नफा एक है इस कौम का नुकसान भी एक
सीरिया, बर्मा, पलेस्थिन और दुनीया के किसी भी कोने में कोई मुसलमान क़त्ल कर दिया जाता है तो कोई नहीं पूछता के वो किस फिरके का था, बरेलवी था, अहले हदीस या देओबंदी था। मसलक क्या था उसका ? कही फलाह और फलाह का मुरीद तो नहीं था?
बल्कि सबने रोकर उनकी तकलीफ का इजहार किया।
इसी तरह कोई मुसलमान साइंस में कोई महारत हासिल कर ले तो सबको ख़ुशी होती है। कोई भी उसके जमात और फिरके का खयाल नहीं करता।
लेकिन जब इबादत का मसला आता है तो हम आपस में गिरोह और फिरको में बाट लेते है, छोटी छोटी बातो पर इख्तेलाफ़ करने लग जाते है। नतीजतन जालिम हुकुमराह हमपर मुसल्लत होते है।
इसी बात को अल्लामा इकबाल अपने अशार में कहते है –
मंनफियत (नफा) एक है इस कौम का नुकसान भी एक।
एक ही सबका नबी, दींन भी, ईमान भी एक।
हरमे पाक भी, अल्लाह भी, कुरान भी एक।
कुछ बड़ी बात थी जो होते तुम सब मुसलमान भी ऐक।
♥ इंशा’अल्लाह-उल-अज़ीज़ !
अल्लाह रब्बुल इज्ज़त हम सबको एक और नेक बनाये।
हमे सिरते मुस्तकीम पर चलाये (अमीन अल्लाहुम्मा अमीन)
Discover more from Ummate Nabi ﷺ Hinglish
Subscribe to get the latest posts sent to your email.