट्टी से पैदा किया।”

इस तरह शैतान अल्लाह के हुक्म को न मान कर हमेशा के लिये अल्लाह की लानत का मुस्तहिक़ बन गया और उसी वक़्त से वह आदम (अलैहिस्सलाम) और उनकी औलाद का दुश्मन बन गया।

📕 अल्लाह की कुदरत


२. अल्लाह की कुदरत

हुजूर (ﷺ) की दुआ की बरकत

एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अली (र.अ) को काज़ी बना कर यमन भेजा, तो हज़रत अली कहने लगे: या रसूलल्लाह! मैं तो एक नौजवान आदमी हूँ मैं उन के दर्मियान फैसला (कैसे) करूँगा? हालाँकि मैं ! तो यह भी नहीं जानता के फैसला क्या चीज है ?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मेरे सीने पर अपना हाथ मुबारक मारा और फर्माया : ऐ अल्लाह ! इस के दिल को खोल दे और हक बात वाली जबान बना दे, हजरत अली फरमाते हैं के अल्लाह की कसम ! उस के बाद मुझे कभी भी दो आदमियों के दर्मियान फैसला करने में शक और तरहुद नहीं हुआ।

📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नुबुव्वह : २१३४, अन अली (र.अ)


३. हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

काफिर का मरऊब हो जाना

हज़रत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ एक ग़ज़वे में जा रहे थे, रास्ते में एक जगह पड़ाव डाला, तो लोग इधर उधर दो दो, तीन तीन की जमात बना कर दरख्तों के नीचे आराम करने लगे, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी एक दरख्त के नीचे आराम फरमाने के लिये तशरीफ ले गए, और अपनी तलवार उस दरख्त पर लटका कर सो गए, रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़र्माते हैं के मैं सोया हुआ था के एक आदमी आया और उस ने मेरी तलवार ले ली, अचानक मैं बेदार हुआ तो क्या देखता हूँ के वह तलवार लिये मेरे सर पर खड़ा है। वह मुझ से कहने लगा के तुम्हें कौन बचा सकता है ?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह’ ! उस ने दूसरी मर्तबा सवाल किया. रसुलल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह” ! तो (उस पर यह असर हुआ के) उस ने तलवार मियान में वापस रख दी, (और आप (ﷺ) को कुछ न कर सका)

📕 मुस्लिम : ५९५०


४. एक फ़र्ज़ अमल के बारे में

इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”

📕 इब्ने माजा: २२४

फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।


5. एक सुन्नत अमल के बारे में

दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।

📕 इब्ने माजा: ३८५१


6. एक अहेम अमल की फजीलत


7. एक गुनाह के बारे में

दिखावे के लिए कपड़ा पहनने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स शोहरत के लिए दुनिया में कपड़े पहनेगा, अल्लाह तआला उसको कयामत के दिन रुसवाई के कपड़े पहनाएगा और फिर उसमें आग भड़काएगा।”

📕 इब्ने माजाह, ३६०८


8. दुनिया के बारे में

कामयाब कौन है?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़र्माया :

“कामयाब हो गया वह शख्स जिसने इस्लाम कबूल किया और उसको जरुरत के ब कद्र रोजी मिली और अल्लाह तआला ने उस को दी हई रोजी पर कनाअत करने वाला बना दिया।”

📕 मुस्लिम: २४२६, अब्दुल्लाह बिन अम्र विन आस (र.अ)


9. आख़िरत के बारे में

रोज़े आख़िरत (क़यामत के दिन) हर अमल का बदला मिल जायेगा

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है :

“जो शख्स क़यामत के दिन नेकी लेकर हाज़िर होगा, तो उस को उस नेकी से बेहतर बदला मिलेगा और जो शख़्स बदी ले कर हाज़िर होगा, तो ऐसे बुरे आमाल वालों को सिर्फ उनके कामों की सज़ा दी जाएगी।” 

📕 सूरह क़सस: 84


10. तिब्बे नबवी से इलाज

सना के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मौत से अगर किसी चीज में शिफा होती तो सना में होती।”

📕 तिर्मिज़ी : २०८१

फायदा: सना एक दरख्त का नाम है, जिस की पत्ती तक़रीबन दो इंच लम्बी और एक इंच चौड़ी होती है, उस में छोटे छोटे पीले रंग के फूल होते हैं, उसकी पत्ती क़ब्ज़ के मरीज़ के लिये मुफीद है।


11. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत