“जब तुम में से कोई बुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुक दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।”
कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है: "जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा" 📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493
किसी के वालिदैन को बुरा भला कहने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) फरमाते है : "(शिर्क के बाद) कबीरा गुनाहों में सबसे बड़ा गुनाह यह है के आदमी अपने वालिदैन पर लानत करें" पूछा गया : ऐ अल्लाह के रसूल! आदमी अपने वालिदैन पर कैसे लानत करेगा? इर्शाद फ़रमाया : “वह दूसरे के वालिदैन को बुरा भला कहे फिर वह आदमी उस के वालिदैन को बुरा भला कहे।” 📕 बुखारी : ५९७३
कोई शख्स दूसरे के सामने फक्र न करे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "तवाजो इख्तियार करो, कोई शख्स दूसरे के सामने फक्र न करे और एक दूसरे पर ज़ियादती करे।" 📕 मुस्लिम: ७२१०
कंजूसी करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है, कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।" 📕 सूरह आले इमरानः १८०
खुशू व खुजू से नमाज़ अदा करना ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो कोई खूब अच्छी तरह वुजू करे और दो रकात नमाज खुशू खुजू के साथ पड़े तो उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई।" 📕 अबू दाऊद : ९०६
तक़दीर पर ईमान लाना हर चीज़ तकदीर से है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर ही से है)।" 📕 सहीह मुस्लिम : ६७५१ वजाहत: तकदीर कहते है के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उसकी मशिय्यत से है, हमारे ऊपर उसका यक़ीन रखना और उसपर ईमान लाना फर्ज है।
पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं “आदमी (इंसान) ने पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं भरा। इब्ने आदम को चंद लुक्मे काफी है जो उसकी पीठ को सीधा रखे। लेकिन अगर ज्यादा खाना ज़रूरी हो तो तिहाई पेट खाने के लिए, तिहाई पानी के लिए और तिहाई साँस के लिए रखे।” 📕 तिर्मिजी: २३८०
यतीम की परवरिश करना रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : “मुसलमानों में बेहतरीन घर वह है, जिसमें कोई यतीम हो और उससे अच्छा सुलूक किया जाए और मुसलमानों में बदतरीन घर वह है जिस में कोई यतीम हो और उस के साथ बुरा सुलूक किया जाए।” 📕 इब्ने माजा: ३६७९
पसंद के मुताबिक हदिया देना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा। 📕 तबरानी सगीर : ११७५ वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।
शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस | Shohar ki ijazat Hadees शोहर के इजाजत की अहमियत: हदीस अबू हरैराह (रज़ी) से रिवायत है के, अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया: "शोहर की गैर हाजिरी मे इसकी इजाजत के बगैर कोई औरत रोज़ा ना रखे सिवाय रमज़ान के, और बगैर इस की इजाजत के इस की मौजूदगी में किसी को घर में आने की इजाजत न दे।" 📕 सुनन अबू दावूद, हदीस 2458
कयामत के रोज़ सब को जिंदा किया जाएगा कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : “(दोबारा) सूर फूंका जाएगा, तो सब के सब कब्रों से निकल कर अपने रब की तरफ दौड़ पड़ेंगे। वह कहेंगे: हाय हमारी बरबादी! हमको हमारी ख्वाब गाहों से किस ने उठा दिया? (जवाब मिलेगा) यह वही है जिसका रहमान (अल्लाह) ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था। बस वह एक जोर की आवाज़ होगी, जिस से सब जमा हो कर हमारे पास हाजिर कर दिए जाएंगे।” 📕 सूरह यासीन : ५१ ता ५३
ज़ियादा अमल की तमन्ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अगर कोई बन्दा पैदाइश के दिन से मौत आने तक अल्लाह की इताअत में चेहरे के बल गिरा पड़ा रहे तो वह भी क़यामत के दिन अपने सारे अमल को हक़ीर समझेगा और यह तमन्ना करेगा के उस को दुनिया की तरफ वापस कर दिया जाए ताके और ज़ियादा नेक अमल कर ले।” 📕 मुस्नदे अहमद: १७१९८
किसी बुराई को देखे तो उसे रोकने की कोशिश करे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "तुम में से जो शख्स किसी बुराई को देखे तो उसे अपने हाथ से रोके अगर इस की ताकत न हो तो अपनी ज़बान से रोके, फिर अगर इस की भी ताकत न हो तो दिल से उस जाने और यह ईमान का सब से कमजोर दर्जा है।" 📕 मुस्लिमः १७७
मजलिस में जाये तो सलाम करे मजलिस में जाये तो सलाम करे ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “जब तुम में से कोई आदमी मजलिस में जाए, तो सलाम करे और फिर जी चाहे, तो मजलिस में शरीक हो जाए, और फिर जाते वक्त भी सलाम कर के जाए।” 📕 तिर्मिज़ी, हदीस २७०६, अन अबी हुरैराह (र.अ)
MD. Salim Shaikh
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